Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 15 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीस्त्रे औदारिकशरीरगतो जघन्ययोगोऽसंख्येयगुणोऽधिको भवतीत्यर्थः। 'वेउब्धिय मीसगस्स जहन्नए जोए असंखेज्जगुणे३' वैकियमिश्रकशरीरस्य जघन्यो योगः पूर्वापेक्षयाऽसंख्येयगुणोऽधिको भवतीति । 'ओरालियसरीरगस्स जहन्नए जोए असंखेज्जगुणे४' औदारिकशरीरस्य जघन्यो योगः पूर्वापेक्षया असंख्येयगुणोऽधिको भवतीति । 'वेउविजयसरीरस्त जहन्नए जोए असंखेज्जगुणे५' वैक्रियशरीरस्य जघन्यो योगोऽसंख्येयगुणः ५॥ कामगादिशरीरगतजघन्ययोगस्याल्पबहुत्वं मदर्य कार्मणादिशरीरगतोत्कृष्योगस्याल्पबहुत्व दर्शयन्नाह-'कम्मगसरीरस्स' इत्यादि । 'कम्मगसरीरस्स उकोसर जोए असंखेज्जगुणे६' कार्मणशरीरस्योत्कृष्टोयोगः पूर्वप्रदर्शितशरीरगतजघन्ययोगापेक्षया कार्मणशरीरगत उस्कृष्टो योगोऽसंख्येयगुणोऽधिको भवति इति । 'आहारगमीसगरस जहन्नए जोए असंखेज्ज गुणे' आहारकामिश्रस्य जघन्यो योगः पूर्वापेक्षया असंख्येयगुणोऽधिको भवअसंखेज्जगुणे' इसकी अपेक्षा औदारिकमिश्र शरीर को जघन्य योग असंख्यातगुणा है। 'वेउब्धियमीसगस्त जहन्नए जोए असंखेजगुणे ३' इस की अपेक्षा वैक्रिय मिश्र का जघन्य योग असंख्यातगुणा अधिक है 'ओरालियसरीरगस्स जहन्नए जोए असंखेज्जगुणे' ४ इसकी अपेक्षा औदारिक शरीर का जघन्य योग असंख्यातगुणा अधिक है 'वेउब्धिय सरीरस्स जहरए जोए असंखेज्जगुणे ५' वैक्रिय शरीर का जघन्य योग
औदारिक शरीर के जघन्य योग से असंख्यातगुणा अधिक है। इस प्रकार से कामण शरीर आदि के जघन्य योग की अल्प बहुता आदि प्रकट कर अब सूत्रकार कार्मण शरीर आदि के उत्कृष्ट योग की अल्प बहुता प्रदर्शित करते हैं-'कम्मगसरीरस्स उक्कोसए जोए असंखेज्ज. गुणे' ६ वैक्रिय शरीर के जघन्य योग की अपेक्षा कार्मणशरीर का जो उत्कृष्ट योग है वह असंख्घातगुणा है। 'आहारगमीसगस्स जहन्नए लियसरी रगस्त जहन्नए जोए असंखेज्ज गुणे ४, तना ४२di मोहा२ि४ शरीरने। नन्यया असण्यात गणे। वधारै छे. 'वेउव्वियसरीरगस्स जहन्नए जोए असं खेज्जगुणे' ५, वैठियशरीर सधन्ययोग, मोहरि शरीना धन्ययोग ४२तां અસંખ્યાતગણે વધારે છે. આ રીતે કામણ શરીર વિગેરેના જઘન્ય યોગનું અ૫, બહુપણું વિગેરે પ્રગટ કરીને હવે સૂત્રકાર કામણ શરીર વિગેરેના ઉત્કૃષ્ટ योगनु १६५, माशु प्रमट ४२ छे.-'कम्मगसरीरस्त उक्कोसए जोए असंखेज्जगुणे ६,' वैठियशरीरना धन्ययो४२ता ४ाम शरीदने। 2 SYष्ट योग छ, ते मसभ्याता। छे. 'आहारगमीसगस्स जहन्नए जोए असंखेज्जगुणे' ७, तेना
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૫