Book Title: Acharang Sutram Part 01
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Aatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
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42 • आचारांग का परिचय
आचारांग सूत्र का परिचय नन्दी' और समवायांग सूत्र में दिया गया है। नन्दी सूत्र की अपेक्षा समवायांग सूत्र में दिए गए परिचय में कुछ विशेषण अधिक हैं। परन्तु इस बात में उभय आगमों में एकरूपता है कि आचारांग सूत्र के दो श्रुतस्कन्ध हैं। उनके 25 अध्ययन, 85 उद्देशक और 18 हजार पद हैं। दिगम्बर सम्प्रदाय द्वारा मान्य 'धवला' ग्रन्थ में भी आचारांग सूत्र के इतने ही पदों का उल्लेख मिलता है। इसमें भी उभय आगमों में एकवाक्यता है कि आचारांग में प्रमुख रूप से साध्वाचार का वर्णन है। आचार्य अकलंक कृत राजवार्तिक', धवला और जयधवला' में भी इस बात का उल्लेख मिलता है कि आचारांग सूत्र में मुनि धर्म का वर्णन हैं। इससे स्पष्ट होता है कि श्वेताम्बर-दिगम्बर-मान्य आगमों में आचारांग का परिचय समान रूप से मिलता है। ग्रन्थ की पद संख्या एवं ग्रन्थ में वर्णित विषय में उभय परम्परा में कोई मतभेद नहीं है। .
आचारांग का मौलिक रूप
परिचय में हम देख चुके हैं कि नन्दी सूत्र एवं समवायांग सूत्र में प्रस्तुत आगम के दो श्रुतस्कन्ध बताए हैं। वर्तमान में उपलब्ध आचारांग सूत्र भी दो श्रुतस्कन्धों में विभक्त है। परन्तु यह एक प्रश्न है कि आचारांग के दोनों श्रुतस्कन्ध मौलिक हैं या एक श्रुतस्कन्ध मौलिक है और दूसरा उसके साथ पीछे से जोड़ा गया है। इस प्रश्न का उत्तर दो तरह से दिया गया है-एक पक्ष प्रथम श्रुतस्कन्ध को ही मौलिक मानता है। आचारांग नियुक्ति एवं आचारांग चूर्णि में भी इस मत का समर्थन मिलता है।
1. नन्दी सूत्र, पृ. 45 2. समवायांग सूत्र, पृ. 136 3. धवला भाग 1; पृष्ठ 99 4. राजवार्तिक, सूत्र 120 5. धवला, भाग 1, पृष्ठ 99 6. जयधवला भाग 1, पृ. 122