Book Title: Acharang Sutram Part 02
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
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________________ श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी - हिन्दी - टीका #1-2-0-0 // 41 भावकर्म = अबाधाकाल पूर्ण होने के बाद उदीरणा-करण के द्वारा उदय में आये हुए कर्म पुद्गलों को प्रदेश एवं विपाक के द्वारा भव, क्षेत्र, पुद्गल एवं जीव में अनुभाव देनेवाले कर्म को भावकर्म कहतें हैं... इस प्रकार नाम स्थापना आदि निक्षेप से कर्म के दश प्रकार कहे हैं, यहां इस आचारांग सूत्र में समुदानकर्म के ग्रहण से आठ प्रकार के कर्मों का अधिकार है... इस प्रकार सूत्रानुगम से सूत्र का उच्चारण करने पर, निक्षेप नियुक्ति-अनुगम से एक एक पद का निक्षेप करने पर, और नाम आदि निक्षेपों की व्याख्या पूर्ण होने के बाद अब सूत्र का विवरण करते हैं.... इति द्वितीयाध्यने उपक्रम एवं निक्षेप...