Book Title: Acharang Sutram Part 02
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan

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Page 522
________________ श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी - हिन्दी - टीका 481 190 नामं ठवणा सीयं दव्वे भावे य होइ नायव्वं / एमेव य उण्हस्सवि चउव्विहो होइ निक्लेवो / 191 दव्वे सीयलदव्वं दव्वुण्हं चेव उण्हदव्वं तु / भावे उ पुग्गलगुणो जीवस्स गुणो अणेगविहो // 192 सीयं परीसहपमायुवसमविरई सुहं चउण्हं तु। परीसहतवुज्जमकसाय सोगाहियेयारई दुक्खं / दारं // 193. इत्थी सक्कारपरीसहो य दो भावसीयला एए। सेसा वीसं उण्हा परीसहां हुंति नायव्वा // 194 जे तिव्वप्परिणामा परीसहा ते भवंति उण्हा उ। जे मंदप्परिणामा परीसहा ते भवे सीया // दारं // 195 धम्मंमि जो पमायइ अत्थे वा सीअलुत्ति तं बिंति। उज्जुत्तं पुण अन्नं ततो उण्हंति णं बिंति // दारं / / 196 सीईभूओ परिनिव्वुओ य संतो तहेव पण्हाणो (ल्हाओ)। होउवसंतकसाओ तेणुवसंतो भवे जीवो // दारं // 197 अभयकरो जीवाणं सीयघरो संजमो भवइ सीओ। अस्संजमो य उण्हो एसो अन्नोऽवि पज्जाओ | दारं // 198 निव्वाणसुहं सायं सीईभूयं पयं अनाबाहं / इहमवि जं किंचि सुहं तं सीयं दुक्खमवि उण्हं / /

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