Book Title: Acharang Sutram Part 02
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
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________________ श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी - हिन्दी - टीका + 1 - 5 - 0 - 0 363 27 . 26 --- 4 --- 28 --- तथा द्रव्यलोक याने जीव, पुद्गल, धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय आकाशास्तिकाय एवं काल स्वरूप षड्विध द्रव्यलोक है... तथा भावलोक औदयिक आदि छह (6) भाव स्वरूप है अथवा सर्व द्रव्यों के पर्याय स्वरूप भावलोक है... नि. 240 . “सार" पद के भी नाम आदि चार निक्षेप में नाम एवं स्थापना सुगम है, अतः अब द्रव्यसार को कहते हैं... “सार" शब्द यहां प्रकर्ष याने उत्कृष्टता का वाचक है... जैसे कि 1. सर्व समृद्धि में धन सार है... जैसे कि- कोट्याधिपति... 2. स्थूल पदार्थ में एरंड सार है... 3. गुरु पदार्थो में वज्र सार है... 4. मध्यम पदार्थो में खदिर सार है... देश-क्षेत्र में आम्रवन सार है... ___ सचित्त द्विपद में जिनेश्वर सार है... 7. सचित्तचतुष्पद में सिंह सार है... सचित्त अपद में कल्पवृक्ष सार है... अचित्त अपद में वैडूर्य मणी सार है... 10. मिश्र पदार्थ में समवसरण स्थित तीर्थंकर परमात्मा...