Book Title: Acharang Sutram Part 02
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
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________________ 28 // 1-2-0-05 श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन अब आगे एक परमाणु अधिक होने से कार्मण शरीर के लिये ग्रहण योग्य जघन्य वर्गणा बनती है और अधिक एक-दो यावत् जघन्य वर्गणा के अनंतवे भाग प्रमाण परमाणु की वृद्धि हो तब कार्मण शरीर योग्य उत्कृष्ट वर्गणा होती है और वे अनंत हैं... अब प्रश्न यहां यह है कि- जघन्य और उत्कृष्ट में अंतर क्या है ? उत्तर- कार्मण योग्य जघन्य वर्गणा के अनंतवे भाग अधिक परमाणुवाली कार्मण योग्य उत्कृष्ट वर्गणा है, और वह अनंतवा भाग अनंतानंत-परमाणु स्वरूप है, इसीलिये अनंत भेदवाली कार्मण शरीर योग्य वर्गणाएं हैं... और इन कार्मण वर्गणाओं का यहां इस आचारांग सूत्र में प्रयोजन (अधिकार) है, क्योंकियहां द्रव्यकर्म की व्याख्या की जा रही है, क्रम से आइ हुइ शेष सभी वर्गणाएं शिष्यजनों के आनुषंगिक बोध के लिये कही गइ है... अब आगे भी कार्मण शरीर योग्य उत्कृष्ट वर्गणा में एक परमाणु का प्रक्षेप हो तब जघन्य ध्रुव वर्गणा होती है और अधिक एक-दो यावत् सभी जीवों से अनंतगुण अधिक परमाणु का प्रक्षेप हो तब उत्कृष्ट ध्रुववर्गणा होती है... उसके बाद उत्कृष्ट ध्रुव वर्गणा में एक परमाणु का प्रक्षेप हो तब जघन्य अध्रुव वर्गणा होती है, और अधिक एक-दो यावत् अनंत परमाणु अधिकवाली वर्गणा हो तब उत्कृष्ट अध्रुव वर्गणा होती है... अध्रुव याने कभी कोइ वर्गणा हो, और कोइ वर्गणा न हो, इस अध्रुव याने अनिश्चितता के कारण से इन्हे अध्रुव वर्गणा कहते हैं, यहां जघन्य से उत्कृष्ट पर्यंत के विकल्प ध्रुव वर्गणा के समान हि है... यहां से आगे एक-दो आदि प्रदेश परमाणु की वृद्धि से जघन्य से लेकर उत्कृष्ट पर्यंत अनंत शून्य वर्गणा हैं यह अनंत संख्या भी ध्रुव वर्गणा के समान हि है.. यह वर्गणा इस संसार में कभी भी नहिं होती है, इसीलिये इसे शून्य वर्गणा कहते हैं... सारांश यह है कि- अध्रुव वर्गणा के बाद एक-दो प्रदेश आदि से लेकर अनंत प्रदेश-परमाणु पर्यंत की वृद्धिवाली वर्गणा नहि होती है... यह पहेली शून्य वर्गणा है... . अब यहां से आगे एक आदि अनंत प्रदेश-परमाणु की वृद्धि से जघन्य से लेकर उत्कृष्ट पर्यंत प्रत्येक शरीर वर्गणा होती है, और वे जघन्य वर्गणा से क्षेत्र पल्योपम के असंख्येय भाग के प्रदेशगुण अधिक परमाणुवाली उत्कृष्ट वर्गणा होती है... यहां से आगे एक आदि परमाणु की वृद्धि से जघन्य से लेकर उत्कृष्ट पर्यंत अनंतवर्गणाएं है, वे द्वितीय शून्य वर्गणा कहलाती है... यहां भी जघन्य वर्गणा से असंख्य लोकाकाश के प्रदेश-गुण अधिक परमाणुवाली वर्गणा उत्कृष्ट कही गइ है यह द्वितीय शून्य वर्गणा हुइ... ___ यहां से आगे एक आदि परमाणु की वृद्धि से जघन्य से लेकर उत्कृष्ट पर्यंत अनंत वर्गणा बादर निगोद शरीर योग्य हैं और वे जघन्य वर्गणा से क्षेत्र पल्योपम के असंख्यातवे भाग प्रदेश गुण अधिक परमाणुवाली वर्गणा बादर निगोदशरीर योग्य उत्कृष्ट वर्गणा कही गइ