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were श्री हर्ष पुष्पामृत जैन ग्रंथमाला - ग्रंथांक PM
3७०
२चंदन
२फल
३अक्षत
2वेताबर
तीर्थ दर्शन
१धुप
पूचंदन
दीप
६ अति
भाग - २
६धुप
नैवेधे
Adesifal SDH
दीपन
८फल
-: संयोजक संपादक :
तपोमूर्ति पूज्य आचार्यदेवश्री विजय कर्पूर सूरीश्वरजी महाराजा के III विजय अमृत सूरीश्वजी महाराजा के पट्टधर iml पू. आचार्यदेवश्री विजय जिनेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज
II
१जल
२चंदन-बास ४ पुष्प माला
दीपक
६धुप
७ पुष्प
८ अर मंगल ९ अक्षत २० दर्पन ११ AA
Rai
१३ फल
१जल र चिलेपन ३वरी
४गंध ५ ध्या ६ पुष्यभामा अंगबास ९६वज
राहन
११ पुष्यगृह
१८ पुष्य
1११ दीप १५०ीत 75 नाक ७वाजीन मंगल
आमरन
यस कुराल
-: प्रकाशिका :-- श्री हर्ष पुष्पामृत जैन ग्रंथमाला
लाखाबावल शांतिपुरी (सौराष्ट्र)
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Imansama
श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थांक ३७०
श्री महावीर जिनेन्द्राय नमः
श्री मणिबुद्ध्याणंद-हर्षकर्पूरामृत- सूरिगुरुभ्यो नमः
श्वेताम्बर जैन तीर्थ दर्शन
भाग
૨
-
12-2237 लाज
बिहार, बंगाल, आसाम, उत्तरप्रदेश, काश्मीर, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, आंध्र, तमिलनाडु, केरला, कर्नाटक के तीर्थों तथा अमेरिका के मंदिरों की प्रतिमाजी की प्रतिकृतियाँ तथा इतिहास, नक्शे से सुशोभित उपरांत तीर्थ पट्ट, रचनाएं, रंगोलीयों के फोटो से युक्त
* संयोजक तथा संपादक
तपोमूर्ति पूज्य आचार्यदेव श्री विजयकर्पूरसूरीश्वरजी महाराज के पट्टधर हालारदेशोद्धारक श्रेष्ठ कवीश्वर पूज्य आचार्य देव श्री विजय अमृतसूरीश्वरजी महाराज के पट्टधर प्राचीन साहित्योध्धारक
पूज्य आचार्यदेव श्री विजयजिनेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज
* प्रकाशिका *
श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल - शांतिपुरी (सौराष्ट्र)
मूल्य रु.८००=००
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* प्रकाशिका श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला (लाखाबावल) C/o श्रीमती जशमाबेन वीरजी हेमराज तथा श्री मेघजी तथा वेलजी वीरजी दोढीया
श्रुत ज्ञान भवन ४५, दिग्विजय प्लाट, जामनगर (सौराष्ट्र) गुजरात (भारत)
| वीर संवैत २५२६ - विक्रम संवत २०५६ । सन् २००० - प्रथम आवृति - नकल १०००
(प्राप्ति स्थान)
(४) श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला
श्रुतज्ञान भवन, ४५ दिग्विजय प्लाट, जामनगर (गुजरात)
मेहता मगनलाल चत्रभुज, सब्जी मार्केट के सामने, निशान फली, जामनगर (गुज.) (३) सेवंतिलाल वी. जैन, २० महाजन गली, मुंबई-२ (४) सरस्वती पुस्तक भंडार, हाथीखाना, रतनपोल, अहमदाबाद (गुज.) (५) सुघोषा कार्यालय, शेख का पाडा, रिलीफ रोड़, अहमदाबाद (गुज.) (६) श्री प्रकाशकुमार अमृतलाल दोशी, वीतराग, १०/१३ जयराज प्लाट, राजकोट (गुज.) (७) श्री प्रेमचंद मेघजी गुढका ३/३८-३९ शेटे बिल्डिंग, एल्फीस्टन रोड, परेल टीटी
मुंबई-१२ फोन - ४१३२८२९ (८) हरखचंद जी मारु C/o आशीष कार्पोरेशन-२७-३१ बोटावाला बिल्डिंग पुरानी हनुमान गली
मुंबई-२, फोनः (ऑ.) २०५४८२९-२०५११५८८ (रे.) ५१५२२२३ Ratilal D. Gudhka. 117 Sudury Avenue, Middlesex, North Wembly HAO 3 AW
Phone: 0181-904-9851 Fax : 0171-744-5820 १०) Motichand S. Shah
29, Regal waj Kanton Harrow HA3 OR2 Phone:0181-907-5392 नायरोबी (१५) शाह मेघजी वीरजी दोढीया-संघपति-बॉक्स नं. ८२०२५ - मोबासा (१२) शाह छोटालाल लाखमशी-मोंबासा
१३) मगनलाल लक्ष्मण मारु - नवपाडा - थाणा (१४) अश्विन प्रेमचंद हरणीया -भीवंडी (५५) अरविंद जवेरचंद शाह धामणकरनाका - भीवंडी (१६) चंदुलाल जेशंगलाल शांतिनगर, वालकेश्वर, मुंबई-६ (१७) बाबुभाई पोपटलाल, लालबाग, मुंबई-४ (१८) जैन देरासर पेढ़ी-डोलीया
मुद्रक : गैलेक्सी प्रिन्टर्स, ढेबर चौक, अलंकार चेम्बर्स, राजकोट-३६० ००१, फोन : २२७३३४/३८९३९१
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WINNONNOWONS
प्रस्तावना
श्री अरिहंत परमात्मा ने आत्मा के परम कल्याण के लिए धर्म बताया है वह धर्म साधु धर्म और श्रावक धर्म रूप है। इस धर्म पर अटूट श्रद्धा हो उसका नाम सम्यग्दर्शन है। सम्यग्दर्शन प्राप्त हुई आत्माएँ उस धर्म के प्ररूपक श्री तीर्थंकर देव के असीम उपकार को पहचानती हैं, और उनको तारने वाले धर्म के प्ररूपक श्री जिनेश्वर देवों के प्रति अटूट अनन्य समर्पण भाव जगता है। और जिससे उन तारक तीर्थंकर देवों की परम भक्ति करने को प्रेरित होते हैं। उस भक्ति में पूजा यात्रा उसी प्रकार जिनमंदिर निर्माण प्रतिष्ठा जीर्णोद्धार करने के लिए तत्पर बनते हैं और शक्ति अनुसार भक्ति करते हैं। यह भक्ति उनके जीवन में व्रत, नियम, तप, संस्कार, सदाचार, कषाय जय विषय जय को पुष्ट बनाती है। और तभी भक्ति भी सार्थक बनती है।
आत्मा को तारने वाले तीर्थ हैं। आत्मा को तारने वाले वह तीर्थ दो प्रकार से कहे हैं। स्थावर तीर्थ अर्थात् स्थिर तीर्थ वह श्री शत्रुजय, श्री गिरनार आदि तीर्थ मंदिर, जिनबिंब आदि हैं। तथा जंगम तीर्थ विचरण करते तीर्थंकर देव तथा गणधर देव तथा साधु-साध्वी भगवंत हैं।
स्थावर तीर्थ की भक्ति का फल जंगम तीर्थ में प्रवेश है। और जिससे द्रव्य स्तव की सार्थकता भावस्तव से कही है।
तारक तीर्थ की वंदना भी भावस्तव की प्रेरक बने इसके लिए श्वेताम्बर जैन तीर्थ दर्शन का आयोजन करने में आया है। इन तीर्थों के दर्शन द्वारा आत्मा घर बैठे भी तारक तीर्थों के तथा तारक परमात्माओं के दर्शन, स्तवन आदि कर सकते
___ भारत और विश्व के श्वेताम्बर जैन तीर्थों का संकलन करने का निश्चित किया और इसके लिए तीर्थों के फोटा तथा इतिहास की जानकारी लेने के लिए प्रतिनिधि मंडल जाकर जैसे बना वैसे सब एकत्रित किया और उसके द्वारा तथा मद्रास जैन तीर्थ दर्शन, जैन तीर्थ का इतिहास (आ.क.पेढी), जैन तीर्थ परिचय हर एक तीर्थ की मिलने वाली पुस्तिकाओं, तारे ते तीर्थ आदि पुस्तकों द्वारा जरुरी संकलन करने में आया है। ___ जिस जिले में बहुत तीर्थ है उन जिलों के नक्शे हो सके वहाँ तक वहाँ जाने के क्रम को लन में रखकर तीर्थ एकत्रित किए हैं और जहाँ-जहाँ ज्यादह जगह रही वहां, श्लोक, स्तुति, स्तवन आदि एकत्रित किए हैं जिससे दर्शन करते भावना भा सकें।
पूर्व के तीर्थ दर्शनों में बड़े तीर्थ आदि दिए हैं वहीं इसमें बड़े शहर उसी प्रकार विस्तार में यात्रा पंचतार्थी आदि भी लिए हैं। जिससे लगभग दोनों विभाग में मिलकर ६०० जितने तीर्थ स्थान बनेंगे। इस दुसरे भाग में गजरात राजस्थान के अलावा राज्यों तथा अमेरिका के फोटो लिए हैं। उसके बाद तीर्थ पह, रचना, तथा रंगोलीयों के फोटो भी इसमें लिए
सम्यग्दर्शन की निर्मलता करने के लिए यह तीर्थ हैं। इन तीर्थों की यात्रा करने जाने वाले को प्रथम दर्शन तप वगैरह करना चाहिए। यह न हो सके तो उसके बाद श्रावक के आचार का पालन हो, अभक्ष्य का भक्षण न हो, रात्रि भोजन से बचे, और मौज-शौक और स्वच्छन्दता जैसा न हो यह बराबर याद रखना चाहिए।
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६८ तीर्थ करने जाते हुए क्रोधी पुत्र ने माता को कडवी तुंबड़ी दी और कहा कि हर एक तीर्थ में इस तुंबड़ी को स्नान करवाना। उसने भी यात्रा की और हर स्थान पर तुंबडी को नहलाया और आकर माता को वापिस दी। माता ने उसकी सब्जी बनाई और पुत्र को परोसी। पुत्र कहता है - माँ सब्जी तो कडवी है। मां कहती है - तीर्थ में नहलायी है ना? 'हाँ' उसके उपरांत भी कडवाहट नहीं गई ? पुत्र - 'नहीं माताजी।' 'यदि बेटा तीर्थयात्रा करने जाये और हृदय में से कषायविषय की कडवाहट न निकाले तो उसकी यात्रा भी इस कडवी तुंबडी जैसी होती है। पुत्र समझ गया और जीवन में कडवाहट दूर करने के लिए प्रयत्नशील बना। __इसी प्रकार तीर्थयात्रा करने में विनय, विवेक, नम्रता, सज्जनता, जिनभक्ति, सम्यग्दर्शन, व्रत, नियम, सदाचार, अभक्ष्य त्याग, रात्रिभोजन त्याग, विकार विकृति से दूर रहना, त्याग तप, समर्पण आये, फिर शक्य हो तो श्रमणत्व के सन्मुख हो, प्राप्त करे। आदि आये तो तीर्थयात्रा करे ऐसा बने और तीर्थयात्रा की महिमा बढ़े। नहीं तो तीर्थश्वा' 'तीर्थ के कौओ' जैसा हो। परन्तु जीवन को निर्मल बनाना चाहिए यदि नहीं हो सके तो तीर्थ यात्रा सफल नहीं होती, तीर्थयात्रा की महिमा भी नहीं बढ़ती। उपरांत तो सुविधा, धूमने-फिरने का स्थान, मौज-शौक के स्थान रूप बन जाती है। ऐसा हो तो तीर्थ से तिरने की बजाय डूबे, और तीर्थ को भी बिगाड़े। ऐसा हो तो बहुत ही अविनय होता है। इससे ज्ञानीयों को तीर्थ की अविनय नहीं करना चाहिए' उसी प्रकार पूजा में रखकर आत्मा को जागृति का आलंबन दिया है।
सभी कोई वैसी तीर्थयात्रा को प्राप्त हो और वैसे भाव प्राप्त करने के लिए यह श्वेताम्बर जैन तीर्थ दर्शन का दर्शन, स्तवन, ध्यान करो यही अभिलाषा।
२०५२ श्रावण सुदी ५ सोमवार १९-८-९६ २, ओसवाल कॉलोनी, जैन उपाश्रय सुमेर क्लब रोड़, जामनगर
जिनेन्द्र सूरि
अंदर प्रथम पृष्ठ चित्र - (१) चौदह स्वप्न (२) अष्ट महाप्रातिहार्य (३) अष्ट मंगल (४) अष्ट प्रकारी पूजा
(५) पंच कल्याणक पूजा, (६) बारह व्रत पूजा (७) सत्तर भेदी पूजा के प्रकार। अंदर द्विनीय पृष्ठ चित्र- (१) २४ तीर्थंकर (२) नवपद मंडल (३) नमस्कार महामंत्र (४) श्री गौतम स्वामी एक नोट
इस तीर्थ दर्शन पुस्तक में मंदिरों की प्रतिकृति में ध्वजा चढ़ाने के लिए सीढ़ियां रखी हई दिखती है। वह बराबर नहीं है। एक घंटे के कार्य के लिए वर्ष भर सीढ़ियों का बोझ रहता है। पक्षी चरक करते हैं, मरण मृतक आदि लाये आदि से अविनय होता है। इससे जो सीढ़िया एकत्रित की वह बराबर नहीं है पालख रहे तो बांधने का खर्च करे सीढ़ी रखकर उपर चढ़ जाये और सांकल में डोरी डालकर नीचे से आदेश वाले डोरी खींचे तो ध्वजा उपर चढ़ जाय ऐसा करना वह कल्याणकारी और हितकारी है।
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ALLPXODSUN WEDDI"
परम पूज्य शासन संरक्षक सत्यमार्ग संरक्षक संघ स्थविर कलिकाल कल्पतरू वर्षजीवी, ८० से अधिक वर्ष संयममय जीने वाले
अंतिम तैंतीस वर्ष वर्षी तप सेवी परम उपकारी
388888888886 TAREE8SAROPERSONSCIOUSERSIONERPERSORR
8888888888888888888888888888888888888888888888
पूज्य आचार्य देवेश श्रीमद् विजयसिद्धिसूरीश्वरजी महाराजा
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SARERA
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पुनीत कर कमलों में
समर्पण परम पूज्य परम उपकारी
उमतपःकारक, घोर तपोमूर्ति, निस्पृही शिवोमणि, सिद्धांत शासन वक्षक,
स्वाध्यायजीवी परम गुरू व दादा गुरुदेव पूज्यपाद आर्यदेव
TOR
श्री विजयकपूर सूरीश्वरजी महाराजा के
पवित्र करकमलों में । श्री श्वेताम्बर जैन तीर्थ दर्शन
कोटिशः वंदन के साथ सादेव
समर्पण करते हुए कृत्य-कृत्य हुआ है।
-गुरु कृपाकांक्षी जिनेन्द्रसूवि
HEOF
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कलिकाल उग्रतपःकारक, अट्ठाई से वीश स्थानक आराधक, एक माह में तीन-तीन अट्ठाई करने वाले, उग्र स्वाध्याय प्रेमी,
जिंदगीभर पांच रस के त्यागी परम उपकारी
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सन्मतिपत्र।।
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पूज्य आचार्य देवेश श्रीमद् विजयकर्पूरसूरीश्वरजी महाराजा
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ROSCOCON
निस्पृही शिरोमणि, शासन रक्षक, श्रेष्ठकवीश्वर,
हालार देशोद्धारक, ग्राम्य जनता उद्धारक
ASAMR000000000ROIRO000000000000000000RRURU
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पूज्य आचार्य देवेश श्री विजय अमृतसूरीश्वरजी महाराजा
3888888888 38888883838383838388888888
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(प्रकाशकीय निवेदन
'संसार से तारे वह तीर्थ' इन वचन के अनुसार जंगम तीर्थ विहरमान आदि श्री जिनेश्वर देव तथा साधु-साध्वी भगवंत है। और स्थावर तीर्थ श्री शत्रुजय आदि तीर्थ है। इन तीर्थों की यात्रा द्वारा अनंत आत्माएँ संसार से तिर गई हैं, और तिरेगी। इन तीर्थों का पूजन, आलंबन सम्यग्दर्शन आदि की निर्मलता द्वारा आत्मा के शिवपद का साधन बनता है।
श्वेताम्बर जैन तीर्थ दर्शन का आयोजन पूज्य हालार देशोद्धारक आचार्य देव श्री विजय अमृत सूरीश्वरजी महाराजा के पट्टधर प्राचीन साहित्योद्धारक पूज्य आचार्यदेव श्री विजय जिनेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज ने किया और उसके संकलन अनुसार तीर्थों की प्रतिकृतियाँ, इतिहास की जानकारी आदि प्राप्त करने के लिए प्रथम बार सं. २०३८ में शाह नेमचंद खीमजी पारेख, शाह नेमचंद वाधजी गुढका, शाह शांतिलाल झीणाभाई घनाणी तथा फोटोग्राफर श्री नरेशभाई वजुभाई सोमपुरा गये। कच्छ, राजस्थान आदि का कार्य किया। दूसरी बार श्री शांतिलाल झीणाभाई, श्री कमलकुमार शांतिलाल, श्री दिलीप कुमार चंदुलाल तथा श्री नरेशभाई फोटोग्राफर गये और उन्होंने यू.पी., बिहार, बंगाल, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, आदि का काम किया। तीसरी बार शाह महेन्द्रभाई सोजपाल, गोसराणी, श्री रामभाई देवसुरभाई गढ़वी, श्री नरेश भाई तथा श्री प्रवीणचंद्र मगनलाल गये उन्होंने बाकी राजस्थान, गुजरात आदि का काम किया चौथी बार भी यह लोग गये और बाकी गुजरात, सौराष्ट्र का काम किया। पांचवी बार चालू वर्ष में यही गये और आंध्र, तमिलनाडू, केरला, कर्नाटक तथा थोड़ा महाराष्ट्र किया। छठी बार रतलाम से सुभाष मेहता और श्री चौपड़ा तथा श्री जोशी २०५० में गये और पंजाब, काश्मीर तथा बाकी का यू.पी., बिहार का कार्य किया। महाराष्ट्र, कर्नाटक का बाकी कार्य राजकोट से श्री जिनेश नरेन्द्र शाह गये और उन्होंने यह कार्य पूर्ण किया।
प्रथम उत्तर के देश, राजस्थान, पंजाब, यू.पी, बिहार, बंगाल, उड़ीसा, मध्यप्रदेश का प्रथम भाग तैयार करना था और दूसरे भाग में गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र, तमिलनाडू, केरला, कर्नाटक और विदेश ऐसे लेने थे। परंतु गुजरात, राजस्थान विदेश विभाग तैयार हो जाने पर प्रथम भाग उसका लिया है और बाकी रहे तीर्थ दूसरे भाग में आयेंगे। __ यह कार्य बहुत बड़ा और कठिन है। जिससे तैयार करने में बहुत ही परिश्रम लगता है फिर भी पू. आचार्यदेव श्री विजयजिनेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज की सर्वतोमुखी प्रतिभा के कारण यह कार्य साकार हुआ है। इस प्रकाशन के पूज्य श्री प्राण बने हैं।
इस कार्य में रस लेकर निस्वार्थ भक्ति-भाव से अनेक कष्टों का सामना कर प्रतिनिधि मंडलों ने तथा फोटोग्राफर श्री नरेशभाई (जामनगर) श्री जिनेशभाई (राजकोट) आदि ने आत्मीय भाव से यह कार्य करके सुंदर प्रयत्न किया है यह सफलता का सोपान है उस प्रतिनिधि मंडल के हम बहुत ऋणी हैं।
इस कार्य में हमारे प्रयत्न की कमी के कारण सभी शुभेच्छकों, ग्राहक हमें मिल नहीं सके उसके साथ शुभेच्छक ग्राहक बारबार याद दिलाते हैं और यह कठिन कार्य तुरंत नहीं हुआ उनको बुरा भी लगा ऐसा हो सकता है और जिससे इस कार्य के लिए शक्य प्रयत्न नहीं हो सका। परंतु हमारे प्रति आत्मीय भाव और हितबुद्धि से पूज्य आचार्यदेव श्री मुनिराज, पू. साध्वीजी महाराज तथा धर्मप्रेमी बंधुओं ने शुभेच्छकों तथा ग्राहकों के लिए प्रेरणा करके तथा शुभेच्छक तथा ग्राहक बनकर सहयोग दिया है वह हमारे कार्य में शीघ्रता और सहयोग का कारण बने है इसलिए उनका बहुत-बहुत आभार मानते हैं।
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邋邋邋骣激露露露露嚼嚼嚼嚼嚼嚼露露露露露曬露
मुद्रण का कार्य, स्केन, सुशोभित कार्य तथा उसके आयोजन के लिए हमें गेलेक्सी प्रिन्टर्स (राजकोट) वाले श्री भरतभाई मेहता तथा श्री महेन्द्रभाई मोदी को कार्य सौंपा। उन्होंने भी अनेक विकल्पों अड़चनों के बीच प्रयत्न किया फिर भी निश्चित समय पर प्रथम भाग प्रगट नहीं हो सका। परंतु उनके अथाह परिश्रम से इस प्रकाशन में पू. आचार्य देव श्रीजी का सतत मार्गदर्शन को लेकर ही कार्य किया है। वही इस प्रकाशन की सुंदरता सौष्ठवता का कारण बने है। इसलिए उनका आभार मानकर उनके भ्रम की कीमत दिये बिना नहीं रह सकते। उसी प्रकार दूसरे भाग के लिए भी थोड़ी देर हुई परंतु उन्होंने निष्ठा से कार्य किया है।
अंत में हमारी संस्था ने, चित्र प्रकाशन में नारकी चित्रावली (गुजराती, हिन्दी, अंग्रेजी) सत्कर्म चित्रावली, (गुजराती, हिंदी, अंग्रेजी) कल्पसूत्र चित्रावली सचित्र, कल्प ( बारसा) सूत्र, बालबोध तथा गुजराती लिपि में इस प्रकार अनेक प्रकाशन प्रगट किये हैं। उसके उपरांत भी श्वे. जैन तीर्थ दर्शन का प्रकाशन यह हमारे चित्र प्रकाशनों में सर्वश्रेष्ठ हैं। और ऐसा प्रकाशन प्रगट करते हुए हमारी संस्था धन्यता अनुभव करती है।
इस श्वेताम्बर जैन तीर्थ दर्शन का प्रथम भाग प्रगट हुआ उसके बाद दूसरा भाग १०५२ में प्रगट करने की हमने भावना रखी है। हमारे मन के आनंद का विषय है। यह प्रगट हुआ जिससे हमारा बोझ कम हुआ है। हमारे शुभेच्छकों और ग्राहकों को संतुष्ट न कर सके उसके लिए हम क्षमाप्रार्थी हैं। अब जब भाग प्रगट हो गया है तब हमने कार्य का प्रचार बराबर हो उसके लिए शुभेच्छकों, पाठको और प्रतिनिधियों को प्रयत्न करने के लिए विनंती करते हैं। तुम्हारे सर्किल में इस ग्रन्थ का स्वरूप और महत्त्व समझाना और ज्यादह से ज्यादह प्रचार-प्रसार हो यह हमारा हेतु सफल बनाना ।
इस श्वेताम्बर जैन तीर्थ दर्शन के लिए हिंदी, अंग्रेजी आवृत्तिओं के लिए जो भी मांग आती है, उस मांग को संतोषित करने के लिए पूज्य आचार्यदेव श्री विजय जिनेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज के मार्गदर्शन अनुसार प्रयत्न चालू है और यह भी कार्य कर सकूंगा ऐसी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
इस श्वेताम्बर जैन तीर्थ दर्शन के दर्शन, खाते-पीते, धुम्रपान करते या अविनय हो इस प्रकार नहीं करना। पूज्य भाव, बहुमान पूर्वक और तारकों की तारक आज्ञा के आलंबन से तिरने की भावना के साथ सभी करें ऐसी आशा व्यक्त करते हैं और सभी इसके दर्शन द्वारा आत्मा को निर्मल बनायें और तारक तीर्थकर देवों के द्वारा प्ररूपित परम कल्याण मार्ग को सेवन कर सभी शिवसुख के भोक्ता बने यही अभिलाषा ।
ता. ९-८-९६
श्रुत ज्ञान भवन,
४५, दिग्विजय प्लॉट
जामनगर (गुजरात)
लि. संस्था के प्रतिनिधि
महेता मगनलाल चत्रभुज
शाह कानजी हीरजी मोदी शाह देवचंद पदमशी गुडका
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DDDDDDDDDDDDDDDDD
क्रम
७.
८.
११.
१२.
१३.
१४.
१५.
१६.
१७.
१८.
१९.
२०.
२१.
२२.
२३.
२४.
२५.
२६.
२६.
२७.
२८.
२९.
३०.
३१.
३२.
३३.
३४.
तीर्थ दर्शन भाग-२ की अनुक्रमणिका
४.
५.
६.
७.
१०.
११.
१२.
१३.
१४.
२.
३.
४.
७.
८.
९.
१०.
११.
राज्य
बिहार राज्य और नक्शा ऋजुवालुका तीर्थ भागलपुर तीर्थ पुरी सीधे
पावापुरी तीर्थ
बिहार शरीफ तीर्थ
कुंडलपुर तीर्थ
काकंदी तीर्थ
क्षत्रियकुंड तीर्थ
राजगृही (पंचपहाड़) तीर्थ
पाटलीपुत्र तीर्थ
गुणवाजी जलमंदिर तीर्थ
समेतशिखरजी तीर्थ
झरीया तीर्थ
राची तीर्थ
उत्तर प्रदेश और नक्शा चंद्रपुरी सीधे
सिंहपुरी तीर्थ
भेलुपुर तीर्थ वाराणसी
भदेनी तीर्थ
२.
३.
४.
कौशाम्बी तीर्थ पुरिमताल तीर्थ
राजपुरी सीधे
अयोध्या तीर्थ
श्रावस्ति (सावधि तीर्थ
कंम्पीलपुर (कांपिलाजी) तीर्थ
हस्तिनापुर तीर्थ
१२.
मथुरा तीर्थ
१३. शौर्यपुरी तीर्थ
१४.
१५. मेरठ तीर्थ
१६.
कानपुर तीर्थ
१७. लखनऊ तीर्थ
आगरा तीर्थ
३. बंगाल राज्य और नक्शा
कलकत्ता तीर्थ
कठगोला तीर्थ
जियागंज तीर्थ
अजीमगंज तीर्थ
आसाम राज्य और नक्शा
पेज नं.
४८९
४९१
४९२
४९३
४९४
४९७
४९८
४९९
५००
५०१
५०५
५०७
५०९
५२२
५२२
५२३
५२५
५२५
५२६
५२६
५२७
५२७
५२८
५२९
५३१
५३३
५३५
५३८
५३९
५४०
५४१
५४२
५४३.
५४४
५४५
५४८
५४९
५५०
५५१
३५.
३६.
३७.
३८.
३९.
४०.
४१.
४२.
४३.
४४.
४५.
४६.
४७.
४८.
४९.
५०.
५१.
५२.
५३.
५४.
५५.
५६.
५७.
५८.
५९.
६०.
६१.
६२.
६३.
६४.
६५..
६६.
६७.
६८.
६९.
७.
३.
४.
५.
६.
७.
८.
९.
१०.
८.
९.
१.
२.
३.
४.
५.
६.
m
श्री तेजपुर तीर्थ
हिमाचल प्रदेश श्री कांगडा तीर्थ
१७.
१८.
काश्मीर राज्य और नक्शा
जम्मू तीर्थ उकोटा तीर्थ
पंजाब राज्य और नक्शा
अंबाला तीर्थ
पटीयाला तीर्थ
सुधीयाना सीधे
जलंधर तीर्थ
जडीयाल गुरु तीर्थ
अमृतसर तीर्थ पट्टी तीर्थ
होशियारपुर तीर्थ
जीरा तीर्थ
मालर कोटला तीर्थ
श्री दिल्ली तीर्थ
मध्य प्रदेश राज्य और नक्शा
अलीराजपुर तीर्थ
लक्ष्मणी तीर्थ
नानपुर तीर्थ
'तालनपुर तीर्थ कुक्षी तीर्थ
भोपावर तीर्थ
७.
८.
९.
१०. धार तीर्थ
११. मांडी
१२. इन्दौर तीर्थ
१३. देवास तीर्थ
१४. श्री शत्रुंजय अवतार तीर्थ देवास
१५.
१६.
राजगढ़ तीर्थ
मोहनखेड़ा तीर्थ
अमीतीर्थ
मक्सी तीर्थ
अंवति तीर्थ उज्जैन
हासामपुरा तीर्थ
उन्हेल तीर्थ
१९.
नागेश्वर तीर्थ
२०. परासली तीर्थ
२१. मंदसौर तीर्थ
५५२
५५२
५५५
५५६
५५७
ا بابا
५५९
५६०
५६१
५६२
५६३
५६४
५६६
५६७
५६८
५७१
५७३
५७४
५७४
५७५
५७६
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५७८
५७९
५८०
५८०
५८१
५८२
५८५
५८६
५८७
५८८
५८९
५९२
५९३
५९३
५९५
५९६
DDDDDDDDDDDDDDDDD
Page #13
--------------------------------------------------------------------------
________________
७१.
०७. १०८. १०९.
२२. वही तीर्थ २३. प्रतापगढ़ तीर्थ
रतलाम तीर्थ
बिबडोद तीर्थ २६. सागोदीया तीर्थ २७. करमदी तीर्थ २८.
बैतुल तीर्थ २९. उबसगहरं तीर्थ ३०, राजनांदगाँव तीर्थ ३१. रायपुर तीर्थ ३२. पांढुरना तीर्थ
००००००००
११७. ११८. ११९. १२०.
१२१. १२२. १२३.
३०. परभाणी तीर्थ ३१. नांदेड तीर्थ ३२. लातुर तीर्थ ३३. जालना तीर्थ ३४. औरंगाबाद तीर्थ ३५. कात्रज तीर्थ (पूना) ३६. पूना केम्प तीर्थ ३७. सतारा तीर्थ ३८. कराड तीर्थ ३९. ईस्लामपुर तीर्थ ४०, सांगली तीर्थ ४१. कवलापुर तीर्थ ४२. मिरज तीर्थ ४३. कुंभोजगिरि तीर्थ ४४. कोल्हापुर तीर्थ ४५. सेलु तीर्थ ४६. वैजापुर तीर्थ ४७. मालेगांव तीर्थ ४८. चांदवड तीर्थ ४९. येवला तीर्थ ५०. कोपरगांव तीर्थ ५१. शिरडी तीर्थ ५२. संगमनेर तीर्थ ५३. सिन्नर तीर्थ ५४. नासिक तीर्थ ५५. वणी तीर्थ
अहमदनगर तीर्थ ५७. गोलवाड तीर्थ ५८. भायंदर तीर्थ ५९. कल्याण तीर्थ ६०. अगासी तीर्थ ६१. लोनावाला तीर्थ
१२४. १२५. १२६.
१२७.
१०. महाराष्ट्र राज्य और नक्शा
नंदरबार तीर्थ डोंडाईचा तीर्थ अक्कलकुवा तीर्थ खापर तीर्थ शिरपुर तीर्थ धुलिया (धुले) तीर्थ नेर तीर्थ अमलनेर तीर्थ पारोला तीर्थ
चालीसगांव तीर्थ ११. पांचोरा तीर्थ
जलगांव तीर्थ १३. मलकापुर तीर्थ १४. खामगांव तीर्थ १५. बालापुर तीर्थ १६. अंतरिक्षपार्श्वनाथजी तीर्थ शिरपुर १७. आकोला तीर्थ
कारंजा तीर्थ १९. अमरावती तीर्थ २०. नागपुर तीर्थ २१. भद्रावती (भांडकजी) तीर्थ
चंद्रपुर तीर्थ २३. वरोरा तीर्थ
हिंगणघाट तीर्थ २५. वर्धा तीर्थ २६. दारव्हा तीर्थ
दिग्रस तीर्थ २८. गोलबजार (शेबारपीपरी) तीर्थ २९. हिंगोली तीर्थ
१२.
WWWWWWW00
१३७, १३८.
६७४
१०२.
११. मुंबई नगरी और नक्शा १. दहीसर तीर्थ
बोरीवली तीर्थ
मलाड तीर्थ ४. कांदीवली तीर्थ ५. शांताक्रुज वेस्ट तीर्थ
१०६.
६३३
Page #14
--------------------------------------------------------------------------
________________
१४४.
१४५. ७.
१४६.
८.
१४७.
९.
१४८.
१०.
१५०.
१५१.
४५२.
(१५३.
१५४.
१५२
१५६.
४५७.
१६७.
५६८.
१७०.
५५८.
१५९..
१६०.
१६१.५
७.
१६२.
८.
१६३.
९.
१६४.
१०.
५६५. ११.
१६६.
१२.
१३.
१४.
१५.
१६.
१७१.
१७२.
१७३..
११.
१२.
१३.
१४.
१५.
१७४.
१७५.
१७६.
१७७.
१७८.
१७९.
१२.
१.
३.
६.
m
६.
७.
गोरेगांव आरे रोड़ तीर्थ
वालकेश्वर तीर्थ
८.
पायधुनी तीर्थ
प्रार्थना समाज तीर्थ
फोर्ट तीर्थ
भायखला तीर्थ
कमाठीपुर तीर्थ
घाटकोपर तीर्थ
चेम्बर तीर्थ
भुलेश्वर लाल बाग तीर्थ
१२. तामिलनाडु राज्य और नक्शा
१.
मद्रास तीर्थ
२.
आरकोट तीर्थ
वेल्लोर तीर्थ
तिरुवन्ना तीर्थ
सेलम तीर्थ
त्रीचीनापल्ली तीर्थ
ईरोड तीर्थ
तिरुपुर तीर्थ
कोईम्बतूर तीर्थ
आंध्र प्रदेश और नक्शा
निजामाबाद तीर्थ
हैदराबाद तीर्थ
सिकंदराबाद तीर्थ
कुलपाकजी तीर्थ
विजयवाडा तीर्थ
गुड़ीवाडा तीर्थ
पेड़ अमीर तीर्थ
राजमहेन्द्री (राजमुंदी) तीर्थ
हींकार तीर्थ
तेनाली तीर्थ
गुन्टूर तीर्थ
अमरावती तीर्थ
नेलोर (नेलुर) तीर्थ
'अनंतपुरम् तीर्थ
ती आदोनी तीर्थ
६८४
६८५
६८८
६९१.
६९२
६९३
६९३
६९४
६९६
६९८
७०१
७०२
७०२
७०५
७०५
७०८
७०८
७०९
७१०
७११
७१२
७१२
७१३
७१४
७१४
७१५
७१६
७१८
७१९
७२४
७२५
७२५
७२६
७२७
७२८
७२८
७२९
१८०.
१८५.
१८२.
१८३.
१८४.
१८५.
१८६.
१८७.
१८८.
१८९.
१९०.
१९१.
१९२.
१९३.
१९४.
१९५.
१९६.
१९७.
१९८.
१०. कुन्नूर तीर्थ
१३. केरला राज्य और नक्शा
५.
कोचीन तार्थ
२.
अलपई तीर्थ
कालीकट (कलिकुंड) तीर्थ
२०१.
२०२.
१४. कर्नाटक राज्य और नक्शा
मंग्लोर बंदर ताथ
चिकमंगलूरसी
३.
४.
५.
६.
७.
८.
९.
१०.
११.
१२.
१३.
१४.
१५.
१८.
१९.
२०.
२१.
हासनपुर तीर्थ मैसूर तीर्थ
मंडया तीर्थ
बेंगलौर तीर्थ
देवन हेली (देवनगरी) तीर्थ
कोलार तीर्थ
टुकूर तीर्थ
चित्रदुर्ग तीर्थ
बेल्लारी तीर्थ
१९९. १५. नाईबी
२००.
१६. चीकागो
१७. अमेरिका
२३.
२४.
२५.
गुलबर्ग तीर्थ
तीर्थ
बीजापुर तीर्थ
बेलगांव तीर्थ
न्युयाक
सान्मनाद्री
ईसनपुर (अहमदाबाद )
जुनाडीसा
घोलेरा बंध
तीर्थ पट
२२. रचना
रंगोली
तीर्थों के यात्रा प्रवास
नक्शे
७३९
७३२
७३३
७३५
७३५
७३८
७३८
७३९
७३९
७४०
७४१
७४४
७४४
ما لاق
७४६ ७४७
७४८
७४८
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७५१
تمان
७५३
७५४
لا مای
७५६
७५६
७५७
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७६५
७६८
७७९
७८९
Page #15
--------------------------------------------------------------------------
________________
HERE-REEEEEEEEEEEEEENA
क्रम
जि. नं.
पेज नं.
तीर्थदर्शन भाग १ की
अनुक्रमणिका
३०. १२. पोरबंदर तीर्थ ३१. १३. बरोजा तीर्थ
गुजरात राज्य
३. अमरेली जिला
और नक्शा ३२. १. अमरेली ३३. २. बाबरा ३४. ३. लाठी
क्रम
पेज नं.
जि.नं. १. भावनगर जिला
और नक्शा
४. राजकोट जिला
और नक्शा
११. शत्रुजय महातीर्थ
२. कदम्बगिरि तीर्थ ३. तालध्वजगिरि तीर्थ ४. हस्तगिरि तीर्थ ५. शत्रुजी डेम तीर्थ ६. भावनगर ७. घोघा तीर्थ ८. दाठा तीर्थ
९. वरतेज तीर्थ १०, १०, महुवा तीर्थ ११. ११. सावरकुंडला तीर्थ १२. १२. कीर्तिधाम तीर्थ १३. १३. शिहोर १४. १४. धोला जंक्शन १५. १५. वल्लभीपुर तीर्थ ४६. १६. कारीयाणी ५७. १७. बोटाद १८. १८. परबडी
क्रम जि. नं.
पेज नं ६१. १८. गोईज ६२. १९. छोटा मांढा
२०. बड़ा मांढा
२१. दांता ६५. २२. आराधना धाम हालार तीर्थ
२३. बडालीया सिंहण ६७. २४. काकाभाई सिंहण
२५. रासंगपुर ६९. २६. मोडपुर तीर्थ
२७. पडाणा
२८. गागवा ७२. २९. मुंगणी ७३. ३०. सीक्का ७४. ३१. वसई ७५. ३२. बड़ी बाबड़ी ७६. ३३. नयागांव
३४. रावलसर ७८. ३५. लाखाबावल ७९. ३६. नाधेडी ८०. ३७. आरंभडा
३५. १. राजकोट ३६. २. जेतपुर ३७. ३. घोराजी ३८. ४.. जामकंडोरणा ३९. ५. वींछीया ४०. ६. पडधरी ४१. ७. बांकानेर ४२. ८. मोरबी ४३. ९. बेला
५. जामनगर जिला
और नक्शा
६
सुरेन्द्रनगर जिला और नक्शा
२ जुनागढ़ जिला
और नक्शा
१. गिरनार तार्थ २०. २. सोरठ पंथली २१. ३.. आद्री २२. ४. चोरबाट
५. गोल
४४. १. जामनगर ४५. २. धुंवाव ४६. ३. अलीयाबाडा ४७. ४. जामवंथली ४८. ५. ब्रोल ४९. ६. जोडीया ५०. ७. आमरण ५१. ८ मोटा वडाला ५२. ९. कालावाड (शीतला) ५३. १०, मोटी भलसाण तीर्थ ५४. ११. चेला ५५. १२. डबासंग ५६. १३. शेतालंश
१४. लालपुर
१५. जाम-भाणवड ५९. १६. जाम-खंभालीया ६०. १७. नया हरिपुर
१. सुरेन्द्रनगर २. वढवाण शहर
३. शियाणी तीर्थ ८४. ४. लोंबडी ८५. ५.. चुडा ८६. ६. नेमीश्वर तीर्थ डोलीया ८७. ७. थानगढ़ ८८.८. घ्रांगघ्रा
२. हलवंद
१०. बजाणा ९१. ११. उपरीयालाजी तीर्थ
१२. पाटडी ९३. १३. जैनाबाद ९४. १४. दसाडा १५. १५. वडगांव
७. प्रभास पाटण तीर्थ ८. बाबती १. अजाहरा तीर्थ १०. देलवाडा तीर्थ
ऊना तीर्थ
20
越來奥奥奥奥奥奥來來來來來來來來來來來來來來際
Page #16
--------------------------------------------------------------------------
________________
JEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE
पेज नं.
क्रम जि.नं.
पेज नं.
क्रम जि.नं.
१७४
५३१. १८. भोरोल तीर्थ १३२. १९. कुंभारीयाजी तीर्थ १३३. २०. दीओदर तीर्थ
१० साबरकांठा जिला
और नक्शा
१७८
९ महेसाणा जिला
और नक्शा
१६७. १. हिमतनगर १६८. २. टीटोई तीर्थ १६९. ३. नाना पोशीना तीर्थ १७०, ४. मोटा पोशीना तीर्थ १७१. ५. ईडर तीर्थ १७२. ६. बडाली १७३. ७. खेडब्रह्मा
2 क्रम जि. नं.
७ कच्छ जिला
और नक्शा ९.. . भद्रेश्वर तीर्थ ९७.. २. मुंद्रा १८. ३. भुजपुर ९१.४. बड़ी खाखर १००, ५. छोटी खाखर १०१, ६. मांडवी १०२. ७. सुथरी तीर्थ ०३. ८. कोठारा तीर्थ ०४. ९. तेरा तीर्थ ०५. १०, नलीया तीर्थ ०६.११. जखौ ०७.१२. भुज १०८. १३. वांकी तीर्थ १०९. १४. अंजार
१०. १५. भचाउ १११.१६. कटारीया ११२.१७. लाकडीया १५३. १८. पंलामा
११. गांधीनगर जिला
और नक्शा
३४. १. कबोई तीर्थ १३५. २. हारीज १३६. ३. विजापुर १३७. ४. आगलोड १३८. ५. मोढेरा १३९. ६. महेसाणा १४०. ७. गांभुतीर्थ १४१, ८. कनोडा १४२. ९. घीणोज १४३. १०. चाणस्मा १४४. ११. रुपपुर तीर्थ
१८४ १८४ १८७
१७४. १. गांधीनगर ७५, २, कोबा तीर्थ
१८७
१८८
२३३
१९०
८ बनासकांठा जिला
और नक्शा
१५३
०
१४.. सांतलपुर
२. राधनपुर १६. २ श्री भीलडीयाजी तीर्थ १७. ४. डीसा १५८. ५. ऋणी तीर्थ ५५९. ६. पालनपुर २०. ७. दांता
८. भाभर १२२. ९. वाव १२३, १०, थरा
२४. ५१. खीमत १२५. १२. पांधावाडा २६. १३. भोडोतरा २७. १४. घानेरा
१५. डुवा १२९. १६. थराद ३०. १७. ढीमा
१९९
१२. अहमदाबाद जिला
और नक्शा १७६, १. कर्णावती (अहमदाबाद) १७७. २. थलतेज तीर्थ १७८. ३. सरखेज तीर्थ १७९. ४. बावला १८०. ५. सावत्थी तीर्थ१८१. ६. कोंठ (गागड) १८२. ७. धोलका १८३. ८. कलिकुंड तीर्थ (धोलका) १८४. ९. बारेजा १८५. १०. बरवाला १८६. ११. राणपुर १८७. १२. अलाऊ १८८. १३. धंधुका १८९. १४. वीरमगाम १९०. १५. मांडल १९१. १६. धोलेरा तीर्थ
१४६. १३. चारूप १४७. १४. मेत्राणा तीर्थ १४८. १५. सिध्धपुर १४९, १६. तारंगाजी तीर्थ १५०. १७, वडनगर तीर्थ १५१. १८. वीसनगर तीर्थ १५२. १९. ऊंझा १५३. २०. वालम तीर्थ १५४. २१. शंखलपुर १५५. २२. कडी १५६. २३. कलोल १५७. २४. लोलाडा १५८. २५. मुंजपुर १५९. २६. पंचासर १६०. २७. शंखेश्वरजी तीर्थ १६१. २८. रांतेज तीर्थ १६२. २९. भोयणी तीर्थ १६३. ३०, वामज तीर्थ १६४, ३१. शेरीशा तीर्थ १६५. ३२. पानसर तीर्थ १६६. ३३. नंदासण तीर्थ
० ० ० ० ० ० ० now
१३ खेडा जिला
और नक्शा १९२. १. खेडा १९३. २. मातर तीर्थ १९४. ३. सोजीत्रा १५. ४. तारापुर
१७४
२१८ २२०
Page #17
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________________
送來來來來來槃采采喂???采喂??刚刚刚系
1010101010
T
क्रम जि.नं.
१९६. ५. नार
१९७. ६. पेटलाद
४९८. ७. स्थंभन तीर्थ खंभात
१९९८. शकरपुर तीर्थ
२००. ९. रालज तीर्थ
२०१. १०. बोरसद २०२. ११. वालवोड तीर्थ
२०३. १२. दहेवण
२०४. १३. उमेटा
२०५. १४. वासद
२०६. १५.
२०७. १६. आनंद
आकोली
२०८. १७. नडीयाट
२०९. १८. कपडवंज
१४ पंचमहाल जिला
और नक्शा
२१०. १. २११. २.
२१२. ३. पावागढ़ तीर्थ
२१३. ४. दाहोद
गोधरा
परोली तीर्थ
२२२.
१५ वडोदरा जिला
और नक्शा २१४. १. वडोदरा २१५. २. छाणी
२४६. ३. पादरा
२१७. ४. दरापरा २१८. ५. करजण २१९. ६. मीयांगाम
२२०. ७. बोडेली तीर्थ
२२१. ८. दर्भावती (डभोई) तीर्थ
९.
सिनोर
१६ भरूच जिला
और नक्शा
२२३. १४ कावी तीर्थ
२२४. २. जंबूसर
२२५. ३. वणछरा तीर्थ
२२६. ४. गंधार तीर्थ
पेज नं.
२६३
२६३
२६४
२६९
२७०
२७१
२७२
२७२
२७३
२७३
२७४
२७५
२७५
२७७
२७८
२७९
२८०
२८१
२८२
२८३
२८४
२८५
२८६
२८७
२८७
२८८
२८९
२९०
२९२
२९३
२९४
२९६
२९६
२९७
क्रम जि.नं.
२२७. ५. आमोद
२२८. ६.
२९९
३००
२२९. ७
३०१
२३०. ८.
३०१
२३१. ९. समली विहार तीर्थ (भरूच) ३०२
२३२. १०. वेजलपुर
३०४
२३३. ११. नीकोरा तीर्थ
३०४
२३४. १२. झघडीयाजी तीर्थ
३०५
२३५. १३. अंकलेश्वर
३०६
२३६. १४. राजपीपला
३०७
२३७. १५. शुक्ल तीर्थ
३०८
अलीपोर तीर्थ
कुराल तीर्थ
दहेज तीर्थ
१७ सूरत जिला और नक्शा
२३८. १. रांदेर तीर्थ
२३९. २. सूरत
१८ वलसाड जिला और नक्शा
२४०. १. नवसारी- मधुमती २४१. २. जलालपोर २४२. ३. तपोवन-धारागिरि
२४३. ४. बीलीमोरा
२४४. ५. वलसाड
२४५. ६. उदवाड़ा
२४६. ७. बगवाडा
२४७. ८. वापी
२४८. ९. दमण
२४९. १०. सेलवास
२५०. ११. अच्छारी
२५१. १२. दादरा
२५२. १३. किला पारडी
२५३. १४. तीथल तीर्थ
पेज नं.
क्रम जि.नं.
राजस्थान नक्शा
१ सिरोही जिला
और नक्शा
३०९
३१०
३१०
राजस्थान राज्य
पेज नं.
३१३
३१४
३१५
३१६
३१७
३१७
३१८
३१९
३१९
३२०
३२१
३२२
३२२
३२४
३२४
३२७
३२८
क्रम जि.नं.
जीरावला तीर्थ
मुंगथला तीर्थं
रेवदर
वरमाण तीर्थ
२५४. १.
२५५. २.
२५६. ३.
२५७. ४.
२५८. ५. गुलाबगंज
२५९. ६. शिरोडी
२६० ७. श्री मीरपुर तीर्थ
२६१. ८. सिरोही
२६२. ९. श्री बामणवाडाजी तीर्थ
२६३. १०. वीरवाडा तीर्थ
२६४. ११. नांदीया तीर्थ
२६५. १२. कोजरा तीर्थ २६६. १३. पसवी तीर्थ
२६७. १४. अजारी तीर्थ
२६८. १५. पडवाडा
२६९. १६. नाणा
२७०. १७. बेडा
२७१. १८. जुना बेडा
२७२. १९. दत्ताणी
२७३. २०. धवली
२७४ २१. डबाणी
२७५. २२. रोहिडा
२७६. २३. नितोडा तीर्थ
२७७. २४. बावनी (भावरी) तीर्थ
२७८. २५. दीयाणा तीर्थ
२७९. २६. लोटाणा तीर्थ
२८०. २७. लार्ज तीर्थ
२८१. २८. घनाणी
२८२. २९. बालदा तीर्थ
२८३. ३०. उथमण तीर्थ
२८४. ३१. गोहिली
२८५. ३२. मंडार
२८६, ३३. कोरटाजी तीर्थ
२८७. ३४. ओर
२८८. ३५. भीमाना
२८९. ३६. भारजा
२९०. ३७. देलंदर -
२९१.३८. देलवाडा तीर्थ
२९२. ३९. आबु अचलगढ़ तीर्थ
पेज नं.
३२९
३३४
३३४
३३२
३३३
३३४
३३५
३३७
३३४
३४०
३४२
३४४
३४५
३४७
3
३४८
३४९
३५०
३५०
३५४
३५०
३५२
३५३
(३५३
३५४
३५५
३५६
३५७
३५७
३५८
३८९
३६०
३६१
३६२
३६२
३६८
३६८
來來來來來來樂來樂來來來來來來來來來來來樂來來來來來來來
樂樂樂樂樂樂樂樂樂樂樂樂樂樂樂樂樂樂樂麻
Page #18
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रम जि.नं.
पाली जिला
और नक्शा
२९३. १.
बीजापुर
२९४. २. हंथुडी तीर्थ
२९५. ३. सेवाडी
२९६. ४. लुणावा
२९७. ५. भद्रंकरनगर (लुणावा)
२९८. ६. सली
२९९, ७. बोया
३००. ८. सादडी
३०१.९. मुंडारा तीर्थ
३०२. १०. बाली
३०३. ११. मुछाला महावीर
३०४. १२. घाणेराव
३०५. १३. राजपुर ३०६. १४. राणकपुर तीर्थ ३०७. १५. देसुरी ३०८. १६. नाडलाई तीर्थ
३०९. १७. नाडोल तीर्थ
३१०. १८. वरकाणाजी तीर्थ
३११९. १९. बीजोवा तीर्थ
३१२. २०. राणी तीर्थ
३१३. २१. खीमेल
३४४. २२. फालना
३५५ २३. खुडाला ३१६. २४. सांडेराव
"
३१७, २५. तखतगढ़ ३१८. २६. जाखोडा
३४९. २७. पाली
३२० २८. महावीर तीर्थ (कोरटाजी)
३२१. २९. खीवान्दी
३२२. ३०. बांकली
३ उदयपुर जिला
और नक्शा
३२३. १. सायरा
३२४. २. मजावडी
३२५, ३. गोगुंदा
३२६. ४. ईसराल
३२७. ५. उदयपुर
C
पेज नं.
३७१
३७२
३७२
३९४
३७५
३७५
३७६
३७७
३७८
३७९
३८०
३८१
३८३
३८४
३८५
३८८
३८९
३९०
३९२
३९३
३९४
३९५
३९६
३९७
३९८
३९९
४००
४००
४०२
४०३
४०४
४०५
४०६
४०६
४०७
४०८
४०९
क्रम जि.नं.
३२८. ६. आयड
३२९. ७. केशरीया धुलेवा तीर्थ
३३०. ८. पलाना
३३१. ९. देलवाडा - उदयपुर
३३२. १०. खमनोर
३३३. ११. केलवा
३३४. १२. कांकरोली राजनगर तीर्थ
३३५. १३. एकलिंगजी
३३६. १४. सविना तीर्थ
४ चित्तौडगढ़ जिला
और नक्शा
३३७. १.
३३८. २.
चित्तौडगढ़
करेडा भोपाल सागर तीर्थ
५ जालोर जिला और नक्शा
३३९. १. जालोर
३४०. २.
आहोर
३४१. ३. उमेदपुर
३४२. ४. शिवाना
बालोतरा
जसोल
साचोर (सच्चउरि)
भीनमाल
३४३. ५.
३४४. ६.
३४५. ७.
३४६. ८.
३४७. ९. वडगाम
६ जैसलमेर जिला
और नक्शा
जैसलमेर
३४८. १.
३४९. २. ब्रह्मसर
३५०, ३. अमरसर
३५१. ४. लोद्रवपुर
३५२. ५. पोकरण
७ जोधपुर जिला और नक्शा
३५३. १. ओसीयाजी तीर्थ
३५४ २. जोधपुर
३५५. ३. फलोधी तीर्थ
पेज नं.
४१०
४११
४१३
४१४
४१५
४१६
४१७
४१९
४२०
४२१
४२२
४२३
४२५
४२६
४२८
४३०
४३०
४३१
४३२
४३३
४३५
४३७
४३८
४३९
४४२
४४२
४४३
४४६
४४८
४४९
४५२
४५४
क्रम जि.नं.
३५६. ४. मंडोर तीर्थ
३५७. ५. भावडी
३५८. ६. कापरडाजी तीर्थ
३५९. ७. गांगाणी
३६०. ८.
नाकोडाजी तीर्थ
३६१. ८. बाडमेर जिला बाडमेर
३६२. ९ ब्यावर जिला
ब्यावर
३६३. १० अजमेर जिला अजमेर
११ जयपुर जिला और नक्शा
३६४. १. जयपुर
३६५. २. आमेट
३६६. ३. अलवर
३६७. ४. भांडवपुरु
१२ बीकानेर / नागौर जिला और नक्शा
३६८. ९. बीकानेर ३६९. २. गोगेलाव
३७०. १. नागोर
३७१. २. मेडता सीटी
३७२. ३. मेडता रोड
३७४. १. थीका केन्या
३७५. २. नाईरोबी-केन्या ३७६, ३. मोम्बासा-केन्या
पेज नं.
३७७. ४. लंडन-लेस्टर
३७८. ५. कोबे जापान
४५४
४५५
४५६
४५८
४६०
४६४
४६५
४६६
४६७
४६८
४६९
४७०
४७५
४७३
४७४
४७६
४७७.
३७३ १३ डुंगरपुर जिला
डुंगरपुर तीर्थ
विदेश विभाग
४७८
४७९
४८०
४८४
२८२
४८५
४८७
201
Page #19
--------------------------------------------------------------------------
________________
अकादी क्रम
4
E
७
८
१०
१९
५२.
१३
१४
ما لا
१६.
PIS
१८
१९
२०
२१
२२
२३
२४
२५
२६
२७
२८
२९
३०
३१
३२
३३
३४
३५
३६
३७.
३८
३९
xo
४१
XP
४३
४४
४५
४६
والا
४८
४९
५०
144
E
415
५८
अक्कलकुवा तीर्थ अगासी तीर्थ अजीमगंजतीर्थ अनंतपुरम् तीर्थ
अमरावती तीर्थ
अमलनेर तीर्थ
अलपई तीर्थ
अमरावती तीर्थ
अमीझरा तीर्थ
अलिराजपुर तीर्थ
अमृतसर तीर्थ
अयोध्या तीर्थ
अवंति तीर्थ उज्जैन
अहमदनगर तीर्थ
आकोला तीर्थ आग्रा तीर्थ
आदोनी तीर्थ
आरकोट तीर्थ
ईरोड तीर्थ
इन्दौर तीर्थ
ईसनपुर (अहमदाबाद)
ईस्लामपुर तीर्थ
उकोटा तीर्थ
उन्हेल तीर्थ
उवसग्गहरं तीर्थ
औरंगाबाद तीर्थ
अंबाला तीर्थ
अंतरिक्षपार्श्वनाथजी तीर्थ शिरपुर
ऋजुवालुका तीर्थ
कठगोला तीर्थ
कर्नूल तीर्थ
कमाठीपुर तीर्थ
कम्पीलपुर (कांपिलाजी) तीर्थ
करमदी तीर्थ
कलकत्ता तीर्थ
कल्याण तीर्थ
कराड तीर्थ
तीर्थ
कवलापुर तीर्थ
काकंदी तीर्थ
श्री कांगडा तीर्थ
कांदीवली तीर्थ कानपुर तीर्थ
कारंजा तीर्थ
कालीकट (कलिकुंड) तीर्थ
कात्रज तीर्थ (पूना)
कुंडलपुर तीर्थ
कुन्नूर तीर्थ
कुभोजगिरि तीर्थं
कुलपाकजी तीर्थ कुक्षी तीर्थ
कोईम्बतूर तीर्थ
कोपरगांव तीर्थ
कोचीन तीर्थ
कोलार तीर्थ
कोल्हापुर तीर्थ
कौशाम्बी तीर्थ
खापर तीर्थ
खामगांव तीर्थ
तीर्थ दर्शन भाग १ की अकारादि अनुक्रमणिका
पेज
नंबर
६१०
६७४
५५०
७९४
७१३
६१५
७३५
६२४
५८०
५७४
५६३
५२९
५८९
६६८
६२३
५४०
७९५
७२४
७२८
५८५
७५६
६४५
५५६
५९३
६०४
६३८
५५८
६२१
४९१
५४८
७१५
६९३
५३३
६०१
५४५
६७२
६४३
६४८
४९९
५५२
६८२
५४२
६२३
७३५
६४०
४९८
७३१
६४९
७०५
५७७
७२९
६६०
७३३
७४५
६५३
५२७
६११
६१९
अकादी
क्रम
५९
६०
६१
६२
६३
६४
६५
६६
६७
६८
६९.
७०
७१
७२
७३
७४
७५
७६
७७
७८
७९
८०
८१
८२
८३
८४
८५
८६
८७
८८
८९
९०
गुडीवाडा तीथे
गुन्टूर तीर्थ
गुणीयाजी जल मन्दिर तीर्थ गुलबर्ग तीर्थं
गोरेगांव आरे रोड़ तीर्थ गोलवाड तीर्थ
गोलबजार (शेखारपीपरी) तीर्थ
घाटकोपर तीर्थ
घोलेरा बंध
चीकागो
११३
११४
११५
११६
चालीसगांव तीर्थ
चिकमंगलूर तीर्थ
चित्रदुर्ग
चेम्बर तीर्थ
चंपापुरी तीर्थ
चंद्रपुर तीर्थ
चंद्रपुरी तीर्थ
चांदवाड तीर्थ
जडीयाल गुरु तीर्थ
जम्मु तीर्थ जलगांव तीर्थ
जलंधर तीर्थ
जालना तीर्थ
जीरा तीर्थ
जीयागंज तीर्थ
जुनाडीसा
झरीया तीर्थ
टुकूर तीर्थ
डोंडाईया तीर्थ
तालनपुर तीर्थ
तिरुपुर तीर्थ
तिरुवन्ना तीर्थ
९१
९२
९३
९४
९५
९६
९७
९८
९९
१००
१०१
१०२
१०३ नाईरोबी
१०४
तीर्थ पट
तीर्थो के यात्रा प्रवास
श्री तेजपुर तीर्थ
तेनाली तीर्थ
दहींसर तीर्थ
दारव्हा तीर्थ
दिग्रस तीर्थ
तीर्थ
देवन हेली (देवनगरी) तीर्थ
देवास तीर्थ
नागपुर तीर्थ
१०५ नागेश्वर तीर्थ
१०६
१०७
१०८
धार तीर्थ
धुलिया (धुले) तीर्थ
नक्शे
नानपुर तीर्थ
नासिक तीर्थ
निजामाबाद तीर्थ
नेर तीर्थ
१०९
११०
१११ न्यूयोर्क
११२
नेलोर (नेलुर) तीर्थ
नंदनबार तीर्थ
नांदेड तीर्थ
परभणी तीर्थ
परासली तीर्थ
पटीयाला तीर्थ
पंज
नंबर
७०८
७१२
५०७
७४८
६८४
६७०
६३२
६९४
७५७
७५३
६१६
६१६
७४७
६९६
४९३
६२८
५२५
६५९
५६२
५५५
६१७
५६१
६३६
५६७
५४९
७५६
५२२
७४६
६०९
५७५
७२८
७२५
७५७
७७१
५५१
७१२
६७७
६३२
६३२
७४४
५८५
५८१
६१३
७८१
७५२
६२५
५९३
५७५
६६४
७०२
६१४
७१४
७५४
६०९
६३४
६३४
५९५
५५९
अकादी
क्रम
११७
११८
११९
१२०
१२१
१२२
१२३
१२४
१२५
१२६
१२७
१२८
१२९
१३०
१३१
१३२
१३३
१३४
१३५
१३६
१३७
१३८
१३९
१४०
१४१
१४२
१४३
१४४
१४५
१४६
१४७
१४८
१४९
१५०
१५१
१५२
१५३
१५४
१५५
१५६
१५७
१५८
१५९
१६०
१६१
१६२
१६३
पट्टी तीर्थ पाटलीपुत्र तीर्थ पारोला तीर्थ
पायधुनी तीर्थ
पावापुरी तीर्थ
पांचोरा तीर्थ
पांडुरना तीर्थ
पूना केम्प तीर्थ
पुरिमताल तीर्थ पेड अमीरम् तीर्थ प्रतापगढ़ तीर्थ प्रार्थना समाज तीर्थ
फोर्ट तीर्थ
बालापुर तीर्थ बिबडोद तीर्थ
बिहार शरीफ तीर्थ
बीजापुर तीर्थ
बेंगलोर तीर्थ'
बेतुल तीर्थ
बोरीवली तीर्थ
बेलगांव तीर्थ
बेल्लारी तीर्थ
भदेनी तीर्थ
भद्रावती (भाडंकजी) तीर्थ
भागलपुर तीर्थ
भायखला तीर्थ भायंदर तीर्थ
भेलुपुर तीर्थ वाराणसी
भुलेश्वर लाल बाग तीर्थ
भोपावर तीर्थ
मथुरा तीर्थ
मद्रास तीर्थ
तीर्थ
मलकापुर तीर्थ
मलाइ तीर्थ
मक्सी तीर्थ
मंदसौर तीर्थ
मंडया तीर्थ
मांडवगढ़ तीर्थ
मालर कोटला तीर्थ
मालेगांव तीर्थ
मिरज तीर्थ
मेरठ तीर्थ
मैमुर तीर्थ
मोहनखेड़ा तीर्थ
मेंग्लोर बंदर तीर्थ
येवला तीर्थ
रचनाएँ
१६४
रतलाम तीर्थ
१६५
रत्नपुरी तीर्थ रंगोली
१६६
१६७
राची तीर्थ
१६८
राजगढ़ तीर्थ
१६९
राजगृही (पंच पहाड़) तीर्थ
१७०
राजमहेन्द्री (राजमुंद्री) तीर्थ
१७१
राजनंद गांव तीर्थ
१७२
रायपुर तीर्थ
१७३
लखनौ तीर्थ
१७४ लक्ष्मणी तीर्थ
पेज
नंबर
५६४
५०५
६१९५
६८८
४९४
६१७
६०६
६४२
५२७
७०९
५९७
६९९
६९२
६२०
६००
४९७
७५१
७४१
६०३
६७८
७५१
७४८
५२६
६२६
४९२
६९३
६७०
५२६
६९८
५७८
५३८
७१९
६९८
६७९
५८८
५९६
७४१
५८२
५६८
६५६
६४९
५४१
७४०
५८०
७३८
६६०
७६५
५९८
५२८ ७६८
५२२ ५७९
५०१
७१०
६०५
६०६
५४३
५७४
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________________
अकादी क्रम
१७५ लातुर तीर्थ
१७६ लुधीयाना तीर्थ १७७ लोनावाला तीर्थ
१७८ वणी तीर्थ
१७९ वही तीर्थ
१८० वर्षा तीर्थ
१८१ वरोरा तीर्थ
१८२ वालकेश्वर तीर्थ
१८३ विजयवाडा तीर्थ
तीर्थ
अकारादि अनुक्रमणिका
१८७ शांताक्रूज वेस्ट तीर्थ
१८८ शिरपुर तीर्थ
१८९ शिरडी तीर्थ
१९० शौर्यपुरी तीर्थ
१९९ सतारा तीर्थ
१९२ सम्मेद शिखरजी तीर्थ
१८४ वेल्लोर तीर्थ
७२५
१८५ वैजापुर तीर्थ
६५५
१८६ श्री शत्रुंजय अवतार तीर्थ देवास ५८७
१९३ संगमनर तीर्थ
१९४ सागोदीया तीर्थ
४९५ सांगली तीर्थ
१९६ सिंकंद्राबाद तीर्थ
१९७ सिन्नर तीर्थ
१९८ सिंहपुर तीर्थ
१९९ सीन्सेनाद्री
२०० सेलम तीर्थ
२०१ सेलु तीर्थ
२०२ श्रावस्ति (सावत्थि) तीर्थ
२०३ हस्तिनापुर तीर्थ
२०४ हासनपुर तीर्थ
२०५ हासमपुरा तीर्थ २०६ हिंगणघाट तीर्थं
२०७ हिंगोली तीर्थ
२०८ होकार तीर्थ
२०९ हुबली तीर्थ
२९० हैदराबाद तीर्थ २९१ होशियार पुर तीर्थ
२९२ क्षत्रियकुंड तीर्थ
२१३ त्रीचीनापल्ली तीर्थ
१
अकादी
क्रम
३
X
६
७
८
पंज
नंबर
तीर्थ
अक्कलकुवा तीर्थ
अगासी तीर्थ
अच्छारी तीर्थ
अजमेर जिला अजमेर
अजारी तीर्थ
अजाहरा तीर्थ
अजीमगंज तीर्थ
अनंतपुरम् तीर्थ
अमरसर
अमरावती तीर्थ
अकादी
क्रम
तीर्थ दर्शन भाग १ तथा २ की संयुक्त अकारादि अनुक्रमणिका
११
१२
१३
१४
६३५
५६०
६७४
६६७ १५
५९७ १६
६३० १७
६२९ १८
६८५ १९
७०८
२०
२१
२२
६८३ २३
६१२ २४
६६१ २५
५३९ २६
६४३ २७
५०९ २८
६६२ २९
६००
६४६
अमलनेर तीर्थ
अमरावती तीर्थ
अमीझरा तीर्थ
अयोद्या तीर्थ
अमरेली
अलपई तीर्थ
अलिराजपुर तीर्थ
अमृतसर तीर्थ
अलीपोर तीर्थ
अलीयाबाडा
तीर्थ
अलवर
अवंति तीर्थ उज्जैन
अहमदनगर तीर्थ
अलाऊ
अंकलेश्वर
अंजार
आकोला तीर्थ
आकोली
आगलोड
आगरा तीर्थ
३०
३१ आणंद
७०५
६६३ ३२ आद्री
५२५ ३३ आदोनी तीर्थ
आरकोट तीर्थ
७५४ ३४ ७२६ ३५
आबु अचलगढ़ तीर्थ
६५४ ३६ आबु देलवाड़ा तीर्थ
५३१ ३७ आमरण
५३५ ३८ आमेट
७३९
३९ आमोद
५९२
६२९
६३३ ४१
४० आयड
आरंभडा
७११ ४२
आराधना धाम हालार तीर्थ
७४९ ४३
आहोर
७०२ ४४ ईडर तीर्थ
५६६ ४५
ईरोड तीर्थ
इन्दौर तीर्थ
५०० ४६ १७२७ ४७
४८
४९ ईस्लामपुर तीर्थ
५०
उथमण तीर्थ
५१ उदयपुर
५२
उदवाडा
पंज नंबर ५३
ईसराल
ईसनपुर (अमदाबाद)
उना तीर्थ
उन्हेल तीर्थ
उपरीयालाजी तीर्थ
५४
६१० ५५ ६७४ ५६ उमेटा
३२२ ५७ उमेदपुर
४६६
३४५
५१
५५० ६०
७९४
६१
४४२
६२
५८ उवसग्गहरं तीर्थ
५९ उंझा
औरंगाबाद तीर्थ अंबाला तीर्थ
पंज अकाद नंबर क्रम
तीर्थ
६१५ ६४ ऋजुवालुका तीर्थ
६२४ ६५ एकलिंगजी
५८० ६६
ओर
५२९ ६७
५७ ६८
७३५ ६९
५७४ ७०
५६३ ७१
३०० ७२
८३ ७३
४७० ७४
१४८ ७९
६२३ ८०
२७४ ८१
१८३ ८२
५४० ८३
२७५ ८४
४५ ८५
५८९ ७५ कपडवंज
६६८ ७६ २५२ ७७
३०६ ७८
७१६ ८६
७२४ ८७
३६८ ८८
३६३ ८९
ओसीयाजी तीर्थ
कटारीया
कठगोला तीर्थ
८६ ९०
४६९ ९१
२९९ ९२
४१० ९३
१९२ ९४
९८ ९५ ४२८ ९६ *२२७ ९७
कड़ी
कर्णावती ( अहमदाबाद) कदम्बगिरि तीर्थ
कर्नूल तीर्थ
कनोडा
कमाठीपुर तीर्थ
कम्पीलपुर (कांपिलाजी) तीर्थ
करजण
करमदी तीर्थ
करेडा भोपाल सागर तीर्थ कलकत्ता तीर्थ
कल्याण तीर्थ
कलिकुंड तीर्थ (धोलका)
कलोल
कंबोई तीर्थ
कराड तीर्थ
कवलापुर तीर्थ काकाभाई सिंहण
काकंदी तीर्थ
श्री कांगडा तीर्थ
कांदीवली तीर्थ
कानपुर तीर्थ
कापरडाजी तीर्थ
कारीयाणी तीर्थ
कारंजा तीर्थ
कालावाड (शीतला)
कालीकट (कलिकुंड) तीर्थ कात्रज तीर्थ (पूना)
७२८ ९८
५८५ ९९ ४०८ १०० कावी तीर्थ
७५६ १०१ कांकरोली राजनगर तीर्थ
कुंडलपुर तीर्थ
६४५ १०२ किला पारडी ३५७ १०३ कीर्तिधाम तीर्थ ४०९ १०४ कुन्नुर तीर्थ ३१८ १०५ कुंभोजगिरि तीर्थ ५३ १०६ कुराल तीर्थ ५९३ १०७ कुलपाकजी तीर्थ
१२८ १०८ कुंभारीयाजी तीर्थ
२७३ १०९ कुक्षी तीर्थ
४३० ११० केलवा
६०४ १११ केशरीया धुलेवा तीर्थ
१९९ ११२ कोईम्बतुर तीर्थ
६३८ ११३ कोजरा तीर्थ
५५८ १९४ कोठारा तीर्थ
अंतरिक्ष पार्श्वनाथजी तीर्थ - शिरपुर ६२९ ११५ कोपरगांव तीर्थ ७१३ ६३ ऋणी तीर्थ १६२ ११६ कोचीन तीर्थ
पेज
नंबर
अकादी
क्रम
४९१ ११७ कोबा तीर्थ
४१९११८ कोबे जापान
३६० ११९ कोरटाजी तीर्थ
४४९ १२० कोलार तीर्थ
१५० १२१ कोल्हापुर तीर्थ
५४८ १२२ कोठा (गागड)
२०३ १२३ कौशाम्बी तीर्थ
२३४ १२४ खापर तीर्थ
१६ १२५ खमनोर
तीर्थ
७९५ १२६ खामगांव तीर्थ
१८७ १२७ खीमत
२७७ १२८ खीमेल ६९३ १२९ खीवान्दी ५३३
१३० खुडाला
२८७ १३१ खेडब्रह्मा
६०१ १३२ खेड़ा
४२३
१३३ गंधार तीर्थ
५४५ १३४ गागवा
६७२ १३५ गांगाणी
२४८ १३६ गांधीनगर
२०३ | १३७ गांभु तीर्थ
१८० १३८ गिरनार तीर्थ
६४३ १३९ गुडीवाडा तीर्थ
६४८ १४० गुन्टूर तीर्थ
१०२ १४१ गुणीयाजी जलमंदिर तीर्थ
४९९ १४२ गुलबर्ग तीर्थ
५५२ १४३ गुलाबगंज
६८२ १४४ गोईज
५४२ १४५ गोगुंदा
४५६ १४६ गोगेलाव
३२ १४७ गोधरा
६२३ १४८ गोरेगांव आरे रोड़ तीर्थ
८७ १४९ गोलवाड तीर्थ
७३५ १५० गोहिली
६४० १५१ गौलबजार (शेखारपीपरी) तीर्थ
४९८ १५२ धोधा तीर्थ
२९४ १५३ घाटकोपर तीर्थ
४१७ १५४ धोलेरा बंध
३२४ १५५ धोलेरा तीर्थ २८ १५६ चाणस्मा
७३१ १५७ चारूप ६४९ १५८ चीकागो
३०१ १५९ चालीसगांव तीर्थ
७०५ १६० चिकमंगलुर तीर्थ
१७७
१६१ चित्तौड़गढ़
५७७
४१६
४११
७२९ १६५ चुडा
३४३ १६६ चेला
१६२ चित्रदुर्ग तीर्थ
१६३ चेम्बर तीर्थ
१६४ चंपापुरी तीर्थ
१४१ १६७ चोरवाड
६६० १६८ चंद्रपुर तीर्थ
७३३ १६९ चंद्रपुरी तीर्थ
पेज
नंबर
२३२
४८८
३५९
७४५
६५३.
२४६
५२७
६११
४१५
६१९
१६८
३९५
४०३
३९७
२२९
२५८
२९७
१०५
४५८
२३१
१८७
३६
७०८
७१२
५०७
७४८
३३३
९५
४०७
४७६
२७९
६८४
६७०
३५७
६३२
२३
६९४
७५७
२५६
१८९
१९२
७५३
६१६
७३९
४२२
७४७
६९६
४९३
१२१
८९
४५
६२८
५२५
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________________
अकादी क्रम
तीर्थ
१७० चांदवड तीर्थ
४७१ छाणी
१७२ जखी
१७३ जडीयाल गुरु तीर्थ १७४ जम्मु तीर्थ १७५ जलगांव तीर्थ ९७६ जलंधर तीर्थं
१७७ जलालपोर
१७८ जयपुर १७९ जसोल १८० जंबूसर
१८९ जाखोडा
९८२ जामकंडोरणा
१८३ जाम खंभालीया
४८४ जामनगर
१८५ जाम भाणवड
१८६ जामवंथली
१८७ जालना तीर्थ १८८ जालोर
१८९ जीरावाला तीर्थ
१९० जीरा तीर्थ १९१ जीयागंज तीर्थ
१९२ जुना डीसा
१९३ जुना बेडा १९४ जेतपुर
१९५ जेसलमेर
१९६ जोडीया
१९७ जोधपुर
१९८ जैनाबाद
१९९ झरीया तीर्थ
२०० झघडीयाजी तीर्थ
२०९ टीटोई तीर्थ
२०२ टुकूर तीर्थ २०३ डबासंग
२०४ डीसा
२०५ डुवा
२०६ डुंगरपुर जिला डुंगरपुर तीर्थ २०७ डोंडाईचा तीर्थ
२०८ ढीमा
२०९ तखतगढ़
२५० तपोवन धारागिरि
२११ तारंगाजी तीर्थ
२१२ तारापुर २१३ तालनपुर तीर्थ २१४ तालध्वजगिरि तीर्थ
२१५ तिरूपुर तीर्थ
| २१६ तिरुवन्ना तीर्थ २९७ तीथल तीर्थ
२९८ तीर्थ पट
२१९ तीर्थों के यात्रा प्रवास
२२० श्री तेजपुर तीर्थ
२२९ तेनाली तीर्थ
पेज
नंबर
अकादी क्रम
६५९ २२२ तेरा तीर्थ
२८५ २२३ थरा
१४६ २२४ थराद
५६२ २२५ थलतेज तीर्थ
५५५ २२६ थानगढ़
६१७ २२७ थीका केन्या
५६१ २२८ दत्ताणी
३९५ २२९ दर्भावती (डभोई) तीर्थ
४६८ २३० दमण
तीर्थ
४३२ २३१ दरापरा
२९६ २३२ दसाडा ४००
६५ २३४ दहेज तीर्थ
९३ २३५ दहेवण
७२
९२ २३७ दादरा
१८४ २३८ दारव्हा तीर्थ
६३६ २३९ दाहोदा तीर्थ २४० दांता
४२६
३२९ २४१ दांता
५७६ २४२ दिग्रस तीर्थ
५४९ २४३ दीओदर तीर्थ ७५६ २४४ दीयाणा तीर्थ ३४९ २४५ दीव तीर्थ
६४ २४६ देलवाडा तीर्थ
४३९ २४७ देलवाडा - उदयपुर २४८ देलंदर
४८०
६०९
१७४
३९९
३१६
१९५
२६२
५७६
१७
७२८
७२५
३२४
७५७
७७१
५५१
७१२
२३३ दहींसर तीर्थ
८५
४५२२४९ देसुरी
१३० २५० देवन हेली (देवनगरी) तीर्थ
५२२ २५१ देवास तीर्थ
३०५ २५२ घनाणी
२२३ २५३ घवली ७४६२५४ धंधुका २५५ घाणेराव ९० १६० २५६ धानेरा
१७१ २५७ धार तीर्थ
२५८ घीणोज
२५९ धुलिया (धुले) तीर्थ
२३६ दाठा तीर्थ
२६० धुंवाव
२६१ धोराजी
२६२ धोलका
२६३ धोल जंक्शन
२६४ प्रांगघ्रा
२६५ धोल
२६६ नक्शे
२६७ नडीयाद
२६८ नलीया तीर्थ
२६९ नवसारी मधुमती
२७० नवागाम
२७१ नया हरिपुर
२७२ नंदासण तीर्थ
२७३ नाईरोबी - केन्या
२७४ नाईरोबी
अकादी
पेज नंबर क्रम
तीर्थ
१४२ २७५ नाकोड़ाजी तीर्थ
१६८ २७६ नागपुर तीर्थ
१७२ २७७ नागेश्वर तीर्थ २४२२७८ नागोर
१२५ २७९ नाधेडी ४८१ २८० नाडलाई तीर्थ
३५० २८१ नाडोल तीर्थ
२९० २८२ नाणा
३२० २८३ नानपुर तीर्थ
२८७ २८४ नाना पोशीना तीर्थ
१३० २८५ नाना मांढां
६७७
२८६ नानी खाखर
३०१ २८७ नार २७२ २८८ नासिक तीर्थ
२४ २८९ नांदीया तीर्थ
३२२ २९० नितोडा तीर्थ
६३२ २९९ नीकोरा तीर्थ
२८२ २९२ निजामाबाद तीर्थ
९८ २९३ नेमीश्वर तीर्थ डोलीया १६५ २९४ नेर तीर्थ ६३२ २९५ नेलोर (नेलुर) तीर्थ १७८२९६ न्यूयोर्क
३५३ २९७ नंदनबार तीर्थं
५० २९८ नांदेड तीर्थ
५३ २९९ परभाणी तीर्थ ४१४३०० पडधरी ३६२ ३०१ पडाणा ३८८ ३०२ परभाणी तीर्थ ७४४ ३०३ परबडी ५८६३०४ परासली तीर्थ ३५५ ३०५ पटीयाला तीर्थ ३५० ३०६ पट्टी तीर्थ २५३३०७ पाटलीपुत्र तीर्थ ३८३ ३०८ परोली तीर्थ १७० ३०९ पारोला तीर्थ ५८१ ३१० पायधुनी तीर्थ
१८८ ३११ पलाना
६१३ ३९२ पलांसवा
८३ ३१३ पंचासर
६४ ३१४ पाटडी
२४७ ३१५ पाटण
३० ३१६ पादरा
१२६ ३१७ पानसर तीर्थ
+
८४ ३१८ पालनपुर ७८१ ३१९ पाली २७५ ३२० पावागढ़ तीर्थ १४४३२१ पावापुरी तीर्थ ३१४ ३२२ पांचोरा तीर्थ १०८ ३२३ पांडुरना तीर्थ ९५ ३२४ पांथावाडा २२०३२५ पौंडवाडा ४८२३२६ पुरिमताल तीर्थ ७५२ ३२७ पेडअमीरम् तीर्थ
पेज
नंबर
अकादी क्रम
तीर्थ
४६०
३२८ पेटलाद
६२५ ३२९ पेसवा तीर्थ
५९३ ३३० पोकरण
४७७ ३३१ पोरबंदर
१११ ३३२ प्रतापगढ़ तीर्थ
३८९ ३३३ प्रभास पाटण तीर्थ ३९० ३३४ प्रार्थना समाज तीर्थ
* ३४८ ३३५ फालना ५७५३३६ फोर्ट तीर्थ २२४ ३३७ फलोधी तीर्थ
९६३३८ बगवाडा
१३७ ३३९ बजाणा २६३३४० बरवाला
६६४ ३४१ बरेजा तीर्थ
३४२ ३४२ बाडमेर जिला बडमेर ३५२३४३ बाबरा ३०४ ३४४ बारेजा ७०२३४५ बालीपुर तीर्थ
१२१३४६ बालदा तीर्थ ६१४ ३४७ बाली ७१४ ३४८ बालोतरा ७५४ ३४९ बावनी (भावरी) तीर्थ
६०९ ३५० बावला ६३४३५१ बीकानेर ६३४३५२ बिबडोद तीर्थ ६७ ३५३ बिहार शरीफ तीर्थ १०४ ३५४ बीजापुर
६३४ ३५५ बीजापुर तीर्थ ३४३५६ बीजोवा तीर्थ
५९५ ३५७ बीलीमोरा ५५९ ३५८ बेंगलोर तीर्थ ५६४ ३५९ बेडा
५०५ ३६० बेतुल तीर्थ
२८० ३६१ बेला
६१५ ३६२ बोडाद
६८८ ३६३ बोडेली तीर्थ
४१३ ३६४ बोरसद १५२३६५ बोरीवली तीर्थ
२०६ ३६६ बेलगांव तीर्थ
१२९ ३६७ बेल्लारी तीर्थ १९०३६८ बोया
२८६३६९ ब्यावर जिला ब्यावर
२१८३७० ब्रह्मसर
१६३३७१ भचाऊ
३७२ भदेनी तीर्थ
४००
२८१ ३७३ भद्रावती (भांडकजी) तीर्थ ४९४ ३७४ भागलपुर तीर्थ ६१७३७५ भद्रेश्वरजी तीर्थ ६१७ ३७६ भद्रंकरनगर (लुणावा)
१६९ ३७७ भाभर
३४७ ३७८ भायखला तीर्थ
५२७ ३७९ भायंदर तीर्थ ७०९ ३८० भारजा
पेज
नंबर
२६३
३४४
४४६
५९७
४८
६९१
३९६
६९२
४५४ |
३१९
१२७
२५०
४६४
५८
२४९
६२०
३५६
३८०
४३१
३५३
२४४
४७४
६००
४९७
३७२
७५१
३९३
३१७
७४९
३४८
६०३
७०
३३
२८९
२७१
६७८
بای
७४८
३७७
४६५
४४२
१४९
५२६ |
६२६
४९२
१३३
३७५
१६६
६९३
६७० ३६२
Page #22
--------------------------------------------------------------------------
________________
अकादी क्रम
३८१ भावडी
३८२ भावनगर
३८३ भांडवपुर
३८४ भीनमाल
३८५ भीमाना
तीर्थ
३८६ भुज,
३८७ भुपुर ३८८ भेलुपुर तीर्थ वाराणसी ३८९ भुलेश्वर लाल बाग तीर्थ
३९० भोपावर तीर्थ
३९१ भोडोतरा तीर्थ
३९२ भोरोल तीर्थ
३९३ भोवणी तीर्थ ३९४ मजावडी तीर्थ
३९५ मथुरा तीर्थ
३९६ मद्रास तीर्थ
३९७ मलकापुर तीर्थ
३९८ मलाइ तीर्थ
३९९ महावीर तीर्थ (कोरटाजी)
४०० महुवा तीर्थ
४०९ मेहसाणा
४०२ मक्सी तीर्थ
४०३ मंडार
४०४ मंदसौर तीर्थ
४०५ मंडया तीर्थ
४०६ मंडोर तीर्थ
४०७ मांडवगढ़ तीर्थ
४०८ मातर तीर्थ
४०९ मालकर कोटला तीर्थ
४१० मालेगांव तीर्थ
४९९ मांगरोल
४१२ मांडल
४१३ मांडवी
४१४ मिरज तीर्थ
४९५ मीयांगाम
४१६ मुछाला महावीर ४१७ मुंगणी
४१८ मुंगथला तीर्थ ४९९ मुंजपर ४२० मुंडारा तीर्थ ४२९ मुद्रा ४२२ मेरठ तीर्थ
४२३ मेडता रोड
४२४ मेड़ता सिटी
४२५ मेत्राणा तीर्थं
४२६ मैसुर तीर्थ
४२७ मोटापोशीना तीर्थ
४२८ मोटा मांढा ४२९ मोटा वडाला. ४३० मोहनखेड़ा तीर्थ ४३१ मैग्लोर बंदर तीर्थ ४३२ मोटी खाखर ४३३ मोटी खावडी
पंज
नंबर
अकाद
क्रम
तीर्थ
४५५ ४३४ मोटी भलसाण तीर्थ
२२ ४३५ मोडपुर तीर्थ
1
४७१ ४३६ मोढेरा
४३५ ४३७ मोम्बासा - केन्या
३६१ ४३८ मोरबी
१४६ ४३९ येवला तीर्थ
१३६ ४४० रचनाएं
५२६ ४४९ राजकोट
६९८ ४४२ राजपीपला
५७८ ४४३ राजपुर १७० ४४४ राणकपुर तीर्थ १७४ ४४५ राणपुरी तीर्थ २१२ ४४६ लोटाणा तीर्थ
४०६ ४४७ राणी तीर्थ
५३८ ४४८ रतलाम तीर्थ ७१९ ४४९ रत्नपुरी तीर्थ ६१८ ४५० राधनपुर ६७९ ४५१ रावलसर
४०२४५२ रासंगपुर
२६ ४५३ रालज तीर्थ १८४ ४५४ रांतेज तीर्थ
५८८ ४५५ रांदेर तीर्थ
३५८ ४५६ रूपपर तीर्थ
५९६ ४५७ रेवदर
७४१ ४५८ रोहिडा
४५४ ४५९ रंगोलियाँ
५८२ ४६० राची तीर्थ
२५९ ४६१ राजगढ़ तीर्थ
५६८ ४६२ राजगृही (पंच पहाड़) तीर्थ
६५६ ४६३ राजमहेन्द्री (राजमुंद्री) तीर्थ ४६ ४६४ राजनांदगांव तीर्थ
२५४ ४६५ रायपुर तीर्थ
१३८ ४६६ लखनौ तीर्थ
६४९ ४६७ लंदन लेस्टर २८८ ४६८ लक्ष्मणी तीर्थ ३८१ ४६९ लाकडीया
१०५ ४७० लाखाबावल
३३१ ४७१ लातुर तीर्थ २०५ ४७२ लार्ज तीर्थ
३७९ ४७३ लाठी
१३५ ४७४ लालपुर
५४१ ४७५ लींबडी
४७९ ४७६ लुणावा
४७८ ४७७ लुधीयाना तीर्थ १९३ ४७८ लोनावाला तीर्थ
७४० ४७९ लोद्रवपुर
२२५ ४८० लोलाडा
९७ ४८९ वडगांव
८७ ४८२ वडगांव
५८० ४८३. वडनगर तीर्थ
७३८ ४८४ वडाली
१३७ ४८५ वडालीया सिंहण १०७ ४८६ वडोदरा
पैज
नंबर
अकादी क्रम
तीर्थ
८८४८७ वढवाण शहर १०३४८८ वणछरा तीर्थ १८४ ४८९ वणी तीर्थ
४८५ ४९० वही तीर्थ
६८४९१९ वर्धा तीर्थ ६६० ४९२ वरकाणाजी तीर्थ ७६५ ४९३ वरतेज तीर्थ
६० ४९४ वरमाण तीर्थ ३०७ ४९५ वरोरा तीर्थ
३८४ ४९६ वलसाड
३८५ ४९७ वल्लभीपुर तीर्थ
२५० ४९८ वसई
३५४ ४९९ वापी
३९४ ५०० वामज तीर्थ ५९८५०१ वालकेश्वर तीर्थ
५२८ ५०२ वालम तीर्थ
१५५ ५०३ वालवोड तीर्थ
१०९ ५०४ बाव
१०३ ५०५ वासद २७० ५०६ वांकली २११५०७ वांकानेर
५७४५२१ शत्रुंजय महातीर्थ १५१५२२ शंखलपुर १०९ ५२३ शंखेश्वरजी तीर्थ
६३५ ५२४ शांताक्रुज वेस्ट तीर्थ
३५५ ५२५ शियाणी तीर्थ
५८ ५२६ शिरपुर तीर्थ ९१५२७ शिरडी तीर्थ
१२० ५२८ शिरोडी २७५ ५२९ शिवाना ५६० ५३० शिहोर
६७४ ५३१ शुक्ल तीर्थ ४४३५३२ शेतालुंश २०४५३३ शेत्रुंजी डेम तीर्थ १३१ ५३४ शेरीशा तीर्थ
४३७ ५३५ शौर्यपुरी तीर्थ
१९७ ५३६ श्री बामणवाडाजी तीर्थ
पेज नंबर
२२८ ५३७ श्री भीलडीयाजी तीर्थ १०१ ५३८ श्री मीरपुर तीर्थ २८४५३९ सतारा तीर्थ
तीर्थ
११७ ५४० समली विहार तीर्थ (भरूच)
२९६ ५४९ सम्मेद शिखरजी तीर्थ
६६७ ५४२ संगमनेर तीर्थ ५९७ ५४३ सरखेज तीर्थ
६३० ५४४ सविना तीर्थ ३९२५४५ सोगोदीया तीर्थ
२५
३३२
६२९
३१७
३०
१०६
३१९
२१४
६८५
२००
२७२
१६७
२७३
अकादी क्रम
३१० ५०८ वांकी तीर्थ
१८१५६२ सुथरी तीर्थ
१९० ५०९ विजयवाडा तीर्थ ३३१ ५१० विजापुर ३५१ ५११ वीरमगाम ७६८५१२ वीरवाडा तीर्थ ५२२ ५१३ वीसनगर तीर्थ ५७९ ५१४ वींछीया ५०१ ५१५ वेजलपुर ७१० ५१६ वेरावल
२५४५६३ सुरत ३४० ५६४ सुरेन्द्रनगर १९९ ५६५ सेवाडी
६६ ५६६ सेलमतीर्थ
३०४ ५६७ सेलवास ४७ ५६८ सेलु तीर्थ
६०५ ५१७ वेल्लोर तीर्थ ६०६ ५१८ वैजापुर तीर्थ ५४३५१९ शकरपुर तीर्थ ४८७५२० श्री शत्रुंजय अवतार तीर्थ देवास ५८७ ५७२ श्रावस्ति (सावत्थी) तीर्थ
७२५५६९ सेसली ६५५ ५७० सोजीत्रा २६९ ५७१ सोरठ वंथली
६ २०२
२०७ ५७५ हस्तगिरि तीर्थ
६८३ | ५७६ हस्तिनापुर तीर्थ
११९
५४६ साचोर (सच्चऊरि)
५४७ सादडी
६१२
६६१
५४८ सायरा
५४९ सावत्थी तीर्थ
५५० सावरकुंडला
५५१ सांगली तीर्थ
३३४
४३०
२९
५५२ सांडेराव
५५३ सांतलपुर
५५४ सिकंदराबाद तीर्थ
५५७ सिनोर
४०४
५५८ सिरोही
६८ ५५९ सिंहपुर तीर्थ
१४७ ५६० सीन्सेनाद्री
७०८ ५६१ सीक्का
५५५ सिद्धपुर
५५६ सिन्नर तीर्थ
५७७ हलवद
५७८ हारीज
५७९ हासनपुर तीर्थ
५८० हासनपुरा तीर्थ
५८१ हिंगणघाट तीर्थ
५८२ हिंगोली तीर्थ
३०८
९१
५८३ हिंमतनगर
५८४ हींकार तीर्थ २१ २१५५८५ हुबली तीर्थ ५८६ हैदराबाद तीर्थ ५३९ ३३८ ५८७ होशियारपुर तीर्थ
१५६ ५८८ क्षत्रियकुंड तीर्थ
३३५ ५८९ त्रीचीनापल्ली तीर्थ
६४३
५७३ स्थंभन तीर्थ खंभात ५७४ हथंडी तीर्थ
पेज नंबर
३०२
५०९
६६२
२४३
४२०
६००
४३३
३७८
४०६
२४५
२७
६४६
३९८
१५४
७०५
१९४
६६३
२९२
३३७
५२५
७५४
१०६
१४०
३१०
११४
३७४
७२६
३२१
६५४
३७६
२६०
• ४४
५३१
२६४
३७२
५३५
५३५
*१२६
१८०
५९२
५९२
६२९
६३३
२२२
७११
७४९
७०२
५६६
५००
७२७
Page #23
--------------------------------------------------------------------------
Page #24
--------------------------------------------------------------------------
________________
GO
areer श्री हर्ष पुष्पामृत जैन ग्रंथमाला - ग्रंथांक
3७०
DIA
१ मिह र हाथी ३वृषभ लाली ५ फूलमालचंद्र
[सूर्यव्यज १ कला
१० पुदम
२१ समुद्र
देव विमान ध रत्न १४अनि
चंदन
श्वेतांबर जैन
१धुप
५दीप
तीर्थ दर्शन
पूचंदन
६मस्त
भाग - २
६७
नैवेधे
च
दीपक
८फल
नम
-: संयोजक संपादक :व तपोमूर्ति पूज्य आचार्यदेवश्री विजय कर्पूर सूरीश्वरजी महाराजा के
___पट्टयर हालारन्देशोद्धारक पू. आचार्यदेवश्री । विजय अमृत सूरीश्वजी महाराजा के पट्टधर imil पू. आचार्यदेवश्री विजय जिनेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज
१जल रचिलेपन ३ची
|४
५ पूष्मा
६ष्यमाका
पुषगृह २२ पुष्य
Sakमास ९वज
चना
आमिरन
१३ अष्ट १५ दीप १५गीत १६ नारक ज्वाजीन्न |
मंगल
Ches
यस कुशल
-: प्रकाशिका :श्री हर्ष पुष्यामृत जैन ग्रंथमाला
लाखाबावल शांतिपुरी (सौराष्ट्र)
Page #25
--------------------------------------------------------------------------
________________
३ श्री संभवनाथ
a
५ श्री सुमतिनाथ
FO
७ श्री सुपार्श्वनाथ
3
२ श्री सुविधिनाथ
Se ११ श्री श्रेयासनाथ
Gk. Pednekar
२ श्री अजितनाथ
१४ श्री अभिनंदनस्वामी
१६ श्री पद्मप्रभस्वामी
८ श्री चंद्रप्रभस्वामी
१० श्री शीतलनाथ
११२ श्री वासुपूज्यस्वामी
田安
手
श्री पंचपरमेष्टि
等訊
नमोतवस्स
CA
नमस्कार
शिवमस्तु सर्व जगतः परहितनिरता भवन्तु भूतगणा: । दोषाः प्रयान्तु नाशं सर्वत्र सुखि भवतु लोकः ॥
खामेमि सब्बेजीवे.
सब्वेजीवा स्वमंतु मे। मित्ती मे सब्बभृण्मु बेरं मज्झन के पाइ।
महामंत्र नमोदंसणस्स ॐ ह्री
अहँ
(नमः)
(असिआउसा सम्यग् ज्ञान-दर्शन- चारित्रेभ्यो नमः
नमो अरिहंताएं नमो सिकदा नमो प्रायरियाएं नमो उवज्झामारी नमो लोए सव्यसाहए एसो पंच नमुक्कारी, संव्व पावप्पणासणी मंगलाएंणं च सच्चेसि पढमं हवइ मंगल
A
३५ ३० दि १५ ह २०स ४५२ प ३० परा क्षिप
० ३५ र स्वा ६०८५
पुस १०२ हा स४०स
२२ ३ ६ १५ [१६]
१४ २० २१ २ 2
१ ७ १३ १६ २५
१८ २४ ५ ६ १२ १० ११ १७ २३ ४
१३ श्री विमलनाथ
१५ श्री धर्मनाथ
१७ श्री कथनाथ
१९ श्री मतिनाथ
२१ श्री नमिनाथ
२३ श्री पार्श्वनाथ
E
१४ श्री अनंतनाथ
१६ श्री शांतिनाथ
3
-१८ श्री अरनाथ
२९ श्री नभिनाय
२४ श्री महावीरस्वाम
Page #26
--------------------------------------------------------------------------
________________
बिहार विभाग
क्रम
१.
३.
४.
गांव
ऋजुवालुका तीर्थ
भागलपुर तीर्थ
चंपापुरी तीर्थ
पावापुरी तीर्थ
बिहार शरीफ तीर्थ
पेज नं.
४९१
४९२
४९३
४९४
४९७
वैशाल
३७ हाजीपुर
पटणा
गया
मुझफरपुर
हजारीबाग
दरभंगा
बरकतीयारपुर
कुंडलपुर राजगृही नालंदा 22 पावापुरी
नयादा
गुणीबाजी
बिहार शरीफ
बागुसराह
विक्षत्रीयकुड
गोरडी
भागलपुर चंपापुरी'
ऋवालिका
२७
धनवाद
बिहार राज्य
क्रम
गांव
६. कुंडलपुर तीर्थ
४९८
७.
काकंदी तीर्थ
४९९
८.
क्षत्रियकुंड तीर्थ
५००
९. राजगृही (पंचपहाड) तीर्थ ५०१
१०. पाटलीपुत्र तीर्थ
५०५
मधुवन २२ समेताजी
पेज नं.
क्रम गांव
पेज नं. ११. गुणीयाजी जलमंदिर तीर्थ ५०७ १२. समेतशिखरजी तीर्थ ५०१
(४८९
6106
Page #27
--------------------------------------------------------------------------
________________
दिल्ही की ओर
बीकमगंज,
४२
नेशनल हाइवे नं. २.
वैशालि छाप्रा ०५०
मानेर अरा 0/
मोहनीया सासाराम
४९
९३ शेरघाटी
२७
२८
३२
गया
मुझफरपुर
११०
३५
४८ कुंडलपुर।
जहानाबाद - राजगृही
हाजीपुर
३
२१ पटणा
फातवा
२७ - बखतीयारपुर २७ बीहारशेरीफ
३/१४ १३ नालंदा
२०/गुणीयाजी
१४
१९
१२ दोमी NH2
४१
चौपरन
हीशुआ
१२
● बुब्धगया
नवादा
५६
३७
● पावापुरी
(बारही
NH2
६५
रांची NH23
NH33
मध्यप्रदेश- ओरीस्सा की ओर
कोदरमा
हजारीबाग
५०.
४८
NH-33 0 रामगढ़
४३
बरूवान 07
५२
बागोदर
सोकदरा
धनवार
४२.
२७ क्षत्रीयकुंडे
काकन्दी
२१.
NH33
०
बागुसराइ ६० (कीअल
१०२
२५
जमुआ
९७
ऋजुवालिका
डुमरी
३०
जमुई ३० जाजा ३५ चीकइ
३८
पारसनाथ
४३
२६ मधुबन
NH23
चांदिल
३१
O
NH28
बारीपुर
मु/मार
३०
खड़गपुर
जसीदीह
मधुपुर
गीरडी ० १७ ३६ जगदीशपुर
३३
श्री समेतशीखरजी राजगंज नीमीराजघाट
४३
देवगढ
NH32
१० चासरोड
१७
४
१५
६६, धनबाद
२३
१९
जमशेदपुर
● टाटानगर
पुरूलीया
भागलपुर ५०
टुंडी
१०
३५
बांका डाठा
११ ३२ मंडारहील Q
२२
चंपापुरी
सारथ
३७
१०.
४३
२३ मैठनडेम,
३१
११, गोविंदपुर सींदरी
पुरना
० पीरपेइन्टी
१४
गोडा
३२
हसीन्दा
३४.
जमामोर
११ ० पलजोर
१३ ६० असानामोह ३५
जमना
• चिंतरजन
५ नीअमतपुर बाराकर NH2
बिहार
जीयागंज की ओर
दुमका
जीयागंज की ओर
सुरी
कलकता की ओर
कलकत्ता की ओर नेशनल हाइवे नं. २
श्री समेत शीखरजी - श्री पार्श्वनाथ पहाड यह स्थल पे वर्तमान समय के वीस तीर्थकरे नीर्वाण मोक्ष पाये थे । यह अति महान मंगलकारी कल्याणकारी भूमि है। श्री पावापुरी तीर्थ श्री महावीर स्वामिका मोक्ष कल्याणक स्थान, श्री चंपापुरी तीर्थ श्री वासुपूज्य स्वामिका मोक्ष कल्याणक स्थान श्री क्षत्रीयकुंड तीर्थ श्री महावीर स्वामिका जन्म और श्री ऋजुवालिका तीर्थ यह स्थान पे श्री महावीर स्वामिका केवलज्ञान हुआ था। वैशालि और राजगृही पुराने शहरे नगरीयाँ थी। पट्टणाका पुराना नाम पाटलिपुत्र था। गया-बुध्धगया बुध्ध-हिंदु धर्मका महत्वका स्थल है। राजगृहीमें श्री मुनिसुव्रत स्वामिका चार कल्याणक हुआ था।
४९०)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग
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बिहार विभाग
१. श्री ऋजुवालुका (वरकार) तीर्थ )
सम्मेतशिखर जिन वंदीये, म्होटुं तीरथ एह रे; पार पमाडे भव तणो, तीरथ कहिये ते ह रे ।।स. ॥१॥ अजितथी सुमति जिणंद लगे, सहस मुनि परिवार रे; पद्मप्रभ शिव-सुख वर्या, त्रणसे अड अणगार रे ।।स. ।।२।। पांचशे मुनि परिवारशुं, श्री सुपास जिणंद रे; चंदप्रभ श्रेयांस लगे, साथे सहस मुणिंद रे ॥स. ॥३॥ छ हजार मुनिराजशें, विमल-जिनेश्वर सिद्धा रे सात सहसशं चौदमा, निज कारज वर कीधा रे ॥स. ॥४॥ एकसो आठशं धर्मजी, नवसेशं शांति नाथ रे; कुंथु अर एक सहसशु, साचो शिवपुर साथ रे ।।स. ।।५।। मल्लिनाथ शत पांचशें, मुनि नमि एक हजार रे, तेत्रीश मुनि युत पाशजी, वरिया शिवसुख, सार रे ।।स. ।।६।। सत्तावीश सहस त्रणसें, उपर ओगणपचास रे; जिन परिकर बीजा केई, पाम्या शिवपुर वास रे ॥स. ॥७।। ओ वीशे जिन अणे गिरि, सिद्धा अणसण लेई रे; पद्मविजय कहे प्रणमीओ, पास शामलनुं चेई रे । सम्मेत. ।।८।।
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श्री ऋजुवालुका (वरकार) जैन मंदिरजी
प्रभु महावीर केवलज्ञान प्राप्ति पादुका
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नदी में से मिली महावीर स्वामी प्रतिमाजी
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श्री श्वेतांबर जैन तीथं दा. : भाग-२
__ आज पास में ४ कि.मी. जनक गांव है वहाँ शालवक्ष का वन है। वह मूल जांभृक गांव है। अनेक तीर्थमालाओं में इस कल्याणभूमि का वर्णन है।
यहाँ वि. सं. १९३० में जीर्णोद्धार होने का लेख है।
गिरीडीह स्टेशन से बराकर गांव १२ कि.मी. है। गिरीडीह मधुवन सम्मेदशिखर मार्ग पर गांव है। गिरीडिह से बस, टेक्सी मिलती है। मधुवन १८ कि.मी. होता है। धर्मशाला है। पो. बंदर कुमी जि. गिरीडिह (बिहार)
(१) श्री ऋजुवालुका (वरकार) तीर्थ मूलनायक : श्री महावीर स्वामी केवलज्ञान
पादुका तथा नदी में से मिले हुए श्री ।
महावीर स्वामी नदी किनारे छोटी सुंदर धर्मशाला है। और उसके पीछे भाग में श्री वीर भगवान का भव्य और अलौकिक सुंदर मंदिर है।
यह तीर्थ बरकार गांव में है। पास में बरकार नदी है। यह नदी पूर्वकाल में ऋजुवालुका नदी कहलाती थी। जांभृक गांव के पास में श्यामक किसान के खेत में शालवृक्ष के नीचे वैशाख सुद १० को भगवान महावीर को केवलज्ञान हुआ था। यह केवलज्ञान कल्याणक भूमि है।
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२. श्री भागलपुर तीर्थ
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मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
श्री भागलपुर जैन मंदिरजी आगे के भाग में श्री वासुपूज्य स्वामी का शिखरबंधी जिनालय है। कसोटी के पत्थर में खुदी प्राचीन चरण पादुकाएँ हैं यह मिथिला नगरी में लाकर यहाँ पधराई है। मंदिर के बाहर छत्री में श्री स्थूल भद्रजी की पादुकाएँ हैं । बाबु की धर्मशाला है। भगवान महावीर ने यहाँ ६ चातुर्मास किए थे।
(२) श्री भागलपुर तीर्थ
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी रेल्वे स्टेशन तथा जिले का गांव है। चंपापुरी जाते हए यह स्टेशन आता है। यहाँ भव्य मंदिर तथा धर्मशाला है।
गंगा किनारे बसा हुआ शहर है। इस्टर्न रेल्वे का बड़ा जंक्शन है। सुजागंज लता में बाबु धनपतसिंहजी द्वारा बंधी हई बगीचावाली विशाल जैन धर्मशाला की
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बिहार विभाग
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३. श्री चंपापुरी तीर्थ
श्री चंपापुरी जैन मंदिरजी
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मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
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(३) श्री चंपापुरी तीर्थ (नाथनगर मोहल्ला)
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी भागलपुर और चंपापुरी जुड़े हुए हैं। भागलपुर स्टेशन से पास में गंगा नदी के किनारे चंपा नाले के पास यह चंपापुरी तीर्थ है जिसको अभी चंपानगर कहते हैं। यह अंग देश की राजधानी थी। श्री वासुपूज्य स्वामी के पांचों कल्याणक यहीं हुए हैं। तीर्थंकर देवों के पांचों कल्याणक एक ही भूमि पर हुए ऐसा यह तीर्थ है। कल्याणकों की याद रुपी अलगअलग स्थानों पर प्रतिमाजी और चरण-पादुका विराजमान है। चंपापुरीनगरी के बंद दरवाजे खोलने वाली सती सुभद्रा यहीं हुई थी।
अनेक तीर्थंकर व गणधर यहाँ पधारे हैं। श्रेणिक के मृत्यु के बाद उनके पुत्र कोणिक ने चंपापुरी को राजधानी बनाई थी।
भागलपुर स्टेशन यहाँ से ६ कि.मी. होता है। बस और तांगा, रिक्शा की व्यवस्था है। भागलपुर स्टेशन से १ कि.मी. और २ कि.मी. गांव में २ जिन मंदिर है। पो. चंपानगर ८१२००४ (जि. भागलपुर) बिहार
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
४. श्री पावापुरी तीर्थ
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पुराना गांव मंदिर निर्वाणभूमि
४०० वर्ष पुराने महावीर स्वामी तथा पादुका
शरमहावीर स्वामी जी
पावापुरी जलमंदिर - चरणपादुका
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बिहार विभाग
पावापुरी- जलमंदिर
पुराना समवशरण पादुका राजा नंदिवर्धन प्रतिबिंब
पुरानी पादुका नंदीवर्धन प्रतिष्ठा
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
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पुराना समवशरण पादुका
(५) श्री पावापुरी तीर्थ
मूलनायक श्री महावीर भगवान की चरण पादुका यह तीर्थ गांव के बाहर पद्म सरोवर के बीच में है। नगरी का अपापापुरी नाम था। परंतु भगवान के निर्वाण से पापापुरी नाम हुआ और बाद में पावापुरी प्रसिद्ध हुआ। उस समय हस्तिपाल राजा वहाँ राज्य करते थे। उनकी कचहरी में भगवान महावीर ने आखिरी चातुर्मास किया था।
आसोज वदी १४ को प्रभु ने गौतमस्वामी को पास के गांव में देवशर्मा ब्राह्मण को प्रतिबोध करने के लिए भेजा था। भगवान ने १६ प्रहर देशना देकर अमावस्या के पिछले प्रहर में निर्वाण पद की साधना की। अंतिम देशना में पिचपन अध्ययन पुण्य फल को कहने वाले और पिचपन अध्ययन पाप फल को कहने वाले तथा छत्तीस अध्ययन अपृष्ट व्याकरण कहे। वह उत्तराध्ययन सूत्र का निरूपण था। देवों ने रत्नों और अठारह गणराजाओं ने दीपक किये। तब से दीपावली कहलाई।
गौतम स्वामी वापिस आते भगवान के निर्वाण के समाचार सुनकर विलाप करने लगे और वीतराग पद का अर्थ विचारकर केवलज्ञान को प्राप्त किया। देवों ने उनका भी केवलज्ञान का महोत्सव किया।
अंतिम देशना स्थल यह गांव मंदिर तथा अग्निसंस्कार भूति यह जलमंदिर है। चरण पादुकाओं में सं. १६४५ का लेख है।
वि. सं. १२६० में पू. अभयदेव सूरीश्वरजी प्रतिष्ठित धातु के प्रतिमाजी थे। वह अभी गांव के मंदिर में है। गांव का मंदिर हस्तिपाल की कचहरी और भगवान की अंतिम देशना का स्थल माना जाता है। जीर्णोद्धार समय-समय पर होते रहते हैं। इस मंदिर में वर्तमान भगवान महावीर की चरण पादुकाओं के उपर वि. सं. १६४५ वैसाख सुद तीज का लेख है। जीर्णोद्धार के समय नयी पादुकाएँ प्रतिष्ठित हुई है। प्रभु महावीर के निर्वाण स्थल के उपर दीपावली का मेला आसोज वद अमावस्या निर्वाण कल्याणक के दिन मनाया जाता है। इसी रात्रि के अंतिम प्रहर में लड्डू चढ़ाते हैं। यात्री टूर उस दिन यहाँ आते हैं। चाहे जितनी व्यवस्था, हो परन्तु उस दिन कम पड़ती है। पहले समय में पांच दिन का मेला भरता था उसी प्रकार विविध तीर्थ कल्प में श्री जिनप्रभ सू. म. ने लिखा है कि यह महोत्सव चारों वर्ण के लोक को प्रकाशित करता है। उसी रात्रि को देव प्रभावती कुएं में से लाए जल से पूर्ण दीपक में तेल बिना दीपक प्रज्वलित होता है।
अभी पावा और पुरी दो अलग गांव है। अपना तीर्थ धाम पुरी में है।
दीपावली के दिन जल मंदिर के प्रभु की चरण पादुका के उपर लगा छत्र स्वयमेव हिलने लगता है। यात्रीगण दर्शन करके धन्य होते हैं।
यहाँ प्रभ महावीर की प्रथम देशना हुई है। इसके कारण इस स्थान पर नया सुंदर समवशरण मंदिर का निर्माण हुआ है। प्रभु महावीर श्री इन्द्रभूति गौतम ने भी यहाँ मिलकर शंका दूर कर दीक्षा लेकर प्रथम गणधर बने थे।
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बिहार विभाग
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यहाँ मंदिरों में मुख्य जलमंदिर है। दूसरे गांव का मंदिर है। पुराना समवशरण मंदिर है। महताब बीली का मंदिर है। नया समवशरण मंदिर है।
जल मंदिर का निर्माण विशिष्ट है कमल के फूलों से भरपूर सरोवर के बीच यह मंदिर भगवान महावीर की अलौकिक याद कराता है। आराधक भक्त लवलीन हो जाता है। मंदिरों में प्राचीन कला दृष्टि गोचर होती है । नया समवशरण मंदिर खूब ही रचनात्मक तरीके से बनाया गया है।
रेल्वे स्टेशन पावापुरी से १० कि.मी. है।
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बिहार शरीफ जैन मंदिरजी
(६) बिहार शरीफ
मूलनायक श्री महावीर स्वामी
राजगिरि से बिहार स्टेशन आता है स्टेशन से डेढ़ किलोमीटर मेथियान मुहल्ले में एक विशाल धर्मशाला है । उसमें श्री महावीर स्वामी का मनोहर मंदिर है। बाजार के पास में एक गली में चंद्रप्रभुजी तथा अजितनाथ जी के मंदिर है। चोखंडी मुहल्ले में ऋषभदेवजी का मंदिर है। महावीर भगवान ने यहाँ ग्यारहवां चातुर्मास किया था उसका असली नाम तुंगीया नगरी था मुसलमान बिहार गांव को बिहार शरीफ
कहते हैं।
बख्त्यारपुर ४४ कि.मी. और नवादा २३ कि.मी. पटणा रेल्वे स्टेशन ८६ कि.मी. है। टेक्सी तथा बस की व्यवस्था है। पास का बड़ा शहर बिहार शरीफ १५ कि.मी. है। इस तीर्थ से बिहार शरीफ रांची नेशनल हाईवे १ कि.मी. दूर है । वहाँ तांगा मिलता है। धर्मशाला तक तथा सभी मंदिरों तक गाडी तथा बस जा सकती है।
पावापुरी यहां से १५ कि.मी. है। मंदिर धर्मशाला आदि है। पावापुरी जाने के लिए सभी तरह की व्यवस्था मिलती है.
रहने के लिए गांव मंदिर तथा नये समवशरण मंदिर में धर्मशाला है। गांव मंदिर की धर्मशाला में भोजनशाला भी है।
५. श्री बिहार शरीफ तीर्थ
है।
पावापुरी में आसोज गुजराती वद १३ से गुजराती कार्तिक सुद १ तक बड़ा भारी मेला लगता है।
मु. पावापुरी (जि. नालंदा) तार बिहार शरीफ टेलीफोन नं. पांच (बिहार)
नवाडा स्टेशन पर एक मंदिर है यहां से पावापुरी चंपापुरी गुलियाजी जाने को बस मिलती है।
मूलनायक श्री महावीर स्वामी
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
६. श्री कुंडलपुर तीर्थ
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श्री कुंडलपुर जैन मंदिरजी
श्री गौतम स्वामी मूल पादुका
मूलनायक श्री भगवान आदिश्वरजी श्यामवर्णी प्रतिमा
श्री आदिश्वरजी, श्री शांतिनाथजी, श्री महावीर स्वामी श्री गौतम स्वामीजी की चरण पादुका धर्मशाला में आए जिनालय में है। धर्मशाला नयी बन रही है।
नालंदा जिला से ३ कि.मी. दर कुंडलपुर गांव में यह तीर्थ है।
गौतम स्वामी की जन्मभूमि गुब्बर गांव और वडगांव नाम पूर्व काल में कहा हुआ है। नालंदा, कुंडलपुर यह राजगृह नगर के उपनगर थे। श्री इन्द्रभूति की तरह श्री अग्निभूमि
और श्री वायुभूमि गणधरों का जन्म भी यहाँ हुआ था। यह तीनों भाई थे।
ई. सं. ४१० में चीनी यात्री फाहियान यात्रा करने आये तब सामान्य स्थल का उल्लेख है। कुमार गुप्त ई. स. ४२४ से ४५४ बौद्ध साधुओं के लिए विशाल मठ बनाया
और बाद में नालंदा विद्यापीठ बनने से बौद्ध विद्या का बड़ा केन्द्र बन गया। सातवीं सदी में आये चीनी यात्री ह्वेनसांग ने इस विश्व विद्यालय की नोट की है और उन्होंने वहाँ अभ्यास किया था। तेरहवीं सदी तक यह
विद्यालयथा बाद में बखत्यार खिलजी द्वारा उसका नाश करने का उल्लेख है।
भगवान महावीर के समय में और बाद में भी यहां जैन धर्म का बहुत प्रभाव था। उस बारे में इतिहास है। जमीन में महत्वपूर्ण सामग्री होना संभावित है। भगवान महावीर को गौशाला ने यहीं देखा था।
विविध तीर्थ कल्प में श्री जिनप्रभ सू. म. ने यहां का वर्णन किया है। हंशसोम मुनि ने १५६५ में यहां १६.मंदिर बताये हैं। सं. १६६४ में पं. जयविजयजीने १७ मंदिर बताये हैं। वि.सं. १७५० में पं.सौभाग्य विजयजीम. ने एक मंदिर, एक स्तूप और प्रतिमा बिना के जीर्ण अवस्था वाले दूसरे मंदिर बताये हैं। आज की स्थिति उपर बताई है। पास में धर्मशाला है। रेल्वे स्टेशन नालंदा ३ कि.मी. है। बीच में नालंदा खंडहर आता है। राजगिर से नालंदा होकर ९ कि.मी. है। पावापुरी से बिहार शरीफ होकर २१ कि.मी. है। नालंदा से तांगा रिक्शा मिलते हैं।
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बिहार विभाग
श्री शांतीनाथ स्वामी
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श्री महावीर स्वामी
श्री आदिश्वरजी- शांतिनाथजी महावीर स्वामीजी
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७. श्री कांकदी तीर्थ
मूलनायक श्री संभवनाथजी
मूलनायक श्री सुविधिनाथजी की चरण पादुका काकंदी गांव में यह तीर्थ है। यहाँ सुविधिनाथ प्रभु के चार कल्याणक गर्भ, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान हुए हैं। सुविधिनाथ प्रभुजी का दूसरा नाम पुष्पदंत भी है। माता को पुष्पका दोहद होने से पुष्पदन्त नाम हुआ है।
दूसरे मत के अनुसार नोनसार स्टेशन से दो मील दूर खुखुध ग्राम काकंदी है।
इस मंदिर में श्री पार्श्वनाथजी की प्राचीन प्रतिमा है।
मूल स्थान पादुका के पास है ।
पास का रेल्वे स्टेशन १९ कि.मी. है। जमुई भी १९ कि.मी. जैसा है। बस टेक्सी मिलती है। बस स्टेशन डेढ़ कि.मी. दूर है । धर्मशाला है। मु. काकंदी पो. मंजवे ( जि. मुंगेर) बिहार तार, टेलीफोन है।
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८. श्री क्षत्रियकुंड तीर्थ
गर्भ कल्याणक मंदिर क्षत्रियकुंड
दीक्षा कल्याणक महावीर स्वामी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
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मूलनायक श्री महावीर स्वामी
महावीर स्वामी भगवान
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दीक्षा कल्याणक
दीक्षा कल्याणक मंदिर क्षत्रिय कुंड
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बिहार विभाग
(९) श्री क्षत्रियकुंड तीर्थ
मूलनायक श्रीमहावीर स्वामी
क्षत्रियकुंड पो. लछवाड़ (जि. मुंगेर) बिहार
इस तीर्थ का इतिहास प्रभु महावीर के समय से है। प्रभु महावीर का ब्राह्मणकुंड ग्राम से गर्भहरण कर इस क्षत्रियकुंड ग्राम में श्री त्रिशलादेवी की कुक्षी में रखा गया था। क्षत्रियकुंड भगवान महावीर की जन्मभूमि है। श्री कल्पसूत्र में, उसका वर्णन है।
प्राधानाचार्य गुर्वावली (१३५२), जिनोदयसूरिजी विज्ञप्ति महालेख (१५ वीं सदी), श्री जिनवर्धन सू. रचित पूर्व देश चैत्य परिपाटी (१४६७), तथा उ. जयसागरजी रचित दशवेकालिक टीका (१६ वीं सदी), तीर्थमाला (जिनप्रभसू), श्री तीर्थमाला हंश सोम वि. सं. (१५६५), श्री तीर्थवर्णन (१८ वीं सदी) शिवविजयजी, श्री तीर्थमाला (सौभाग्यविजयजी) (१९७५) आदि में वर्णन है ।
क्षत्रियकुंड के पास में खंडहर है वह कुमारग्राम, ब्राह्मणकुंड ग्राम, मोराक सन्निवेश आदि प्राचीन स्थलों की स्मृति कराता है। पहाड़ पर एक मंदिर है। जीर्णोद्धार
चालु है। उपर स्नान पूजा की व्यवस्था है। तथा तलहटी में दो मंदिर है। गर्भ कल्याणक मंदिर तथा दीक्षा कल्याणक मंदिर के नाम से जाना जाता है। प्रभु महावीर का गर्भ, जन्म और दीक्षा यह तीन कल्याणक की पवित्र भूमि है ।
राजगृही पहला पहाड़ मुनिसुव्रत स्वामी मंदिर राजगृही पहला पहाड़
पास के रेल्वे स्टेशन लखीसराय, जमुई तथा कियुल है । तीनों से लछवाड ३०-३० कि.मी. जितना होता है। लछवाड से बस, टेक्सी मिलती है। सिकंदरा से लछवाड १० कि.मी. लवाड से तलहटी (कुंडघाट) ५ कि.मी. और तलहटी से क्षत्रियकुंड ५ कि.मी. है। लछवाड में धर्मशाला है। वहां से तलहटी तक कच्ची सड़क है। पेढ़ी में से ट्रेक्टर में जाने का पास लेकर तलहटीमें जा सकते हैं और डोली के लिए वजन के अनुसार भाव होने से वजन कराकर स्लिप लेकर निकलना उपर की चढ़ाई ५ कि.मी. चलकर चढ़ने का होता है।
९. श्री राजगृही ( पंचपहाड ) तीर्थ
मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी
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राजगृही दूसरा पहाड जिनमंदिर
राजगृही दूसरा पहाड चंद्रप्रभु - शांतिनाथजी समवशरण
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राजगृही तीसरा पहाड उदयगिरि नीचे के मंदिरों में पार्श्वनाथजी
राजगही तलहटी मंदिर मुनिसुव्रत स्वामी
राजगृही रोप-वे बौद्ध स्तम्भ
राजगृही तलहटी मंदिर बदायक श्री मुनिपव्रत स्वामी
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बिहार विभाग
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राजगृही पाचवा पहाड मंदिर
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राजगृही चौथा पहाड स्वर्णगिरि नीचे के मंदिर में बांयीतरफ के आदिनाथजी
- (१) प्रथम विपुलगिरि पहाड़ (११५० सीढी) श्री मुनिसुव्रत स्वामी (२) द्वितीय रत्नगिरि पहाड (१३०० सीढ़ी) श्री चंद्रप्रभुजी श्री शांतिनाथजी समवशरण (३) तृतीय उदयगिरि पहाड (७९० सीढ़ी) श्री पार्श्वनाथजी (४) चौथा स्वर्णगिरि पहाड बंद आदिनाथ भगवान चरण पादुका (५) पांचवां वैभारगिरि पहाड (६०० सीढ़ी) श्री मुनिसुव्रत स्वामी
राजगिरि गांव के पास में पांच पर्वत के उपर यह तीर्थ है।
यह तीर्थ श्री मुनिसुव्रत स्वामी के कल्याणकों से भूषित है। उनके गर्भ, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान यह चार कल्याणक यहाँ हुए हैं।
तलहटी मंदिर से आगे प्राचीन श्री मुनिसुव्रत स्वामी है। स्वर्णगिरि यात्रा बंद है। उसके मूल मूलनायक नीचे मंदिर में श्री आदिनाथजी बायीं तरफ है।
यहाँ हरिवंश के जरासंघ नामके प्रतिवासुदेव हुए हैं। उन्होंने मथुरा के राजा श्री कंस के साथ स्वयं की पुत्री जीवयशा की शादी की थी और उस कंस के अत्याचार से
श्री कृष्ण ने उसका वध किया था। जरासंध के उपद्रव से समुद्र विजय राजा ने पश्चिम समुद्र आकर द्वारिका नगरी बसाई थी। जरासंध के साथ श्री कृष्ण का युद्ध हुआ तब श्री कृष्ण ने अट्ठम तप कर श्री पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा श्री नेमनाथ भगवान के वचन से रखी थी। वहाँ तक राजा की विद्या से दो शुद्ध बने लश्कर की श्री नेमकुमार लश्कर घूमते शंख फूंकते-फूंकते घूम कर रक्षा की थी। उससे वे शंखेश्वर कहलाये । मूर्ति रखकर श्री कृष्ण ने उसके न्हवन जल से सेना का उपद्रव टाला था और हर्ष से शंख फूंककर शंखेश्वर गांव बसाकर प्रतिमा पधराई थी उससे वह शंखेश्वरा पार्श्वनाथजी के नाम से प्रसिद्ध हुई थी।
राजा श्रेणिक भी यहीं हुए हैं। राजा बौद्ध थे। बाद में भगवान महावीर के अनुयायी बन परम भक्त बने थे । बाद में उनको केद करके उनका पुत्र कोणिक यहाँ राजा बना था।
श्रेणिक श्री वीरपरमात्मा के परम भक्त बने और भक्ति से तीर्थंकर नाम कर्म का बंध किया। वह आने वाली चौबीसी में प्रथम पद्मनाभ नामक तीर्थंकर होंगे।
भगवान महावीर ने राजगृही के नालंदा में १४ चातुर्मास किए थे। शास्त्र में यहाँ के गुणशील चैत्य का वर्णन है। जहाँ प्रभु बारम्बार पधारे थे। भगवान महावीर के ११ गणधर भी यहीं पधारे थे। मोक्षपद को प्राप्त हुए थे।
श्री जंबूस्वामी, श्री शयंभवसू., श्री मेतार्य, घना, शालिभद्र, मेघकुमार, अभयकुमार, नंदिषेण, अर्जुनमाली, कयवन्ना, पुण्याश्रावक आदि की अमर गाथायें इस भूमि के साथ जुड़ी हुई है।
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग -२
ढाल पर दोनों तरफ एक-एक ऐसी दो गुफा है। वहाँ प्राचीन शिलालेख है। जो तीसरी-चौथी सदी के माने जाते हैं। पहले यहां चौमुख प्रतिमा थी। यह श्रेणिक का खजाना कहलाता है। पूर्व तरफ से दूसरी गुफा में प्रतिमाएं रखी हुई हैं यहाँ से २ कि.मी. जरासंध का अखाड़ा है। गुफा से आगे सोन मंदिर के अवशेष हैं। सोनमंदिर से आगे जाते पांचवें पर्वत वैभारगिरि का चढ़ाव शुरु होता है। ५६५ सीढ़ियां हैं। बायीं तरफ थोडी दूरी पर शालिभद्र का मंदिर है। यहां भगवान महावीर के ११ गणधर मोक्ष गए हैं। ऐसा कहा जाता है।
मंदिर के एक तरफ भग्न मंदिर में अनेक प्राचीन कलात्मक प्रतिमाएँ हैं। मंदिर आठवीं सदी का माना जाता है। आगे जाते सप्तपणा गुफा आती है। जहाँ बौद्ध का प्रथम सम्मेलन हुआ था। ढलान पर पत्थर का मकान है जो जरासंध की बैठक मानी जाती है। नीते उतरते गरम पानी का कुंड आता है। जो ब्रह्मकुंड माना जाता है। यहां से धर्मशाला ३ कि. मी. है।
तलहटी में राजगिर में मंदिर है। पहाड पर की प्रतिमाएं यहाँ विराजमान करने में आई है। मणियार मठ को निर्माल्य कूप कहते हैं। जहाँ शालिभद्र की ९९ पेटी का उपयोग कर फेंक देते। श्रेणिक का बंदीगृह मणियार मठ से १ कि.मी. है। वहाँ कोणिक ने पिता श्रेणिक को कैद रखा था।
रेल्वे स्टेशन राजगिर तलहटी की धर्मशालाओं से २ कि.मी. है। बस स्टेशन २०० मी. है। गांव में टेक्सी, रिक्शा आदि मिलते हैं।
धर्मशाला, भोजनशाला है, पहाड पर और रास्ते में पानी की व्यवस्था नहीं है। पांच पर्वतों की यात्रा २ दिन में करना सरल है। पहाडों की यात्रा जल्दी सुबह से करनी पड़ती है। ____ मु. राजगिर पिन-८०३११६ (जि. नालंदा) बिहार, तार टेनं. २० राजगिर
नवीं सदी में कनीज के राजा के सामने चढ़ाई की थी। परन्तु विजय नहीं मिली। उनके पौत्र भोजराजा ने नगरी जीती फिर इस नगरी का पतन हुआ था। श्री जिनप्रभ सू. म. ने १३६४ में विधि तीर्थ कल्पमें इसका निवेदन किया है। विपुलगिरि उपर मंडन के पुत्र देवराज और वच्छराज ने श्री पार्श्वनाथ प्रभु का मंदिर बनवाया ऐसा उल्लेख सं. १४१२
की प्रशस्ति लेख में है। १५०४ में श्री शुभशील गणि ने अनेक बिंबों की प्रतिष्ठा कराई ऐसा उल्लेख है। सं. १५२४ में श्रीमाल वंश के जीतमलजी द्वारा वैभारगिरि उपर धन्ना शालिभद्र की प्रतिमाएं तथा ११ गणधर के चरण प्रतिष्ठित किए हैं । १६५७ में श्री जयकीर्ति सू. सं. १७४६ में श्री शीलविजयजी और उन्नीसवीं सदी में श्री अमृत धर्मगणी आदि द्वारा रचित तीर्थमाला में इस तीर्थ की महत्ता है।
आज भी हर वर्ष बहुत यात्रा संघ यहाँ आते हैं। तलहटी धर्मशाला से चलकर जाते हुए गरम पानी के कुंड आते हैं। वहाँ से थोड़ी दर विपुलगिरि की चढ़ाई है। ढाई कि.मी. आगे जाते विपुलगिरि टुंक है। यहाँ एक मंदिर है। दूसरे का कार्य चलता है। यहां से डेढ़ कि.मी. उतरकर फिर डेढ कि.मी. चढ़ने पर रत्नगिरि आती है। रस्ता अच्छा नहीं है उसके सामने गृघ्रकुट पर्वत है। वहां श्री बुद्ध का विशाल मंदिर है। रत्नगिरि से २ कि.मी. दूर गया-पटना रोड़ मिलता है। फिर १ कि.मी. जाते तीसरे उदयगिरि का चढ़ाव शुरु होता है। वह कठिन है। वह डेढ़ कि.मी. सीढ़ियां बनी हुई है। फिर उतरते जलपान गृह बना हुआ है। बायीं तरफ फल्गु नदी है। यहां से धर्मशाला डेढ़ कि.मी. जितनी ' है। धर्मशाला से चौथी स्वर्णगिरि तलहटीलगभग ५ कि.मी. दुर है। चढ़ाई ३ कि.मी. है। सीढ़ियां है। पर्वत के दक्षिण
अरनाथकुं सदा मेरी वंदना, जगनाथकुं सदा मेरी वंदना। जग उपकारी धन जयौ वरसे, वाणी शीतलचंदना रे। जग. रुपे रंभा राणी श्रीदेवी, भूप सुदर्शन नंदना रे । जग. भाव भगतिशुं अहनिशि सेवे, दूरित हरे भव फंदना रे। जग. छ खंड साधी द्वेधा कीधी, दुर्जय शत्रु निकंदना रे । जग. न्यायसागर प्रभु सेवा मेवा, माने परमानंदना रे । जग.
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बिहार विभाग
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श्री जैन श्वेताम्बर मन्दिर
१०. श्री पाटलीपुत्र तीर्थ
श्री विशालनाथ स्वामी मंदिर
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प्राचीन मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी विशालनाथजी की जगह
मूलनायक श्री विशालनाथजी स्वामी २० वें तीर्थंकर
बायीं तरफ मूल पत्थर में मुगट श्रीफल के साथ अभिनंदन स्वामी
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मंदिर में उपर के भाग में प्राचीन प्रतिमाजी मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी दायें ऋषभदेवजी बाचें अभिनंदन स्वामी
मूलनायक श्री विशालनाथजी (विहरमान जिन)
यह तीर्थ पटना शहर में बाड़े की गली में है। आज का पढ़ना शहर प्राचीन काल में कुसुमपुर पुष्पपुर आदि नामों से जाना जाता था । श्रेणिक राजा के पुत्र कोणिक के पुत्र उदय
वि. सं. पूर्व ४४४ के आसपास यह शहर बसाया है। मगध देश की यह राजधानी बनी थी। उदयन के बाद राजा महायक्षनंद ने कलिंग पर चढाई कर प्रतिमा लाए और खारवेल राजा ने चढाई कर मगध से यह जैन प्रतिमाएं फिर कलिंग ले गए थे। उसका वर्णन खंडगिरि उदयगिरि गुफाओं के शिलालेख में है ।
श्री जंबूस्वामी के प्रशिष्य यशोभद्रसू. म. का जन्म यहीं हुआ था श्री संभूति विजय और भद्रबाहु स्वामी भी यहीं हुए हैं। स्थूलिभद्रजी भी यहीं हुए हैं। उन्होंने संभूति गुरु के पास दीक्षा ली थी। श्री चंद्रगुप्त राजा भी चाणक्य की मदद से वहां राजी बने थे। श्री स्थूलभद्र तथा सेठ सुदर्शन के यहां स्मारक हैं। जो गुलमर बाग़ में डेढ़ कि.मी. दूर हैं।
"आर्य रक्षित सू. म. ने यहां चार अनुयोग किए थे। वाचक उमास्वामीजी ने यहीं तत्त्वार्थ सूत्र की रचना की है। पादलिप्तसू. म. ने राजा मुरुंड को यहीं जैन बनाया था।
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग २
2
2.3
कापी कापो हे पाश्र्व प्रभुजी मारां दुःखडां आज, मारा दुःखडा आज कापो, मारा दुःखडां आज । कापो. राय अश्वसेन पिता तुमारा, वाराणसी भूप सार,
वामा माताना जाया तमे छो, सर्प लंछन जयकार । कापो. दीक्षा लेई प्रभु कर्म खपावी, केवल ने वरनार, चोत्रीश अतिशय छाजे तुजने, बार गुण धरनार । कापो. मेघनादे प्रभु देशना आपे, भवि दुःख हरनार,
अहवी देशना वेरजेर भूली, सांभले पर्षदा बार । कापो. पूर्व पैर थी कमट वरसावे, वरसाद एक धार, आवे नागेन्द्र प्रभु कष्ट जाणी, सेवा करे सुखकार । कापो. " गुरुकर्पूर सूरि अमृत गुणे, पाश्र्वं वरे शिवनार, पाये पड़ी ने जिनेन्द्र विनवे, आपो सेवा, श्रीकार कापो.
पुष्पचूला रानी को दीक्षा देने वाले क्षीण जंघा वाले अर्णिकापुत्र आचार्य को नदी पार करते हुए देव ने नाव डुबा दी और पानी में पड़े आचार्य शरीर को पानी लगते अपकाय की विराधना को विचारते हुए केवलज्ञान को प्राप्त कर मोक्ष गये। उनकी खोपड़ी में पाटल वृक्ष पैदा हुआ और उसके उपर पक्षी बैठे तो स्वयं जीवात उसके मुंह में गिरे। ऐसा घूमने आये राजा ने देखा और उस पाटल वृक्ष के उपर पाटलीपुत्र नगर बसाया। ऐसा अधिकार आता है।
सातवीं सदी तक यहां जैनों का अधिकार था । १७वीं सदी में आगरा के कुंरपाल और सोनपाल यहां संघ लेकर आए थे तब तीन जिन मंदिर थे उसी प्रकार महतीहण जाति के जैन उस समय रहते थे । १८वीं सदी में जहांगीर बादशाह के मंत्री सेठ हीराचंद यहीं रहते थे। उन्होंने एक जैन मंदिर तथा दादावाड़ी बनवाई थी।
आज पटना बिहार की राजधानी है।
दूसरा पार्श्वनाथजी का मंदिर है बायीं तरफ मुकुट श्रीफल सहित बने हुए श्री अभिनंदन स्वामी है ।
पटना सिटी स्टेशन से यह मंत्र १ कि.मी. है। २०० मीटर तक कार, बस जा सकती है। रहने के लिए मंदिर के पास कोठी है। स्थान- बारहगल पटना सिटी (बिहार)
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बिहार विभाग
( ११. श्री गुणीयाजी जलमंदिर तीर्थ
श्री गुणीयाजी जलमंदिर तीर्थ जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री गौतम स्वामीजी
नवादा स्टेशन से ३ कि.मी. गुणीयाजी गांव में है। मुख्य मार्ग से २०० मीटर दूर सरोवर के बीच में है।
राजगृह नगर में गुणशील चैत्य का वर्णन आता है। वह यह गुणीयाजी हो सकते हैं। भगवान महावीर यहां अनेक बार पधारे थे। समवशरण रचाया था। श्री गौतम स्वामी को यहीं केवलज्ञान हुआ ऐसा माना जाता है। ___ यह मंदिर जलमंदिर है। जो कि पावापुरी जलमंदिर की याद कराता है। मंदिर के बाहर चारों कोनों में छत्रीयां है। छत्रीयों में भगवान की पादुकाएं (पगलें) हैं। सामने तोरण कलात्मक है।
स्टेशन ३ कि.मी. है। गांव २ कि.मी. है। रिक्शा मिलता है । राची पटना हाईवे यहीं है। मंदिर तक कार, बस जा सकती है। पावापुरी २० कि.मी. होता है। रहने के लिए धर्मशाला है। गांव-गुणीयाजी, पो. नवादा (जि.नवादा) बिहार।
मूलनायक श्री महावीर स्वामी के पास गौतम स्वामी
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
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कबाबम
श्री महावीर स्वामी मंदिर
आज सकल दिन उग्यो हो, श्री सम्मेतशिखर गिरिभेटीयो रे; कांई जाग्या पुण्य अंकुर, भूल अनादिनी भांगी हो; अब जागी समकित वासना रे, काई प्रगट्यो आनंद पूर
आज.॥११। विषम पहाड नी झाडी हो, नदी आडी ओलंघी घणी रे; कांई ओलंध्या बहु देश, श्री गिरिराजने निरखी हो; मन हरखी दुःखडां विसर्या रे, कांई प्रगट्यो भाव विशेष
आज. वीसे टुंके भगते हो, वली वीसे जिनपति रे, में भेट्या धरी बहु भाव, शामला पासजी हो; तव घुज्या मोहादिक रिपुरे, अतीरथ भव जल नाव।आज.॥३॥ तीरथ सेवा मेवा हो, मुज हेवो लेवा ने घjरे, ते पूरण पाम्यो आज, व्रण भुवन ठकुराई हो, मुज आई सघली हाथमा रे, कांई सिध्या सधलां काज |आज.॥४॥ आश पास मुज पूरे हो, दुःख चूरे शामलीयो सदा रे; त्रेवीसमो जिनराज, ओ प्रभुना पदपद्म सुखसद्म, मुज मन मोहीयुं रे; कवि रूपविजय कहे आज ||आज.॥५॥
समेतशिखरना जातरा नित्य करीये, नित्य करीयेरे, नित्य करीये, नित्य करीये तो दुरित नीहरीये, तरीये संसार ।। समेत.॥१॥ शिववधू वरवा आवीया मन रंगे, वीश जिनवर अति उछरंगे, गिरि चढिया चढते रंगे, करवा निजकाज समेत.शा अजितादि वीश जिनेश्वरा वीश टूके, की, अणसण किरिया न चूके, ध्यान शुक्ल हृदयथी न मूके, पाया पद निरवाण||समेत.॥ शिवसुख भोगी ते थया जिनराया, भांगे आदि अनंत कहाया; पर पुद्गल संग छोडाया, धन्य-G धन्य जिनराय समेत.॥४॥ तारण तीरथ तेहथी ते कहीये, नित्य तेहनी छायामां रहीये तो सुखिया थईओ, बीजं शरणन कोय ॥समेत.।।५।। ओगणीसें बासठ माघनी वदि जाणो, चतुर्दशी श्रेष्ठ वखाणो; हमे भेट्यो तीरथनो राणो, रंगे गुरुवार
समेत.।।६।। उत्तम तीरथ जातरा जे करशे, वली जिन आज्ञा शिर धरशे; कहे वीरजय ते वरशे, मंगल शिवमाल, समेत.॥७॥
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बिहार विभाग
१२. श्री समेतशिखरजी महातीर्थ
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी (जलमंदिर)
यह तीर्थ मधुवन के पास समुद्र तल से ४४७९ फीट उंचा सम्मेदशिखर पहाड पर है। इस पहाड़ को पारसनाथ हिल भी कहते हैं। मुंबई वी. टी. से सीधे पारसनाथ स्टेशन उतरकर वहाँ से बस में १ घंटे का रास्ता है ।
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पूर्व काल से यह तीर्थ है और बीती बीबीसी के कितने ही तीर्थंकर यहाँ से मोक्ष को प्राप्त हुए हैं। वर्तमान चौबीसी के बीस तीर्थंकर यहाँ मोक्ष को प्राप्त हुए हैं। बाकी चार में ऋषभदेवजी अष्टापद में उपर, श्री वासुपूज्य स्वामी चंपापुरी में, श्री नेमिनाथ गिरनार, श्री महावीर स्वामी जी पावापुरी तीर्थ में निर्वाण को प्राप्त हुए हैं।
सम्मेदशिखर पर बीस तीर्थकरों के बाद मुनि भी बहुत संख्या में निर्वाण को प्राप्त हुए हैं।
श्री पादलिप्त सू. म. श्री बप्पभट्ट सू. म. आकाशगामिनी विद्या द्वारा यहां यात्रा करने आते थे, नवीं सदी में श्री प्रद्युम्न सू. म. सात बार यात्रा करने आए और उपदेश देकर जीर्णोद्धार कराया था। तेरहवीं सदी में श्री देवेन्द्र सू. म. रचित बंदारुवृत्ति में यहां के जिनमंदिर तथा प्रतिमा का उल्लेख है। कुंभारीयाजी के
श्री गौतम स्वामी टौंक पादुका
शिलालेख में शरण देव के पुत्र वीरचंद ने श्री परमानंद सू. म. के द्वारा प्रतिष्ठा १३४५ में कराने का लेख है ।
चंपापुरी के पास अकबरपुर गांव के मानसिंहजी के मंत्री नानु ने यहां जिनमंदिर बनवाया वह १६५९ के ज्ञान कीर्तिके यशोधर चरित्र में है।
सं. १६७० में आगरा से ओसवाल श्री कुंरपाल तथा सोनपास लोढा संघ लाए तब उद्धार कराया ऐसा सम्मेदशिखर रास (श्री जयकीर्ति) में है। अनेक तीर्थमालाएं श्री सौभाग्यविजयजी, पं. जयविजयजी श्री हंससोमविजयगणि, श्री विजयसागरजी ने रची है। उसमें इस तीर्थ का वर्णन है ।
सं. १६४९ में बादशाह अकबर ने यह तीर्थ जगद्गुरु श्री हीरविजय सू. म. को भेंट दिया था। यह फरमान सेठ श्री आणंदजी कल्याणजी पेड़ी के पास है।
सं. १७७० में उपर जाने के लिए तीन रास्ते थे । १ पश्चिम से आने वाले यात्रिओं पटना नवादा खडग्दिहा होकर तथा दक्षिण पूर्व में से आए तो मानपुर, जयपुर, नवागढ़, पालगंज होकर तथा तीसरा मधुवन होकर रास्ता है।
२४ जिन पाटुका
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श्री कुंथुनाथजी टोंक पादुका
श्री सुधर्मा स्वामी पादुका
झरिया गांव में रघुनाथ राजा कर लेते उसी प्रकार कतरास के राजा कृष्णसिंह भी कर लेते। रघुनाथपुर गांव से चार मील बाद में चढ़ाई शुरु होती है। पालगंज यहां से तलहटी थी।
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
श्री चंद्रानन जिन टोंक - पादुका
श्री ऋषभदेवजी टोंक पादुका
वि. सं. १८०५ मुर्शिदाबाद के सेठ महताबराय ने दिल्ली के बादशाह अहमदशाह द्वारा जगतसेठ का बिरुद मिला और १८०९ में मधुवन, कोठी, जयपार नाला, जलहटी कुंड, पारसनाथ तलहटी ३०१ बीघा जमीन, पारसनाथ पहाड भेंट दिया हुआ है। जगत सेठ ने पं. श्री देवविजय गणिकी निश्रामें जीर्णोद्वार का संकल्प किया और उनके चौथे पुत्र श्री सुगालचंद तथा जेसलमेर आदि के मुनिम श्री मूलचंदजी ने जीर्णोद्धार का काम सौंपा। सं. १८२२ में बादशाह शाहआलम ने महताबरायजी के अवसान के बाद उनके ज्येष्ठ पुत्र खुशालचंद को जगतसेठ की पदवी दी।
जगत सेठ स्थान निर्णय न होने पर पं. देव वि. म. की प्रेरणा से अट्टम तप किया और स्वप्न में आया कि जहांजहां केशर के स्वस्तिक हों वह मूल स्थान मानना और वहां स्थान करो। इस प्रकार बीस निर्माण स्थान हुए। चबूतरा तथा देरियां बनाई, स्तूप तथा चरण पादुकाएं सं. १८२५
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बिहार विभाग
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महासुद ५ को तपा. भट्टारक आचार्य श्री धर्म सू. म. के
द्वारा प्रतिष्ठि होने का शिलालेख है। वर्तमान में स्थित पादुका में वि. सं. १८२५ महा सुद तीज का लेख है। और वीराणी गोत्रीय श्री खुशालचंद नाम अंकित है।
पहाड़ पर जलमंदिर, मधुवन में सात मंदिर पहाड के क्षेत्रपाल, भोमीयाजी मंदिर आदि की भी एक साथ प्रतिष्ठा होने का उल्लेख है। मंदिरों का कार्य भार श्री श्वेताम्बर जैन संघ को सौंपने में आया। जगत सेठ द्वारा हुआ महान कार्य अमर रहेगा। तीर्थ का यह इक्कीसवां उद्धार माना जाता है।
अनेक आपत्तियों से निकलकर वि. सं. १९२५ से १९३३ जीर्णोद्धार कराकर विजयगच्छके जिनशांतिसागर सू. म. खतरगच्छ के जिनहंस सू. म. तथा श्री जिनचंद्र सू. म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई। यह बाईसवां उद्धार मानने में आया है । उस समय भ. आदिनाथ श्री वासुपूज्य स्वामी, श्री नेमिनाथ भगवान, श्री महावीर स्वामी तथा शाश्वत जिन ऋषभानन चंद्रानन वारिषेण और वर्धमान यह नई देरियां हुई है। मधुवन में भी कितने ही नए जिनालय हुए।
यह पहाड जगतसेठ को भेंट मिला परन्तु दुर्लभ होने से पालगंज ने राजा ने ई. स. १९०५-१९९० में राजा को धन की जरुरत पड़ी जिससे पहाड़ को बेचने या गिरवी रखने का विचार किया तब रायबहादुर श्री बद्रीदासजी जोहरी मुकाम कलकत्ता तथा मुर्शिदाबाद के महाराज बहादुरसिंहजी दुगडे राजा की यह मनोभावना जानकर अहमदाबाद की सेठ आनंदजी कल्याणजी पेढी को पहाड़ खरीदने की प्रेरणा दी और पेढी ने भी प्राचीन
फरमान आदि देखकर अनुकूल देखा ता. ९-३-१९९८ के दिन दो लाख बयालीस हजार राजा को देकर पारसनाथ
पहाड खरीद लिया। जिससे पहाड फिर से जैन श्वेतांबर संघ के आधीन आया। इन महानुभावों का सहयोग प्रशंसनीय है।
वि. सं. १९८० में आगमोद्धारक पू. आ. श्री सागरानंद सू. म. यहां पधारे और जीर्णोद्धार की प्रेरणा की। उनके समुदाय के पू. सा. श्री रंजन श्रीजी म. के तथा सा. श्री सूरप्रभाश्रीजी म. के प्रयास से सं. २०१२ में जीर्णोद्धार शुरु हुआ और २०१७ में पूर्ण हुआ। यह तेईसवां उद्धार था । अभी सम्मेदशिखरजी की ३१ देरियां, जलमंदिर, गंधर्व नाला की धर्मशाला, मधुवन की जैन कोठी तथा मधुवन के सभी श्वेताम्बर जैन मंदिर, भोमियाजी का मंदिर
और धर्मशालाकी व्यवस्था अजीमगंज निवासी स्व. सेठ
श्री महाराज बहादुरसिंहजी दुगड के सुपुत्रों की देखरेख में
है। पहाड़ का प्रबंध सेठ आनंदजी कल्याणजी पेढी के हाथ में है ।
इस पवित्र और महान तीर्थ की खूब महिमा है। आज भी यह बहुत बड़ी यात्रा गिनी जाती है।
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सुबह साढ़े चार बजे लकड़ी साथ लेकर प्रारंभ करते हैं और फिर उतरते हुए सांय के चार बज जाते हैं। भोमीयाजी के मंदिर से थोड़ी दूर जाते ही पहाड़ की चढाई शुरु हो जाती है। यात्रा प्रवास में ६ मील चढ़ाई, ६ मील परिभ्रमण और ६ मील उतरना कुल १८ मील का रस्ता होता है ।
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श्री अरनाथजी टोंक - पादुका
श्री नेमिनाथ टोंक- पादुका
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५१२)
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श्री मल्लिनाथजी टोंक
पादुका
श्री सुविधिनाथजी टोंक - पादुका
प्रथम भोमियाजी मंदिर में श्रीफल चढ़ाकर आगे जाते हैं। २ मील चलने पर गंधर्व नाला आता है। वहां हमेशा पानी रहता है। यहीं एक श्वेताम्बर धर्मशाला है। वहां गरम पानी की व्यवस्था रहती है। यात्री यात्रा कर वापिस यहां आते हैं तब कोठी की तरफ से भाता मिलता है।
यहां से चढ़ाई कुछ कठिन है। थोड़ा जाने पर दो रास्ते आते हैं। बायें रास्ते श्री गौतम स्वामीजी की टुंक होकर
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श्री श्वेतांवर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
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श्री श्रेयांसनाथजी टोंक - पादुका
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जलमंदिर जा सकते हैं और दायें हाथ पर डाक बंगला होकर श्री पार्श्वनाथजी टोंक पर पहुंच सकते हैं। परंतु चढ़ाई के समय जलमंदिर और आते समय पार्श्वनाथ टोंक होकर जाना अनुकूल पडता है।
जलमंदिर के मार्ग पर आधा मील जाने पर कलकलमनोहर आवाज करता सीतानाला आता है। आगे जाते चढ़ाई आधी है परन्तु वह सरल हो सके इसलिए ५०० सीढ़ियां बनाई है। ढाई मील जितना चढ़ने पर तीर्थंकर भगवंत के निर्वाण स्थानो पर निर्मित टुंकों के दर्शन होते हैं। कितनी ही टोंके समतल में है व कितनी ही टोंके टेकरीयों के उपर है।
(१) पहली टोंक लब्धि के भंडार श्री गौतम स्वामी की है । उनका निर्वाण राजगृही या गुणीयाजी है यहां चरण स्थापित किये हैं।
(२) आगे जाते दूसरी टोंक सतरहवें श्री कुंथुनाथजी भगवान की है चैत्र वद पडवा के दिन एक हजार मुनियों के साथ भगवान यहां निर्वाण को प्राप्त हुए हैं।
(३) आगे तीसरी टोंक श्री ऋषभानन जिन की है। (४) चौथी टोंक श्री चंद्रानन जिनकी है।
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निहार विभाग
(५) पांचवीं टोंक इक्कीसवें श्री नमिनाथ भगवान की है। यहां चैत्रवदी १० के दिन ५३६ मुनियों के साथ भगवान मोक्ष पधारे हैं।
(९) नवीं टोंक नवमें श्री सुविधिनाथ भगवान की है। यहां भगवान भादवा सुदी नवमीं को एक हजार मुनियों के साथ मोक्ष गये हैं।
(६) छठी टोंक अठारहवें अरनाथ भगवान की है। यहां मगसिर सुदी १० के दिन एक हजार मुनियों के साथ प्रभुजी मोक्ष पधारे हैं।
(१०) दशवीं टोंक छठे श्री पद्मप्रभ स्वामी की है। प्रभु ३६० मुनियों के साथ कार्तिक वदी ११ को मोक्ष पधारे हैं।
(७) सातवीं टोंक उन्नीसवें श्री मल्लिनाथ भगवान की है। फाल्गुन सुद बारस को ५०० मुनियों के साथ प्रभु मोक्ष गये हैं।
(११) ग्यारहवीं टोंक बीसवें श्री मुनिसुव्रत स्वामी की है। यहां भगवान एक हजार मुनियों के साथ वैशाख वदी नवमीं को मोक्ष पधारे हैं। अब आगे ऊंची और कठिन टोंक पर यहां से जाते हैं।
(८) आठवीं टोंक ग्यारहवें श्री श्रेयांसनाथ प्रभुजी की है। यहां भगवान अषाढ वद तीज को एक हजार मुनियों के साथ मोक्ष पधारे हैं।
(१२) बारहवीं टोंक आठवें श्री चंद्रप्रभ स्वामी की है। यहां से भगवान एक हजार मुनियों के साथ श्रावण वद की सप्तमी को मोक्ष गए हैं।
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श्री पद्मप्रभुजी टोंक - पादुका
श्री अनंतनाथजी टोंक - पादुका
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग
श्री शीतलनाथजी टोंक - पादुका
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श्री मुनिसुव्रत स्वामी टोंक - पादुका
श्री चंद्रप्रभुजी टोंक
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श्री वासुपूज्य स्वामी टोंक - पादुका
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बिहार विभाग 參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參警警
श्री संभवनाथजी टोंक- पादुका
श्री अभिनंदन स्वामी टोंक- पादुका
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(१३) तेरहवीं टोंक श्री आदिनाथ प्रभुजी की है। भगवान अष्टापद से मोक्ष पधारे हैं। परंतु इस महान तीर्थ पर आकर सभी दर्शन कर सके इसलिए चरण पादुका यहाँ विराजमान की है।
(१४) चौदहवीं टोंक चौदहवें श्री अनंतनाथ प्रभुजी की है। चैत्र सुद पंचमी को ७०० मुनियों के साथ प्रभु यहां से मोक्ष पधारे हैं।
(१५) पंद्रहवीं टोंक दसवें श्री शीतलनाथ भगवान की है। प्रभुजी यहाँ से चैत्र वद दोज को १००० मुनियों के साथ मोक्ष गये हैं।
(१६) सोलहवीं टोंक तीसरे श्री संभवनाथ प्रभुजी की है। यहां से प्रभुजी चैत्र सुद पंचमी को १००० मुनिवरों के साथ सिद्धगति को प्राप्त हुए हैं।
(१७) सत्रहवीं टोंक बारहवें श्री वासुपूज्य स्वामी की है। प्रभुजी चंपापुरी में शिव सुख को प्राप्त हुए हैं। यहां यात्रियों के दर्शनार्थ चरण पादुका स्थापित की है।
(१८) अठारहवीं टोंक चौथे श्री अभिनंदन स्वामी की है। एक हजार मुनिवरों के साथ वैशाख सुद अष्टमी को । प्रभुजी ने शिव सुख का वरण किया है।
श्री शुभगणधरजी टोंक- पादुका
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(१९) अब आगे उन्नीसवीं टोंक जो प्रमुख है वह जलमंदिर आता है। यहां मूलनायक तेईसवें श्री शामलिया पार्श्वनाथ भगवान है। प्रभुजी की प्रतिमा बहुत सुंदर है । पहाड़ों की गोद में मंदिर महल जैसा लगता है । चारों तरफ हरियाली है। यहां स्नान, सेवा-पूजा की उत्तम व्यवस्था है। पास में दो कुंड है । पर्वत का चालु जल प्रवाह इस कुंड में बहता रहता है। और दो छोटी धर्मशालाएं हैं।
(२०) यहां से आगे जाते श्री शुभ गणधर की बीसवीं टोंक आती है।
(२१) इक्कीसवीं टोंक पंद्रहवें श्री धर्मनाथ भगवान की है। प्रभुजी जेठ सुदी पंचमी को १०८ मुनिराजों के साथ मोक्ष पधारे हैं।
(२२) बाईसवीं टोंक शाश्वता श्री वारिषेण प्रभुकी है। (२३) तेईसवीं टोंक श्री वर्धमान शाश्वत जिन की है।
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
(२४) चौबीसवीं टोंक पांचवें श्री सुमतिनाथ प्रभु की है। प्रभुजी यहाँ से चैत्र सुदी नवमीं के दिन एक हजार मुनियों के साथ मोक्ष पधारे हैं।
(२५) पच्चीसवीं टोंक सोलहवें श्री शांतिनाथ भगवान की है। वैशाख वदी तेरस के दिन ९०० मुनियों के साथ भगवान यहां से मोक्ष पधारे हैं।
(२६) छब्बीसवीं टोंक श्री महावीर भगवान की है। प्रभुजी पावापुरी में मोक्ष पधारे हैं । दर्शनार्थ यहां चरण स्थापित किए हैं।
(२७) सत्ताईसवीं टोंक सातवें श्री सुपार्श्वनाथ प्रभुजी की है। प्रभुजी माह वद सप्तमी को ५०० मुनियों के साथ यहां से मोक्ष पधारे हैं।
(२८) श्री विमलनाथजी है। और वह ६००० मुनि के साथ जेठ वदी सप्तमी के दिन मोक्ष पधारे।
श्री जलमंदिर सन्मुख दर्शन
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बिहार विभाग
(५१७
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श्री धर्मनाथ टोंक- पादुका
जलमंदिर मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
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श्री वर्धमान स्वामी टोंक- पादुका
श्री सुमतिनाथजी टोंक - पादुका
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५१८)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २ MARATION
राय
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श्री शाश्वतजिन वारिषेणजी टोंक- पादुका
श्री शांतिनाथजी टोंक- पादुका
श्री महावीर स्वामी टोंक- पादुका
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श्री सुपार्श्वनाथजी टोंक- पादुका
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बिहार विभाग
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श्री बिमलनाथजी टोंक पादुका
(२९) उन्तीसवीं टोंक दूसरे श्री अजितनाथ प्रभु की है। वह चैत्र सुदी पंचमी को १००० मुनियों के साथ मोक्ष गये हैं।
(३०) तीसवीं टोंक बाईसवें श्री नेमिनाथ प्रभु की है। प्रभुजी गिरनार तीर्थ से मोक्ष पधारे हैं। दर्शनार्थ यहां चरण स्थापित किए हैं।
यहां से आगे दो टोंक दिखती है वह सर्वोच्च अंतिम टॉक है। जिसका शिखर ३०-४० मील दूर से दिखता है।
(३१) यह इक्तीसवीं टोंक तेईसवें श्री पार्श्वनाथ प्रभुजी की है इसको मेघाडंबर टोंक भी कहते हैं। इस टोंक पर दो मंजिल का शिखरबंदी मंदिर है। नीचे की मंजिल में श्री पार्श्वनाथ प्रभुजी के चरण स्थापित हैं। पार्श्वनाथ भगवान श्रावण सुदी अष्टमी को यहां तेतींस मुनियों के साथ मोक्ष पधारे हैं।
इन प्रभुजी के नाम से इस पहाड का सर्व साधारण जगत में भी पार्श्वनाथ पहाड नाम पड़ा है। इस टोंक पर से चारों तरफ नजर करने पर मनोहर दृश्य दिखते हैं।
श्री अजितनाथजी टोंक - पादुका
(५१९
यह शिखर बादलों के साथ बात करता हुआ लगता है। वनस्पति से भरपूर है और अनेक जडीबूटियों का यह भंडार गिना जाता है।
यात्रीगण पार्श्वनाथ प्रभुजी, पारसनाथ बाबा, पारसनाथ महादेव कहकर संबोधित करते हैं। पोष दशमी पर्व ( गु. मागशर वद १०) को प्रभुजी के जन्म कल्याणक के दिन जैनेतर भी भारी संख्या में आते हैं।
यहां से दर्शन आदि करके मधुवन की तरफ जा सकते हैं। थोडी दूर डांक बंगला है। वहां से दायीं तरफ निमिया घाट का रास्ता है । और बायीं तरफ मधुवन का रास्ता है । मधुवन आकर फिर से भोमियाजी के दर्शन करके विश्राम करना होता है। यहां पहुंचते दोपहर के ३-४ बज जाते हैं।
यहां हर वर्ष मगशिर वद १० को तथा फाल्गुन सुदी पूर्णिमा को मेला लगता है। जैन जैनेतर भारी संख्या में आते हैं।
मधुवन में आठ श्वेताम्बर मंदिर, दो दादावाड़ी है और भोमियाजी का मंदिर है। दिगंबर बीसपंथी के आठ तथा दिगंबर तेरापंथी के नौ मंदिर हैं।
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
श्री नेमिनाथजी टोंक- पादुका
श्री पार्श्वनाथजी भोयरे में पादुका
श्री हरदस्तरगळीयाnagig
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हार काशीविदESI
श्री पार्श्वनाथजी टोंक- पादुका
श्री भोमियाजी
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बिहार विभाग
श्री मधुवन मंदिरजी
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समेतशिखरनी जातरा नित्य करीये, नित्य करीये रे नित्य करीये, नित्य करीये तो दुरित नीहरीये, तरीये संसार ॥समेत ।।१।। शिववधू वरचा आवीया मन रंगे, बीश जिनवर अति उछरंगे, गिरि चढीया चढते रंगे, करवा निजकाज || समेत ॥ २॥ अजितादि वीश जिनेश्वरा वीश ट्रंके, कीधुं अणसण किरिया न चूके; ध्यान शुक्ल हृदयथी न मूके, पाया पद निरवाण । समेत ॥ ३ ॥ शिवसुख भोगी ते थचा जिनराया, भांगे सादि अनंत कहाया; पर पुद्गल संग छोडाया, धन्य धन्य जिनराय ।। समेत ।।४।। तारण तीरथ तेहथी ते कहीये, नित्य तेहनी छायामां रहीये तो सुखिया थईओ, बीजुं शरण न कोय । समेत ॥५॥ ओगणीसें बासठ माघनी वदि जाणो, चतुर्दशी श्रेष्ठ वखाणो; हमे भेट्यो तीरथनो राणो, रंगे गुरुवार ।। समेत ।। ६ ।। उत्तम तीरथ जातरा जे करशे, वली जिन आज्ञा शिर धरशे; कहे वीरजय ते वरशे, मंगल शिवमाल ।। समेत ।।७।।
मधुवन से पास का रेल्वे स्टेशन गिरिडीह लगभग २५ कि.मी. है और पार्श्वनाथ ईसरी बाजार लगभग २२ कि.मी. होता है। जहां से बस टेक्सी मिलती है। मधुवन का वस स्टेन्ड धर्मशाला से नजदीक है। गिरिडीह तथा पाश्र्वनाथ ईसरी बाजार में भी स्टेशन से पास में सुविधा युक्त जिनमंदिर तथा धर्मशाला है । श्वेताम्बर धर्मशाला में भोजनशाला भी है।
गिरीडिह में एक सुंदर मंदिर है तथा रामबहादुर धनपतसिंहजी द्वारा निर्मित सुंदर विशाल धर्मशाला है।
जैन श्वेताम्बर कोठी मु. मधुवन, पो. शिखरजी गिरिडीह (बिहार) तार टेलीफोन ईसरी बाजार, गिरिडीह
आज सकल दिन उग्यो हो, श्री सम्मेतशिखर गिरि भेटीयो रे; कांई जाग्या पुण्य अंकुर, भूल अनादिनी भांगी हो; अब जागी समकित वासना रे, कांई प्रगट्यो आनंद पूर ॥ आज ।।१।। विषम पहाडनी झाड़ी हो, नदी आडी ओलंघी घणी रे; कोई ओलंघ्या यह देश, श्री गिरिराजने निरखी हो; मन हरखी दुःखडां विसर्या रे, कांई प्रगट्यो भाव विशेष ॥ आज. ॥२॥ वीसे टुके भगते हो, वली वीसे जिनपतिरे में भेट्या धरी बहु भाव, शामला पासजी हो; तव ध्रुज्या मोहादिक रिपुरे, ओ तीरथ भव जल नाव ।। आज ।। ३ ।। तीरथ सेवा मेवा हो, मुज वो लेवाने धणुं रे, ते पूरण पाम्यो आज त्रण भुवन ठुकराई हो, मुज आई सघली हाथमां रे, कांई सिध्यां सघलां काज || आज ।।४।। आश पास मुज पूरे हो, दुःख चूरे शामलीयो सदा रे; त्रेवीशमो जिनराज, अ प्रभुना पदपदमे सुखसद्य, मुज मन मोहीयुं रे कवि रूपविजय कहे
आज । आज ॥५॥
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
।
१३. श्री झरीया तीर्थ
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मूलनायक : श्री महावीर स्वामी
बहुत प्राचीन प्रतिमा है। शिखरबंधी जिनमंदिर है। उसमें सं. २०१० में प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजयरामचंद्र सूरीश्वर जी म. की निश्रा में हुई है। सं. २०५२ में जीर्णोद्धार करके पू. आ. श्री विजय प्रभाकर सूरीश्वरजी म. की निश्रा में ध्वजादण्ड की प्रतिष्ठा हुई है।
मूलनायक श्री महावीर स्वामी
।
१४. श्री राची तीर्थ
मूलनायक : श्री नमिनाथजी
प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजय भुवन सू. म. की निश्रा में हुई है। पास के २ प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा सं. २०५२ में पू. आ. श्री विजय प्रभाकर सू. म. की निश्रा में हुई है। और उनकी निश्रा में श्रीमती छोटीबाई मोहनलाल रामपुरिया परिवार तरफ से अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव हुआ है।
१०८ पार्श्वनाथजी के नामों में यह नाम भी है।
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मूलनायक श्री नमिनाथजी
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उत्तर प्रदेश
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दिल्ही
हस्तिनापुर
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मेरठ
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मथुरा अलीगढ़
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गाझी आबाद आहिर छत्र
विशीरीपुर
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गांव
१. चंद्रपुरी तीर्थ
२. सिंहपुरी तीर्थ
३. भेलुपुर तीर्थ वाराणसी
४. भदेनी तीर्थ
५. कौशाम्बी तीर्थ
६. पुरिमताल तीर्थ
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पेज नं.
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रत्नपुरी
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उत्तर प्रदेश
गांव
रत्नपुरी तीर्थ
अयोध्या तीर्थ
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७.
८.
९. श्रावस्ति (सावत्थि ) तीर्थ
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अल्हाबाद 333 [सिंहपुरी भी भदैनी
पुरिमताल
श्रावस्ति
१०. कम्पीलपुर (कंपिलाजी) तीर्थ
११. हस्तिनापुर तीर्थ १२. मथुरा तीर्थ
अयोध्या
पेज नं.
फेझी आबाद
गोरखपुर
भेलपुर वारासणी
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५३८
चन्द्रपुरी
क्रम
गांव १३. शीघ्रपुरी तीर्थ
१४. आगरा तीर्थ
१५.
मेरठ तीर्थ
१६.
कानपुर तीर्थ
१७. लखनौ तीर्थ
पेज नं.
५३९
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५४१
५४२
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Oपारसनाथका किल्ला
नगीना
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उत्तर प्रदेश हस्तिनापुर श्री शांतिनाथ, श्री अरनाथ और श्री कुन्थुनाथ भगवानके चार कल्याणक
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हस्तिनापुर
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मेरठ
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बडागांव
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११८ कम्पिलाजी
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मथुरा ०५४
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NH-280 /लखनौ १२५
फेझीआबाद
___ १२८ NH-28- गोरखपुर -20 अयोध्या
O.० १२१ ९५/ NH- 2शीकोहाबाद/
१३५०
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शोरीपुर
२५० २१
मकानपुर
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NH-3
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भोगनीपुर
NH-2
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सिंहपुरी
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अल्हाबाद १२२२०२३ चन्द्रपुरी
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कौशाम्बि
झांसी।
जबलपुर की ओर (M.P.)
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ललितपुर
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तीर्थस्थाने
| वाया सागर नरसींहापुर
पुरिमताल :- श्री आदेश्वर भगवान केवलज्ञान
चन्द्रपुरि :- श्री चन्द्रप्रभुजीके चार कल्याणक सींहपुरी :- श्री श्रेयांसनाथके चार कल्याणक
भदैनी :- श्री सुपार्श्वनाथके चार कल्याणक पभोषा :- श्री पद्मप्रभुजीके दीक्षा केवलज्ञान
भैलुपुर :- श्री पार्श्वनाथके चार कल्याणक कौशाम्बि :- श्री पद्मप्रभुजीके च्यवन एवं जन्म
श्रावस्ति :- संभवनाथजीके चार कल्याणक रलपुरि :- श्री धर्मनाथजीके चार कल्याणक
कम्पिला :- श्री विमलनाथके चार कल्याणक शौरिपुर :- श्री नेमनाथजीके च्यवन एवं जन्म . अयोध्या :- श्री आदेश्वर भगवानके च्यवन, जन्म, दीक्षा एवं श्री अजीतनाथ, श्री सुमीतनाथ,
श्री अंनतनाथ, श्री अभिनंदन स्वामिके चार कल्याणक हस्तिनापुर - श्री शांतिनाथ श्री अरनाथ श्री कुन्थनाथजीके चार कल्याणक
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
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उत्तर प्रदेश
१. श्री चंद्रपुरी तीर्थ
मूलनायक श्री चंद्रप्रभ स्वामी
यह तीर्थ स्थल चंद्रावती गांव के पास गंगा नदी के किनारे पर है। इसको चंद्रोटी भी कहते हैं।
यह तीर्थ आठवें तीर्थंकर चंद्रप्रभ स्वामी के नाम से प्रसिद्ध है। उनके गर्भ, जन्म दीक्षा और केवलज्ञान ये चार कल्याणक यहां हुए हैं।
श्री जिन प्रभ सू. म. ने चौदहवीं सदी में विविध तीर्थकल्पों की रचना की है उसमें इस तीर्थ का उल्लेख है । पास में
श्री सिंहपुरी जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री श्रेयांसनाथजी
हीरावणपुर गांव में यह तीर्थ है। यहां श्री श्रेयांसनाथ प्रभुजी के गर्भ, जन्म, दीक्षा और के वलज्ञान चार कल्याणक हुए हैं । यह स्थान सारथान कहलाता है वह श्री श्रेयांसनाथ का अपभ्रंश हुआ हो ऐसा बनता है। यहां १०३ फुट ऊंचा अष्टकोण स्तूप है जो २२०० वर्ष पुराना माना जाता है। वह सम्राट अशोक के पौत्र श्री संप्रति राजा द्वारा श्री श्रेयांसनाथ प्रभुजी की कल्याणक भूमि को स्मृति रूप बनाता है। यह स्तूप अभी पुरातत्त्व खाते की देखरेख में है। संशोधन से विशेष जानकारी मिल सकती है। यहां भूगर्भ में से प्राप्त होने वाले शिलालेखों से भी इस
बहुतसी टेकरियां हैं शोधकार्य करते बहुत प्राचीन सामग्री प्राप्त हो ऐसा है। यहां प्राचीन टेकरी है उसको खोदने पर यह मंदिर मिला है।
२. श्री सिंहपुरी तीर्थ
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"श्रीमहावीर जैन आराधना गांधीनगर पि ३८२००
पास का रेल्वे स्टेशन बनारस २३ कि.मी. है। बनारस गाजीपुर मुख्य सड़क पर जाते रोड से ९ कि.मी. अंदर है धर्मशाला है। मु. चंद्रावती (जि. वाराणसी) उत्तरप्रदेश |
स्तूप के संबंध में जैन धर्म संबंधी उल्लेख मिलते हैं। यहां मृग उद्यान है उसकी प्राचीनता भी शोधनीय है। चौथी सदी में फाहियान और सातवीं सदी में ह्वेनसांग इन चीनी यात्रियों ने इस स्थान का वर्णन किया है।
ग्यारहवीं सदी में यह स्थान मोहम्मद गजनवी के आधीन था उसके बाद कन्नोज के राजा गोविंदचंद्र की रानी कुमार देवी ने यहां धर्मचक्र जिनविहार बनाया था। सं. १९९४ में शहाबुद्दीन घोरी के सेनापति कुतुबद्दीन ने यहां मंदिरों का नाश किया था। उस समय दो विशाल स्तूप बचे हैं एक-एक श्वेताम्बर, दिगंबर, बौद्ध मंदिर तथा एक स्तूप है ।
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इस स्तूप का भारत सरकार सिंहत्रयी ने राज्य चिह्न के रूप में मान्य करके धर्मचक्र को राष्ट्र ध्वज उपर अंकित किया है और श्रमण संस्कृति को बहुमान दिया है। बनारस छावनी स्टेशन से ८ कि.मी. है साधन उपलब्ध है सारनाथ स्टेशन तथा चौराहे से डेढ़ कि. मी. अंदर हीरावणपुर गांव में है वाहन मंदिर तक जा सकते हैं। रुकने के लिए धर्मशाला है । मु. सिंहपुरीजी, हीरावणपुर (पो. सारनाथजी) जि. वाणारसी (उ. प्र. )
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-२
। ३. श्री भेलुपुर तीर्थ वाराणसी ।
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी बनारस शहर में बेलुपुर मोहल्ले में यह तीर्थ है।
श्री पार्श्वनाथ प्रभुजी के चार कल्याणक गर्भ, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान यहाँ हुए हैं श्री बुद्ध यहां आये तब श्री पार्श्वनाथजी भगवान के अनेक शिष्यों की उनसे मुलाकात हुई थी ऐसा उल्लेख है।
प्राचीन मंदिर जीर्ण होने के बाद बहुत अवशेष पुरातत्त्व विभाग में स्थानिक भारतीय कलाभवन में है जो उसकी प्राचीनता बताते हैं। चौदहवीं सदी में श्री जिनप्रभ सू. द्वारा रचित विविध तीर्थकल्प में श्री पार्श्वनाथ मंदिर के पास तालाब का उल्लेख किया है वह इस भेलुपुर मंदिर का है जीर्णोद्धार के समय मूलनायक के रूप में नयी प्रतिमा विराजमान की है प्राचीन प्रतिमा परिक्रमा में विराजमान है। सुंदर है उनको प्राचीन मूलनायक गिना जाता है। इसके 'अलावा श्वेतांबर के १२ मंदिर है।
. यह तीर्थ पार्श्वनाथजी भगवान के जीवन के प्रसंगों के साथ बना हुआ है। सर्प को नवकारमंत्र सुनाया वह धरणेन्द्र बना । वाराणसी चार भाग में बसा हुआ है। (१) देव वाराणसी में विश्वनाथ मंदिर है। (२) विजय वाराणसी में भेलूपुर जैन मंदिर है। (३) मदन वाराणसी मदनपुरा के नाम से जाना जाता है। (४) राजधानी वाराणसी जहाँ मुसलमानी बस्ती बहुत है। राजघाट तथा दूसरे स्थानों पर खोदकार्य करते उसमें पाषाण तथा धातु के अनेक कलात्मक प्राचीन जैन प्रतिमाएँ मिली है। जो कलाभवन में है। वाराणसी रेल्वे स्टेशन से ३ कि.मी. है मंदिर तक कार, बस आ सकती है। पास में धर्मशाला है। . काशी बनारस में नौ मंदिर है कठोर बाजार में श्री यशोविजयजी जैन पाठशाला है उसमें पार्श्वनाथ मंदिर है. रामघाट में चिंतामणि पार्श्वनाथ मंदिर है भंडार में परवाला कसोटी की प्रतिमाएं हैं।
बी २०/४६, भेलुपुर (वाराणसी) उ.प्र.)
४. श्री भदेनी तीर्थ
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तृतीया"
मूलनायक श्री सुपार्श्वनाथजी - यह तीर्थ भेलुपुर (वाणारसी) डेढ़ कि.मी. गंगानदी के किनारे पर है जिसको जैनघाट कहा जाता है। वाणारसी का एक अंग है।
यहीं सातवें श्री सुपार्श्वनाथ प्रभुजी के गर्भ, जन्म, दीक्षा, केवलज्ञान ये चारों कल्याणक यहां हुए हैं। पूर्वकाल में अनेक मंदिर भी इन कल्याणकों के महत्त्व के कारण है। सुंदर शांत वातावरण है। वाराणसी रेल्वे स्टेशन ४ कि.मी. है। मंदिर से थोडी दुरी पर पार्किंग है। भेलुपुर (वाराणसी) उतर कर यहां आना सुविधाजनक है। मु. जि. बनारस (उ.प्र.)
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उत्तर प्रदेश
।
५. श्री कौशाम्बी तीर्थ
)
मूलनायक श्री पद्मप्रभस्वामी
यह तीर्थ यमुना के किनारे पर बसे हुए गढवा कोशल ईनाम गांव से एक कि.मी. दुर है। ___ यहां पद्मप्रभ स्वामी के गर्भ, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान ऐसे चार कल्याणक हुए हैं। प्रभु महावीर के समय में यहां शतानिक राजा थे उनकी पुत्री चंदनाबाला के रूप में प्रसिद्ध हुई है। प्रभु महावीर अनेक बार यहां पधारे हैं।
आर्य महागिरजी म. तथा आर्य सुहस्ति सू. म. यहां पधारे हैं। पांचवीं सदी में चीनी यात्री फाहियान ने स्वयं की टिप्पणी में इस नगरी का वर्णन किया है। त्रिषष्टि तथा विविध तीर्थ कल्प में उल्लेख है। सं. १५५६ में पं. हंससोम यहां पधारे तब ६४ प्रतिमाएं थी। १६६१ विनयसागरजी म. और १६६४ श्री जयविजयजी म. ने दो मंदिर गिनाये हैं। १७४७ में पू. सौभाग्य विजयजी म. ने एक जीर्ण मंदिर गिनाया है। यहां भूगर्भ में से अनेक प्राचीन अवशेष निकले हैं।
जो प्रयाग म्यूजियम में है। इस विराट नगरी के ४ मील का किला तथा ३२ दरवाजे थे। ३०-३५ फुट उंची दीवाल आज ध्वस्त हुई दिखती है । भगवान महावीर का अभिग्रह चंदनबाला ने यहीं उडद के बाखले से पारणा कराया था वह प्रभुजी की प्रथम शिष्या बनी थी। ____ कपिल केवली की यह जन्मभूमि है। एक प्राचीन स्तूप है। जो संप्रति राजा द्वारा बनाया कहलाता है। आज इस तीर्थ का उद्धार पू. स्व. आ. भ. श्री विजयभुवन तिलक सूरीश्वरजी म. के शिष्य पू. आ. श्री विजय भद्रंकर सूरीश्वरजी म. के उपदेश से चालु है। धर्मशाला भी बनेगी। पास का रेल्वे स्टेशन अल्हाबाद ६४ कि.मी. है। अल्हाबाद से सरायअकिल ४२ कि.मी. वहां से कौशाम्बी गेस्ट हाउस १८ कि.मी. और वहां से ४ कि.मी. यह स्थान है। धर्मशाला है। विशाल धर्मशाला बन रही है। मु. कौशाम्बी, पो. गढवा, ता. मजनपुर (जि. अल्हाबाद) उ.प्र.
६. श्री पुरिमताल तीर्थ
मूलनायक श्री आदीश्वरजी
यह तीर्थ अल्हाबाद शहर में है। युगादिदेव श्री आदीश्वर प्रभुजी को यहीं केवलज्ञान हुआ था। अयोध्या (वीनिता) नगरी का यह भाग था। पुरितमाल तथा प्रयाग वीनिता नगरी के भाग थे। अकबर के समय में अल्हाबाद नाम पड़ा है। यहां शकटमुख उद्यान में वट के वृक्ष के नीचे श्री आदिनाथ प्रभुजी को केवलज्ञान हुआ था। और पुत्र दर्शन करते आते हुए माता मरुदेवी यहीं केवलज्ञान प्राप्त कर यहीं से मोक्ष गये। वट के नीचे केवलज्ञान हुआ था वहां प्रभुजी के पादुका की सं. १५५६ में पू. हंशसोम विजयजी म. ने दर्शन करने की जानकारी दी है। यह वटवृक्ष त्रिवेणी संगम के पास किले में है। आ. श्री जिनप्रभ सू. म. ने विविध तीर्थ कल्प में यहां श्री शीतलनाथ प्रभु का मंदिर होने की जानकारी दी है।
गंगा यमुना और सरस्वती नदी का यहां संगम होता है। वह त्रिवेणी संगम कहलाता है। हिन्दुओं में प्रयाग तीर्थ कहते हैं। और बारह वर्ष उपरांत यहां मेला भरता है। पुरातत्त्व द्वारा म्यूजियम है। उसमें बहुत संग्रह है। यहां के किले में कीर्ति स्तंभ है। वह संप्रति राजा का है। जिसमें प्रियदर्श संप्रति का उपनाम और रानी का नाम है। सम्राट अशोक ने बनाया ऐसा भी कहा जाता है वह संप्रति के दादा थे। ___ अल्हाबाद रेल्वे स्टेशन से ३.५ कि.मी. दूर है। साधन मिलते हैं। और मंदिर तक जा सकते हैं। मंदिर के पास ही धर्मशाला है। मु. १२० बाई का बाग, ग्वालियर स्टेट मंदिर के सामने, अल्हाबाद (उ.प्र.)
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थन : भाग - २
(
७. श्री रत्नपुरी तीर्थ
PERMIRRETIREOPLANTARAVIORRE
श्री रत्नपुरी जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री धर्मनाथजी
R
पुराने मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
श्री रत्नपुरी दूसरा जैन मंदिरजी
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उत्तर प्रदेश
25
मूलनायक श्री धर्मनाथजी
रोनाही गांव में यह तीर्थ है। यहां श्री धर्मनाथ स्वामी का गर्भ, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान चार कल्याणक हुए हैं। उस समय यह रोनाही गांव रत्नपुरी विराट नगरी थी। प्राचीन मंदिर बने हुए होंगे ? चौदहवीं सदी में विविधतीर्थ कल्प में वर्णन है। आज श्वेतांबर के दो मंदिर है। ग्रामीण लोग धर्मराज कहते हैं और अभिषेक करते हैं। अभी मंदिरों का जीर्णोद्धार मलाड ईस्ट मुंबई श्री रत्नपुरी मंदिर की तरफ से श्रीमती चंद्रावती बालुभाई खीमचंद जवेरी ट्रस्ट तरफ से हुआ है।
पास का रेल्वे स्टेशन सोहावल २ कि.मी. है। अयोध्या से बाराबंकी मार्ग पर यह तीर्थ २४ कि.मी. है। रिक्शा, बस मिलते हैं। मंदिर के पास धर्मशाला है। श्वे. रत्नपुरी पेढ़ी, रोनाही स्टेशन सोहावल (जि. फैजाबाद, उ. प्र. ) मु.
धन्य भाग्य प्रभु अमारा जाग्या
नीरख्या त्रिभुवन तातरे, धर्मनाथ त्राता त्रिलोकना ।
भानु नंदन प्रभु व्रज लंछनधारी, सुव्रतादेवी जस मात रे ।
धर्म १
अष्ट प्रकारे पूजा भावथी करता, माये शिव सुखशातरे । पाणी चंदन फूल धूप दीप पूजा,
अक्षत नैवेद फल वात रे । विधिपूर्वक जेम नदी उतरतो,
नवि मुनिराजने घात रे । पुष्पादिमां पण तेवी तारी आज्ञा, उत्थापे महामिथ्यात रे ।
बोले जिनेन्द्र प्रभु सेवा करतां, मेह महिपति थाये म्हातरे ।
८. श्री अयोध्या तीर्थ
श्री अयोध्या तीर्थ जैन मंदिरजी
धर्म २
धर्म ३
धर्म-४
धर्म- ५
धर्म ६
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(५२९
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
समवशरण
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त्रिगुडु
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उत्तर प्रदेश
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मूलनायक श्री अजितनाथजी
यह तीर्थ सरयू और घाघरा नदी के किनारे बसे अयोध्या शहर के कटरा मोहल्ले में आया है। यह नगरी श्री ऋषभदेव प्रभु के राज्याभिषेक के समय युगलिया का विनय देखकर इन्द्र महाराज ने बसाई थी। उसका नाम विनीता रखा था इस नगरी के इक्ष्वाकु भूमि कोशल कोशला अयोध्या अवध्या रामपुरी साकेतपुरी अवधपुरी आदि नाम पूर्व में हुए हैं। नाभिराजा के पुत्र ऋषभदेव ने युगलीया धर्म का १८ कोटा कोटी सागरोपम का निवारण करके प्रथम राजा बने प्रथम मुनि और प्रथम तीर्थंकर बने ।
ऋषभदेव प्रभु के गर्भ, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान चारो कल्याणक यहीं हुए हैं । पुरितमाल शकटमुख उद्यान में केवलज्ञान हुआ उनके दर्शन कराने माताजी मरुदेवी को ले 'जाते हर्ष के आंसु से नेत्र पटल भीग गये और समवशरण आदि देखकर माता वैराग्य से एकत्व भावना करते केवलज्ञान पाकर मोक्ष पधारे थे। ऋषभदेव प्रभुजी अयोध्या के इतिहास हैं। उनकी गादी पर आये भरत चक्री आदि असंख्य राजाओं ने दीक्षा लेकर मोक्ष या स्वर्ग गये हैं। कोई राजा गादी पर मृत्यु को प्राप्त नहीं हुए।
उनके वंश में ही श्री अजितनाथ प्रभु हुए थे तथा श्री । अभिनंदन स्वामी तथा श्री सुमतिनाथजी तथा श्री अनंतनाथजी के गर्भ, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान कल्याणक ऐसे चार-चार कल्याणक यहां हुए हैं। कुल पांच जिनेन्द्र के चार-चार कल्याणक अर्थात् २० कल्याणक यहां हुए हैं। २४ जिन के १२० कल्याणकों में से २० कल्याणकों की यह पवित्र भूमि है।
राजा दशरथ रामचंद्रजी, लक्ष्मणजी तथा महावीर प्रभु के नवमें गणधर अचलभ्राता तथा सत्यवादी राजा हरिशचंद्र तथा तेरहवीं सदी में हुए आ. भ. श्री पादलिप्तसू. म. आदि की यह जन्मभूमि है ।
मूलनायक श्री संभवनाथजी
यहां श्री संभवनाथ प्रभुजी के गर्भ, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान चार कल्याणक हुए हैं। यहां सहेत महेत नाम के विख्यात अनेक प्राचीन खंडहर हैं।
कोशल देश की यह राजधानी थी। प्रभु महावीर के समय में प्रसेनजित राजा परम भक्त थे। उन्होंने स्वयं की बहन की श्रेणिकराजा के साथ शादी की थी। यह नगरी कुणाल तथा चंद्रिकापुरी से भी जानी जाती है। यहां अनेको जैन मंदिर थे। सम्राट अशोक तथा उनके पौत्र राजा संप्रति ने यहां मंदिर स्तूप बनवाये थे । बुहत्कल्पसूत्र में इस तीर्थ का वैभव बताया है।
हिंदु स्वयं का तीर्थधाम मानते हैं रामचंद्रजी का जन्म स्थान तथा सीताजी के महल को दर्शनीय मानते हैं।
यहां दो मंदिर है। प्राचीन अवशेष बहुत है कटारा स्कूल में खोदकार्य से खंडित जैन प्रतिमा मिली है जो मौर्यकालीन मथुराकला की गिनी जाती है।
यहीं भगवान आदिनाथ के गर्भ और जन्म कल्याणक हुए हैं। चार तीर्थंकरों श्री अजितनाथ (२), श्री अभिनन्दन स्वामी (४), श्री सुमतिनाथ (५), और श्री अनंतनाथ (१४) भगवंतों के गर्भ, जन्म और दीक्षा और केवलज्ञान कल्याणक यहीं हुए थे। इस प्रकार १८ कल्याणक होने का सौभाग्य इस नगरी को प्राप्त हुआ है। प्रथम भगवान आदिनाथ के बड़े पुत्र भरत ने भी यहीं से संपूर्ण ६ खंडों पर विजय प्राप्त करके प्रथम चक्रवर्ती होने का गौरव प्राप्त किया। मर्यादा पुरुषोत्तम रामचन्द्र के कारण अयोध्या को विशेष गौरव मिला। चैत्र वदी ७ से ९ तक यहाँ मेला भरता है।
अयोध्या रेल्वे स्टेशन से कटरा मोहल्ला २ कि.मी. है। स्टेशन पर रिक्शा मिलते हैं। कार, बस मंदिर तक जा सकते हैं। यहां से फैजाबाद ५ कि.मी. है। मंदिर के चौगान में ही धर्मशाला है। मु. कटरा मोहल्ला, अयोध्या, जि. - फैजाबाद (उ. प्र. )
९. श्री श्रावस्ति (सावस्थि) तीर्थ
(५३१
पांचवी सदी में फाहियान तथा सातवीं सदी में हेनसांग नामके चीनी यात्रियों ने भी उल्लेख किया है। ई.स. २०० में राजा मयूरध्वज तथा सं. ९२५ में हंशध्वज, ९५० में मकरध्वज ९७५ में सुघन्वाध्वज सं. १००० में सुहृध्वज हुए यह जैन राजा थे। डॉ. बेनेट तथा डॉ. विन्सन्ट स्मिथ ने जैन राजा गिनाये थे । राजा सुहृद्ध्वज ने आक्रमण हठाकर मुहम्मद गजनवी को पराजित किया था। इस नगरी का नाम सहेत महेत पड़ा उसका उल्लेख नहीं मिलता है।
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५.२)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-2
चौदहवीं सदी में विविध तीर्थ कल्प में श्री जिनप्रभ सू. जो पुरातत्व विभाग के आधीन है। यह स्थान श्री म. ने श्रावस्ति नगरी का नाम महिड लिखा है वह सहेत संभवनाथ प्रभुजी का जन्म स्थान कहलाता है। यहां मीलों महेत के अपभ्रंश हो सकते हैं उस समय विशाल कोट अनेक तक प्राचीन खंडहर देखने को मिलते हैं। प्रतिमाएं देव कुलिकाएं विभूषित जिन भवन बनाये ऐसा श्री शांतिनाथजी, श्री महावीर स्वामीजी आदि तीर्थंकर कहा जाता है। पहले मंदिर के दरवाजे सूर्यास्त समय आरती यहां पधारे हए हैं। श्री केशीमनि तथा श्री गौतमस्वामी का के बाद मणिभद्रके सानिध्य से (चार वीर में होते हैं) स्वयं ।
यहां प्रथम मिलन हुआ था। प्रभु के जंवाई जमाली यहीं के बंध हो जाते थे वार्षिक मेले में एक बाघ आकर बैठता था
थे। गौशाला ने यहीं प्रभु महावीर के उपर तेजोलेश्या छोड़ी और आरती के बाद चला जाता। अल्लाउद्दीन खिलजी के थी। कपिल केवली यहीं से मोक्ष पधारे हैं। समय में इस मंदिर को क्षति पहुंचाई थी ऐसा १८वीं सदी में
श्वेताम्बर मंदिर का निर्माण कार्य चालू है। प. पू. श्री विनयसागरजी तथा श्री सौभाग्य विजयजी ने
यह तीर्थ बलरामपुर बहराईम रोड़ पर है। अयोध्या से लिखा है।
१०९ कि.मी. है। अयोध्या से गोंडा बलरामपुर होकर जाते सहेत महेत के खोदकार्य में एक प्राचीन प्रतिमा तथा
हैं। बलरामपुर स्टेशन से श्रावस्ति गांव १७ कि.मी. है। शिलालेख मिले हैं। जो मथुरा म्युजियम में हैं। सहेत महेत किले के पास एक मंदिर मिला है
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श्री श्रावस्ति जैन मंदिरजी
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उत्तर प्रदेश.
मूलनायक श्री संभवनाथजी
ओ संभव जिनवर सेवं भावे, सेना माताजी तात जितारी,
201
गुण गातां संतोष न थावे ।
कंचन काया हय लंछन धारी ; पूजतां प्रेमे पातिक जावे ।
अजब गजब प्रभु छोडी माया,
ध्यातां तुजने केई शिव पाया;
अगणित अवदात प्रभुजी तारा,
चौंसठ इन्द्रों सेवा करनारा;
मुजने पण तुज ध्यान ज फावे । ओ-२
भक्ति करतां निर्मल थावे ।
लीधो आसरो प्रभुजी व्हारो, स्वामी थईने दुःख निहारो;
श्री कम्पीलपुर जैन मंदिरजी
त्रिभुवन स्वामी सेवक ध्यावे ।
कहुं हुं प्रभुजी साचे साधुं
मुक्त विना कछु नवि यांच जिनेन्द्र तुजने दिलमां लावे ।
१०. श्री कम्पीलपुर (कांपिलाजी) तीर्थ
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५३४)
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त्रिगडु - मूलनायक श्री विमलनाथजी
मूलनायक श्री विमलनाथजी
कम्पीलपुर गांव में यह मंदिर है। श्री विमलनाथ प्रभु के गर्भ, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान ऐसे चार कल्याणक यहां हुए हैं। श्री मुनिसुव्रत स्वामी के समय में ईक्ष्वाकु श्री पार्श्वनाथ दीक्षा लेकर केवलज्ञान को प्राप्त हुए हैं । १०वें चक्रवर्ती श्री हरिषेण यहां हो गए राजाद्रुपद की यह राजधानी थी। पांडुपुत्रों ने यहीं द्रौपदी से विवाह किया था वो यहीं दीक्षा लेकर शत्रुंजय पर्वत पर मोक्ष गये हैं ।
को
एक अघातिया टीला है जहां श्री विमलनाथ प्रभु केवलज्ञान हुआ ऐसा माना जाता है ।
दक्षिण पांचाल देश की यह राजधानी थी। २० मील का घेराव था । अठारहवीं सदी में श्री सौभाग्यविजयजी ने पटियारी नाम बताया है। भूगर्भ में से निकले अवशेष के अनुसार कह सकते हैं कि यहां पूर्व में बहुत जैन मंदिर थे आज एक श्वेताम्बर एक दिगम्बर मंदिर है। श्वेताम्बर मंदिर की प्रतिष्ठा वि. सं. १९०४ में हुई है। यहां पोष सुदी ६ को मेला लगता है।
पास का रेल्वे स्टेशन कायमगंज १० कि.मी. है जहां बस आदि मिलती है। मंदिर तक कार, बस जाती है । धर्मशाला है। मु. कम्पिल (ता. कायमगंज) जि. फरुखाबाद (उ. प्र. )
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
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बरेली जिले में रामपुरा किले के पास अहिछत्रा तीर्थ है। यहां पार्श्वनाथ प्रभु पर कमठ ने उपसर्ग किया और धरणेन्द्र ने भक्ति की यहां सर्प द्वारा छाया करने से अहिछत्रा नाम पड़ा है।
राजा वसुपाल ने जिनमंदिर बनवाया। छट्ठी सदी में राजा हरिगुप्त ने दीक्षा ली ऐसा उद्योतन सू. म. ने कुवलय माला में बताया है । ई. स. ६३० में ह्वेनसांग चीनी यात्री ने ओहि चिताली नाम बताया है। हेमचंद्र सू. म. ने प्रत्यग्रंथ नाम बताया है। चौदहवीं सदी में जिनप्रभ सू. म. ने यहां पार्श्वनाथजी का मंदिर किले के पास अंबिका देवी की मूर्ति तथा विविध तीर्थकल्प में बताया है । कुशान और गुप्तकालीन प्राचीन स्तूप प्रतिमा स्थंभ मिले हैं। अभी बहुत टेकरी और खंडहर खड़े हैं बरेली जिले में वाया ओवला जो रामपुर किले के पास यह तीर्थ है। श्वेतांबर मंदिर अभी नहीं है।
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उत्तर प्रदेश
११. श्री हस्तिनापुर तीर्थ
सन्मुख
श्रीशान्तिनाथजैन श्वेताम्बर मन्दिर
ध्यान जन्मदीan thaलक्षान हस्तिनापुर मेरठ
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श्री हस्तिनापुर मूलस्थान
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५३६)
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
पारणा स्थल मंदिर
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग २
सम्मुख
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उत्तर प्रदेश
(५३७
ऋषभदेव का पारणा - पादुका
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
यह तीर्थ मेरठ जिले में है। यहां श्री ऋषभदेवप्रभुजी का वरसीतप का श्री श्रेयांसकुमार द्वारा ईक्षुरस से आखा तीज को पारणा हुआ था। श्रेयांसकुमार ने यहीं स्तूप बनाया था।
श्री शांतिनाथजी श्री कुंथनाथजी और श्री अरनाथजी तीनों तीर्थंकर तथा चक्रवर्ती थे। उनके गर्भ, जन्म, दीक्षा
और केवलज्ञान ये चारों कल्याणक यहीं हुए हैं। प्रभु महावीर के उपदेश से राजा शिवराज ने जैन धर्म स्वीकार कर दीक्षा ली थी।
संप्रति राजा ने यहीं मंदिर बनवाया था विक्रम सं. ३८६ में श्री यक्षदेव सू. म. तथा २४७ वर्ष पूर्व आ. श्री सिद्धसूरिजी म. वि. सं. १९९ में श्री रत्नप्रभ सू. म. (चोथा) वि. सं. २३५ आसपास आ. ककसू. म. (चोथा) यहां पधारे थे। राजा कुमारपाल ने कुरुदेश जीतकर यहां यात्रा की थी। श्री जिनप्रभ सू. म. सं. १३३५ के आसपास दिल्ली से विशाल संघ के साथ यहां आये थे। उस समय यहां श्री शांतिनाथजी, श्री कुंथुनाथजी और श्री अरनाथजी, श्री मल्लिनाथजी ऐसे चार मंदिर थे। तथा एक अंबिकादेवी का मंदिर था ऐसा उल्लेख है। १७ वीं सदी में श्री विनयसागरजी म. आये उन्होंने पांच स्तूप, पांच मंदिर बताये हैं। सं. १६२७ में खरतर गच्छी आ. श्री जिनचंद्र सू. म. पधारे तब चार स्तूप बताये हैं । १८वीं सदी में श्री सौभाग्य विजयजी ने तीन स्तूप बताये हैं।
जीर्णोद्धार करके वि. सं. २०२१ मगशिर सुदी १० को प्रतिष्ठा हुई है।
विकास योजना में १०८ फुट ऊंचे श्री अष्टापद तीर्थ निर्माण करने का निर्णय हुआ है। जिसमें अष्टापद तीर्थ की ८ सीढ़िया बनेगी और उपर चत्तारी अट्ठ दश हो इस प्रकार चार दिशा में प्रभुजी विराजमान होंगे। इस निर्माण के लिए धनराशि एकत्रित करने के लिए दान स्वीकार करते हैं परन्तु उसमें लक्की ड्रा योजना रखी है। जो आत्म कल्याण की बुद्धि का नाश करती है। अत: यह योजना नहीं करनी चाहिए।
श्रीपार्श्वनाथ प्रभु ने राजा श्रीस्वयंभूको प्रतिबोध करके जैन बनाया था। वह प्रभु के प्रथम गणधर बने थे। बारह में से छ: चक्रवर्तियों की यह जन्मभूमि है। रामायण काल के परशुराम की तथा पांडवों और कोरवों की यह जन्मभूमि है। हर वर्ष कार्तिक सुदी १५ तथा वैशाख सुद ३ को यहां मेला लगता है। अक्षय तृतीया का जुलूस निकलता है। श्री मल्लिनाथजी के समवशरण स्थल पर श्वे. देरीओं में प्रभु के चरण है एक देरी में श्री आदिनाथजी के चरण हैं।
प्राचीन प्रतिमाजी सिक्का शिलालेखों यहां भूगर्भमें से प्राप्त होते हैं। पास का रेल्वे स्टेशन मेरठ ३७ कि.मी. है बस टेक्सी मिलती है। दिल्ली से मेरठ ६० कि.मी. है बस स्टेशन पास में है। श्वेतांबर धर्मशालाएं तथा भोजनशाला है।
श्री हस्तिनापुर जैन श्वे. तीर्थ समिति मु. हस्तिनापुर (जि.-मेरठ) उ. प्र. फोन : ४०. .
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१५३८)
श्री मथुरा तीर्थ जैन मंदिरजी
१२. श्री मथुरा तीर्थ
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
पत्थरने पारस करनारा, प्यारा पारसनाथ जंगल में मंगल करनारा, प्यार पारसनाथ भववनमां हुं रखडी रह्यो छु, नर्क निगोदनां दुःख दह्यो छु ।
दुःखी ने अमृत सींचनारा मोहनागथी मूर्छित थयो छु, विवेक शुद्धि भूली गयो छु ।
अज्ञान तिमिरने हरनारा । अनंत जीवन मारा धूल थयां छे, लाभे कर्मना पुंज रह्या छे,
कर्म ईंधनने बालनारा। जीवन नैया मारी डूबी रही छे, विराट सागरमा हेले चडी छे,
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
प्यारा- १
प्यारा
प्यारा
हे भवसागरथी तारनारा। तारे चरणें हुं जीवन ध समर्पण तन मन वचन करूं छु,
सुकान सोप्युं जिन जयकारा प्यारा तार के डूबाड तारे आधीन छे, तुज पद अमृते मुज मन लीन थे, जपे जिनेन्द्र हे प्रभु प्यारा।
-
प्यारा
३
प्यारा - ४
५
शुभेच्छकः श्रीमती कंचनवेन केशवजी शामजी मारु पू. सा. श्री सुरेन्द्रप्रभाश्रीजी म. के उपवेश से कांदीवली मुंबई
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उत्तर प्रदेश
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मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
यह तीर्थ मथुरा से ४ कि.मी. दूर चोरासी में है सुपार्श्वनाथ प्रभुजी का यह तीर्थ माना जाता है। उनका रत्नजडित सुवर्णमय स्तूप था। श्री पार्श्व प्रभु के समय में उनको ईंटों से ढंकने का और एक मंदिर बनाने का है जो वृहतकल्प में है। राजा उग्रसेन की यह राजधानी और राजमतीकी जन्म भूमि है। श्री पार्श्वनाथजी तथा श्री महावीर स्वामी जी यहां पधारे हैं।
विक्रम आठवीं सदी में श्री बप्पभट्ट सू. म. के उपदेश से देवनिर्मित स्तूप का जीर्णोद्धार हआ है। विविध तीर्थ कल्प में यह नगरी १२ योजन लंबी नौ योजन गहरी लिखी है । हीर सू. म. संघ के साथ यहां पधारे तब सुपार्श्वनाथजी तथा श्री पार्श्वनाथजी के मंदिर तथा जंबुस्वामी प्रभवस्वामी आदि ५२७ साधु-साध्वी के स्तूप होने का लेख है। जंबूस्वामीजी यहीं जंबूवन में तप करते थे। यहीं मोक्ष गये हैं। उस समय ८४ वन थे यह स्थान ८४ तरीकों से प्रसिद्ध है। यहीं नया मंदिर बना है। भरतपुर के
एक श्रावक को स्वप्न से यहां जंबूस्वामी की प्राचीन पादुका मिली थी।
सुपार्श्वनाथ प्रभु के समय में धर्मरुचि और धर्मघोष मुनि मथुरा में भूतरमण उद्यान में कठोर तप करते थे। देवी कुबेरा उनके चरण में पडी। वर मांगने को कहा कुछ नहीं मांगने पर रत्न जडित स्तूप बनाकर रत्नों की मूर्ति विराजमान की। उसमें सुपार्श्वनाथजी मूलनायक थे। विषम काल के भय से वह स्तूप पार्श्वनाथ प्रभु के समय में ईंटों से ढंक दिये गए। यहां दूसरे भी सेंकडों स्तूप थे ऐसा उल्लेख है। श्री कृष्ण का जन्म यहीं कारागृह में हुआ था। श्रीकृष्ण ने कंस को यहीं पछाडा था।
यहां कंठाली टीले में जैन प्रतिमा ताम्रपत्र आदि अमूल्य सामग्री मिली है। मथुरा में एक श्वेताम्बर मंदिर है। मथुरा स्टेशन से ४ कि.मी. है। बस, टेक्सी मिलती है।
यहां से दिल्ली १४५ कि.मी. आगरा ५४ कि.मी. है। धर्मशाला है। मथुरा (उ.प्र.) फोन : ८६७
१३. श्री शौर्यपुरी तीर्थ
श्री शौर्यपुरी जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री नेमिनाथजी
शुभेच्छकः शाह मोहनलालजी दोढीया वसईवाला मलाड - मुंबई
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५४०)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
मूलनायक श्री नेमिनाथजी
यमुना नदी के किनारे बटेश्वर से पहाडी रास्ते पर डेढ़ कि.मी. सौरीपुर गांव में यह तीर्थ है। हरिवंश में यदु राजा था। जिससे यादव वंश चला है। यदु के पौत्र सौरी और वीर थे उन दोनो ने शौरीपुर और सोवीर नगर बसाया सौरी का पुत्र अंधक वृष्णि जिसकी पट्टरानी भद्रा की कोख से समुद्रविजय वसुदेव दस पुत्र कुंती तथा भाद्री दो पुत्रियां हुई। वीर के पुत्र भोजक वृष्णि उनके पुत्र उग्रसेन उनके पुत्र बंधु सुबंधु कंस आदि ६ भाई तथा देवकी तथा राजुलमती दो पुत्रियां हुई समुद्रविजय सौरीपुरमें और उग्रसेन मथुरा में राज्य करते थे। इन समुद्रविजय के भाई वसुदेव ने श्रीकृष्ण और बलराम पुत्र हुए जो बाईसवें तीर्थंकर हुए। उनके गर्भ और जन्म कल्याणक की यह भूमि है। बप्पभट्ट सू. म. के उपदेश से मथुरा की तरह यहां का जीर्णोद्धार हुआ था। विमलचंद्र सू. म. उद्योत सू. म. नेमिचंद्र सू. म. देवेन्द्र सू. म. आदि महान आचार्य यहां पधारे हैं। चौदहवीं सदी में विविध तीर्थकल्प में शंख राजा द्वारा उद्धार कराये जिनालय में श्री नेमिनाथजी की प्रतिमा थी ऐसा उल्लेख है।
'हीर सौभाग्यके' कर्ता सिंहविमलगणि के पिता संघवी सेहिले १७वीं सदी में श्री नेमिनाथजी की प्रतिमा बनवाने का उल्लेख है । प्रतिष्ठा १६४० में आ. श्री हीर सू. म. के शिष्य उ. कल्याणविजयजी उनके शिष्य जयविजयजी यात्रा करने पधारे तब यहां सात मंदिर थे ऐसा उल्लेख है।
सौर्यावतंसक उद्यानमें भगवान महावीर एक मच्छीमार को उसका पूर्व जन्म कहकर प्रतिबोधित किया था। यहां के प्राचीन लेख, प्रतिमा, सिक्के वि. सं. १८७० में आगरा ले जाने का उल्लेख है। __बड़ा रेल्वे स्टेशन आगरा फोर्ट ७५ कि.मी. है। पासमें शिकोराबाद २५ कि.मी. है। वटेश्वर से ५ कि.मी. है। वाह
से ८ कि.मी. है। सुरक्षा की दृष्टिसे सुबह जाना योग्य है। • ठहरने के लिए धर्मशाला है।
सौरीपुर श्वे. तीर्थ पेढ़ी, सौरीपुर (पो. वटेश्वर) जि.आगरा (उ.प्र.)
।
१४. श्री आग्रा तीर्थ
蜂券券券券经频蜂驗塚塚除驗纷纷搬缘聚缘聚缘聚缘缘端券频探
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी 警警參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參
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उत्तर प्रदेश
(५४१
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
रोशन मुहल्ले में यह मंदिर है। प्रतिष्ठा १६७९ में पार्श्वनाथ, श्री चंद्रप्रभस्वामी, श्री सुविधिनाथजी, श्री हुई है। यहां हीर सू. म. पुराना उपाश्रय है। धर्मशाला नेमिनाथजी, श्री वासुपूज्यस्वामी, श्री महावीर स्वामी इस है । उसके बाद चौमुखजी का मंदिर सीमंधर स्वामी प्रकार १२ मंदिर है। बेलनगंज में लक्ष्मीचंद वैद का सुपार्श्वनाथ मंदिर, भीडभंजन पार्श्वनाथ मंदिर तथा बडे कटरा में मंदिर है। ज्ञान मंदिर धर्मशाला है। आगरा में ताजमहल है। वासुपूज्य स्वामी मंदिर, शांतिनाथजी मंदिर, गोडीजी
१५. श्री मेरठ तीर्थ
मूलनायक श्रीसुमतिनाथ
मूलनायक श्री सुमतिनाथजी
मेरठ जिले का गांव है। धर्मशाला है। हस्तिनापुर से मेरठ ३३ कि.मी. है।
मूलनायक श्री सुमतिनाथजी
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५४२)
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१६. श्री
Spe मूलनायक श्री धर्मनाथजी डेरी के साथ
कानपुर तीर्थ
श्री कानपुर जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री धर्मनाथजी
यह तीर्थ महेश्वरी मोहल्ले में बाबु रघुनाथ प्रसादजी द्वारा बनवाया है। मंदिर मीनाकारी वाला जगमगाता है। मंदिर की छत, थम्भे मीनाकारी की कला के अजोड नमूने है। दीवालों में तीर्थ स्थानों, योग के आसनों, नारकी के दुःखों के तादृश चित्र हृदय को झकझोर देते हैं। मंदिर के पास में
मढे हुए प्राचीन कला के दृश्यों का संग्रह स्थान शिलालेख, प्राचीन गौरव की याद कराता है।
मंदिर के सामने जैन धर्मशाला है। यहां से थोडी दूर एक मंदिर है। २९/६४, महेश्वरी मुहाल, कानपुर
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
श्री धर्मनाथ प्रभुकी स्तुति
धमर धरम धोरी, करमना पास तोरी; केवल श्री जोरी। जेह चोरे न चोरी; दर्शन मद छोरी, जाय भाग्या सटोरी: नमे सुरनर कोरी, ते बरे सिद्धि गोरी ॥ १ ॥
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उत्तर प्रदेश
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१७. श्री लखनौ तीर्थ
श्री लखतो जोत मंदिनी
मूलनायक श्री
मूलनायक श्री
गोमती नदी के किनारे यह प्रसिद्ध शहर है। यहां १४ मंदिर है। मंदिरों में सुंदर चित्रकला है। चुडीवाला गली, सानीटोला, फूलवाली गली, शाहादत गंज आदि में मंदिर है।
मथुरा कंकालीटीला में से निकली प्राचीन भव्य दर्शनीय प्रतिमाएं केशरबाग में है। लखनौ से ५ कि.मी. म्युजियम है। उसमें जैनविभाग है।
प्रथम जिनेश्वर प्रणमीये, जास सुंगधीरे काय, कल्पवृक्ष परे तास ईंद्राणी नयन जे, भुंग पर लपटाय। १ रोग उरग तुज नवि पडे, अमृत जे आस्वाद; तेहथी प्रतिहत तेहमानं कोई नविकरे, जगमा तमशंरेवाद। २ वगर धोई तुज निरमली, काया कंचनवान; नहि प्रस्वेद लगार तारे तुं तेहने, जे धरे तारुं ध्यान । ३ राग गयो तुज मन थकी, तेहमां चित्र न कोय; रुधिर आमिषथी राग गयो तुज जन्मथी, दुध सहोदर होय। ४ श्वासोश्वास कमल समो, तुज लोकोत्तर वाद; देखेन आहार निहार चरम चक्षु घणी, अहवा तुज अवदात । ५ चार अतिशय मूलथी, ओगणीश देवना कीध; कर्म खप्याथी अग्यार, चोत्रीश ओम अतिशया,
समवायांगे प्रसिद्ध । ६ जिन उत्तम गुण गावतां, गुण आवे निज अंग; पद्मविजय कहे ओह समय प्रभु पालजो,
जेम थाऊं अक्षय अभंग प्रथम । ७
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
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किगाला
जीयागंज
सीउरी
सुशीदाबाद
आसनसाल
बंगाल राज्य
क्रम
गांव
पेज नं.
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कलकत्ता तीर्थ कठगोला तीर्थ जीयागंज तीर्थ अजीमगंज तीर्थ
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बंगाल विभाग
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१. श्री कलकत्ता तीर्थ
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मूलनायक श्री मनमोहन पार्श्वनाथजी - भवानीपुर
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मूलनायक श्री शीतलनाथजी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
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बंगाल विभाग
מגירות
बाबु का जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री शीतलनाथजी
यह मंदिर कलकत्ता शहर में शाम बाजार के माणक तले में है। इस मंदिर को बद्रीनाथ टेम्पल और पार्श्वमंदिर कहते
हैं।
यह मंदिर कलकत्ता में लाला कालकादासजी के पुत्र रायबहादुर बद्रीदासजी ने स्वयं की माताश्री खुशालकुंवर की प्रेरणा से बना हुआ है।
विदेशी व्यापार केन्द्र था। जो सप्तग्राम नाम से जाना जाता था परन्तु समुद्र से दूर होने के कारण और सरस्वती नदी सूख जाने से वहां का व्यापार सूता नूरी, गोविंदपुर और कालिकात में आया। सूता नूरी यानि आज का बड़ा बाजार, गोविंदपुर यानि आज का डेल हाउसी स्कवेर हेस्टिंग फोर्ट विलियम है । कालिकात यानि आज का कालीघाट और भवानीपुर है। यह तीनों गांव मिलाकर जोन चारनक नामक अंग्रेज ने कलकत्ता शहर की नींव रखी। इस नगर के सुसम्पन्न बनाने में व्यापार के मुख्य केन्द्र के रूप में विकसित करने में जैन श्रेष्ठीयों का मुख्य हाथ रहा है। उन्होंने धर्म प्रभावना और जनकल्याण के कार्यों में हर समय अग्रणीय कार्य किया है।
रायबहादुर बद्रीदासजी ने मंदिर के लिए भव्य प्रतिमा आज का कलकत्ता ३०० वर्ष पूर्व जंगल था । हुगली की तलाश की। एक महात्मा ने आगरा रोशन मोहल्ले के मंदिर के गर्भगृह में ऐसी प्रतिमा होने का संकेत किया और महात्मा अदृश्य हो गये। सांकेतिक स्थान पर तलाश करते १७ वें सेक मे अधचंद्रपाल द्वारा प्रतिष्ठा हुई यह श्री शीतलनाथजी की प्रतिमा प्राप्त हुई । बहुत विशाल और अद्भुत कला वाला भव्य मंदिर तैयार होने पर ई. सं. १८६७ में पू. आचार्य श्री कल्याणसूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा कराई। इस मंदिर की देखभाल उनका ही परिवार करता है।
९६ केनींग स्ट्रीट में श्री महावीर स्वामी का वीरविक्रम प्रासाद है । उसकी अंजनशलाका प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजयरामचंद्रसूरीश्वरजी महाराज की निश्रा में सं. २०१० में हुई है।
(५४७
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५४८)
मारवाडी मंदिर तुला पहि में है मंदिर बड़ा और भव्य है। भवानीपुर में श्री मंदिर है। इस मंदिर की अंजनशलाका प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजय भुवनभानु सूरीश्वरजी म. की निश्रा में हुई है।
कार्तिक पूर्णिमा को तुला पट्टी से भव्य दर्शनीय रथयात्राजुलूस निकलता है और वापिस वहीं आता है। यह वरघोडा भारत भर में निकलते वरघोड़ों से विशेष सर्वोत्तम मानने में आता है। समेत शिखरजी की सभी यात्रा दूर इस दिन यहां आते हैं और उनकी योजना में दीपावली पावापुरी की ओर पूर्णिमा कलकत्ता की होती है।
यहां कुल ६ मंदिर श्वेताम्बर के हैं। कलकत्ता के हावड़ा स्टेशन से मंदिर ५ कि.मी. है। ठहरने के लिए श्री कुलचंमकीम जैन धर्मशाला ३७ कलाकार स्ट्रीट कलकत्ता ७ है। खानगी भोजनशाला बहुत है।
बद्रीनाथ जैन मंदिर है । बद्रीदास टेम्पल स्ट्रीट माणकतला (शाम बाजार) कलकत्ता ७००००४ (पश्चिम बंगाल)
यात्रिकों के उतरने के लिए चार स्थल है। (१) बडा बाजार सत्यनारायण पार्क के सामने कुलमदिजी मुकाम की धर्मशाला (२) ९६ केनींग स्ट्रीट गुजरात तपगच्छ जैन उपाश्रय (३) अपर सरक्यूलर रोड पर श्री धनसुखलाल जेठमल जैन धर्मशाला (४) नं. ४४ पर दादावाडी ।
२. श्री कठगोला तीर्थ
कठगोला जैन मंदिरजी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग २
I
कलकत्ता के दूसरे मंदिरों (१) तुलापट्टी दो मंजिल का शिखरबंधी शांतिनाथजी का मंदिर है । (२) बरतला स्ट्रीट के छोर पर ४८ वाले मकान में श्री चुनीबाबुका केशरीया भगवान का घर मंदिर है। (३) ९६ केनींग स्ट्रीट में गगनचुंबी देवविमान सदृश श्री बहविक्रम प्रासाद श्री महावीर स्वामी का मंदिर है २००९ में पू. आ. श्री विजयरामचंद्र सूरीश्वरजी म. ने जेठ मास में प्रतिष्ठा की है। (४) धर्मतला में इन्डियन अपर स्ट्रीट नं, ९६ में कुमार होल में श्री आदिनाथ भगवान का घुमटीवाला सुंदर मंदिर है। यहां बाबु पुरणमदजी नहाट का विशाल पुस्तकालय है जिसमें पुराने लेख, ताडपत्र, चित्रपट्ट, सिक्के, शास्त्र आदि विपुल संख्या में है । (५) श्यामबाजार में अपर सरक्यूवर रोड पर मुकीम जैन टेम्पल गार्डन में तीन मंदिर है। एक में श्री पार्श्वनाथजी है। तालाब की पास में महावीर स्वामी पंचायती मंदिर है । (६) राय बद्रीदासजी मुकीम द्वारा बनवाया शीतलनाथ मंदिर रमणीय है। मंदिर की मीनाकारी, चोक की पुतलियां, फरसबंधी तालाब, लीलावाडी दो ऐरावत हाथी वहां अद्भुत है। (७) पास में कपूरचंदजी भोला बाबु का चंद्रप्रभ स्वामी का मनोहर मंदिर है। (८) बाबु हरखमदजी कांकरीया का सातवीं मंजिल पर भव्य मंदिर रसल स्ट्रीट में है।
मूलनायक श्री आदिनाथजी
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बंगाल विभाग
मूलनायक श्री आदिनाथजी
यह तीर्थ जियागंज स्टेशन से ३ कि.मी. है। बरहमपुर मार्ग पर नसीपुर गांव में लगभग ३० एकड विशाल सुंदर बगीचे में यह तीर्थ है। दो मील इस विशाल बगीचे में हर वस्तु की निर्माण शैली सुंदर और दर्शनीय है।
वि. सं. १९३३ में बाबु लक्ष्मीपतसिंह ने स्वयं की मातु श्री महेताबकुंवर की प्रेरणा से विशाल उद्यान के बीच इस भव्य मंदिर का निर्माण किया है। प्रतिमा प्राचीन और सुंदर है। बंगाल की पंचतीर्थी में यह एक तीर्थ स्थान है।
जीयागंज जैन मंदिरजी
यह तीर्थ जीयागंज शहर में मुख्य • मार्ग पर ओसवाल पट्टी में है। यह मंदिर १५० वर्ष पुराना है। प्रतिमा प्राचीन है।
३. श्री जीयागंज तीर्थ
बंगाल पंचतीर्थी में यह तीर्थ स्थान है। मुर्शिदाबाद से यहां अनेक जैन श्रेष्ठी आकर बसे थे। जिससे यह स्थान जैन धर्म का तीर्थ बना था और धार्मिक परोपकार की प्रवृत्तियों का स्थान बना था ।
मूल गर्भगृह के बाहर भव्य द्वारपाल हैं। श्री आदिनाथ जैन मंदिर कठगोला पो. नसीपुर राजवारि पिन ७४२१६०. (जि. मुर्शिदाबाद ) महिमापुर
यहां दूसरे तीन मंदिर है। पास के श्री वासुपूज्यस्वामी के मंदिर में हाथ से बनाये हुए प्राचीन बहुत सुंदर चित्र है।
गोला से १ कि.मी. है वहां कुबेरपति श्री जगत सेठ बंगाल के बेताज बादशाह थे। गंगा किनारे यहां जगत सेठ का कसोटी के पत्थर में नक्काशी वाला मंदिर शोभित होता है। गंगा की प्रचंड बाढ़ ने उसको अस्त-व्यस्त कर दिया उसके अवशेष जगतसेठ की भावना और समृद्धि की याद दिलाते हैं 1
मूलनायक श्री विमलनाथजी
जीयागंज रेल्वे स्टेशन से २ कि.मी. है। रिक्शा मिलते हैं मुर्शिदाबाद ४ कि.मी. और बरहमपुर २० कि.मी. है। यहां उतर कर अजीमगंज, महिमापुर और कठगोला मंदिरों के दर्शन करने जाना सुविधाजनक है। यहां का बस स्टेशन कुल्लतुल्ला दो फलांग की दूरी पर है।
ठहरने के लिए श्री वासुपूज्य स्वामी मंदिर के पास धर्मशाला है। वहां भोजनशाला तथा आयंबिल शाला है। तथा भाता भी दिया जाता है।
मु. ओसवाल पट्टी (जि. - मुर्शिदाबाद) पश्चिम बंगाल ।
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५५०)
- श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
४. श्री अजीमगंज तीर्थ
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
अजीमगंज जैन मंदिरजी मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
यह तीर्थ गांव के मध्य में महाजन पट्टी में है। यह मंदिर १२५ वर्ष पुराना बना हुआ है।
विक्रम की १८ वीं सदी में मुर्शिदाबाद से बहुत से जैन श्रेष्ठी यहाँ आए और यह स्थान आगे बढ़ा। अनेक जैन मंदिर तथा धर्मशाला भी बनवाई। वि.सं. १७५० में पं. सौभाग्य विजयजी म. द्वारा लिखित तीर्थमाला में यहां की समृद्धि और भक्ति का वर्णन है।
यहां के श्रेष्ठियों ने दूसरे स्थानों में भी जिनमंदिर, जीर्णोद्धार तथा धर्मशालाएं बनवाई है। यहां के श्रेष्ठी जागीरदार थे और बाबु के बिरुद को धारण करते थे।
यह तीर्थ बंगाल की पंचतीर्थी में है। रत्नों की प्रतिमाएँ यहाँ उत्तम है। चोरी होने से सुरक्षित स्थान पर रखी हुई है। मंदिर की द्वार शाखा कसोटी के पत्थर में से बनी हुई है। सारे मंदिर कलाकृति वाले हैं। सारे मंदिर दो कि.मी. में आ जाते हैं।
रेल्वे स्टेशन अजीमगंज सीटी है। भागीरथी नदी के किनारे जीयागंज और अजीमगंज बसे हुए हैं।
जीयागंज धर्मशाला है वहां उतरकर नदी पार करके यहाँ आया जाता है। नदी पार करना सरल है। ___ मु. अजीमगंज पिन - ७४२१२२, जि.-मुर्शिदाबाद (पं. बंगाल)
देखी मूर्ति श्री पार्श्व जिननी, नेत्र मारां ठरे छे, ने हैयु मारुं फरी फरी प्रभु ध्यान तारुंधरे छे, आत्मा मारो प्रभु तुझ कने आववा उल्लसे छे, आपो अq बल हृदयमा माहरी आशओछे,
छे प्रतिमा मनोहारिणी दुःखहरी श्री वीरजिणंदनी, • भक्तोने छे सर्वदा सुख करी जाणे खिली चांदनी,
आ प्रतिमा ना गुण भावधरीने जे माणसो गाय छे, पामी सघलां सुख ते जगतमाँ मुक्ति भणी जाय छे,
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आसाम विभाग
आसाम राज्य
१. श्री तेजपुर तीर्थ
मूलनायक श्री गौरी पार्श्वनाथजी
यह मंदिर सन् १८२८ में रायबहादुर श्री मेघराजजी कोठारी ने बनाया है। वह श्रीमान् महासिंहजी के पुत्र थे। और अजीमगंज (बंगाल) के रहने वाले थे। गौहति में भी एक घर मंदिर है।।
यह फोटो भेजने वाले जयसुखभाई संघवी सावरकुंडलावाले हाल गौहती (आसाम) है। गौहति: मूलनायक श्री चंद्रप्रभुजी
यहाँ श्री चंद्रप्रभुजी का घर मंदिर है उसमें धातु की आठ प्रतिमाएँ हैं।
बारगोला, महासिंग मेघराज रोड, फेन्सीबाजार, गौहति - ७८१००१
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
श्री तेजपुर जैन मंदिरजी
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५५२)
हिमाचल प्रदेश
१. श्री कांगडा तीर्थ
ના
વ્યતા જોઇ એનો પુનરુદ્ધાર કરવાનો નિશ્ચય કર્યો. મૂળનાયકની પ્રતિમા સાચે જ ભવ્ય અને દર્શનીય છે.
(૩)શ્રી ઉમેદચંદ બેચરદાસ વકીલ સુરેન્દ્રનગરવાળા પરિવાર श्री कांगडा तीर्थ जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
रावी और सतलज नदी के बीच बसे हुए नयनरम्य कागंडा गांव में यह तीर्थ है। यह तीर्थ स्थान बाईसवें श्री नेमिनाथजी के समय का है। वह वैभवशाली शहर था। यह स्थान बहुत समय तक अदृश्य रहा । पाटण ज्ञान भंडार में से उपलब्ध 'विज्ञप्ति त्रिवेणी' ग्रन्थ में से इस तीर्थ को ढूंढ कर पू. मु. श्री पुण्यविजयजी म. ने पू. आ. श्री वल्लभ सू. म. के पास से अधिक जानकारी लेकर शोध की और वि. सं. १९४७ से यह तीर्थ प्रकाश में आया ।
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग २
होशियारपुर से १०२ कि.मी. है। पठाण कोट रेल्वे स्टेशन ९० कि.मी. है। सं. १९९० में राणकपुर से मूलनायक श्री आदिश्वरजी लाकर यहाँ प्रतिष्ठा की है। आत्मानंद जैन सभा व्यवस्था करती है। स्थान पंजाब का पालीताणा जैसा बन गया है।
यह कांगडा तीर्थ हिमालय प्रदेश में है और यहां प्रणा कांगडा कहलाता है।
इस कांगड़ा के अंदर बहुत ही बड़ा किला है। किला बहुत प्राचीन है परन्तु अभी तो खंडहर हो गया है। इस मंदिर को ५००० वर्ष होने आये हैं ।
यह मंदिर शुशरदिचंद्र कटोचवंश के राजा थे उन राजा ने उस मंदिर की स्थापना की थी।
जब एक मुनिवर ने उस राजा को स्वप्न में ( पालीताणा ) सिद्धाचल के दर्शन कराये जिससे प्रभावित होकर राजा ने यह मंदिर बनवाया ।
इस तीर्थ ने आज विशाल रूप ले लिया है। यहां बहुत ही बडी धर्मशाला और भोजनशाला की व्यवस्था है। कांगडा जाने के लिए रेल्वेमार्ग और बस मार्ग है। दोनो मार्ग से जा सकते हैं। कांगडा का किला सरकार अन्डर में है परन्तु पूजा सेवा की अनुमति प्राप्त है।
धर्मशाला से तलहटी के उपर एक मंदिर है।
श्री श्वे. मू. जैन कांगडा तीर्थ प्रबन्धक कमेटी प्रणा कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)
शुभेच्छक: डॉ. चोथमल वालचंदजी परिवार शिवगंज वाला, जोगेश्वरी - ईस्ट, मुंबई
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हिमाचल प्रदेश
विधा देवी यन्त्र
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
ऋषभ जिनराज मुज आज दिन अति भलो, गुण नीलो जेणे तुज नयण दीठो दुःख टल्यां सुख मल्यां स्वामी तुज निरखतां, सुकृत संचय हुओ पाप नीठो। ऋषभ, कल्पशाखी फल्यो कामघाट मुज मिल्यो, आंगणे अमीयना मेह वूठा मुज महीराण महीभाण तुज दर्शने, क्षय गया कुमति अंधार जुठा। ऋषभ, कवण नर कनक मणि छोडी तृण संग्रहे, कवण कुंजर तजी करह लेवे कवण बेसेतजी कल्पतरुबाउले, तुज तजी अवर सुर कोण सेवे। ऋषभ. एक मुज टेक सुविवेक साहिब सदा, तुज विना देव दुजेन ईहं तुज वचनराग सुख सागरे झीलतो, कर्मभर धर्म थकी हुं न बीहुं। ऋषभ, कोडी छे दास विभु ताहरे भल भला, माहरे देव तुं एक प्यारो
पतित पावन समो जगतनो उद्धारकर, महेर करी मोहे भवजलधि तारो। ऋषभ. मुक्ति थी अधिक तुज भक्ति मुज मन वसी, जेहशुसबल प्रतिबंध लागो चमक पाषाण जिम लोहने खेंचश्ये, मुक्तिने सहज तुज भक्ति रागो। ऋषभ, धन्य ते काय जेणे पाय तुज प्रणमिया, तुज थुणे जेह धन्य धन्य जीहा धन्य ते हृदय जेणे तुज सदा समरीया, धन्य ते रात ने धन्य दीहा। ऋषभ. गुण अनंता सदा तुज खजाने भर्या, एक गुण देत मुज शुं विमासो रयण एक देत शी हाण रयणायरे, लोकनी आपदा जेणे नाशो। ऋषभ. गंग सम रंग तुज कीर्ति कल्लोलिनी, रवि थकी अधिक तप तेज ताजो नय विजय बुध सेवक हं आपरो, जस कहे अब मोहे भव निवाजो. ऋषभ.
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - 2
'गीलगीर
'चीलास
मुझफरबाद
श्रीनगरअनंतनाग
उधमपुर
मीरपूर ।
काश्मीर राज्य
क्रम गांव
पेज नं.
१. जम्मू तीर्थ - २. उकोटा तीर्थ
५५५ ५५६
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काश्मीर विभाग
77. SHRI MAHAVIR BHAGAVAN (
मूलनायक श्री महावीर स्वामी
१. श्री जम्मु तीर्थ
मूलनायक श्री महावीर स्वामीजी
श्रीनगर से ३०० कि.मी. है गिरनार माहत्मय और विविध तीर्थ कल्प में श्री नगर की टिप्पणी है।
भगवान आदिश्वरजी के पुत्र बाहुबली तक्षशिला काश्मीर में राज्य करते थे और उस काल में वहां जैन धर्म विस्तृत रूप से फैला हुआ था। रत्न नाम के श्रावक ने श्रीनगर से संघ निकाला था। सातवीं सदी में गिरनार तीर्थ गये और गिरनार तीर्थ का उद्धार कराया था।.
काश्मीर के प्रताप म्युजियम में श्री गौतम बुद्ध के रूप में मानी गई दूसरी सदी की जिन मूर्ति है। और म्यु. के क्यूरेटर के कथनानुसार बहुत मूर्तियां काश्मीर में मिल सकती है ऐसा है। आज तो यह परिस्थिति है कि श्रीनगर में जैनों का कुछ नहीं है। जम्मू और उकोटामें जैन मंदिर आदि भव्य मंदिर है।
जम्मु तीर्थ जैन मंदिरजी
वीरने नमावतां भवि मस्तक (२) पावन थाय रे; काल अनादि संचित पाये,
पलक अकमां जाय रे वीरने नमावतां । नहि नमे माथु जास जिनने, वहन करे ते बोजो; भव मानवनो हारी जाये, जेम रमणे रोझो रे । मानवभवनो से छे ल्हावो, जिन दर्शन जिन सेवा;
वीर ने. १
भक्ति करतां मुक्ति मेवा, नहि अ सम कोई देवा रे । वीर ने. २. भवसागर तरवाने प्राणी, अनुपम ओ छे नौका; 'चेतीने तुं प्रभुने भजी ले, मिल्या उत्तम मौकारे 'अ पम से जिन सुरज वाणी, तम तिमिर हरनारी; निकटभवि लेई तस आलंबन,.
वीर ने. ३.
खरे ते शिव गति नातीरे । गुरु कर्पूरसूरि अमृत भाखे, तुं प्रभु तारणहारो; कृपा करी प्रभु आ श्री संघने, उतारो भवपारो रे ।
वीरने ४
वीरने. ५
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५५६)
जम्मु जैन मंदिरजी
उकोटा जैन मंदिरजी
२. श्री उकोटा तीर्थ
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
मूलनायक श्री मल्लिनाथजी
मूलनायक श्री
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पंजाब विभाग
Cooo
NOD
ME गुरुदासपुर
बटाला अजनाला
दमुआ
भुंगा
अमृतसर
होशियारपुर
जलंधरवडीयाला गुरु
लुधीयाणा
लेहेरा
फिरोझपर
चंदीगत
राजपरा
A
अंबाला
वि फरीदकोट
दीपालान
पलोदर
पंजाब राज्य
क्रम
गांव
पेज नं.
क्रम
गांव
पेज नं.
अंबाला तीर्थ पटीयाला तीर्थ लुधियाना तीर्थ जलंधर तीर्थ जडीयाल गुरु तीर्थ
५५८ ५५९ ५६०
अमृतसर तीर्थ पट्टी तीर्थ होशियारपुर तीर्थ जीरा तीर्थ मालर कोटला तीर्थ
५६३ ५६४ ५६६ ५६७ ५६८
५६२
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542)
米米米米米米米米米米
अंबाला जैन मंदिरजी
१. श्री अंबाला तीर्थ
मूलनायक श्री सुपार्श्वनाथजी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग
अंबाला जैन मंदिरजी
米米米米米米
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-पंजाब विभाग
मूलनायक श्री सुपार्श्वनाथजी
वि.सं. १९५२ मगशिर सुद १५ के दिन प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजयानंद सूरीश्वरजी म. ने करवाई थी। प्रतिमाएं १५वीं सदी की है। एक प्रतिमा ११८३ की है। मंदिरकी उंचाई ८१ फुट है। यह मंदिर गंगारामजी दुगड की देखरेख में बना है। ___जीर्णोद्धार ई. स. १९३४ के दिन विनोदभाई एम. दलाल (दिल्ली) और विजयकुमार जैन दुगड (अंबाला) वालों की देखरेख में हुआ था।
अंबाला में श्वे. मू. जैन की बस्ती १०० घर है। ___ इस मंदिर के पहले भी एक प्राचीन मंदिर था जो पूज उत्तमऋषि का था और उसके मूलनायक श्री विमलनाथ,
भगवान थे। पू. उत्तमऋषि विजयानंद सू. म. के सद् उपदेश से प्रभावित होकर उनके ही शिष्य बने और नाम उद्योतविजयजी हुआ। बहुत सी संस्थाओं के साथ पू. विजयानंद सू. म. का नाम जुड़ा हुआ है।
श्री सुपार्श्वनाथजी की मूर्ति विजयानंद सू. म. ने पालीताणा से भिजवाई थी। रेल्वे द्वारा भी जा सकते हैं। स्टेशन से १ कि.मी. है। आत्मानंद जैन सभा - अंबाला देरशी में शाही दवाखाने के सामने जैन उपाश्रय
।
२. श्री पटीयाला तीर्थ
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per 2.2 2.2 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2
॥श्री मलीनाथजी॥
श्री वासुपज्यजी॥
माश्री पार्श्वनाथजी ।।
ම්
मूलनायक श्रीवासुपूज्य स्वामी मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
बायीं तरफ मल्लिनाथ और दायीं तरफ नेमिनाथ भगवान यहां श्वे. मू. जैन के घर २५ लगभग है। यहां आत्मानंद विराजमान है।
जैन सभा और महावीर संघ ऐसी दो-तीन धर्मशाला है। यहां की प्रतिष्ठा सन् २०६९ विक्रम सं. २००० वर्ष पूज्य ___ यह पटियाला गांव सुंदर है। अंबाला से पटियाला ६० श्रीमद् आ. श्री विजयवल्लभ सू. म. ने की थी।
कि.मी. दूर है। हाईवे रोड है तथा रेल्वे भी है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार संवत २०१३ जेठ मास के दिन श्री श्वे. मू. जैन सभा (मंदिर) आणंदजी कल्याणजी (अहमदाबाद) ने रु. २९२५ देकर अरना - वरना चौक, साइकिल मार्केट के पास, बनाया है।
पटियाला (पंजाब)
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-२
३. श्री लुधीयाना तीर्थ
लण्डपाक्वनाथजन
मूलनायक श्री कलिकुंड पार्श्वनाथजी
लुधियाना जैन मंदिरजी सन्मुख
मूलनायक श्री कलिकुंड पार्श्वनाथजी
अभी बाजार में १९५० में यह जिन मंदिर बनवाया है। प्रतिष्ठा की तैयारी हुई उसके पूर्व ही पू. आ. विजयानंद सू. आत्मारामजी म. कालधर्म को प्राप्त हुए। इस मंदिर की प्रतिष्ठा १९६८ में चंद्रविजयजी म. ने करवाई थी। पास में उपाश्रय धर्मशाला है।
एक मंदिर चोवडा बाजार में है। जहां मूलनायक श्री सुपार्श्वनाथ प्रभु है। जो महेताब ऋषि ने बनवाया है। मंदिर की प्रतिष्ठा हुई उसको १३० वर्ष हुए। १२८३ के धातु के प्रतिमाजी यहां है।
लुधियाना में सिविललाईन पर मंदिर आता है। यह मंदिर बना उसको २० वर्ष हुए इस मंदिर की प्रतिष्ठा २० वर्ष पूर्व आचार्य श्री जनकसूरि म. ने की थी।
चौथा एक मंदिर सुंदरनगर में आता है। इस मंदिर में मूलनायक श्री शांतिनाथजी है। इस मंदिर की प्रतिष्ठा आचार्य श्री इन्द्रभिन्न सू. म. के उपदेश से सात वर्ष पहले हुई थी।
पांचवां श्री पार्श्वनाथजी का मंदिर इन्द्रधन कालोनी में ओसवाल परिवार (अभयकुमार ओसवाल) ने बनवाया था प्रतिष्ठा इन्द्रविजयजी म. द्वारा हुई है।
छठां एक मंदिर कियडु नगर में है। उसकी प्रतिष्ठा जनकचंद्र सू. म. और नित्यानंद सू. म. ने दो वर्ष पहले कराई थी। दो बड़े उपाश्रय, आयंबिल भवन है। आयंबिल खाता मंहिमा मंडल चलाती है। स्टेशन से १ कि.मी. है।
यहां लुधियानामें जैन की बस्ती १०,००० की है। पटियाला से लुधियाना ७० कि.मी. है। हाईवे रोड है। रेल्वे मार्ग भी है।
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पंजाब विभाग
जलंधर जैन मंदिरजी
४. श्री जलंधर तीर्थ
मूलनायक श्री गोडीपार्श्वनाथजी
दायें पार्श्वनाथजी बायें अजितनाथजी विराजमान है । यह मंदिर प्राचीन बड़ा और सुंदर है। पास में आत्माराम जैन सभा है। ता. २१-४-१९६६ की प्रतिष्ठा लेख है ।
यहां जैन पाठशाला और धर्मशाला जैन उपाश्रय है। इस मंदिर में पू. आचार्य श्रीमद् विजयानंद सूरीश्वरजी (आत्मारामजी) महाराज की भव्य और सुन्दर प्रतिमा है ।
मूलनायक श्री गोडी पार्श्वनाथजी
इस सुंदर प्रतिमा जलंधर पंजाबी निवासी लाला पहाडीयामलजी के सुपुत्र चि. लाल कपुरचंदजी तथा कोदर निवासी लाला भगवानदासजी ने बनाई है।
जलंधर में जैन श्वे. मू. के ५०० घर हैं। लुधियाना से जलंधर ६० कि.मी. दूर है। हाईवे रोड और रेल्वे के द्वारा भी जा सकते हैं।
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५६२)
५. श्री जडीयाल गुरु तीर्थ
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जडियाल गुरु जैन मंदिरजी
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मूलनायक श्री ऋषभदेव स्वामी
आ. श्री विजयानंद सूरीश्वरजी (आत्मारामजी) म. द्वारा शिलारोपण हुआ था ।
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
इस मंदिर की प्रतिष्ठा विक्रम सं. १९५७ में पू. आ. श्री वल्लभ सूरीश्वरजी म. के द्वारा कराई थी।
इस मंदिर का जीर्णोद्धार अहमदाबाद - मुंबई वालों के सहयोग से एक बार किया था। इस मंदिर को १०० वर्ष होंगे मूलनायक के दोनों तरफ (१) शान्तिनाथजी है (२) श्री मल्लिनाथ भगवान है।
यहां श्वे. मू. जैन के पहले १५० घर थे अब ३५-४० घर है। उसी प्रकार यहां दूसरे दो मंदिर है। पार्श्वनाथजी मंदिर २५० वर्ष पुराना है ।
(१) आत्मारामजी म. की मूर्ति श्रीमती दुर्गादेवी और श्री लालचंद जैन मानहानी की धर्मपत्नी गुजरावाला निवासी ने बनवाई थी।
जलंधर से जड़ीवाल गुरु ५० कि.मी. होता है। हाईवे तथा रेल्वे है।
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त्रिगडु मूलनायक श्री ऋषभदेव स्वामी
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पंजाब विभाग
29
अमृतसर जैन मंदिरजी
६. श्री अमृतसर तीर्थ
सन्मुख
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मूलनायक श्री अरनाथजी
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
मूलनायक श्री अरनाथजी
श्रीआदिनाथजी श्री संभवनाथजी मूलनायक के दोनों तरफ है।
इस मंदिर की प्रतिष्ठा श्री आत्मारामजी म. सा. के द्वारा १०० वर्ष पहले हुई थी। इस मंदिर के अंदर एक मंदिर आता है। जो दूसरे शीतलनाथजी का मंदिर है।
जीर्णोद्धार २०४९ में हुआ था। इसके उपरांत अमृतसर में दूसरा भी एक मंदिर सुल्तान विल्ड रोड पर आता है। यह मंदिर खूब सुंदर है।
इस मंदिर में मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी है। यह मंदिर ५० वर्ष पुराना है।
अमृतसर में जैनों के ४० घर है। जमादार हवेली खंह सुनिरिया जैन मंदिरजी पेढी, अमृतसर
ट्रस्टी : प्रकाशचंद कोचर अभयकुमार कोचर (बीकानेरवाला)
सेक्रेटरी : विजयकुमार कोचर - बीकानेर वाला
जडीयाल गुरु से अमृतसर २० कि.मी. होता है। हाईवे तथा रेल्वे है।
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७. श्री पट्टी तीर्थ
त्रिगड़ मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
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पंजाब विभाग
(५६५
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
इस मंदिर की प्रतिष्ठा श्रीमद् विजयानंदसूरि (आत्मारामजी) म. के करकमलों द्वारा वि. सं. १९५१ मगशिर सुदी १३ ता. ७-२-१८९५ के दिन हुई थी।
यह मंदिर सुंदर और शिखरबंदी है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार जरुरी है।
सरदार रणजीतसिंह जिनकी लाहोर में समाधि थी। उसकी मीनाकारी और कारीगरी थी ऐसी ही कारीगरी और मीनाकारी इस मंदिर में ईब्राहीम मुसलमान ने बनवाई है।
सोनी जगह बना मंगकी टाल और मस्लकीरकी दाल डाल कर बनाने में आई है। इसके कारण इसमें ऐसी मजबूती है कि १९६२ में जब टाईम बम मंदिर को उडाने के लिए किसी ने रखा था। इस विस्फोट में मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ।
इस मंदिर में जो कांच लगाने में आए हैं। वह सीधे नहीं परन्तु गोलाई लिए हुए है।
१०० वर्ष पहले यहां कोई श्वे. मू. जैन नहीं थे। परन्तु बाद में गुरु आत्मारामजी म. के उपदेश से यहां जो स्थानकवासी थे उन्होंने श्वेताम्बर धर्म स्वीकारा पहले
श्वेताम्बर जैन घशीटामलजी बने उनके पुत्र पंडित अमीचंद को श्वे. धर्म की पूरी शिक्षा-दिक्षा दी। और उसके बाद अनेक जैनों ने श्वे. मू. धर्म स्वीकार कर लिया। ____यहां अभी श्वेताम्बर जैन के ८० घर है वि. सं. १९५१ मगशिर सुदी ३ को मंदिर की प्रतिष्ठा हुई है। १०० वर्ष पूरे हए उसका शताब्दि महोत्सव बहुत धुमधाम से मनाया था। दूसरे मंदिर में मूलनायक श्री विमलनाथजी है।
यह मंदिर बहुत प्राचीन है यह मंदिर श्री पूजका था परन्तु १९६५ में इस मंदिर का जीर्णोद्धार प. पू. आ. श्री समुद्रसूरीश्वरजी म. के द्वारा हुआ। मूर्ति बहुत प्राचीन है। भोजन व ठहरने की व्यवस्था सभा करके देती है।
पार्श्वनाथ भगवान के मंदिर के पास श्री महावीरस्वामी का मंदिर है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार सेठ आनंदजी कल्याणजी (अहमदाबाद) ने रु. ५०००= खर्च करके करवाया था।
अमृतसर से पट्टी ४५ कि.मी. दर है। रोड है. रेल्वे नहीं है।
ओमनवो.
ओमनवो.
ओमानवो.
ओ मनवो लुब्ध थयो जिन ध्यानमां,
लीन थयो गुणगानमां..... क्रोधमान माया लोभ चोरो मारवा।
जिनजी जुहार्या अकतानमा मोहराय रिपुने दूरे हठाववा,
रातदिन आएं तारा स्थानमां। आठ फणालापमद नागर्नु विष जे,
उतरी गयुं तारा मानमां। कामतरुने जडमूलथी उखेडवा,
आव्यो शासन मेदानमा। थयो हरख गुरु कर्पूर पसायथी,
जिन गुण अमृत पानमां....
ओ मानवो.
ओमानवो.
ओ मानवो.
वृथा गई प्रभु जिंदगी मारी विषयकषायना कादवमां प्रभु, रमियो हुं आपने विसारी। वृथा. मोह मदिराना धेनमा पडियो, भूल्यो भान प्रभु भारी। वृथा. रमा रामाना रागमां अतिशय, अंध बन्यो हुँ विकारी। वृथा. आ लोकनी चिंतामां पडीने, भक्ति करी ना तुमारी। वृथा. दोषोनो दरियो हं पापोथी भरियो, शी गति थाशे हमारी। वृथा. गुरु कर्पूरसूरि अमृत भाखे, ल्यो भवदवथी उगारी। वृथा.
पट्टी जैन मंदिरजी
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५६६)
८. श्री होशियारपुर (स्वर्ण मंदिर) तीर्थ
'मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
होशियारपुर जैन मंदिरजी
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________________
पंजाब विभाग
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
यहां वि. सं. १९४८ में माह सुदी-५ को अंजनशलाका इस मंदिर के उपर एक मंदिर में मूलनायक श्री चौमुखी प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजयानंद सूरीश्वरजी (आत्मारामजी) शांतिनाथ भगवान है। उसके पास में छोटा मंदिर है। उस म. की निश्रा में हुई थी।
मंदिर में महावीर स्वामी की प्रतिमा बहुत ही सुंदर है। यह ___ यह मंदिर सुंदर और शिखरबंदी है। यह मंदिर शीश महल
प्रतिमा स्फटिक मणि की है। के पास आता है। यह प्रतिष्ठा गुलाबराय गुंजलमलजी जैन यहां विजयानंद सूरीश्वरजी म. की बहत संदर प्रतिमा । ने कराई थी। इस मंदिर का निर्माण भी गुलाबलाल है। यह प्रतिमा विजयानंद सूरीश्वरजी म. के जीवन काल गुंजलमलजी जैन ने किया था।
के अन्तर्गत बनी है। ___ इस मंदिर के उपर का गुम्मच सोने का है जिससे ईस होशियारपुर में श्वे. मू. के २५० घर हैं यहां स्थानकवासी मंदिर को स्वर्णमंदिर भी कहा जाता है। जीर्णोद्धार करने का के भी ३०० घर हैं। यहां स्थानकवासी के भी २ उपाश्रय हैं। ट्रस्टी विचार कर रहे हैं। मूलनायकजी के साथ ४ मूर्तियां जलंधर से यह तीर्थ ४० से ५० कि.मी. जितना होता है। है। (१) आदिनाथ (२) महावीर स्वामी (३) पार्श्वनाथजी (४) सुमतिनाथजी। रंग मंडप बहुत ही बड़ा है। इतना बड़ा रंगमंडप कहीं देखने में नहीं आता।
. ९. जीरा तीर्थ ।
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जीरा जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
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५६८)
XX
विजयानंद सूरीश्वरजी म.
सम्मुख
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी यहां वि. सं. १९५९ मगशिर सुद १९ को पू. आ. श्री विजयानंद सूरीश्वरजी म. के द्वारा अंजनशलाका प्रतिष्ठा हुई है।
जीरा का यह मंदिर सुंदर शिखर बंधी उंचा है। जीरा में किले वाली गली में यह मंदिर आता है।
यहां स्थानकवासी और मंदिरमागी दोनों उपाश्रय है। यहां श्वे. मू. के १०-१२ घर हैं । स्थानकवासी के ११ घर हैं और दिगंबर जैन के तीन पर हैं।
यहां नई दाना मंडी के पास आत्मारामजी म. की समाधि
सुंदर और अच्छी है। पंजाब में दूसरे नंबर का मंदिर है।
पट्टी से जीरा ४०-५० कि.मी. होता है ।
१०. श्री मालर कोटला तीर्थ
आत्मारामजी महाराज की जन्मभूमि लहेरगांव जीरा से ३ कि.मी. दूर है।
मालर काटला जन मादरजा
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पंजाब विभाग
त्रिगडु - मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
मालर कोटला जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
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५७०)
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मूलनायक श्री गोडी पार्श्वनाथजी
चोक बाजार में यह मंदिर है। यह मंदिर बहुत प्राचीन है। मूलनायक के एक तरफ चंद्रप्रभुजी और दूसरी तरफ सुपार्श्वनाथजी विराजमान है ।
यह मंदिर लगभग २०० - २५० वर्ष पुराना है। यह मंदिर पू. आनंदऋषभजी म. का बनाया हुआ है। इस मंदिर का • जीर्णोद्धार दो बार हो चुका है। अभी आखिरी में पू. श्री समुद्र सू. म. ने जीर्णोद्धार कराया था अंजनशलाका पू. आ. श्री इन्द्रदिन्न सू. महाराज ने कराई थी।
गौडी पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिष्ठा में अंजनशलाका हुई थी यहीं श्री आत्मवल्लभ जैन उपाश्रय है दूसरा उपाश्रय बिंदुमलजी ने बनाया है यहां श्वे. मू. के १७ घर हैं। यहां धर्मशाला ४ है। स्थानकवासी के ४०० घर हैं। यहां छोटा हस्तलिखित भंडार है।
१.
२.
३.
४.
५.
यात्रा प्रवास
दिल्ली से अंबाला
अंबाला से पटियाला
पटियाला से लुधियाना
लुधियाना से जलंधर
जलंधर से जडियाल गुरु
६.
स्टेशन से २ कि.मी. है। लुधियाना से मालर कोटला
लुधियाना से ४५-५० कि.मी. है। दिल्ली से यह तीर्थ ५० कि.मी. है। हाईवे तथा रेल्वे की व्यवस्था है।
३०० कि.मी. जितना दूर होता है।
२० कि.मी.
जडियालगुरु से अमृतसर अमृतसर से पट्टी
७.
४५ कि.मी.
८.
जलंधर से होशियारपुर
५० कि.मी.
९.
पट्टी से जीरा
५० कि.मी.
१०. जीरासे लहेरा
३ कि.मी.
१९. लुधियाना से मालरकोटला ५० कि.मी. १२. दिल्ली से मालरकोटला
३०० कि.मी.
S
६० कि.मी.
५० कि.मी.
श्री श्वेतावर जैन ती द भाग
२६० कि.मी.
६० कि.मी. ७० कि.मी.
23
गुरु मंदिर जैन बाग में है। जिसकी जमीन २५ बीघा है। जैन श्वे. मू. संघ के पास है ।
यहां दूसरे एक मंदिर में मूलनायक श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथजी है। आस-पास दो भगवान मुनिसुव्रतनाथ स्वामी है। तथा दूसरा विमलनाथजी का मंदिर है। यह तीनों प्रतिमा श्री विजयानंद सू. म. ( आत्मारामजी) की अपार कृपा से आज से १७ वर्ष पहले सेठ नरशी केशवजी की टोंक में से सिद्धक्षेत्र पालीताणा से आई है।
प्रतिमाजी अति सुंदर और चमत्कारी है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार १३ दिसम्बर १९८९ में कराकर आ. श्री इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी म. की निश्रा में प्रधान श्री नेमदास डी. अध्यक्षप में इस मंदिर की प्रतिष्ठा हुई।
दिल्ली से कि.मी.
अमृतसर
अंबाला
होशियारपुर
लुधियाना पतियाला
मालेर कोटला
४४८
२०२
३८४
३१९
२४९
२७४
S
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________________
दिल्ली
दिल्ली जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
१. श्री दिल्ली तीर्थ
विका
दिल्ली जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
रुपनगर दिल्ली में यह जिन मंदिर है। पास में उपाश्रय तथा धर्मशाला है। नवधरा में श्री सुमतिनाथ मंदिर है। मूलनायकजी की मूर्ति भव्य है। इसके अलावा संभवनाथजी, चिंतामणि पार्श्वनाथजी के मंदिर है। लाला हजारीमलजी जौहरी के वहां दो सुंदर गृह मंदिर है । दो दादावाड़ी तीन जैन धर्मशाला तथा आत्मवल्लभ जैन भवन है।
खरतरगच्छ गुर्वावली के अनुसार सं. १२२३ में श्री जिनचंद्रसू. म. दिल्ली के पास पधारे और मदनपाल राजा ने मंत्रियों द्वारा दिल्ली बुलाकर शाही स्वागत किया और चातुर्मास कराया परंतु आचार्यदेव भादवा वदी १४ को कालधर्म प्राप्त हुए उनका स्तूप कुतुबमिनार के पास विद्यमान है। उनके समय में श्री पार्श्वनाथ जिन मंदिर था ।
सं. १३०५ अषाढ वदी १० श्री जिनलाभ सू.म. ने खरतरगच्छ गुर्वावली के प्रथम अंशकी रचना की थी। बड़ी दादावाड़ी में मणिधारी श्री जिनचंद्रसूरीजी म. सा. के समाधि स्थल के पास सं. १९९० में श्री ऋषभदेव स्वामी का मंदिर बनाया हुआ है।
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मध्य प्रदेश
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चितोडगढ
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To...आहार ६८पन्ना Pललितपुर पपोरा -
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बाँदा रेषन्दीगीरीFO कुंडलपुर बांसवाडाकी ओर ७५ की.मी. ज्यावराव
ब्यावरा
मैदामोह नागदा
सांची ७१/सागर बिम्बदौड रतलाम0 उन्हेल
बौध्धस्तप विदिषा/
/११० ७६ उजैन/
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जबलपुर
भोपाल बदनावर (११७) जाबुआ
o अलाकाक५३ देवास गोधरा-दाहोद राजगढ२ पाश्वनाथ | सरधारपुर
INH12 वडोदरा (४७)/मोहनखेडा ४३४
होशंगाबाद (२००) अलीराजपुर /अमीझरी माई/७०५४
- लक्ष्मणी पार्श्वनाथ गुजरी सिध्धवरफुट / १२ मध्यप्रदेशमें महत्वपूर्ण दिगम्बर जैन तीर्थे है . वडोदरा ८ ३५० कुक्षी १३०/ मंडलेश्वर
दक्षीण अम.पी. में बडवानी नजदीक सातपुडा पहाडियोमें चुलीगीरीकी नजदीक बावनगजाजी तीर्थस्थानमें श्री १४५ की.मी.
ओंकारेश्वर ४३ खरगोन
आदेश्वर भगवानका कार्यास्तत्र मुद्रामें ८४ फूट ऊंचा प्रतिमाजी है, उत्तर अम.पी. में ग्वालीयरमें एक कील्लेकी बावनगजा०
८७ जुलवानीया (खंडगांव
खंडवा वावमें पद्मासन मुद्रामें श्री सुपार्श्वनाथ भगवानका ३५ फुट ऊचा और ३० फुट पहोळा विशाल प्रतिमाजी है। यह
प्रतिमाए भारतवर्षमें हाल सबसे विशाल प्रतिमाए होनेका संभव है। ग्वालियरमें १५०० प्रतिमाओका संग्रह है। भरूच-सुरतकी ओरसे
सोनगीरी स्थामें १०० जितना धुवोनजी तीर्थस्थानमें ३२, पपोराजी तीर्थस्थानमें १०२ द्रोणगीरी स्थानमें २७, खजुराहोमें १९ जितना अंकलेश्वर (२१०-२२५)/
वाया धुले (१३० कि.मी.) " मुंबइकी ओर
जिनालयो एक साथ है । खजुराहोका स्थापत्य, कला विश्वविख्यात है उज्जैन, इंदोर, मांड, नागेश्वर (राजस्थान) जैसा प्राचिन तीर्थस्थाने है। ललीतपुर-झांसी (यु.पी.) में देवगढ नजदीक महत्वका १२ जैन दिगम्बर तीर्थस्थाने है।
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कक्षी
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चुलगिरि, बडवानी /
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग -
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मध्य प्रदेश
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अलीराजपुर की लक्ष्मणीतीयापार वालनपुर नानपुर.
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मध्य प्रदेश
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अलीराजपुर तीर्थ लक्ष्मणी तीर्थ नानपुर तीर्थ तालनपुर तीर्थ कुक्षी तीर्थ भोपावर तीर्थ राजगढ़ तीर्थ मोहनखेड़ा तीर्थ
अमीझरा तीर्थ १०. धार तीर्थ ११. मांडवगढ़ तीर्थ १२. इन्दौर तीर्थ
देवास तीर्थ १४. श्री शत्रुजय अवतार तीर्थ देवास १५. मक्षी तीर्थ १६. अवंति तीर्थ उज्जैन
क्रम गांव १७. हासामपुरा तीर्थ १८. उन्हेल तीर्थ१९. नागेश्वर तीर्थ २०. परासली तीर्थ २१. मंदसौर तीर्थ २२. वही तीर्थ २३. प्रतापगढ़ तीर्थ २४. रतलाम तीर्थ २५. बिबडोद तीर्थ २६. सागोदीया तीर्थ २७. करमदी तीर्थ २८. बेतुल तीर्थ
उवसग्गहरं तीर्थ ३०. राजनंद गांव तीर्थ ३१. रायपुर तीर्थ ३२. पांढुरना तीर्थ
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५७४)
अलिराजपुर जैन मंदिरजी
लक्ष्मणी जैन मंदिरजी
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१. श्री अलिराजपूर तीर्थ
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
२. श्री लक्ष्मणी तीर्थ
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मूलनायक श्री आदिश्वरजी
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
यह तीर्थ वडोदरा तरफ से गुजरात से मध्य प्रदेश में प्रवेश करते आता है। यहां भव्य मंदिर है और उपाश्रय धर्मशाला की व्यवस्था है। यहां से लक्ष्मणी तीर्थ ८ कि.मी. है।
मूलनायक श्री पद्मप्रभ स्वामी
यह तीर्थ अलिराजपुर से ८ कि.मी. मुख्य मार्ग पर है। पास में छोटा लक्ष्मणी गांव है।
यहां पद्मप्रभस्वामी और दूसरी प्राचीन भव्य प्रतिमाएं संप्रतिराजा के समय की है जो अत्यन्त मनोहर है। जमीन में से अनेक मंदिर तथा मूर्तियां मिली है और जिससे प्राचीनता देखते हुए यह तीर्थ २००० हजार वर्ष पुराना कह सकते हैं। १५वीं सदी में जयानंदमुनिजी ने यहां प्रवास गीति रची है। जिसमें वि. सं. १४२७ में यहां श्रावक के २००० घर थे और १०१ जिनमंदिर थे। ऐसा जान सकते हैं। सुकृतसागर ग्रन्थ में मांडवगढ़ के मंत्री श्री पेथडशाह के पुत्र मंत्री श्री झांझणशाह श्री शत्रुंजय महातीर्थ का संघ निकाला था वह यहीं रुका था। आखिरी १९९४ में इस तीर्थ का उद्धार हुआ और प्रतिष्ठा आ. श्री विजययतीन्द्र सूरीश्वरजी महाराज के द्वारा हुई है।
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मध्य प्रदेश
JRAMHARJAGR
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नानपुर जैन मंदिरजी
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मंदिर का सभा मंडप विशाल है और उसमें नये पत्थरों में श्रीपाल मैना सुन्दरी के जीवन के १३७ कलापूर्ण पट्ट खुदे हुए हैं। यहां चैत्र पूर्णिमा तथा कार्तिकी पूर्णिमा का मेला भरता है ।
पास में श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. का गुरु मंदिर है । धर्मशाला भोजनशाला की व्यवस्था है। शांत वातावरण में खूब सुंदर आराधना हो सकती है।
यह तीर्थ बडोदा से १५२ कि.मी. तथा छोटे उदयपुर से ५६ कि.मी. दाहोद से ८० कि.मी. और इन्दौर से धार होकर २२५ कि.मी. है। खंडवा बडोदा हाईवे से ८ कि.मी. दूर है।
मु. लक्ष्मणी तीर्थ पो. अलिराजपुर ४५७८८७ (जि. झांबआ (म.प्र.) अलीराजपुर फोन नं. २११८ द्वारा ट्रस्टी कुंदनलालजी को सूचित करने पर व्यवस्था हो जाती है। लक्ष्मणी तीर्थ से बडोदा रास्ता शाम ६ से सुबह ६ तक अलीराजपुर से बंद हो जाता है जिससे यहां रहना योग्य है।
मूलनायक श्री पद्मप्रभुजी
३. श्री नानपुर तीर्थ
मूलनायक श्री मनमोहन पार्श्वनाथजी
मूलनायक श्री मनमोहन पार्श्वनाथजी
लक्ष्मणी तीर्थ से कुक्षी जाते यह गांव आता है। यहां प्राचीन जिन मंदिर है। भव्य प्रतिमाजी है।
(५७५
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५७६)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-:
४. श्री तालनपुर तीर्थ
तालनपुर जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
मनवो.१
श्री गोडी पार्श्वनाथजी
मनवो.२
हे मनवो डोल्यो पडे जिन ध्यानमां;
पोढे आत्मा आराममा... झगमगतां प्रभु नयनो निहाल्यां,
____चमके त्रिभुवन स्वाममां। शिरे किरिट दीपे कंठे पुष्पमाला;
अंकाय नहिं मूल दाममां। अहिंसा संयम तप से सेवं आपने,
मुक्ति आपो ईनाममां। गुरु अमृत श्री जिनेन्द्र संगथी,
मस्त मोहन तुज नाममां।
मनवो. ३
मनवो.४
मनवो.५
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मध्य प्रदेश
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
यह तीर्थ कुक्षी तीर्थ से ५ कि.मी. है। लक्ष्मणी तीर्थ से आते यह तीर्थ आता है।
यह स्थान पूर्व तारापुर, तारणपुर, तुंगिया पतन से जाना जाता है। अभी यहां एक प्रतिमा पर सं. ६१२ चैत्र सुदी ५ को सोमवार आ. श्री जगतचंद्र सू. म. के द्वारा धनकुंबेर शाहचन्द्र द्वारा प्रतिष्ठा करवाने का लेख है।
ऐसा कहा जाता है कि वि. सं. १८९८ में एक किसान को एक खेत में से १३ प्राचीन प्रतिमाएं प्राप्त हुई। उस समय यहां यह प्रतिमाएँ श्वेताम्बर तथा दिगम्बर मंदिरों में विराजमान की थी।
यहां मंदिर के पास एक वाव में से श्री गोडीजी पार्श्वनाथजी की प्रतिमा वि. सं. १९२८ में चमत्कारिक घटनाओं के साथ प्रकट हुई है। उसमें कुक्षी नगर के पू. आ.
श्री बप्पभट्ट सूरीश्वरजी म. वि. सं. १०२२ में स्वयं के हाथ से प्रतिष्ठित किए गोडी पार्श्वनाथजी है ऐसा लिखा हुआ है।
यहां मांडवगढ़ के मंत्री श्री पेथडशाह ने १३वीं सदी में मंदिर बंधवाने का वर्णन है। १६वीं सदी में श्री परमदेव सू. म. ने यहीं चातुर्मास करके महावीर जिनश्राद्ध कुलक लिखा । था। जब यह नगर था। यहां विशाल प्राचीन तालाब है।
यहां पुनः प्रतिष्ठा आ. श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. की निश्रा में वि. सं. १९५० में हुई है।
यहां कार्तिक सुदी १५ के मेला लगता है। धर्मशाला, भोजनशाला, रेल्वेस्टेशन महु १६० कि.मी. है। कुक्षी जो खंडवा वडोदरा रोड पर है वह ५ कि.मी. होता है। वहां से वाहन आदि मिलते हैं। पक्की सड़क है। ___ मु. तालनपुर पो. कुक्षी (जि.-धार) म.प्र. टेली. कुक्षी
ARREARS
५. श्री कुक्षी तीर्थ
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मूलनायक श्री शांतिनाथजी मूलनायक श्री शांतिनाथजी (काउस्सगीया)
यह तीर्थ राजगढ़ शहर से ६ कि.मी. है। मही नदी पास में है। इस तीर्थ को पूर्व काल में भोजकुट नगर कहा जाता था।
प्राचीन भव्य प्रतिमाजी है। लोक में कहा जाता है कि प्रभुजी रात्रि को बाहर निकलते फिर स्थिर कर दिए हैं। जीर्णोद्धार हुआ है। दर्शनीय पट्ट है।
धर्मशाला है । भोजनशाला है। अभी बीच का भाग गिराकर मैदान बनाकर मंदिर का भाग खुल्ला करते हैं।
ता. राजगढ़ (जि.-धार) म.प्र..
कुक्षी जैन मंदिरजी
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५७८)
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70
६. श्री भोपावर तीर्थ
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग- २
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मध्य प्रदेश
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मूलनायक श्री शांतिनाथजी
राजगढ़ से ७ कि.मी. यह प्राचीन भव्य तीर्थ है। खड़ी प्रतिमाजी है। अभी आगे धर्मशाला आदि का उद्धार हो रहा है। नया उपाश्रय भोजनशाला बने हैं। खास यात्रा करने योग्य भव्य तीर्थ है ।
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ओपावन जैन मंदिरजी
७. श्री राजगढ़ तीर्थ
मूलनायक : श्री महावीर स्वामी
इस तीर्थ में राजगढ़ के बीच प्राचीन बावन जिनालय है। श्री संघ ने १८५६ में बंधाया है। ११२८ की श्री नेमिनाथजी की प्राचीन प्रतिमा है। दो धर्मशाला है। भोजनशाला है। धार से ४० कि.मी. है।
राजगढ़ जैन मंदिरजी
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५८०)
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८. श्री मोहनखेड़ा तीर्थ
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मोहनखेडा जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
राजगढ़ से दाहोद रोड़ पर १ कि.मी. अंदर मोहनखेड़ा तीर्थ है। मंदिर तथा प्रतिमा सुंदर है। बीच में आ. श्री राजेन्द्र सू. म. का गुरु मंदिर है। राजगढ़ में स्वर्गवास हुआ और अग्नि संस्कार हुआ, दो धर्मशाला, भोजनशाला है।
अभी त्रिस्तुतिक संघ का पोष सुदी ७ को गुरु स्वर्गवास दिन के निमित्त मेला लगता है। (ता. राजगढ़, जि. - धार)
अमीझरा जैन मंदिरजी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
मूलनायक श्री ऋषभदेवजी
९. श्री अमीझरा तीर्थ
*मूलनायक श्री अमीझरा पार्श्वनाथजी
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मध्य प्रदेश
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मूलनायक श्री अमीझरा पार्श्वनाथजी
यह तीर्थ धार राजगढ़ रोड पर धार से २० कि.मी. रोड से अंदर ३ कि.मी. है। प्राचीन मंदिर है। गांव तक रोड़ जाता है।
१०. श्री धार तीर्थ
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
शहर में वाणियावास में यह मंदिर है। दूसरा सुंदर बाजार में श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी का मंदिर है।
आदिश्वर आदि ३ प्रतिमा प्राचीन है। पास में दो भव्य प्राचीन विशाल श्याम प्रतिमाएँ हैं।
बाजार का मंदिर कांच और पट्टों से भव्य बना हुआ है। जिससे पास में धर्मशाला है। राजगढ़ रोड पर पू. पं. श्री अभ्युदयसागरजी म. की स्वर्गवास भूमि पर ४ कि.मी. भव्य भक्तामर तीर्थ बन रहा है।
इंदौर रोड पर इंदौर नाके के पास श्री राजेन्द्र भाई लोढा द्वारा भी सुंदर तीर्थ तुल्य मंदिर बन रहा है।
यह नगरी प्राचीन काल की है। यह नगरी पवार वैरिसिंह ९१४ सन् के आसपास बसी हुई है। राजा मुंज और राजा भोज की राजधानी है। कवि धनपाल यहां महाजैन और विद्वान हो गए हैं। श्री सुराचार्य श्री शांति सू. म. आदि ने धाराकी राजसभा में विजय प्राप्त की है। यहां श्री मानतुंग सू. म. ने भक्तामर की रचना की है। मुसलमानों के मुहम्मद तुगलक ने १३२५ में पहाड़ी पर किला बनवाया है। अभी हिंद जिन मंदिर मस्जिद के रूप में है।
धार जैन मंदिरजी
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
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११. श्री मांडवगढ़ तीर्थ
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मूलनायक श्री सुपार्श्वनाथजी
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मध्य प्रदेश 00
386 मूलनायक : श्री सुपार्श्वनाथजी
जगद्गुरु हीर सू. म. के प्रशिष्य पू. देव सू. म. यहां यह तीर्थ विंध्याचल पर्वत के एक उंचे शिखर पर मांडव
जहांगीर बादाशाह की विनती से पधारे और महात्मा बिरुद दर्ग विशालकोट में है। आज इस पर्वत को मांड कहते हैं। पू. श्री. को दिया।
यह तीर्थ बहुत प्राचीन है। संग्राम सोनी ने यहीं मंदिर यहां मूल मंदिर श्री सुपार्श्वनाथ प्रभुजी का है। प्राचीन बनाकर श्री सुपार्श्वनाथ प्रभुजी की प्रतिष्ठा की है। संग्राम धातु के शांतिनाथजी के मिलने से श्री शांतिनाथजी का मंदिर सोनी ने मक्सीजी तीर्थ में और गिरनार तीर्थ मंदिर बनाकर
बनवाया। उसके पीछे वर्तमान में श्री समृद्धि पार्श्वनाथजी प्रतिष्ठा कराई है। गिरनार तीर्थ पर संग्राम सोनी की टोंक
का मंदिर मूल मंदिर के खंडहर के स्थान पर बंधवाया है। आज प्रसिद्ध है।
सुपार्श्वनाथजी की मूल प्रतिमा बुरहानपुर है ऐसा कहा
जाता है। पूर्वकाल में यह तीर्थ था। परंतु वि. सं. १४७२ में यह
अमलनेर से पू. पं. श्री हंसविजयजी म. यहां संघ के तीर्थ फिर प्रसिद्धि में आया हो ऐसा जाना जाता है।
साथ पधारे और अस्तव्यस्त तीर्थ देखकर वहां तीर्थ की आज जगह-जगह खंडहर और दूसरे अनेक स्मरण
शुरुआत कराकर अमलनेर के संघ द्वारा पेढ़ी खोली। वि. देखकर बारहवीं सदी से पांच सौ वर्ष का इतिहास यहां जुडा सं. १९९२ में मूलनायक एक मूर्ति थी। बाद में पू. उ. श्री हुआ है। मंत्री पेथडशाह उनके पुत्र झांझण शाह तथा पूंजराज धर्मसागरजी म. पू. पं. श्री अभयसागरजी म. ने इस तीर्थ के मुंजराज उपमंत्री मंडन, गोपाल खजानची संग्राम सोनी, ज्यादह उद्धार में प्रेरणा की। दीवान जीवन और मेघराज आदि ने अटूट संपत्ति खर्च करके ___ यहां रानी का महल, गदाशाह की दुकान की उंची दीवालें यहां और दूसरे अनेक जिन मंदिर बनवाये हैं। और यात्रा आज भी खड़ी है। राजा भर्तृहरि और राजा विक्रम की यहां संघ निकाले हैं और परोपकार के कार्य किए हैं। जैन धर्म सभाएं थी। औरंगजेब के समय में इस तीर्थ का बहुत बिगाड की अप्रतिम प्रतिष्ठा बढ़ाई है।
हुआ। मंदिर गिराकर मूर्तियों का नाश हुआ। धनवान लुट
लिए गए। आज भी बहुत विशाल मंदिर मस्जिद के रूप में यह बातें आज भी जैनधर्म में और जगत के इतिहास में
खड़े हैं। पुरातत्त्व की देखरेख में है। यहां की बहुत सी प्रसिद्ध है।
किवदंतियां प्रसिद्ध है। बादशाहों और जैन मंत्रीयों सेठियों श्री पेथडशाह के पास चित्रावली और पारसमणि थे।
के अनेक प्रसंग हैं। उन्होंने श्री धर्मघोष सूरीश्वरजी म. के स्वागत में ७२ हजार
यहां धर्मशालाओं तथा भोजनशाला आदि सुविधा हैं। ढंक का व्यय करके अद्भुत प्रवेश कराया था। मंडन उपमंत्री शांत मनोहर तीर्थ है। अभी पीछे के भाग में श्री शत्रुजंय ने मंडन शब्दांत वाले अनेक ग्रन्थ लिखे जो आज भी आदि तीर्थों की रचनाएं हुई है और अनेक प्रसंग दर्शाकर विद्यमान हैं। संग्राम सोनी ने बुद्धिसागर ग्रन्थ की रचना की दर्शनीय हॉल आदि बनाये हैं। जिनकी प्रतिष्ठा पू. पं. है। और सुवर्ण के अक्षरों से आगम लिखवाये थे। बादशाह अशोकसागरजी म. के द्वारा सं. २०५१ में हुई है। अभी के मुहम्मद खिलजी के दरबार में उनको सम्मानित किया था।
विकास में इंदौर, देवास, उज्जैन के जैन भाईयों तथा झांझण शाह ने उदारता से धार्मिक कार्य किए थे जिससे
भभूतमलजी अहमदाबाद वालों का प्रयत्न है। बादशाह गयासुद्दीन ने उनको श्रीमाल, भूपाल और
धार से मांडवगढ़ १३ कि.मी. होता है । पहाड़ियों के लघुशालिभद्र की उपमा दी थी। राजा जयसिंहदेव ने विशाल
बीच रास्ता जाता है और किला खंडहर आदि आते हैं। रोड किला पेथडशाह के सहारे से बंधवाया था।
घूमकर जाता है। सीढियां चढ़कर पास के किले में प्रवेश
होता है। महु स्टेशन से ६५ कि.मी. जितना है। पीछे के रास्ते यहां एक काल में ७०० जैन मंदिर और पोषधशाला थी।
से मुंबई आगरा रोड ३५ कि.मी. है परन्तु अभी जाने की पुरी छ लाख से ज्यादा जैनों की बसति थी। नया जैन आए तो
व्यवस्था नहीं है। धुलिया तरफ भी एक रास्ता है। परन्तु उसको हर घर से एक सोने की मोहर तथा एक सोने की ईंट अभी वह चालू नहीं है। दी जाती। ऐसा साधर्मिक भक्ति का राग था।
मु. मांडवगढ़ (जि.-धार) म. प्र. फोन: एस.टी.डी. (०७३६४ नं. ३२०२७)
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मांडवगढ़ जैन मंदिरजी
श्री समृद्धि पार्श्वनाथ भगवान
मूलनायक श्री समृद्धि पार्श्वनाथजी
श्री जैन तीर्थ दर्शन भाग
請
PG श्री शान्तिनाथ प्रभु २०
मूलनायक श्री शांतिनाथजी - पंचधातु
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मध्य प्रदेश
अलीराजपुर
मंदसौर
जांबुआ
वही
विम्बदोड
जयावरा
रतलाम
नागेश्वर
करमदी
नागदा
लक्ष्मणीतीर्थ नानपुरा मोहनखेडा
आलोट,
विवदनावर
राजगढ
धार
तालनपुर भोपावर अमीरा विकुक्षी
परासली,
उन्हेल
इन्दौर जैन मंदिरजी
उज्जैन
सेवासमपुरा
विमांडवगाव
इन्दोर
भोपाल
(मक्षीतीर्थ
श्री देवास
१२. श्री इन्दौर तीर्थ
बेतुल
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राजनादगांव
छींदवाडा
पाडुरना
नागपूर
रामपूर
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मूलनायक श्री आदिश्वरजी
यह मंदिर पीपली बाजार (महावीर मार्ग) शहर के बीच, है। सामने लाल मंदिर तथा बड़े सराफे में आदिश्वरजी मंदिर और उसके सामने गली में दो मंदिर है। तिलकनगर में शिखरबंदी मंदिर है। गुमाश्तानगर, महेशनगर, महावीरबाग, पार्श्वसोसायटी, वल्लभनगर आदि में मंदिर है । कुल २७ छोटे-बड़े मंदिर है। पीपली बाजार में अर्बुदगिरि जैन उपाश्रय मुख्य है वहाँ आयंबिलशाला है। उसके सामने धर्मशाला है। मध्यप्रदेश का बड़ा शहर है। श्वे. मू. जैनों की बीस - हजार की संख्या है प्रिकांको कालोनी में श्री वर्धमानस्वामी वर्तमान चौबीस तीर्थ आकार ले रहा है।
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५८६)
श्री श्वताबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-२
जिन! रागे देरासर आएँ, तुमारी जय बोलुं। नमी भावना भावे भावु, अंतर वात हुं खोलुं । (अंचली)
साखी पापी मारी जिंदगी, पापो आपथी दूर; दया करी आ दासने राखोने चरण हुजूर।
अंतर वात हुं खोलुं.....जिन. त्हारे दासो छ घणा, म्हारे मन तुं अक; क्रोडो कष्टे नहिं तर्जु, प्रभु ओवी छे म्हारी टेक।
अंतर वात हुँ खोलुं.....जिन. शिव पद प्रभुजी आपजो, तोडी भवनो पास; चार गतिने चूरजो, प्रभु अहवी अमारी आश।
अंतर वात हुँ खोलुं.....जिन. सिद्धाचलना साहिबा, नामे आदि जिणंद नेह नजर करीनाथजी, मने आपो ज्ञानामृत वृंद।
. अंतर वात हुँ खोलु.....जिन.
मूलनायक श्री आदिनाथजी
१३. श्री देवास तीर्थ
देवास जन मदिरजी
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मूलनायक श्री शंखेश्वरापार्श्वनाथजी
देवास मुंबई आगरा रोड़ पर है। मुख्य बजार में यह मंदिर है। प. पू. आ. श्री विजयराजतिलक सूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है गांव में आनंदपुर में दूसरा श्री चंद्रप्रभुजी का सुंदर मंदिर है। हाईवे पर और जिले का शहर है।
मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथजी
१४. श्री शत्रुजय अवतार तीर्थ देवास
मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ मूलनायक श्री आदिश्वरजी हाईवे पर ही पहाडी पर भव्य मंदिर है। वहां जाने सीढ़ियां भी है और रोड भी है। महाराजा की बंगले की जमीन लेकर
यह तीर्थ तैयार हुआ है। पू. आ. श्री विजय राजतिलक मूलनायक श्री आदिश्वरजी
सूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। 剧剧剧剧剧剧剧剧剧剧剧剧剧剧剧剧感
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५८८)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
१५. श्री मक्सी तीर्थ
श्री चिंतामणी पार्श्वनाथ स्वामी
मक्सी जैन मंदिरजी मूलनायक श्री मक्सी पार्श्वनाथजी
यह तीर्थ मक्सी स्टेशन से १ कि.मी. है। यह प्राचीन मंदिर है। ई.स. पूर्व सातवीं शताब्दी का इतिहास है। भोयरे में से यह मूर्ति निकली है। पास में चिंतामणि पार्श्वनाथ तथा नेमिनाथजी है। तीनों मूर्ति श्याम सुंदर है। मूलनायक गादी में बीच के बदले थोड़े एक तरफ है। ___ ग्यारहवीं सदी में मुहम्मद गजनवी ने अनेक मंदिर मूर्तियों का नाश किया तब यहां भी आए परंतु भयंकर बीमार पड जाने से अनुभव हुआ और मंदिर की प्रतिमा को नहीं तोड़ने का आदेश दिया इतना ही नहीं परन्तु मंदिर के पांच कंगरे भी बंधवाये थे।
संग्राम सोनी वढीयार देश के लालाडा के रहने वाले थे। उन्होंने सं. १४७२ में यह मंदिर बंधवाया था। श्री सोमसुंदर सू. म. के द्वारा प्रतिष्ठा कराई है।
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
संग्राम सोनी का ग्यासुद्धीन बादशाह के साथ मिलाप था। उनके बादशाह ने जैन धर्म के और दुसरे परोपकार के कार्य में बहुत खर्च किया। संग्राम सोनी ने यहां तथा मांडवगढ़, मंदसौर, बृहमंडल सामलिया, धार नगर खेडा चंद्राउबी आदि में मिलकर १० मंदिर बंधवाये हैं।
यहां दिंगबर का विवादथा राजा द्वारा निर्णय हुआ जिससे अपने-अपने समय से पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि इस निर्णय में दिगंबर मंदिर में उस समय श्वेताम्बरों को पूजा करने का बताया है। इस तीर्थ की व्यवस्था सेठ आणंदजी कल्याणजी पेढ़ी अहमदाबाद संभालती है।
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मध्य प्रदेश
(५८९
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१६. श्री अवंति तीर्थ - उज्जैन
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अवंति तीर्थ - उज्जैन जैन मंदिरजी
अवंति पार्श्वनाथजी जैन मंदिरजी प्रवेश द्वार
मूलनायक श्री अवन्ति पार्श्वनाथजी - उज्जैन शहर में क्षिप्रा नदी के किनारे यह तीर्थ है।
इस उज्जैन का प्राचीन नाम अवन्तिका नगरी था। अवंतिसुकुमाल ने गुरु मुख से नलिनी गुल्म विमान का वर्णन सुना और जातिस्मरण ज्ञान हुआ। स्वयं वहां से आये हुए जानकर पू. सुहस्तिसूरिजी म. के पास बोधित होकर दीक्षा ली। श्मशान में ध्यान करते शियाल के उपसर्ग से मृत्यु प्राप्त कर नलिनीगुल्म विमान में उत्पन्न हुए। उसके बाद जन्मे पुत्रों ने यह मंदिर बनाया और पार्श्वनाथजी की प्रतिमा विराजित की। यह प्रसंग वीर सं. २५० के आसपास का है। प्रायश्चित्त के लिए गुप्त रहते और सन्यासी जैसे दिखते पू. आचार्य सिद्धसेन दिवाकर सू. म. ने महाकाल लिंग में से
अवंति पार्श्वनाथ प्रगट किए थे। और विक्रमराजा बोधित हुए। उनके बंधाए हुए मंदिर में प्रभुजी विराममान करने थे परंतु पास के ब्राह्मणों ने उसमें शिवलिंग रखने का आग्रह करने पर विक्रमराजा ने उनको हाँ कहा और दूसरा मंदिर बनाकर उसमें अवन्ति पार्श्वनाथजी की प्रतिमा विराजमान की।
यहां धर्मशाला, भोजनशाला आदि की व्यवस्था है। शहर में खाराकुआं में भव्य मंदिर है। उज्जैन के विभागों में भी अच्छे मंदिर हैं। नदी के सामने किनारे पर भी सुंदर मंदिर है।
अवन्ति पार्श्वनाथजी जैन पेढ़ी, क्षिप्रा नदी के पास, अनंतपेठ, दानी दरवाजा, उज्जैन पिन. ४५६००६
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८९०)
मूलनायक श्री अवंतिपार्श्वनाथजी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग २
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मध्य प्रदेश
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केशरियाजी भगवान
श्री भद्रबाहु स्वामी के प्राचीन चरण, उज्जैन
भद्रबाहु स्वामी प्राचीन चरण
उज्जैन - गांव में जैन मंदिरजी
(५११
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
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१७. श्री हासमपुरा तीर्थ
हासमपुरा जैन मंदिरजी मूलनायक श्री अलौकिक पार्श्वनाथजी
उज्जैन से १३ कि.मी. यह तीर्थ है। प्रतिमा वास्तव में
अलौकिक है। झलते दिखे ऐसे सर्प के फण हैं। पैर में नागनागिन की जोड़ी है। बाजु बंध भी खुदे हुए हैं । ४५ ईंच की प्रतिमाजी है।
यह प्रतिमा और मंदिर १००० वर्ष से भी ज्यादह के हो
ऐसा लगता है । यह मूर्ति ५०० वर्ष महादेव के रूप में पूजित
भोयरे में थी एक मुसलमान को स्वप्न आया और उसने
• प्रतिमा बाहर निकाली। पू. हीर सू. म. के शिष्य पू. सेन सू. म. यहां पधारे ठाकुर जैन बने और मंदिर बनाकर प्रतिष्ठा वि. सं. १६४९ में कराई वो भी पुराना मंदिर है। पास में भी जुड़ा मंदिर है। जहां यह प्रतिमाएं थी वो वहीं रखी है और वहां पू. पाद आ. भ. श्री विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. की प्रतिमा रखी है। यह प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजय भुवन भानु सू. म. के शिष्यरत्न पू. मु. श्री नयरत्न विजयजी म. की निश्रा में सं. २०३६ वै. सुद ७ ता. ३-५-७९ को हुई है। उपर नीचे छोटे ४-४ कमरे की धर्मशाला तथा पुरानी भोजनशाला है। अभी नवीन विशाल भोजनशाला पर धर्मशाला तथा विशाल उपाश्रय और उपर आराधना भवन का निर्माण हुआ है। पू. आ. भ. श्री विजय राजतिलक सूरीश्वरजी महाराज इस प्रदेश में अनेक प्रतिष्ठाओं आदि के लिए पधारे तब तीर्थ का उद्धार करने के लिए प्रेरणा दी थी।
पू. आ. श्री जिनेन्द्रसूरीश्वरजी म. की निश्रा में यहां सर्वप्रथम उपद्यान सेठ मगनलाल वीरचंदजी की तरफ से हुआ बहुत उत्साह होने पर जिन मंदिर का जीर्णोद्धार कर एक पुरानी भोजनशाला और मैदान में भव्य जिनालय का निर्माण निश्चित हुआ पू. आ. श्री की निश्रा में खनन विधि और शिलास्थापन विधि हुई और दो वर्ष में गर्भगृह पूर्ण करने
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मूलनायक श्री अलौकिक पार्श्वनाथजी
की और मूलनायकजी आदि की प्रतिष्ठा की दृष्टि से शीघ्रता से जीर्णोद्धार कार्य हो रहा है।
उपर की टेकरी में से धातु की प्रतिमाजी १२वीं सदी के मिले हैं। और वह श्री विक्रमराजा का महल था ऐसा कहा जाता है। उज्जैन का यह भाग था। यह मंदिर तथा प्रतिमाजी भी दसवीं सदी पूर्व की होना संभव है। प्रतिमा के उपर, पास और मंदिर में भी अनेक बार सांप आकर रहता बाहर से भी आचार्य आते तब सांप आगे चलता। सांप के सामने भक्ति गीत आदि गाने पर बैठा रहता। प्रतिमाजी को शहर में ले जाने की बात होने पर सांप आगे आकर बैठा। स्थानीय ठाकुर भव्य भी प्रतिमाजी यहीं रहे ऐसे भाव से मना करते आज हजारों भव्य जीव वर्ष में यात्रा करने आते हैं। पोष दशमी को मेला लगता है। पास में उज्जैन स्टेशन है। अवंति पार्श्वनाथजी उज्जैन से १३ कि.मी. है। श्री अलौकिक पार्श्वनाथ जैन श्वे. तीर्थ ट्रस्ट मु. हासमपुरा पो. तलोद (जि. उज्जैन) ट्रस्ट रजि. नं. ५५ (म. प्र. ) फोन ६१०२४५ / ६१० २४६
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मध्य प्रदेश
१८. श्री उन्हेल तीर्थ
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उन्हेल जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी उज्जैन रतलाम के बीच यह तीर्थ है। भव्य प्रतिमाजी है। श्रावकों के बहुत घर है। और भव्य हैं यह गांव पूर्व काल में तोरण नाम से जाना जाता था। नागदा में चार दरवाजे पर तोरण बांधते तब एक तोरण यहां बंधाया था। वहां नगर बसने पर तोरण नाम पड़ा। प्रतिमा और मंदिर १०-११ वीं सदी का गिना जाता है। गुप्तकालीन अवशेष मिलते हैं। इस तीर्थ का अनेक बार उद्धार हुआ है। वि. सं. १३०० में संघ ने अंतिम उद्धार कराया था। प्रतिमाजी ४१ ईंच के हैं सर्पफण के साथ इन्द्र-इन्द्राणी है ऐसा बहुत कम होता है। नागदा रेल्वे स्टेशन १० कि.मी. है। उज्जैन से ४० कि.मी. है। मंदिर के पास धर्मशाला है। मु. पो. उन्हेल - ४५६ २२१ (जि.-उज्जैन)
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
. १९. श्री नागेश्वर तीर्थ
मूलनायक श्री नागेश्वर पार्श्वनाथजी
यह तीर्थ थोडे वर्षों से प्रसिद्धि में आया है। इसके साथ कोई संत इस प्रतिमाजी को सिंदुर लगाकर पूजते थे। पू. उ. श्री धर्मसागरजी म.पू. पं. श्री अभयसागरजी म. का ध्यान जाने पर इस प्रतिमाजी को अधिकार में लेकर वहां भव्य मंदिर बनाया और थोड़े समय में प्रसिद्ध तीथ बन गया। 'प्रतिमाजी अत्यन्त भव्य और दर्शनीय है। खड़े प्रतिमाजी और उसकी आकृति देखते नेत्र स्थिर हो जाते हैं। तीर्थ का विकास भी बहुत शीघ्रता से हुआ है।
यह तीर्थ वैसे तो राजस्थान का है परंतु म. प्र. की बोर्डर से ४ कि.मी. है और जमेला स्टेशन के पास है। रतलाम से आते क्षिप्रा नदी के बाद यह तीर्थ आता है। यहां धर्मशाला, भोजनशाला की पूर्ण व्यवस्था है। * मु. उन्हेल (नागेश्वर तीर्थ) जि.-झालावाड़ (राजस्थान)
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मूलनायक श्री नागेश्वर पार्श्वनाथजी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग
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मध्य प्रदेश -E- KEEEEEEEEEEEEEECH
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नागेश्वर जैन मंदिरजी
सहस्त्रफणा पार्श्वनाथजी
२०. श्री परासली तीर्थ
परासली जैन मंदिरजी
यह मंदिर परासली गांव में है गांव बहुत छोटा है। १०० व्यक्तियों की बस्ती है। इस प्रतिमा के उपर वि. सं. ६८८
मूलनायक श्री आदिश्वरजी महा सुद १० को शाह गुलराज हंसराज बोहरा ने आ. म. श्री म. की मूर्तियां है। यहां से श्यामगढ़ स्टेशन ११ कि.मी. है। उदयसागरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा करवाने का लिखा है। वह स्टेशन कोटा रतलाम मार्ग पर है स्टेशन के सामने यहां प्रतिमाजी के महिमा के प्रसंग बने हैं। फा.सुदी अष्टमी धर्मशाला है वहां से परासली कच्चा रास्ता है। धर्मशाला, तथा नवमी के दिन मेला भरता है। पास में श्री शांतिनाथजी भोजनशाला की व्यवस्था है। जैन श्वे. परासली तीर्थ पेढ़ी
का मंदिर तथा श्री रत्नप्रभ सू. म. तथा श्री जिनकुशल सू. मु. परासली पो. श्यामगढ़ (४५८८८३) जि. मंदसौर 劉醫學會醫學學剧剧學學醫學學學影剧剧/剧
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग
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२१. श्री मंदसौर तीर्थ
मंदसौर जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
यह जिले का गांव का है और धर्म का वातावरण है यह मंदिर प्राचीन और दर्शनीय है।
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मध्य प्रदेश
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मूलनायक श्री वही पार्श्वनाथजी
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२२. श्री वही तीर्थ
२३. श्री प्रतापगढ़ तीर्थ
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मूलनायक श्री वही पार्श्वनाथजी
यह तीर्थ प्राचीन है। एक तरफ होने से यात्री सरलता से
नहीं आ सकते । इन्दौर से (१) मक्सी पार्श्वनाथजी ( २ )
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अवन्ति पार्श्वनाथजी (३) अलौकिक पार्श्वनाथजी ( ४ )
वही पार्श्वनाथजी और (५) नागेश्वर पार्श्वनाथजी इन पांच
पार्श्वनाथजी के लिए इन्दौर से एकांतर बस चलाने के लिए
श्रावक बात करते हैं यदि ऐसा हो तो आने वालों को सुविधा
होने से यात्रियों की संख्या भी बढ़ेगी। नागेश्वर तीर्थ पास में है।
2
मूलनायक श्री चंद्रप्रभ स्वामी
(५९७
मूलनायक श्री चंद्रप्रभ स्वामी
मंदसौर के पास यह शहर है वहां अनेक मंदिर है और रोड
送來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來
का व विहार का गांव है। यात्रा करने वालों को सुविधा रहती है।
प्रतापगढ़ जैन मंदिरजी
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग 公路斷參參參參參參參參參參參參參參參參參參
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वंदो वंदो हे भविजन प्यारा, चंदप्रभ जिनराज: चंदो चंदो हे भविजन प्यारा, त्रिभुवन अ शिरताज, चंद्र लंछन प्रभु चरणे सोहे, लंछन जसन लगार; केवल नाणरयणनो भरीये, दरीयो तरीयो संसार। वंदो.१ चंद्रवन जिन दर्शन करीने, नयन सफल मुज आज; रत्न चिंतामणि तुहिं प्रभु मलीयो, सरीया सघला काज। वंदो. २ प्रभुतुज मुरति नीरखी हरखं, जेम चंद्र चकोर; प्रभु तुज मुरति नीरखी हरखं, जेम चंद्र चकोर; प्रभु तुज ध्याने अहोनिश रमतां, बली जाय कर्म कठोर। वंदो.३ प्रभु तुज वाणी अमीरस खाणी, पांत्रीस गुणे रसाल; अतिशय चोत्रीस तुजने छाजे, करुं वंदन त्रिकाल। वंदो. ४ गुरु कर्पूरसूरि अमृत जंपे, प्रभु दीन दयाल; जैनपुरीमा ओप्रभु भजतां, वरीओ मंगलमाल। वंदो.५
मूलनायक श्री चंद्रप्रभ स्वामी
२४. श्री रतलाम तीर्थ
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मूलनायक श्री आदिश्वर मल्लिनाथजी
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मूलनायक श्री शांतिनाथजी 參參參參參參參參斷參參參參參參參參參參參參參參勤勤
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मध्य प्रदेश
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रतलाम जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
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मूलनायक श्री शांतिनाथजी
गांव के मध्य में अगरजी यति के मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है। यह मंदिर भव्य और प्रतिमा भी भव्य है। आखिरी वर्षों में इस मंदिर के सामने बहुत आक्रमण हुए हैं और कोर्ट में लड़ कर मंदिर जैनों के अधिकार में रहा है। जीर्णोद्धार अच्छी तरह से हुआ है। और अभी चालू है।
दूसरा भी बाबा का मंदिर बावन जिनालय है। मल्लिनाथ का मंदिर चौमुखी पुल के पास है। कबीर का मंदिर, सेठजी बाजार का, गुजराती मंदिर, जगवल्लभ पार्श्वनाथजी का मंदिर मुख्य है दूसरे भी बहुत मंदिर है। रतलाम अनेक प्रकार से सेन्टर होने से भव्यजीव आते रहते हैं। गुजराती धर्मशाला, गुजराती मंदिर पास में है। स्टेशन रोड़ पर श्री शंखेश्वर . पार्श्वनाथजी का मंदिर है। श्री शांतिनाथजी मंदिर अगरजी का मंदिर मुख्य है। मु. रतलाम (म.प्र.)
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खड़े शंखेश्वर पार्श्वनाथजी- स्टेशन
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-२
२५. श्री बिबडोद तीर्थ
बिबडोद जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री आदिश्वरजी बिबडोद गांव के पास विशाल कोट में यह मंदिर है, श्याम प्रतिमाजी है। जिससे केशरियाजी मंदिर भी कहा जाता है। रेती में से बनाए प्राचीन प्रतिमाजी है पास में भी भव्य श्याम प्रतिमाजी है दोनों तरफ देरियाँ आदि है। अभी मूल में से जीर्णोद्धार चल रहा है मगशिर वद १० से ० तक मेला लगता है।
रतलाम से ८ कि.मी. है पक्का रास्ता है। विशाल धर्मशाला भोजनशाला है।
श्री जैन श्वे. जिनालय मल्लिनाथ ट्रस्ट, मोती पूज्यका मंदिर, चौमुखीपुल मु. रतलाम (म.प्र.)
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
२६. श्री सागोदीया तीर्थ
मूलनायक श्री आदिनाथजी यह तीर्थ रतलाम से बिबडोद तीर्थ जाते ४ कि.मी. पर आता है भव्य प्रतिमाजी है चारों तरफ हरियाली है। यात्रा का लाभ लेने योग्य है।
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सागोदीया जैन मंदिरजी
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मूलनायक श्री आदिनाथजी
२७. श्री करमदी तीर्थ
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मूलनायक श्री आदिश्वरजी
यह तीर्थ रतलाम से ३ कि.मी. है। और यात्रा का स्थल है। रतलाम से हर दिन पूजा यात्रा के लिए आते हैं। पास में भव्य शत्रुजय तीर्थ की रचना की हुई है। जो दर्शनीय है कार्तिक पूनम को यहां मेला लगता है। .
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
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करमदी जैन मंदिरजी
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मूलनायक श्री आदिश्वरजी
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करमदी - सिद्धाचल तीर्थ
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मध्य प्रदेश
२८. श्री बेतुल तीर्थ
बेतुल जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
बेतुल शहर में यह मंदिर है। भव्य और यात्रा करने योग्य है भोपाल से नागपुर जाते बीच में आता है।
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२९. श्री उवसग्गहरं तीर्थ
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मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
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मध्य प्रदेश
मूलनायक श्री उवसग्गहरं पार्श्वनाथजी दुर्ग शहर के पास यह तीर्थ है। नगपुरा गांव है। २५-३० झोंपड़े वाला यह गांव है। गंडक नदी के उत्तर पहाड़ों में उगना गांव है वहां १७-१०-१९८१ के दिन उगना के प्रमुख भुवनसिंह कुआं खोदते हैं वहां ५५-६० फुट खुदाई हुई तब कुएं की खाड दूधिया पानी से भर गई। देखा तो कोई भारी पत्थर है ऐसा लगा। रस्सी बांधकर पत्थर बाहर लाए। वह मूर्ति थी और बहुत से सांपों से लिपटी हुई थी। सर्प देखकर मजदूर भाग गए। भुवनसिंह ने व वनवासियों आदि ने प्रणाम किया। सभी भगवान मानकर स्वयं के तरीके से पूजने लगे।
एक बार कारोबार के संबंध में हीरा मेघजी संघवी को उन्होंने बात की वो भी साथियों के साथ वहां आये और देखकर बोले अरे ये तो हमारे पार्श्वनाथ भगवान है। प्रतिमा कानपुर ले जाने के लिए कहा परन्तु कोई माने नहीं जिससे एक कमरा बनाकर पू. पं. श्री भद्रंकरविजयजी म. के पास से मुहुर्त निकलवाकर वहां विराजमान की व पूजा शुरु करवाई उसी रात्रि को १०-११ व्यक्तियों को स्वप्न आया कि यह मूर्ति नगपुरा में रावतमल मणि को दो वहां तीर्थ बनेगा। सुबह इकट्ठे हुए। मूर्ति के उपर बहुत सारे सर्प लिपटे हुए देखकर रावतमल मणि की खोज की उनको लाने पर
एक विशाल नाग आया प्रतिमाजी को प्रदक्षिणा देकर माणिकजी के पास बैठा मणिजीने नमीउणस्त्रोत बोलकर प्रभुजी की पूजा की दो सर्प के अलावा सभी सर्प चले गये।
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
पू. आ. श्री कैलाशसागरजी म. पाली थे। उनके पास से मुहर्त लिया और भुवनसिंह का बहुमान करने के साथ उगना में विराजमान करने के लिए ३ प्रतिमाजी देकर ता. २६-४-१९८५ को वह प्रतिमाजी नागपुर लाये परंतु हद के पास मेटाडोर रुक गई ता. २८ को उन प्रभु के नामस्मरण से तुरंत चल गई यह प्रतिमाजी उवसग्गहरं पार्श्वनाथजी के नाम से प्रसिद्ध हुई।
भव्य मंदिर बना अनेक पूज्यों की प्रेरणा, सहयोग व मार्गदर्शन से तीर्थ बन गया जिसकी प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजय राजयश सूरीश्वरजी म. की निश्रा में ता. ५-२-९५ के दिन हुई। भव्य विशाल जिनमंदिर बना है। धर्मशाला, भोजनशाला आदि की व्यवस्था है।
श्री उवसग्गहरं पाश्र्व तीर्थ पारसनगर मु. पो. नगपुरा जि. दुर्ग ४९१००१ (म. प्र. ) फोन ०७८८-८९४८ (मेनेजिंग ट्रस्टी ३२३८- रायपुर)
३०. श्री राजनांदगांव तीर्थ
राजनांदगांव जैन मंदिरजी
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६०६)
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દીકરીઓ
३२.
मूलनायक श्री शीतलनाथजी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग 梁樂樂
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३१. श्री रायपुर तीर्थ
खम्मा मारा वीर भगवान, माया ममताना त्यागी क्षत्रिय कुंडमां जनम्या जिणंदजी,
माता त्रिशलाना बाल माया. राय सिद्धारथ कुलना जे दीपक,
सवि जीवना रखवाल माया. सर्व हित काजे जेणे तीरथ स्थाप्युं,
पर उपकारे उजमाल माया. जगना तारक प्रभु जगना आधारा,
महामाहण गोपाल, माया. दर्शन अमृत जेनुं पान करता,
जिनेन्द्र पद रसाल। माया.
मूलनायक श्री ऋषभदेवजी
श्री पांडुरना तीर्थ
पांडुरना जैन मंदिरजी
मूलनायक : श्री शीतलनाथजी
यहां श्री हालारी वीशा ओसवाल तपागच्छ जैन संघ ने इस मंदिर का निर्माण पू. आ. श्री विजय जिनेन्द्र सूरीश्वरजी म. के मार्गदर्शन अनुसार किया है। अंजनशलाका प्रतिष्ठा सं. २०४६ मगसिर सुदी ६ को पू. पं. अभी आ. श्री नरदेव सागर सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। आरस के ३ प्रतिमाजी है । घर ३३ संख्या २०० है। दिल्ली मद्रास रेल्वे लाईन है ।
नागपुर से ५५ कि.मी. है। जि. छिंदवाडा पिन ४८०३३४
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सींधुदुर्ग.
कोपरगांव येवला
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मालेगाव
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वैजापुर संगमनेर
वही
इस्लामपुर जागती:
गुलीया
पंढरपुर
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श्रीगोंडा,
अमलनेर
पारोला जलगाव
पांचारा
इलोरा,
श्री रामपूर
अहमदनगर
मीरज
भुसावल
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बालीपुर
औरंगाबाद जालना
चालीश
सोलापुर
कर्णाटक
गाव
बीड
उस्मानाबाद
अकोला
त्रिंशेल
विदिग्रस,
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हिंगोली
दारहवा
नांदेड
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २ VONIONARAYANAMANG
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६१८ खामगांव तीर्थ बालापुर तीर्थ अंतरिक्ष पार्श्वनाथजी तीर्थ - शिरपुर ६२१ आकोला तीर्थ कारंजा तीर्थ अमरावती तीर्थ नागपुर तीर्थ भद्रावती (भांडकजी) तीर्थ चंद्रपुर तीर्थ . वरोरा तीर्थ हिंगणघाट तीर्थ वर्धा तीर्थ दारव्हा तीर्थ दिग्रस तीर्थ गौलबाजार (शेखारपीपरी) तीर्थ ६३२ हिंगोली तीर्थ
६३३ परभणी तीर्थ नांदेड तीर्थ
लातुर तीर्थ जालना तीर्थ औरंगाबाद तीर्थ कात्रज तीर्थ (पुना) पुना केम्प तीर्थ सतारा तीर्थ कराड तीर्थ ईस्लामपुर तीर्थ सांगली तीर्थ कवलापुर तीर्थ मिरज तीर्थ कुंभोजगिरि तीर्थ कोल्हापुर तीर्थ सेलु तीर्थ वैजापुर तीर्थ मालेगांव तीर्थ चांदवड तीर्थ येवला तीर्थ कोपरगांव तीर्थ शिरडी तीर्थ संगमनेर तीर्थ सिन्नर तीर्थ नासिक तीर्थ वणी तीर्थ अहमदनगर तीर्थ गोलवाड तीर्थ भायंदर तीर्थ कल्याण तीर्थ अगासी तीर्थ लोनावाला तीर्थ
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१. श्री नंदरबार तीर्थ
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- मूलनायक श्री अजितनाथजी
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मूलनायक श्री अजितनाथजी
यह शिखरबंद मंदिर सुरत नानपुरा वाले शाहजीवणजी ठाकरशी के पौत्र शाह डाया मंछराम ने सं. १९८२ जेठ सुदी ६ को बंधवा कर प्रतिष्ठा करवाई है। श्री संघ व्यवस्था करता है। आरस के ६ प्रतिमाजी है। जैनों के १८५ घर २००० की संख्या है। सुरत से १६२ कि.मी. है।
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नंदरबार जैन मंदिरजी
जि. धुलिया । सुरत भुसावल रेल्वे लाईन है। पिन
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पास के बलसाणा गांव में जमीन में से खोदकार्य करते
११वीं सदी ने प्रतिमाजी मिले हैं वहां नवीन जिनालय बलसाणातीर्थ पू. श्री गणिवर्यश्री विद्यानंदविजयजी म. के उपदेश से बन रहा है।
MOM अमंगल MOV
२. श्री डोंडाईचा तीर्थ
मूलनायक श्री संभवनाथजी
पहले घर मंदिर था बाद में शिखरबंधी बना है। प्रतिष्ठा
सं. २०२७ वैशाख सुद को पू. आ. श्री माणिक्यसागर
सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। आरस की ४ प्रतिमाएँ हैं ।
जैनों के ४० घर २५० की संख्या है। ता. सिंहखेडा जि.
धुलिया पिन ४२५४०८ सुरत भुसावल रेल्वे लाईन में डोबाचा स्टेशन है।
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन , भाग -
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डोंडाईचा जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री संभवनाथजी
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अक्कलकुवा जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
प्राचीन घर मंदिर था वह जीर्ण होने पर नया जिनमंदिर शिखरबंधी बंधवाया शिखर में श्री जीरावाला पार्श्वनाथ
जी है। __ प्रतिष्ठा वि. सं. २०३८ माघ सुदी १३ अभी पू. आ. श्री नरदेवसागर सूरीश्वरजी म. के द्वारा करवाई है। आरस के ३ प्रतिमाजी है। जैनों के ६० घर ३५० संख्या है। अंकलेश्वर से १२५ कि.मी. डोंडाईचासे ७४ कि.मी. है। पास में नेत्रंग (भरुच) मंदिर तथा जघडीयाजी तीर्थ आदि है। डोंडाईचा तथा नंदुरबार रेल्वे स्टेशन है। जि. धुलिया पिन - ४२५४१८
मूलनायक श्री वासुपूज्यस्वामी
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महागष्ट विभाग
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४. श्री खापर तीर्थ
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वापर जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री नमिनाथजी
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हो अनुपम ज्योति प्रभुनी उदार रे,
या मनडुं प्रफुल्ल करनार रे, हो.. वप्रामाता प्रभु विजयराजनंदन, नमिनाथ जगदाधाररे। हो.१ विषयकषाय रूप संसार छोडीने, दीक्षा देवी वरनार रे। घातिकोनो नाश करीने, केवल दीपक धरनार रे। अघाति नाशथी शिवरमा पाम्या, दिव्य सुख भंडार रे। व्रण भुवननां उद्योत कों, जिनचंद्र मनोहार रे। तारो प्रभुजी अमृतवाणी थी, जिनेन्द्र हृदयनां हार रे।
मूलनायक श्री नमिनाथजी पहले घर मंदिर था २०४२ में शिखरबंदी बना तब पू. आ. श्री विजय यशोदेवसूरीश्वरजी महाराज के द्वारा प्रतिष्ठा हुई थी। दूसरी बार प्रतिष्ठा २०४२ में पू. मु. श्री नरदेवसागरजी म. के द्वारा हुई है। आरस के ६ प्रतिमाजी
जैनों के ६५ घर ४०० संख्या है। पास के शडादा तथा तलोदा गांव में मंदिर है। अक्कल कुवा से २० कि.मी. है। स्टेशन नंदुरबार जि. धुलिया पिन ४२५४१९
नेम हमारा स्वाम है, मंगलकारीनाम है; आतमको आराम है, स्वामी है सभी देवका... सभी संसार असार है, तीरथ जग में सार है।' शत्रुजय गिरनार है, स्वामी है सभी देवका। नेम.१ ईहां प्रभु तीन कल्याण है, दीक्षा केवल नाण है; तिसरा ही निर्वाण है, स्वामी, है सभी देवका... नेम. २ जो तुम चरणे रमता है वो भव में नहि भमता है; .. शिवराणी को गमता है, स्वामी, है सभी देवका। नेम.३ पापी मुझको तारना; भवोदधि पार उतारना; उपेक्षा प्रभु मत करना, स्वामी है सभी देवका। नेम. ४ गुरु कर्पूरसूरि शीह है, चाहत तुज आशीष है; प्रभु तुहि जगदीश है, स्वामी है सभी देवका। नेम।५
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अश्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग
५. श्री शिरपुर तीर्थ
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शिरपुर जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री पद्मप्रभ स्वामी इस मंदिर की प्रतिष्ठा सं. १९६२ में महा सुद ५ को पू. आ. श्री चंद्रसागर सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है।
आरस के प्रतिमाजी ५ नीचे ५ उपर शिखर में है। धातु के ५३ प्रतिमाजी है। जैनों के ८० घर है, ५०० की संख्या है। स्टेशन नरकाना, ता. शिरपुर, जि. धुलिया पिन - ४२५४०५
मूलनायक श्री पद्मप्रभ स्वामी
सिद्धाचल वासी प्यारो, लागे मोरा राजिंदा, ईणेरे डुंगरीये झीणी झीणी कोरणी,
उपर शिखर बिराजे मोरा राजिंदा। सि. काने कुंडल माथे मुगट बिराजे,
बांहे बाजुबंध छाजे, मोरा राजिंदा। सि, चौमुख बिंब अनोपम छाजे,
- अद्भुत दीठे दुःख भांजे मोरा राजिंदा। सि. चुवा चुवा चंदर ओर अगरजा,
केसर तिलक विराजे, मोरा राजिंदा। सि. ईण गिरि साधु अनंता सिद्धा,
कहेतां पार न आवे, मोरा राजिंदा। सि. ज्ञानविमल प्रभु अणी पेरे बोले,
आ भव पार उतारो। मोरा राजिंदा। सि.
सिद्धाचलगिरि भेंट्यारे, धन्य भाग्य हमारा। ओ आंकणी ओ गिरिवरनो महिमा मोटो, कहेतां न आवे पारा, रायण रूख समोसर्या स्वामी, पूर्व नवाणुंवारा रे। धन्य १ मूलनायक श्री आदि जिनेश्वर, चौमुख प्रतिमा चारा. अष्ट द्रव्य शं पूजो भावे, समकित मूल आधार रे। धन्य२ भावभक्ति शुं प्रभु गुण गातां, अपना जन्म सुधारा, यात्रा करी भविजन शुभ भावे, नरक तिर्यंचगति वारा रे। धन्य ३ दूर देशांतरथी हुं आव्यो, श्रवणे सुणी गुण तोरा, पतित उद्धारण बिरुह तुमारूं, ओ तीरथ जगसारा रे, धन्य ४ संवत अढार त्यासी मास अषाढो, वदी आठम भोमवारा, प्रभुजी के चरणे प्रतापके संघमें, खीमारतन प्रभु प्यारारे, धन्य ५
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महाराष्ट्र विभाग
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नंदुरबार
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६. श्री धुलिया (धूले) तीर्थ
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मूलनायक श्री शीतलनाथजी
यहां प्रथम नीचे के भाग में मंदिर था। बाद में उपर के भाग में बंधवाया। तीन मंजिल का महाराष्ट्र का सबसे ऊंचा जिन मंदिर है । आरस के १८ प्रतिमाजी तथा धातु के ३५ प्रतिमाजी है।
जैनों के ३०० घर १५०० की संख्या है। गावं में दूसरे मंदिर है। चालीस गांव धुलिया रेल्वे तथा मुंबई चालीसगांव रेल्वे धुलिया स्टेशन है। जि. धुलिया पिन - ४२४००१
नेर जैन मंदिरजी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग २
७. श्री नेर तीर्थ
मूलनायक श्री मनवांछित पार्श्वनाथजी
मूलनायक श्री मनोवांछित पार्श्वनाथजी
११वीं सदी का प्राचीन मंदिर है। अंतिम जीर्णोद्धार सं. १९८८ में हुआ प्रतिष्ठा भी सं. १९८८ वैशाख सुदी ११ को हुई। आरस के ५ प्रतिमा मूल गर्भगृह में तथा ५ उपर है। जैनों के ४५ घर २५० संख्या है। धुलिया से २८ कि.मी. सुरत धुलिया रेल्वे लाईन । जि. धुलिया पिन - ४२४३०३
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महाराष्ट्र विभाग
८. श्री अमलनेर तीर्थ
अमलनेर जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री शामलिया पार्श्वनाथजी
मूलनायक प्राचीन गिरुवा पार्श्वनाथजी का घर मंदिर था बाद में तीन मंजिल का भव्य जिनालय बना जिसमें गिरुवा पार्श्वनाथजी उपर के भाग में है। प्रतिष्ठा सं. २००७ वैशाख सुदी ७ को महाराष्ट्र केशरी पू. आ. श्री विजययशोदेवसूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। आरस के प्रतिमाजी २६ तीन गर्भगृह में ६ बाहर है। तथा धातु के ६५ प्रतिमाजी है । ४ प्रतिमा आरस के हैं।
सोसायटी में शीतलनाथजी मंदिर है। उसकी प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजयरामचंद्र सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है । उस समय २६ दीक्षाएँ हुई हैं। प्रसिद्ध नेमिचंद मिश्रीमलजी कोठारी के कुटुंबमें से १२ दीक्षाएं हुई है जिसमें महाराष्ट्र खानदेशरत्न नेमिचंदजी ने नंदीश्वरविजयजी के रुप में दीक्षा
।
भी है।
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
यहां सेठ हरभम नरशी नाथा के यहां ३०० वर्ष से घर मंदिर था। प्रतिमाजी मूलनायक है। जो २३०० वर्ष पुरानी श्रीलंका से लाई सं. १९८७ में यति श्री गुणचंदजी तथा क्षमानंदजी की निश्रा में प्रतिष्ठा हुई है। आरस की प्रतिमा ६ है जैनों के १०० घर ६०० की संख्या है।
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९. श्री पारोला तीर्थ
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मूलनायक श्री श्यामलीया पार्श्वनाथजी
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भोजनशाला, अतिथिगृह, महाजनवाडी है 'धुलिया से २८ कि.मी. अमलनेर से १८ कि.मी. है। अमलनेर ताप्ती रेल्वे का स्टेशन है। कच्छी दशा ओसवाल श्वे. मू. पू. जैन संघ अचलगच्छीय श्री शांतिनाथ जैन मंदिर जि.65 जलगांव, पिन - ४२५१११ भ
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(६१५
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श्री श्वेताबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
100
100
१००
पारोला जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री शांतिनाथजी र
36000
।
१०. श्री चालीसगांव तीर्थ
चालीसगांव जैन मंदिरजी
यहां वि. सं. १९०८ में गुम्बज वाला मंदिर था । शिखरबंधी वि. सं. १९६४ जेठ सुदी ११ को हुआ। अभी विशाल जिनालय का कार्य चालु है। आरस के ३ प्रतिमाजी है धातु के १२ है। श्री कच्छी दशा ओसवाल श्वे. मू. पू. जैन संघ के ३०० घर १५०० की संख्या है। मुंबई नागपुर रेल्वे तथा मुंबई दिल्ली रेल्वे उपर यह जंक्शन है। जिला - जलगांव।
मूलनायक श्री पद्मप्रभ स्वामी
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महाराष्ट्र विभाग
(६१७
(
1 ) ) () () () () )
११. श्री पांचोरा तीर्थ
) (
।
श्रीभगनाथ भगवान
पांचोर जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री संभवनाथजी मूलनायक श्री संभवनाथजी
यहां १२५ वर्ष पहले घर मंदिर था । शिखरबंधी मंदिर होने पर वि. सं. २०१५ मगसिर सुद ९ को पू. आ. श्री विजय यशोदेवसूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। आरस के १२ प्रतिमा है।
' धातु के १८ प्रतिमा है। जैनों के १४० घर ७०० की संख्या है। कच्छी गुजराती आदि है। जलगांव से ६०कि.मी. है। मुंबई भुसावल रेल्वे लाईन पर यह स्टेशन है।
जि.-जलगांव।
१२. श्री जलगांव तीर्थ
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी पहले भाईचंद खुशालचंद पाटन के रहीश का घर मंदिर था। ७५ वर्ष पहले शिखरबंधी बनाया है। अंतिम प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजयभुवन भानुसूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है।
आरस के १३ धातु की १५ प्रतिमा है। नये दो मंदिर शिखरबंधी बन रहे हैं। ४ घर देरासर है। जैनों के कच्छी मारवाड़ी २०० घर है । १२०० की संख्या है। पांचोरा ४७ कि.मी. है। सुरत भुसावल तथा अहमदाबाद हावड़ा रेल्वे लाईन उपर जंक्शन है। पिन-४२५००१
. यहां से ३७ कि.मी. और भुसावल से २७ कि.मी. जामनेर गांव है। वहां सुंदर शिखरबंधी जिनमंदिर है। पू. आ. श्री विजयरामचंद्र सू. म. के प्रशिष्य पू. पं. श्री चंद्रकीर्ति विजय म. के द्वारा ता. १४-२-९० महा वदी५ को प्रतिष्ठा हुई है। जलगांव से १५-१५ मिनिट और भुसावल से ३०-३० मिनिट में बस मिलती है।
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६१८)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
जदेरासरजीमे मैट
जलगांव जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
१३. श्री मलकापुर तीर्थ
मूलनायक श्री सुमतिनाथजी
मलकापुर जैन मंदिरजी
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महाराष्ट्र विभाग
मूलनायक श्री सुमतिनाथजी
१०० वर्ष पहले के प्राचीन मंदिर जीर्ण होने पर आगे के भाग में जगह लेकर विशाल जिनालय बनाया है। पन्नालाल छगनलाल पट्टणी का घर मंदिर है। सभी जैनों के ३२५ घर २१०० की संख्या है। नागपुर भुसावल रेल्वे स्टेशन है। भुसावल से ४५ कि.मी. है। जि. बुलढाणा पिन ४४३ १०१
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१४. श्री खामगांव तीर्थ
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
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खामगांव जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
मंदिर शारिखबदास सवाईलाल तथा श्री संघ तरफ से वि. सं. १९४९ सन् १८९३ में हुआ है। आरस के ५ धातु के २४ प्रतिमाजी है। जैनों के १२५ घर १००० की संख्या हैं। मलकापुर से ४० कि.मी. है। जि. बुलढाणा मुंबई हावड़ा रेल्वे है । पिन - ४४४ ३०३ ।
यहां से ६० कि.मी. पहाड़ में गुफाओं में जिंतुर गांव से ३ कि.मी. अति प्राचीन श्वे. जैन तीर्थ है। २० कि.मी. टेलारा गांव में मंदिर है।
(६१९
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-२
१५. श्री बालापुर तीर्थ
बालापुर जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
पहले लकडी का मंदिर था। वि. सं. १९६१ महा सुद ५ शिखरबंधी की प्रतिष्ठा नरपतिचंद्र सू. म. के द्वारा हुई है। फिर प्रतिष्ठा २००७ जेठ सुद ५ तथा सं. २०३० को हुई है।
आरसे के प्रतिमा १६ धातु के १२ है। दूसरा मंदिर गोडी पार्श्वनाथजी का है। जैनों के ६५ घर तथा ४०० की संख्या है। यहां कुल ३० दीक्षाएं हुई है। मुंबई हावड़ा रेल्वे आकोला स्टेशन है। खामगांव से ४० कि.मी. है। जि. आकोला ता. । बालापुर पिन नं. ४४४ ३०२ ।'
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महाराष्ट्र विभाग
(६२१
(१६. श्री अंतरिक्ष पार्श्वनाथजी तीर्थ - शिरपुर )
मूलनायक श्री अंतरिक्ष पार्श्वनाथजी
अंतरिक्ष पार्श्वनाथजी जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री अंतरिक्ष पार्श्वनाथजी
प्रभुजी की मूर्ति बेलुनी है तथा अर्द्धपद्मासन है। ३६ ईंच जितनी ऊंचाई है। फण सहित ४२ ईंच है। लेप किया हुआ है।
श्री अंतरिक्ष पार्श्वनाथ तीर्थ कमेटी शिरपुर (जि. आकोला) महाराष्ट्र। ___यह तीर्थ प्राचीन और प्रभाविक है। प्राचीन अंतरिक्ष पार्श्वनाथ मंदिर है तथा पास में श्री विघ्नहरा पार्श्वनाथजी का मंदिर है। बालापुर निवासी सेठानी समरथबेन तथा श्रीमती सरस्वतीबहन पू. आ. श्री विजय भुवन तिलकसूरीश्वरजी म. के उपदेश से चौमुख श्री विघ्नहर पार्श्वनाथजी मंदिर बनाकर उनकी शुभ निश्रा में सं. २०२० फाल्गुन सुदी ३ की प्रतिष्ठा की है। दूसरी परिक्रमा में २८ प्रतिमा है। श्वे. दि. समाधान अनुसार ३-३ घंटे के नंबर से प्रभुपूजा बिना न रहे इसलिए इस भव्य मंदिर की प्रतिष्ठा हुई है। प्राचीन इतिहास ऐसा है कि रावण के बहनोई खरदुषण कार्य के लिए जाते रास्ते में पूजा करने के लिए प्रतिमाजी लाना भूल गए जिससे रेत छाणकी प्रतिमा बना कर पूजा की फिर कएं में पधराई वह प्रतिमा शासन देव ने अखंडित रखी।
वडा देश के इलायचीपुर के राजा श्रीपाल नामके चंद्रवंशी राजा थे उनको कोढ निकला वो घूमते इस कुएं के स्थान पर आए। थकान दूर करने के लिए हाथ, पैर, मुंह धोया। घर आकर शांति से सो गए सुबह रानी ने देखा कि जहां पानी लगा था वहां कोढ़ मिट गया। पूछा और फिर वहां ले जाकर राजा को स्नान करवाया। कोढ़ पूर्णरूपेण दूर हुआ। __ शासनदेव की आराधना की और स्वप्न आया कि खरदूषण द्वारा बनाई पार्श्वनाथ प्रभुजी की प्रतिमा यहीं है जो सूत के धागे से पालखी उतार कर बाहर निकालना गाडी में रखकर बछड़े जोड़कर तू आगे खींचना पीछे देखेगा तो प्रतिमा अधर रह जाएगी।
राजा ने वैसा ही किया। परन्तु वजन नहीं लगने के कारण पीछे देखा। प्रतिमा अधर रह गई। गाड़ी चली गई, राजा को बहुत दुःख हुआ। वहां मंदिर बनाया श्रीपुर नगर बसाया परन्तु प्रतिमाजी आए नहीं। घड़ा निकले इतने उंचे रहे । मलधारी श्री अभयदेव सू. म. वहां पधारे उन्होंने धरणेन्द्र का स्मरण किया देव ने कहा, राजा ने मंदिर बंधवा कर गर्व किया है जिससे इस मंदिर में प्रतिमा नहीं आएगी। संघ के मंदिर में आएगी। उनके उपदेश से संघ ने मंदिर बनवाया।
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग -
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और प्रतिमाजी ने उसमें स्वयं प्रवेश किया और भूमि से प्रतिमाजी पर जाले लग गए हैं देखकर दुःख होता है। सात अंगुल उंचे रहे। वि.सं. ११४२ माह सुद५ रविवार को पूजा नहीं हो सकती। अभयदेव सू.म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई। बार्थी तरफ शासनदेव जैन परंपरा के इतिहास में ऐसा उल्लेख है कि पास के की प्रतिष्ठा करके राजा ने भी आंगी मुकुट आदि पूर्वक गांव में दिगंवर मंदिर में चोरी हुई और उनकी प्रतिमाजी की बहत भक्ति की। आचार्य महाराज वहां चातुर्मास करके रक्षा के लिए अंतरिक्ष मंदिर में विराजमान की और दिगंबरों विहार कर गए।
का आना-जाना होने लगा और फिर मंदिर तथा मूर्ति पर AHE OF श्री देवसूरि म. के शिष्य साचोरके निवासी श्री भाववि. अधिकार जमाने के लिए दिगंबरों द्वारा विवाद शुरु हुए हैं।
म. की आंखे चली गई। पद्मावती देवी ने कहा कि तुम इस तीर्थ के कार्य में प. पू. आ. श्री विजयभुवन अंतरिक्ष पार्श्वनाथजी का आश्रय लो वह पाटण से यहां तिलकसूरीश्वरजी म. ने जागृति लाई है। उसी प्रकार प. पू.
आए अन्नजल का त्याग किया स्तुति करके नेत्रपटल खिसक आ. श्री विजय यशोदेव सू. म. ने भी जागृती लाने में बहुत EOHRE गए दर्शन किए।
प्रयत्न किए हैं। उसी प्रकार महाराष्ट्र तथा मुबंई के श्रावकों उनको देव ने स्वप्न में कहा कि मंदिर छोटा है। बड़ा ने भी बहुत प्रयत्न किए हैं।
कराओ। श्री भाववि.म.ने संघ को उपदेश देकर बड़ा मंदिर मूल अंतरिक्ष मंदिर श्रीपालराजा ने बंधवाया वह शिरपर BHOI
कराया और सं. १७१५ में फाल्गुन वदी ६ रविवार को नये गांव के पास बगीचा है वहां वड़ का पेड़ है वहां प्रभुजी घड़ा मंदिर में पूर्वाभिमुख प्रतिष्ठा की प्रभुने भूमि का स्पर्श नहीं जा सके इतने अधर थे ऐसा कहा जाता है। अंतरिक्ष पार्श्वनाथ किया एक अंगुल उंचे रहे आज भी नीचे से कपड़ा निकल मर्ति मनिसुव्रत स्वामी के शासन में बनी है। वह बाहर लाकरें जाता है। सं. १७१५ में श्री देव सू. म. के द्वारा औरंगाबाद प्रतिष्ठा ११४२ में हुई है। २०१५ अभिषेक उत्सव के समय के अमीचंदभार्या इंद्राणी दोनो ने धातु की वासुपूज्य स्वामी नया मंदिर बनवाने की योजना हुई और २०२०२ में उन श्री की प्रतिष्ठा कराई है। मूल मंदिर में अधिष्ठायक देव सं.. विघ्नहर पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिष्ठा हुई है। ११४२ में विराजित है वह मणिभद्रजी के नाम से जाने जाते
महाराष्ट्र और देशभर के बड़े तीर्थों में यह तीर्थ गिना | हैं। और पश्चिमाभिमुख प्रभु की बैठक थी उसके उपर।
जाता है। धर्मशाला, भोजनशालाकी व्यवस्था है। सुरत अधिष्ठायक देव माणिभद्र की स्थापना हुई है वो भगवान
भुसावल रेल्वे तथा कलकत्ता नागपुर रेल्वे है। वाशिम स्टेशन | फिरे उसके बाद हुई होगी? भाव वि. म. ने उनके गुरु
१९ कि.मी. है। आकोला से ७२ कि.मी. है। शिरपुर पिन - | विजयदेव सू. की पादुका की सं. १७१५में प्रतिष्ठा की है।
४४४५०४ ता. वाशिम जि. आकोला। ___शिरपुर के मराठा पुजारी पोलकर नाम से जाने जाते हैं। वह मंदिर हड़प बैठे उसका श्वे. दि. संयुक्त मिलकर तीर्थ को पोलकरों के अधिकार में से निकाला। परस्पर संघर्ष न
तारो तारोहे प्रभुजी प्यारा, शान्तिनाथ भगवान || हो इसलिए श्वेताम्बरों ने दिगंबरों को सं. १९६१ में पूजाके
तारो तारो हे प्रभुजी प्यारा, शान्तिनाथ गुणवान नंबर का पत्रक देकर संतोष दिया। परंतु श्वेताम्बरों का भवसागरमा तुडता मजने, उतारो भवपार: अधिकार पचाने के लिए १९६३ में माह सुदी १२ के लेख में
तुज वियोगे पवमा प्रमीयो, शांति जमली लगार । तारो. कंदोरा, कच्छ उन्होंने मूर्ति में से खोद निकाले। चक्षु, टीका
आधिव्याधिने उपाधिमा, दाझ्यो अपरपार:
करुणाष्टिले पहेर करीने; शांत करो आवार। तारो. | आभूषणों में विघ्न डाला। सन् १९०५ से केश हुए। इंग्लेण्ड
विषय कषावने वश घाईने, गुना कयां अपार; प्रीवी काउन्सील का फरमान १९२९ में आया। सभी श्वे.
जेवो तेवोदास जाणीने माफ करो दयाली तारो. की तरफ में आए। उसके सामने की दि. की अपील प्रीवी
पुण्योदये तुम दर्शन पानी, तरियो आ संसार; काउन्सल ने निकाल दी।
हवे प्रभु मुजने दूरन करशो, हृदय धरीने प्यार। तारो. सा ऐसा होते अभी मूर्ति सरकारी पहरे में कैद है। और
गुरु कपरसूरि अमृत भाखे, विनतडी अवधारणा 1खिड़की में से दर्शन हो सकते हैं।
भवोभव हुं हुं दास तुमारो नहि भुलु उपकार तारो
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महाराष्ट्र विभाग
१७. श्री आकोला तीर्थ
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
१२५ वर्ष पहले गोडी पार्श्वनाथजी धातु के प्रतिमाजी का पर मंदिरथा १९६९ में ६७४ वर्ष प्राचीन श्री आदिश्वरजी का पू. आ. श्री विजय वल्लभ सूरीश्वरजी म. द्वारा प्रतिष्ठा हुई। २०३८ में तीन मंजिल का शिखरबंधी मंदिर वही मूलनायक रखकर किया। पू. आ. श्री इन्द्रजिन सूरीश्वरजी म. द्वारा प्रतिष्ठा हुई आरसके २४ धातु के १७ प्रतिमाजी है। जैनों के ५०० घर २५०० की संख्या है। मुंबई हावड़ा रेल्वे जि. आकोला पिन - ४४४००१
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मूलनायक श्री आदिश्वरजी
सन् १९३७ माह वदी ७ को कच्छी श्रावक ने घर मंदिर बनवाया सन् १९८६ में शिखरबंधी मंदिर हुआ पति सुरेशचन्द्रजी की निश्रा में प्रतिष्ठा हुई। आरस के ४ प्रतिमाजी है और जैनों के ५०० घर है।
१८. श्री कारंजा तीर्थ
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आकोला जैन मंदिरजी
(६२३)
ता. कारंजा जि. अकोला मूर्तिजापुर यवतमाल, नेरोगेज रेल्वे स्टेशन है। पिन - ४४४१०५
करंज ऋषि के नाम पर से कारंजा नाम पड़ा है। दिगंबर छोटी काशी कहते हैं। रत्नमणी प्रतिमाएं है । ७०० वर्ष प्राचीन काष्ट मंदिर है।
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श्री श्वेतांवर यशनमा
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कारंजा जैन मंदिरजी
तुलनायक श्री आदिश्वरी
१२. श्री अमरावती तीर्थ
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अमरावती जैन मंदिरजी
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मूलनायक श्री सुपार्श्वनाथजी
मूलनायक श्री सुपार्श्वनाथजी
१२५ वर्ष प्राचीन मंदिरखरतरगच्छीय है। वि.सं. १९३९ महा सुदी ५ को प्रतिष्ठा हुई है। आरस के ५ धातु के २४ प्रतिमा है। जनों के ५०० घर ३००० संख्या है। एक दादावाड़ी तथा घर मंदिर है। मवंड हावडा रेल्वे स्टेशन है। प्रताप नाक जि अमरावती । पिन - ४४४३०४
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महाराष्ट्र विभाग
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नागपुर नया जैन मंदिरजी
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२०. श्री नागपुर तीर्थ
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श्री अजितनाथ भगवान मूलनायक श्री अजितनाथजी
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नागपुर - नया मूलनायक श्री मुनिसुव्रतस्वामी
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नागपुर जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री आदिश्वरजी- ३०० वर्ष
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६२६)
मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी
यह मंदिर तीन भाग में है बीच में मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी की प्रतिष्ठा २०३१ में हुई वह पहले गृहमंदिर था नीचे श्री अजितनाथजी मंदिर की सं. १९८८ महा सुद ५ की प्रतिष्ठा हुई। उपर प्राचीन मंदिर ऋषभदेवजी का है वह ३०० वर्ष पुराना है।
२१. श्री भद्रावती (भांडकजी) तीर्थ
मूलनायक श्री स्वप्नदेव केशरिया पार्श्वनाथजी
यह प्राचीन तीर्थ है। अंतिम उद्धार कराकर वि. सं. १९७५ फा. सु. ३ को पू. श्री जयमुनिजी के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है । यहां आरस के २० और धातु के २५ प्रतिमाजी हैं।
हर दिन अच्छी संख्या में यात्री आते हैं। जलमंदिर का सुंदर आयोजन किया है।
महाभारत में इस नगरी का उल्लेख है। यहां के राजा की कन्या भद्रावती जो कलिंग के राजा को ब्याही थी। वह धर्मप्रेमी थी। चीनी यात्री ह्वेनसांग के प्रवास में इस नगर का नाम है। प्रतिमा नगर के नाश में दब गई थी जो खोदकार्य करते प्रगट हुई है।
बीती सदी में प्रतिमाजी का आधा भाग दबा हुआ था लोग केशरिया बाबा कहते और सिंदुर चढ़ाते । चांदा, वर्धा, हिंगणघाट आदि के संघों के कहने से सरकार ने सन् १९१२ में यह स्थान संघ को सौंपा मध्यप्रदेश के राज्यपाल सर फ्रेन्क स्लाइव ने केशरिया बाबा के दर्शन से प्रभावित होकर १४२ एकड़ जमीन इस तीर्थ को भेंट दी थी और बाद में फिर से जीर्णोद्धार कराया था।
वि. सं. १९६६ महा सुद ५ अंतरिक्ष तीर्थ के मैनेजर श्री चत्रभुज भाई ने स्वप्न देखा कि उनका भांडुक आसपास गाढ़ जंगल में घूमता है वहां नागदेवता उसको इस तीर्थ का संकेत करते हैं। उस आधार पर वह महा सुद ९ को इस तीर्थ की खोज में निकलते हैं यहां केशरीया बाबा स्थान देखते हैं।
विशाल सत्य मंडप है आरस के ९ प्रतिमाजी है तथा पास में दो मंदिर है। उसमें आरस के ८ प्रतिमाजी है। सभी जैनों के २४०० घर हैं, २० हजार की संख्या है श्री ओसवाल पंचायत इतवारी श्रीअजितनाथ जैन श्वे. मंदिर ट्रस्ट दूसरी गली इतवारी नागपुर सीटी पिन ४४२००२ मुंबई हावड़ा रेल्वे का स्टेशन है।
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भांग
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चांदा के संघ ने कहा और संघ ने सरकार के पास से कब्जा लिया, भक्तजनों जब से स्वप्नदेव श्री केशरीया पार्श्वनाथजी भगवान कहने लगे। बगीचे में आदिश्वरजी मंदिर तथा गुरु मंदिर है। मंदिर के उपर के भाग में चौमुख है। उसमें पार्श्वनातजी, चंद्रप्रभुजी और आदिनाथजी एक पत्थर में बने हुए हैं।
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यहां मगशिर वद १०का मेला लगता है। यहां ८ घर और ५० जैन हैं। भांडक स्टेशन डेढ़ कि.मी. है। चांदा (चंद्रपुरी) ३२ कि.मी. है। दिल्ली मद्रास मार्ग पर नागपुर-बलहारसा चंद्रपुर लाईन है। चंद्रपुर से २८ कि.मी. है। धर्मशाला, भोजनशाला है।
श्री जैन श्वेताम्बर मंडल तीर्थ भद्रावती पो. भद्रावती ४४२९०२
रेल्वे स्टेशन भाडंक जि. चंद्रपुर (महाराष्ट्र)
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महाराष्ट्र विभाग
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मूलनायक श्री केशरीया पार्श्वनाथ भगवान
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६२८)
श्री श्वेतांवर जैन तीर्थ दर्शन : भाग २
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जल मंदिर
भद्रावती जैन मंदिरजी
२२. श्री चंद्रपुर तीर्थ
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नात चंदपुर जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री शांतिनाथजी मूलनायक श्री शांतिनाथजी
वि. सं. २००४ में इस मंदिर की प्रतिष्ठा हुई थी। २०१६ में जीर्णोद्धार हुआ। पू. आ. श्री विजय विचक्षणसूरीश्वरजी म. के द्वारा २०१६ मगशिर वदी ४ को प्रतिष्ठा हुई है। आरस के ५ प्रतिमाजी है। श्वे. जैनों के ७५ घर हैं। गांव के बाहर रोड़ पर दादावाड़ी में श्री जिनदत्त सू. म. आदि प्रतिमाजी है। भद्रावती से २५ कि.मी. नागपुर से १०० कि.मी. है। दिल्ली मद्रास रेल्वे स्टेशन है। जि. चंद्रपुर, गांधीचोक, पिन - ४४२ ४०२
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महाराष्ट्र विभाग
मूलनायक श्री चंद्रप्रभुजी
२३. श्री वरोरा तीर्थ
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
रेल्वे स्टेशन के सामने यह मंदिर है। सैठ बंसीलालजी धनराजजी कोचर ने स्वयं के मकान में उपधान करवाया और प्रथम घर मंदिर किया बाद में यह बड़ा मंदिर स्वयं के लिए बनवाया है।
प्रतिष्ठासं. २०१२ वैशाख वदी ७ को पू. आ. श्री चंद्रसागर सूरीश्वरजी म. ने करवाई है। दूसरा मंदिर श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी का है। जिसकी प्रतिष्ठा सं. १९६४ माह सुद ५ को हुई है। सेठ का स्वयं का स्वीमिंग पुल वहां था। पू. साध्वीजी म. वहां आए तब बंद करके वहीं यह जल मंदिर बनवाया। अभी भोयरें नें पानी भरता है । वह कहां से आता है यह नहीं जान सकते। यहां कांच का मंदिर दादावाड़ी में है, यहां ज्ञान भंडार अच्छा है । १५० घर है। नागपुर चंद्रपुर रोड पर है। वर्धा - चंद्रपुरी से १०० कि.मी. है प्रकाशचंद्र बंसीलालजी कोचर पिन ४४२३०१ फोन
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४४०२४ (जि. वर्धा)
वरोरा जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री चंद्रप्रभस्वामी
प्राचीन मंदिर जीर्ण होने पर वि. सं. १९३९ (१०० वर्ष उपर) में नया बना है। आरस के पांच प्रतिमाजी हैं। जीर्णोद्धार करके प्रतिष्ठा २००४ फाल्गुन सुदी ३ को पू. आ. श्री विजय महेन्द्र सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। जैनों के ३४० घर १६०० की संख्या है। स्टेशन जि. चंद्रपुर। नागपुर तथा चंद्रपुर से बस मिलती है । पिन - ४४२९०७
२४. श्री हिंगणघाट तीर्थ
हिंगणघाट जैन मंदिरजी
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भांग
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श्री विमलनाथ प्रभुजी
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी २५. श्री वर्धा तीर्थ
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मूलनायक श्री चंद्रप्रभुजी
वर्धा जैन मंदिरजी
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महाराष्ट्र विभाग HOO KO KO
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मूलनायक श्री चंद्रप्रभस्वामी
इस मंदिर की वि. सं. १९५० फा. सुद ३ को प्रतिष्ठा हुई है। श्री हीरालाल किशनचंद्र फतेहपुरिया (दुगड) ने यह मंदिर बनवाया है। आरस के ५ प्रतिमाजी है धातु के चौमुखजी हैं। केशर अखंड ज्योति चालू है। जैनों के श्वे. ३५ घर है। हिंगणघाट से ४०कि.मी. है। दिल्ली, मद्रास रेल्वे, मुंबई हावड़ा रेल्वे मद्रास वाराणसी रेल्वे स्टेशन है। जि. वर्धा, पिन - ४०२ ००१ व्यवस्थापक - चंपालाल पन्नालाल फतेहपुरिया। एडव्होकेट- वर्धा ।
वर्धा से ६८ कि.मी. यवतमाल में २०४७ में वैशाख सुद ३ को महावीर स्वामी मंदिर हुआ है। रतिलाल भाई के वहां घर मंदिर है।
धन्य श्री वीर प्रभु प्यारा दयानो डंको देनारा
डंको देनारा स्वामी हिंसा हणनारा। धन्यक्षत्रिय कुंडमां जन्म तुमारा, सिंह लंछन जयकारा। दयानो-१ त्रिशला माताना नंदन प्यारा, जीव जीवन आधारा। दयानो-२ राय सिद्धारथ कुल शणगारा, सर्वनुं हित करनारा। दयानो-३ सकल वीरोंमें तुं महावीरा, कर्म रिपु हणनारा। दयानो-४ बुद्धिआणंदने हर्ष देनार, ज्ञानपुष्प भंडारा। दयानो-५ कर्पूर सम निर्मल गुंधारा, आपो पदामृत सारा। दयानो-६
२६. श्री दारव्हा तीर्थ
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दारव्हा जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री नेमिनाथजी जीर्णोद्धार हुआ बाद में वि.सं. १९६७ वैशाख सुदी ११ को मंदिर की प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजयगंभीर सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। बाहर देहरी में ऋषभदेवजी प्रभुकीपादुका है आरस के ७ प्रतिमाजी है। ४० जैनों के घर २२० संख्या है श्री वीर विजयजी म. का पूरे परिवार में ८ सदस्यों ने दीक्षा ली है। कुल १३ दीक्षा यहां हुई है। मूर्तिजापुर यवतमाल रेल्वे है। जि. - यवतमाल पिन - ४४५२०२।
मूलनायक श्री नेमिनाथजी
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२७. श्री दिग्रस तीर्थ
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
प्राचीन मंदिर में धातु के प्रतिमाजी थे। शिखर बंधी मंदिर में आरस के हैं । ७० वर्ष पुराना मंदिर है। आरस के ३ धातु के २२ प्रतिमाजी है। जैनों के १४० घर और ७५० की संख्या है । दारव्हा से २५ कि.मी. है। जि. यवतमाल, ता. दिग्रस पिन - ४४५२०३
दिग्रस जैन मंदिरजी
२८. श्री गोलबाजार (शेखारपीपरी ) तीर्थ
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
किल्लाबंधी मंदिर प्राचीन बांध कार्य वाला गुम्मच युक्त है। सुवालाल नेमिचंदजी ओसवाल सोनी जिनने उनके पिताश्री के श्रेयार्थ सन् १९५४ में जीर्णोद्धार कराया है। आरस के १ प्रतिमाजी है। जैनों के ५ घर है २५ की संख्या है। स्टेशन हिंगोली, जि. परभणी, ता. करमनूटी, पिन ४३१ ७०२ जयपुर, सिकंदराबाद रेल्वे, खंडवापुर के रेल्वे पर हिंगोल स्टेशन है। हिंगोली से ३५ कि.मी. है।
पास के करमनूटी गांव में प्राचीन प्रतिमाजी है ।
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग- २
DILAY
मारो मुजरो ल्योने राज, साहिब शांति सलुणा; अचिसजीना नंदन तोरे, दरिसण हेते आव्यो; समकित रीझ करोने स्वामी, भक्ति भेटणं लाव्यो । मारो - १ दुःख भंजन छे बिरुद तमारुं, अमने आशा- तुमारी; तुमे निरागी थईने छुटो, शी गति होशे अमारी ? मारो-२ कहेशे लोक न ताणी कहेवुं, अवडुं स्वामी आगे; पण बालक जो बोली न जाणे, तो किम व्हालो लागे । मारो-३ माहरे तो तुं समरथ साहिब, तो किम ओ मानुं ? चिन्तामणि जेणे गांठे बांधयुं, तेमने काम किश्वानुं ? मारो४ अध्यात्म रवि उग्यो मुज घट, मोहतिमिर हर्तुं जागते; विमलविजय वाचकनो सेवक, राम कहे शुभ भगते । मारो-५
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महाराष्ट्र विभाग
गोलबाजार शेबार पीपरी जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
२९. श्री हिंगोली तीर्थ
भौशातीनाथ श्वेताब्बर जैन मंटोट
हींगोली जैन मंदिरजी
पाशान्ति नाथ प्रलर्जी
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
वि. सं. २४९१ घर मंदिर बना है। अब उसी जगह शिखरबंधी मंदिर पू. आ. श्री विजय वारिषेण सूरीश्वरजी म. के उपदेश से बन रहा है। आरस के ५ प्रतिमाजी है। जैनों के श्वे. मू. २३ स्था. १८ दिगंबर ३०० है। परभणी से ४७ कि.मी. नांदेड से ५२ कि.मी. है। काचीगुडा, अजमेर रेल्वे लाईन स्टेशन है। जिला - परभणी पिन-४१३५३१
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-२
।
३०. श्री परभणी तीर्थ
श्रीगोडीपाश्र्वनाथ भगवान
मूलनायक श्री गोडी पार्श्वनाथजी
परभणी जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री गोडी पार्श्वनाथजी
इस शिखरबंधी मंदिर की प्रतिष्ठा व. सं. १९८९ महा सुद ५ को हुई है। प्रतिमाजी ९०० वर्ष पुराने है। जीर्णोद्धार चालु है। आरस के ८ और धातु के १७ प्रतिमाजी है। श्री महावीर स्वामी के प्रतिमाजी वीर सं. १७४१ के हैं। जि. परभणी, पिन - ४३२ ४०१ फोन : २५४३
३१. श्री नांदेड तीर्थ
मूलनायक श्री चंद्रप्रभ स्वामी
यहां प्राचीन घर मंदिर था। वहां अभी शिखरबंधी मंदिर है। पहले शहर जिम राज्य मां था अब महाराष्ट्र राज्य में है। प्रतिमाजी लातुर परभणी तथा कच्छ में से लाई हुई है। प्राचीन है आरस के ५ प्रतिमाजी है। जैनों के कच्छी मारवाडी घर ५० संख्या ३५० है। मुंबई हैद्राबाद रेल्वे लाईन है। जि. नांदेड, पिन - ४३१६०१
पावापुरी नगरी शोभे मनोहर, बीराजे महावीर स्वामी रे। महावीर अमर तपो। अंतिम चौमासु प्रभुजी बिराज्या.
भविजन आनंदकार रे। महा. आसो वदनी अमावस्याओ, देशना दे सोल पहोररे। महा. देशना देतां मोक्षे सिधाव्या वियोगे दुःख अपार रे। महा. इन्द्रादि देवो भेला मल्या रे, उजववा कल्याण रे। महा. प्रभुनी अमृत भक्ति करतां; जिनेन्द्र पद निरधार रे। महा.
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महाराष्ट्र विभाग
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मूलनायक श्री चंद्रप्रभुजी
नांदेड जैन मंदिरजी
३२. श्री लातुर तीर्थ
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
लातुर जैन मंदिरजी मूलनायक श्री शांतिनाथजी यहां प्राचीन घर मंदिर था वहां शिखरबंधी मंदिर बना
आरस के ७ धातु के ९ प्रतिमाजी है। जैनों के ३० घर है। २०२८ महा वद ५ को पू. आ. श्री विजयगुण आनंद २०० की संख्या है। मुंबई हैदराबाद सेन्ट्रल रेल्वे स्टेशन है। सूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है।
जि. लातुर, लीलाधर चांपशी रोड, पिन - ४१३५१२ 國醫學會創影剧剧影影影影剧剧/剧
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६३६)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - ३
३३. श्री जालना तीर्थ
)
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जालना पुराना जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री नेमिनाथजी-जालना पुराना
श्री नन्द्यावत यळार
जालना - पुराना मूलनायक श्री नेमिनाथजी
अभी के शिखरबंधी मंदिर के पास में ५०० वर्ष प्राचीन मंदिर था वह जीर्ण होने पर विशाल जगह लेकर अभी का भव्य शिखरबंधी मंदिर तैयार हुआ है। प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजयशोभद्र सूरीश्वरजी म. तथा पू. आ. श्री विजयजयानंद सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। मूलनायक श्री नेमिनाथजी के उपर वि. सं. १५४८ का लेख है। पास के प्रतिमाजी पर वि. सं. १५४२, १५०३, १५०६ का लेख है आरस के १५ प्रतिमाजी, धातु के १७ प्रतिमाजी है। जैनों के इतवारी सर्किल में १० घर ७० की संख्या है। लातुर से २३० कि.मी. मुंबई हैदराबाद रेल्वे स्टेशन है। इतवारी कथेरी रोड, पिन - ४३१ २०३
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(६३७
महाराष्ट्र विभाग
जालना - नया मूलनायक श्री चंद्रप्रभस्वामीजी
इस मंदिर के मूलनायक वि. सं. १५४५ माह सुद १० के लेखवाले हैं। उपर के श्री आदिश्वरजी में १८३५ माह सुद १० का लेख है। प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। आरस के १५ प्रतिमाजी तथा धातु के २० प्रतिमाजी है। सर्राफ बाजार विस्तार में १७५ घर १२०० की संख्या है। लातुर से २३० कि.मी. मुंबई, हैदराबाद सेन्ट्रल रेल्वे स्टेशन है। जालना सर्राफ बाजार, पिन - ४३१२०३
मूलनायक श्री चंद्रप्रभुजी - नयाजालना
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કલ્પસૂત્ર ચિરાવલી
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६३८)
जलगांव औरंगाबाद
(महाराष्ट्र)
वैजापुर
गंगपुर
१०३
दोलताबाद
६३.
इलोरा
पैठण
१३
मूलनायक श्री गोडीजी पार्श्वनाथजी
१७४९ में फाल्गुन सुदी ११ से पहले यहां जवेरी परिवार का घर मंदिर था। अभी वहां शिखरबंधी मंदिर बना है। प्रतिमाजी ८०० वर्ष पुराने है । प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजय रामसूरीश्वरजी म. ( ढहेलावाले) के द्वारा हुई है। आरस के प्रतिमाजी १४ धातु के २६ हैं। बड़ा बाजार जौहरीवाला श्री महावीर स्वामी मंदिर १०० वर्ष से है। लकड़ी के शिखरवाला है। वहां आरस के १० प्रतिमाजी है।
यह मंदिर वेरवाड़ा में है। संप्रति राजा के समय का मंदिर गिना जाता है।
अमलनेर
इस एक परिसर में श्री धर्मनाथजी मंदिर, श्री महावीर स्वामी मंदिर है तथा करण पुरा में श्री मुनिसुव्रत स्वामी मंदिर है।
जलगांव
औरंगाबाद
मुसावळ
अजंता
भोकरदन
३४. श्री औरंगाबाद तीर्थ
जालना
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग- २
जीर्णोद्धार कराकर चारों मंदिर की प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजय प्रभाकर सूरीश्वरजी म. की निश्रा में सं. २०५२ मगर सुद २ को कराई है।
औरंगाबाद से पास अजंता गुफाएं हैं उसमें प्राचीन जैन मूर्तियां शिल्प आदि हैं।
धर्मनाथजी का मंदिर शहर में है। आरस के १४ प्रतिमाजी है। श्री मुनिसुव्रत स्वामी का भव्य मंदिर रेल्वे स्टेशन के पास है। जैनों के २०० जौहरीवाडे में तथा ८०० शहर में कुल संख्या ७००० है । जालना से ७० कि.मी. है। हैदराबाद औरंगाबाद रेल्वे स्टेशन है। जौहरीबाजार ।
पिन - ४३१००१
सेठ श्री आणंदजी कल्याणजी पेढ़ी
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महाराष्ट विभाग
(६३९
श्रीवर्धमान स्वामी महावीर स्वामीजी
मूलनायक श्री महावीर स्वामीजी
मूलनायक श्री गोडीजी पार्श्वनाथजी
जैन मंदिर ट्यू
औरंगाबाद जैन मंदिरजी-दरवाजा
औरंगाबाद जैन मंदिरजी
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६४०)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
COLAS SHREE SHREE HAS SEPCA SUPEE CA
अहमदनगर पूना नासिक
-
(महाराष्ट्र)
रायगढ
लोनावाला
चिवड पीपली
रत्नागिरि
महाबलेश्वर
नासिक
लड़की
पुना
इस्लामपुर
कराड
अकोला
कोरेगांव
संगमनेर
रहिमतपूर
पारनेर
शीरूर
मूलनायक श्री महावीर स्वामी
यह श्री वर्धमान जैन आगम तीर्थ है। उसमें पंचधातु के मूल प्रतिमाजी शरीर अनुसार सात हाथ के और परिकर सहित १४५ इंच है। ५ टन वजन के प्रतिमाजी है। अंजन वि. सं. २०४७ फा. व. ६ को पूज्य आ. श्री देवेन्द्रसागर सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। उन्होंने इस मंदिर की प्रेरणा दी थी। ४६ देरी पांच गर्भगृह आदि पर जिनालय आगममंदिर है। इस विशाल मंदिर की पू. आ. श्री दौलत सागर सूरीश्वरजी म.
कागळ
कोल्हापुर
कोपरगाव
शिरडी
सांगली
राहुरी
अहमदनगर
श्री रामपुर
बारामती
GS BALSS KISS
५७
३५. श्री कात्रज तीर्थ (पुना )
सोलापुर
'औरंगाबाद
निवासा
पाथरडी
उानाबाद
आदि की निश्रा में १९५२ माद सुदी १३ को भव्य महोत्सव के साथ अंजनशलाका प्रतिष्ठा हुई है।
तीन मंजिल वाला यात्रिक भवन, भाताघर विद्यापीठ, आयंबिलशाला, भोजनशाला आदि की अच्छी व्यवस्था है। पुना से सतारा रोड पर ३४ कि.मी. है। थोड़े समय में प्रसिद्धि को प्राप्त कर यात्राधाम बन गया है।
ठि. जैन आगम मंदिर, जकातनाका के पास, कात्रज ४११०४६ । फोन- -४३९९४४
पूना । पिन
2
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LE४१
महाराष्ट्र विभाग
श्री महावीर स्वामी भगवान [
८] यून...
मूलनायक श्री महावीर स्वामी
श्री वर्धमान जैन आगम मंदीर,
कात्रज, पूना ४११ ०४६
AMA
S
235
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SHARMA
of
जैन मंदिरजी
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-२
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40.00
३६. श्री पुना केम्प तीर्थ
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी ६५७ साचा पीर स्ट्रीट में इस मंदिर को १०० वर्ष से उपर हो गए हैं। उसका शताब्दी महोत्सव खूब धूमधाम से मनाया गया था। यहां यह प्राचीन जैन मंदिर है।
पुना सीटी में गोडीजी मंदिर और दूसरे मंदिर रविवार पेठ, गुरुवार पेठ में भव्य है। उसका जीर्णोद्धार कर भव्य मंदिर बनाया है।
भवानी पेठ न्युटींबर मार्केट में श्रीमनमोहन पार्श्वनाथजी का भव्य मंदिर है उसकी अंजनशलाका प्रतिष्ठा वि. सं. २०३२ में पू. आ. श्री विजयरामचंद्रसूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री विजयमेरुप्रभ सूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री विजयमहोदयसूरीश्वरजी म. आदि की निश्रा में भव्य रुप से हुआ है। ___ सतारा रोड पर आदिनाय सोसायटी में भव्य मंदिर है और उसकी अंजनशलाका प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. (पू. आ. श्री भक्ति सू.म.) के पट्टधर के द्वारा हुई है। पास में यरवडा तथा खडकी में अच्छे जिन मंदिर है । पुना जागृत धार्मिक शहर है। दूसरे भी अनेक मंदिर है। मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
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श्री
'४५५.नी
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पुना केम्प जैन मंदिरजी
पुना केम्प चौमुखजी जैन मंदिरजी
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(0.0
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महाराष्ट्र विभाग -E-RELETE-E-E-E-- - -
३७. श्री सतारा तीर्थ
-
-
-
मूलनायक श्री कुंथुनाथजी (नये)
मूलनायक श्री आदिश्वरजी (पुराने)
३४ सदा शिवपेठ (कर्णआली) में यह मंदिर १२५ वर्ष पुराना है। तीन गर्भगृह वाला और शिखरबंधी मंदिर बन
श्रेयांस सोसायटी में श्री कुंथुनाथजी प्रभुजी का मंदिर जीर्णोद्धार होकर नया बना है। पू. आ. श्री विजयमित्रानंद सू. म. के द्वारा सं. २०४१ में शुरु हुआ है।
रहा है।
३८. श्री कराड तीर्थ
कराड जैन मंदिरजी ।
मूलनायक श्री संभवनाथजी
Y-ELETERE-RELECRELECRECER-CELETER
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६४४)
मूलनायक श्री संभवनाथजी
इतिहास की आंखों में कराड शहर
कृष्णा और कोयना नदी के किनारे इंस्वीसन पूर्व बसा हुआ कराड शहर का ऐतिहासिक रूप से नाम करहाटकनगर है। वह अनोखी हरियाली से शोभित, सुहावना, समृद्धिशाली नगर है ।
इस शहर की धार्मिक वृत्ति के कारण यहां अनेक धर्मीयसंत-महंतों का आगमन और विचरण होता रहता था। एक समय यहां बौद्ध धर्म का प्रचार हुआ बौद्ध धर्मावलम्बी बहुत थे । आगासीया पहाडी पर बौद्धों की गुफाएं भी अभी विद्यमान है।
मैसूर के पास दिगंबरों के सुप्रसिद्ध तीर्थ के रूप में पहचाना जाने वाला श्रवणबेलगोला में एक स्तंभ पर आज एक शिलालेख में मौजूद है। उसमें लिखा हुआ है कि दिगम्बरीय समंतभद्र जैनाचार्य वाद करने के लिए आये। संस्कृत भाषा के इस शिलालेख में "प्राप्तोऽहं करहाटकं बहुं मटं" ऐसा उल्लेख है। यह पढ़ते उस समय यह नगरी विद्वानों से और अनेक शूरवीरों से शोभित होती थी।
श्री श्वेतांबर जैनों की बस्ती भी यहां थी और उन्होंने सर्व प्रथम आज धर्मशाला के रूप में जानी जाने वाली जगह पर श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी का घर मंदिर निर्माण होने का उल्लेख प्राचीन एक स्तवन में मिलता है। उस समय यहां मात्र ८ ही घर थे। शा. मोतीचंद जयचंद, शा. राजाराम मगनचंद, शा. हाथीभाई मलुकचंद, शा. घेलाभाई मलुकचंद, मलुकचंद गुलाबचंद, शरवचंद मोतीचंद, शा. जीवाभाई बापुभाई तथा शा. कस्तुरजी यह घर थे ।
इन आठों घरों की धर्मभावना श्रेष्ठ होने से उनको शिखरबंधी मंदिर बनवाने की भावना हुई मूल आगलोड निवासी सेठ श्री हाथीभाई मलुकचंद ने नूतन शिखरबंधी जिननिर्माण में रु. २५ हजार का दान घोषित किया और उस समय कराड में विराजमान यति केसरीचंद महाराज के पास खननमुहुर्त निकलवा कर कार्य का प्रारंभ किया । धर्मशाला और मंदिर की जगह बिना मूल्य के सेठ श्री परमचंदभाई ने संघ को प्रदान की। मंदिर के कार्य की पूर्णाहुति हो उसके पहले ही श्रीमान् हाथीभाई का देहावसान हो गया। मंदिर का कार्य रुक गया। दो-तीन वर्ष उनकी धर्मपत्नी जीवीबेन ने उस समय के अग्रणी शा. मोतीचंद जयचंद की देखरेख में मंदिर का कार्य पूर्ण करवाया। और स्वयं की राशि को अनुकूल श्री संभवनाथ भगवान की प्रतिमा लाने का कार्य
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग २
मोतीभाई को सोंपा । श्री मोतीभाई अहमदाबाद गए। रु. ३०० एडवांस देकर वि. सं. १६८२ के साल में सेठ श्री शांतिलाल जवेरी द्वारा बनवाई श्री संभवनाथ भगवान की प्रतिमा रतनपोल मंदिर में से लाकर वि. सं. १९६२ फाल्गुन सुदी १ को भव्य प्रवेश कराया।
वि. सं. १९६२ वैशाख सुदी ६ सोमवार के शुभमुहुर्त में सुबह ९-१५ बजे श्री संभवनाथ भगवान की धूमधाम से बालकुमार हीराचंद के शुभ हाथों द्वारा प्रतिष्ठा हुई ।
इस प्रतिष्ठा के समय अनेक विघ्नों का सामना करना पड़ा । जैनेतरों ने " इस नागदेव को हम यहां नहीं बैठने देंगे। " ऐसी प्रतिज्ञा कर जैनों के साथ संपूर्ण व्यवहार बंद किया। नदी से पानी लाने के लिए भी मजदूर नहीं मिलते ऐसी विषम परिस्थिति में पुलिस की सुरक्षा के साथ पुलिसबैन्ड बुलाकर धूमधाम से प्रतिष्ठा कराई थी।
प्रतिष्ठा शुभमुहुर्त में होने से प्रतिष्ठा के बाद जैन समाज में घर बढ़ने लगे ८ घर से बढ़ते-बढ़ते गुजराती कच्छीराजस्थानीयों की बस्ती भी धंधे के लिए आने लगी। वह यहां आने के बाद व्यापार धंधे में भी सुखी और समृद्ध बने । साथ ही धर्म में भी भावनाशील बने । आज लगभग ३५० घर जैनियों के हैं।
कराड की आज की दिखती कायापलट में मुख्य हिस्सा जिस किसी पुरुष का है तो वे हैं व्याख्यान वाचस्पति पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजय रामचंद्रसूरीश्वरजी महाराज जिन्होंने इस दक्षिणप्रदेश में सर्व प्रथम कदम रखे। कराड से कुंभोजगिरि तीर्थ का सर्वप्रथम संघ निकाला। वि. सं. १९९४ में कराड में चातुमांस कर साधु-साध्वियों के लिए यह विहार मार्ग खोल दिया। विहार मार्ग सुलभ बनाया । उसके बाद आचार्यदेव श्रीमद्विजय लब्धि सूरीश्वरजी महाराज आदि अनेक महापुरुषों ने यहां चातुर्मास करके इस भूमि को पावन किया उसके बाद वि. सं. २०२१ के साल में श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथ आदि जिनबिम्बों की प्रतिष्ठा (पू. मु. श्री रंजनविजयजी म. सा.) पू. आचार्यदेव श्री मद् विजयरत्नशेखरसूरीश्वरजी महाराज की शुभ निश्रा में हुआ ।
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महाराष्ट्र विभाग
आज भी शा. हाथीभाई मलूकचंद के वंश में उनके पौत्र नगरसेठ प्रभुलाल हीरालाल गुजराती समाज में अग्रणी है। वैशाख सुद-६ की ध्वजारोपणविधि हमेशा (वंशवार - सागत) उनके शुभ हाथों से होता है।
सेठ श्री हाथीभाई मलुकचंद द्वारा निर्मित्त श्री संभवनाथ जिनालय आज श्री संघ द्वारा जीर्णोद्धार होते पांच गर्भगृहतीन शिखर-४४ थंभे के साथ ५० फुट की लंबाई वाला तैयार होने पर उसमें सुविशाल गच्छाधिपति पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजय महोदयसूरीश्वरजी महाराज की
आज्ञा से सिंहगर्जना के स्वामी स्व. पू. आचार्यदेव श्री मद् विजय मुक्तिचन्द्रसूरीश्वरजी महाराज के पट्टालंकार पू. आचार्यदेव श्रीमद् विजयजयकुंजरसूरीश्वरजी महाराज तथा पू. आ. श्री विजय मुक्तिप्रभ सूरीश्वरजी महाराज उसी प्रकार पू. मुनिप्रवर श्री श्रेयांसप्रभविजयजी गणिवर आदि मुनिगणकी शुभनिश्रा में नूतन जिनबंबों की अर्जनशलाका कराने के लिए वि. सं. २०५१ मगशिर सुदी५ के शुभ दिन परमात्माओं की प्रतिष्ठा विधि हुई है।
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।
३९. श्री ईस्लामपुर तीर्थ
)
ईस्लामपुर जैन मंदिरजी
श्री वासुपूज्य
भगवान
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
यह मंदिर गांधी चौक में है। प्रतिष्ठा वि. सं. २००८ जेठ सुदी ५ को पू. आ. श्री विजय नवीनसूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। जीर्णोद्धार में शिखरबंधी हो रहा है। जैन के १३० घर हैं। उपाश्रय पाठशाला, धर्मशाला भोजनशाला है।
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
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६४६)
25
मूलनाचक श्री अमीझरा पार्श्वनाथजी
180000
90200
श्री अलोकिक महावीर स्वामी
मूलनायक श्री महावीर स्वामी
S
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग- २
2.6
४०. श्री सांगली तीर्थ
सांगली
मूलनायक श्री अमीझरा पार्श्वनाथजी
वखार भाग में यह मंदिर है। सं. २००५ वैशाख वदी ६ के गिन पू. आ. ( विजय लब्धिसूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। प्रतिमाजी संप्रति महाराज के समय की है। वि. सं. २०३८ में उपर के भाग में श्री कुंथुनाथजी की प्रतिष्ठा हुई है।
प्रभुजी को अमी झरने से अमीझरा कहलाते हैं। कांच का मंदिर है। पास में गोडी पार्श्वनाथजी का मंदिर हो रहा है जो १९२० की साल का है परन्तु टूट जाने से जीर्णोद्धार करवा रहे हैं। मंदिरजी में १०८ पार्श्वनाथजी के फोटो हैं। ६९-भ महावीर नगर, वखारभाग पिन ४१६४१६ फोन - ७४११७
सांगली - शिवाजीनगर
मूलनायक श्री अलौकिक महावीर स्वामी
शिवाजीनगर में यह जिन मंदिर है। प्रतिष्ठा सं. २०४४ महा वदी ७ बुधवार ता. १०-२-१९८८ को पू. आ. श्री विजय भुवनभानु सू. म. के द्वारा हुई है। गोपालदास नारायण दास शाह ने जमीन दी है। चंद्रकांतभाई तथा सुभाषभाई वोरा द्वारा बनवाने का कार्य हुआ है । ५२८ दक्षिण शिवाजीनगर।
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महाराष्ट्र विभाग
मूलनायक श्री धर्मनाथजी भगवान
सांगली - माधवनगर
मूलनायक श्री अमीझरा वासुपूज्य स्वामी
मेन रोड़ पर यह मंदिरजी है। आरस के १३ प्रतिमाजी है। वि. सं. २०२९ पोष सुद ३ ता. ६-१-१९०५ को पू. आ. श्री विजयरामचंद्र सू. म. के शिष्यरत्न पू. आ. श्री विजययशोदेव सू. म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। आयंबिल खाता बराबर चलता है। ता. जि. सांगली (महाराष्ट्र)
"सांगली - रेल्वे स्टेशन जैन मंदिरजी
सांगली रेल्वे स्टेशन
मूलनायक श्री धर्मनाथजी
-
रेल्वे स्टेशन के सामने जवाहर सोसायटी में यह मंदिर है। उसकी प्रतिष्ठा सं. २०४५ माह सुदी १३ ता. १८-२-१९८९ को पू. आ. श्री विजय धर्मजीत सूरीश्वरजी म. पू. आ. श्री विजय जयशेखर सू. म. के द्वारा हुई है। मंदिर शिखरबंधी भव्य है।
अकवार बोले वासुपूज्य अबोलडा शाने लीधा छे ? शाने लीधा छे स्वामी शाने लीधा छे ?
उत्तर द्योने दयाला अबोलडा । चंपानगरीमां वास तुमारो, माता जया जयकारा । वसुपूज्य कुल नंदन प्यारा, महिषनुं लंछन सारा। वासव वंदित पाय तुमारा, भवियण कुं आधारा आसन्नभवि तुज दर्शनकालरा, भवना भय हरनारा। तुम नाम अति मंगलकारा, रोग शोक दुःखहारा । बुद्धि आनंद हरख दातारा, पुष्पानुज अतिसारा। कर्पूर सम तुज मुख अति प्यारा। आपे पदामृतहारा । अ.
अ. अ. .अ. अ. अ.
अ.
(६४७)
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६४८)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
आमेझरा श्री वासुमागवान
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
सांगली - माघवनगर जैन मंदिरजी
।
४१. श्री कवलापुर तीर्थ
कवलापुर जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री आदिश्वरजी इस मंदिर की प्रतिष्ठा सं. १९२१ फाल्गुन सदी ४ को हुई थी। जीर्णोद्धार करके २०३४ फाल्गुन सद ४ को पू. आ. श्री विजय भद्रंकर सूरीश्वरजी म. की निश्रा में प्रतिष्ठा करी है। ता. जि. सांगली वाया माघवनगर।
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४२. श्री मिरज तीर्थ
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
१९६० से मूल घर मंदिर था। उसमें से नवनिर्माण करके मं. २०४२ चैत्र वदी १ ता. २४-४-८६ पृ. आ. श्री विजय मित्रानंद सूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। पिन-४१६ ४१० (जि.सांगली) सुमतिनाथ मार्ग पर जिनमंदिर का कार्य चालू है । पोष वदी १ ता. २१-१-१९८१ को खननविधि
श्रीवालपत्याखामा
मलनायक श्री वान्पपज्य स्वामी
४३. श्री कुंभोजगिरि तीर्थ
मूलनायक श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथजी
कंभोज गांव के पास में छोटे पहाड़ पर यह मंदिर है और दक्षिण भारत के शत्रुजय के रूप में प्रसिद्ध है।
ई. सं. १८४९ में जिनालय बनवाने की व्यवस्था के लिए वि. सं. १९०५ (सन् १८४९) नीचे जमीन लेकर कार्य शुरु किया। सं. ११०८ (सन १९५१) शिरढोण (ता. विजापुर गुजरात) को श्री फतहचंद मलुकचंद शाह के पहाड पर तीन मंजिल का सात शिखरों वाला देव विमान जैसा मंदिर बनवाने की शुरुआत की जो ई. म. १८६९ में पूर्ण हुआ।
सन् १८५३ में जयपुर से शिल्पी अरजण गंगाराम के पास र मूलनायक श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथजी आदि ९ प्रतिमाजी (सं. १९०१ पोष वदी १० को) खरीदी और वह प्रतिमा सन १८६१ सं. ११२६ कार्तिक सुदी १ से ७ तक पास के मील दर नेम नाम के गांव में अंजनशलाका करवाई और सन् १८७८ वि. सं. १९२६ महासुद को धूमधाम से जगवल्लभ पार्श्वनाथजी आदि जिन बिंबो की प्रतिष्टा यूमधाम से हुई सरकारी अनुशासन पूर्वक यह कार्य
सन् १८७२ सं. १९२८ मगशिर वदी १३ को श्री फतेहचंदभाई के आग्रह से पू. श्री हीररत्न सू. म. ने इस बारे में पत्र व्यवहार वगैरह देखकर आज्ञा पत्र दिया।
ई.स. १८४९ से १८७२ तक इस तीर्थ निर्माण सम्बन्धी व्यवस्था सेठ श्री फतेहचंदभाई तथा उनके भानेज श्री धरमचंद रायचंद करते थे उन्होंने १८७२ संवत १९२८ अषाढी पूनम को मुख्त्यारनामा लिखकर यह विभाग समस्त जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक जैन श्री संघ के प्रतिनिधि श्री रायचंद फतेचंद नाणावटी और फतेहचंद वेणीचंद मेहता (कुंभोज) नामके दो महानुभावों को यह तीर्थ सभी संपत्ति और जिस्माब-किताब और दस्तावेज और तीर्थ की व्यवस्था सौंप दोसन् १८७२ से १९१२ तक दोनों ने सुंदर व्यवस्था संभाली और सहयोग मिलने पर आगे रंगमंडप, गर्भगह आदि में आरस चोक में फशी तीन विभाग में धर्मशाला पानी का कंड, रोड, पहाड़ पर चढ़ने के लिए सीढ़ियां बाग आदि करवाये इतना ही नहीं पहाड़ पर रहे दिगम्बरीय मानस्तंभ, पानी के कंड, धर्मशाला आदि में मार्गदर्शन और आर्थिक सहायता भी की।
රගමු මුමුණි
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श्री श्वेतांबर जैन नीर्थ दर्शन : भाग - 2
सन् १९१२ सं. १९६८ जेठ वदी ६ को इन दोनों महानुभावों के निवृत्ति लेने पर अलग-अलग कमेटी बनी
और दक्षिण भारत के संघो द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि सभा निर्मित होती है। और उसमें से कार्यवाहक समिति होती है। जो इस तीर्थ की व्यवस्था संभालती है।
सन् १९४२ से १९४५ पहाडी के उपर के जिनालयों का जीणोद्धार हुआ। सन् १९४९ में पू. आ. श्री विजय वन्धि सूरीश्वरजी महाराज की निया में जिनालय में निमार प्रतिमाजीओं की पुनः प्रतिष्ठा करने में आई। दक्षिण भारत में पहाड़ पर यह एक तीर्थ होने से उन्होंने दक्षिण काशजा' नाम दिया। सन् १९७० में पू.प. श्री रंजनविजयजीम की निश्रा में तीर्थ शताब्दी महोत्सव खूब धूमधाम से मनाया उस समय सेट श्री कस्तुरभाई लालभाई पधारे और उनका कमेटी ने सम्मान किया था।
सन् १९८० में तलहटी में धर्मशाला में श्री मलिक पार्श्वनाथजी की नयन रम्य प्रतिमाजी की भव्य मंडप में प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजय भटकर सूरीश्वरजी महाराज के द्वारा हुई है।
इस तीर्थ में हर वर्ष तीन मेले लगते हैं। (१) कार्तिक पूर्णिमा (२) पोष दशमी (३) चैत्री पुनम । पहाड़ उपर के जिन मंदिर की ध्वजा वर्ष में ३ बार धूमधाम से चढाई जाती है।
(१) माह सुदी ७ (२) माह वदी १३ (३) जेट सुदी ११ ।
यहां छरी पालित संघ सर्वप्रथम सन् १९३८ में कराड से कुंभोजगिरि पू. आ. श्री विजयरामचंद्रसूरीश्वरजीम की निश्रा में आया सन् १९६६ में पू. पं. श्रीरंजनविजयजी गणिवरकी निश्रा में निपाणी से तथा पू. आ. विजय सुबोधसू. म.पू. आ. श्री विजय प्रेम सू.म.तथा पू. विजय लब्धि सू. म. की निश्र में सन् १९७५ में कराड से आए प. मु. श्री जयंत वि. म. (मधुकर) की निश्रा में १९७८ में पंचमढ़ी से पू. आ. श्री विनयभद्रंकर सूरीश्वरजी म. की निश्रा में १९८०-८१ बैंगलोर, कराड और कोल्हापुर से पू.
आ. श्री विबुध प्रभसूम की निश्रा में १९८१ ईचलकरंजी से पू. आ. श्री जयलक्ष्मी सू.म. की निश्रा में सन् १९८५ गदग से तथा पू. आ. श्री विजय मित्रानंद पू. म. की निश्रा में १९८६ में कराड से इस प्रकार अनेक संघ आये हैं। उपद्यान आदि हुए हैं। नवाणु यात्राएं हुई हैं। दीक्षाएं हई हैं। धर्मशाला तथा भोजनशाला की सुन्दर व्यवस्था है।
म. कुंभोजगिरि तीर्थ जगवल्लभ पार्श्वनाथ जैन श्वे. मंदिर पो. बाहुबली ता. हातकणांगले जि. कोल्हापुर।
कुंभोजगिरि जैन मंदिरजी (पहाड़ पर)
मुख्य प्रवेशद्वार
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महाराष्ट्र दिनांग
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ध्वज
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मालाय
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मन नाचे मारुं तन नाच, शोभ स्वामी सुपाश्वरे । तारजो मुजने जिनवरिया। वाराणसी नगरीमा जनम्या, भविजन आनंदकारी: जन्म उत्सव तारो सुरेन्द्र करता, स्वस्तिक लंछनधारी प्रभुजी स्वस्तिक लंछनधारी । मोह ममताने मार मारीने, बन्या संसारना त्यागी; धाति कर्मनो नाश करने, हुआ तसे भागी । प्रभुजी हुआ तसे बडभागीसमवसरणमां आप विराजो, चाबीग अतिशय छाजे: वाणी आपनी मधुर जे. पात्रीण गुणी साजे ।
प्रभुजी पाणी गाजे ।
मन.
देरासरजी व्यु
मन.
मन
98-SEEC
श्री वेगावर जैन तीर्थ दर्शन
मांधा मूलो उपदेश दईने, तार्या बहु नरनारी; धाति कर्म पण दरकीरने साधी शिवगति न्यारी;
जिणंदा साधी शिवगति न्यारी- मन.
अमृत भुवन सुदर्शन सोहे.
जयंत, रोहित रवि, प्यारा विजय तारक से विभुना, अवदावत छे मनोहराः
खरेखर! अवदावत छे मनोहरा मन. राजकोट शहरने पावन कीधु, सेव्या भक्ति भावे अमृत सरिवर गुरुजी प्रतापे, जिनेन्द्रविजय गुण गावे उमंगे ! जिनेन्द्रविजय गुण गावे- मन
97.0 8
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(६५३
महाराष्ट्र विभाग WEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEER
। ४४. श्री कोल्हापुर तीर्थ
कोल्हापुर - लक्ष्मीपुरी मूलनायक श्री मुनिसुव्रतस्वामीजी इस मंदिर की प्रतिष्ठा अर्जनशलाका ऐतिहासिक थी और पू.आ. श्री विजय रामचंद्र सूरीश्वरजी म. की निश्रा में हुई थी। प्रतिष्ठा सं. १९९७ फाल्गुन सुदी ३ को हुई थी। आरस. के १५ और धातु के १० प्रतिमाजी है। आयंबिलशाला, उपाश्रय, पाठशाला और ज्ञान भंडार है। पिन - ४१६ ००२
कोल्हापुर - गुर्जरी मूलनायक श्री संभवनाथजी
५-D गुर्जरी में यह मंदिर है। सं. २०८८ फाल्गुन सदी १० जीर्णोद्धार कराकर पू. आ. श्री विजय लक्ष्मण सूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। ६० वर्ष पुराना जैन मंदिर है। प्रतिमाजी ९ है।
कोल्हापुर-शाहुपुरी मूलनायक श्री शांतिनाथजी
यहां घर मंदिर तीन जगह बदला फिर यह भव्य मंदिर बना अभी सं. २०४१ वैशाख वदी ६ ता. ९-५-१९५८ को पू. गणिवर श्री मुक्तिविजयजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है।
६ प्रतिमाजी है। पाठशाला, उपाश्रय, आयंबिलशाला है। मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी - लक्ष्मीपुरी
पिन - ४१६ ००१
कोल्हापुर कर्नाटक की बोर्डर के पास है। निपाणी बावन जिनालय ४० कि.मी. आगे चौमुखजी २० कि.मी., सोलापुर श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथजी मंदिर १० कि.मी., मुरगुड श्री महावीर स्वामी मंदिर ३५ कि.मी. गडीगलय श्री महावीर स्वामी मंदिर ४५ कि.मी. कर्नाटक में है। पास के मंदिर कणण, खडकण, बोडीगुणा एक जैसे हैं।
यहां पू. आ. श्री विजय धर्मजीत सूरीश्वरजी म. कालधर्म को प्राप्त हुए वहां दो मंजिल का गुरु मंदिर बनवाया है।
श्री पद्मप्रभुजी और श्री सुपार्श्वनाथजी के गर्भगृह में प्राचीन प्रतिमाजी है यहां से थोडी दर खोदते जमीन में से निकले हैं। पू. मु. श्री ललित विजयजी म. की इस मंदिर के लिए प्रेरणा थी।
सांगलीरोड (शरोडी) वडगांव, कुंभोजगिरि, ईचल तथा अलग रास्ते पर जगवल्लभ पार्श्वनाथजी, जयसिंगपुर,
कुसंदवाड और मीरज जा सकते हैं। माहपुर शाहपुरी जैन मंदिरजी -RELETERIENCELETELEELA
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3)
श्री श्वेतांवर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
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श्री.शालिगा अनलाल
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मूलनायक श्री शांतिनाथजी - शाहुपुरी
मूलनायक श्री संभवनाथजी - गुर्जरी
४५. श्री सेलु तीर्थ
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सेलु जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
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महाराष्ट्र विभाग
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
यह मंदिर घर मंदिर में से मनोजकुमार बाबुलालजी की प्रेरणा से फिर से बना। सं. २०४५ माह वदी १ रविवार २२१-७९ को पू. आ. श्री विजय लब्धि सूरीश्वरजी महाराज के समुदाय के पू. आ. श्री विजयभद्रंकर सूरीश्वरजी म. पू. आ. श्री विजय पुण्यानंदसूरीश्वरजी महाराज के द्वारा हुई है। शत्रुजयने दादा और यह मूर्ति एक जैसी लगती है। नागपुर से ६५ कि.मी. वर्धा से १२ कि.मी. है। पिन - ४४२१०४ (जि. वर्धा)
संभव जिनवर विनंति, अवधारो गुण ज्ञातारे; खामी नहि मुज खीजमते, कदिय होशो फलदातारे। संभव -१ कर जोडी उभो रहुं, रात दिवस तुम ध्यानेरे, जो मनमां आणो नहि, तो शं कही थाने रे। संभव-२ खोट खजाने को नहि, दीजे वांछित दानोरे; करुणा नजर प्रभुजी तणी, वाघे सेवक वानोरे। संभव -३ काललब्धि मुजमति गणो, भावलब्धि तुम हाथेरे; लडथडतुं पण गजबचुं, गाजे गयवर साथेरे, संभव-४ देशो तो तुम ही भलुं, बीजा तो नवि जांचुरे; वाचक जस कहे सांई शुं, फलशे ओ मुज सांचुरे। संभव -८
४६. श्री वैजापुर तीर्थ
shapraववान
श्रीसूपाचनाय भगवान
श्री आदेश्वर मगवान
मूलनायक श्री संभवनाथजी
वैजापुर जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री संभवनाथजी
यहां २०४० चैत्र वदी५ को पू. आ. श्री विजय त्रिलोचन सूरि म. के शिष्य पू. मु. श्री कर्मजीत विजयजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है।
विहार का रास्ता है। जमीन श्री प्रतापमल नयनसुख संचेती ने दी है।
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
४७. श्री मालेगाम तीर्थ
श्रीधरमनाथजी
भगवान
मूलनायक श्री आदिश्वरजी भगवान
SACAT
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________________ महाराष्ट्र विभाग (549 拳家樂综除除察公泰低 मालेगांव-तिलकरोड जैन मंदिरजी मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी कैम्प भगवान 螺级屬家搬家紧家聚缘聚缘聚缘聚缘聚缘聚缘编缘聚缘聚點 縣级舉缘搬家搬振礦漿顯漿顯振振保離 मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी - महावीर नगर केम्प मूलनायक श्री संभवनाथजी- वर्धमान सोसायटी 於勤勞參參參參參參參
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६५८)
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બાહુબધુ સો જવાનેન મ વસની અંદર
અભિનીત પટના અન
श्री वासुपूज्य खामी
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी - कैम्प रोड
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मूलनायक श्री सुमतिनाथजी - रत्नसागर बाग
श्री श्वेतांबर जैन ताथ दर्शन भाग NAAA 400
मूलनायक श्री शंखेश्वरा पार्श्वनाथजी - वसंतवाडी मूलनायक श्री आदिश्वरजी
तिलक रोड पर यह मुख्य मंदिर है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार करके पुनः प्रतिष्ठा करने में आई यह मंदिर १०० वर्ष पुराना था । मालेगांव के नाम से मूलनायक के रूप में श्री वासुपूज्य स्वामी ईटारसी से और पास के श्री पद्मप्रभुजी और संभवनाथजी जालोर से लाकर प्रतिष्ठा की है। सं. २०३३ मगसिर वदी २ को पू. आ. श्री विजयहीर सूरीश्वरजी म. तथा पू. आ. श्री विजय भवनभानु सुरीश्वरजी म. की निश्रा में प्रतिष्ठा हुई है। वर्धमाननगर सोसायटी में श्री संभवनाथजी मंदिर की प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजयत्रिलोचन सू. म. के आशीर्वाद से पू. आ. श्री विजयहीर सू. म. पू. आ. श्री विजय भुवनभानु सू. म. आदि की निश्रा में अंजनशलाका के साथ हुई है।
महावीर नगरमें मालेगांव केम्प श्री वासुपूज्य स्वामी के मंदिर की प्रतिष्ठा पू. पं. श्री राजेन्द्र विजयजी गणिवर के द्वारा सं. २०३८ फा. सुदी १० को हुई है।
रत्नसागर बाग में श्री सुमतिनाथजी मंदिर सं. २०४२ में पू. श्री कर्मजित विजयजी म. के उपदेश से हुआ जिसकी प्रतिष्ठा सं. २०४६ वैशाख वदी ६ बुधवार ता. १६-५-९० को पू. आ. श्री विजय विचक्षण सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है।
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महाराष्ट्र विभाग
वसंतवाडी में श्री भागचंद दगडुशा के जैन मंदिर में श्री शंखेश्वरा पार्श्वनाथजी की प्रतिष्ठा २०४५ मगशिर सुदी १० को पू. मु. श्री महाबल विजयजी म. पू. मु. श्री पुण्यपाल विजयजी म. के द्वारा हुई है।
श्री आदिनाथ जैन सोसायटी के पास केम्प रोड़ में श्री वासुपूज्य स्वामी जिनमंदिर की प्रतिष्ठा माह सुदी ७ को हुई है।
श्री वर्धमान सोसायटी ( संभवनाथ जिनमंदिर की प्रतिष्ठा सं. २०३८ माहवद १२ सोमवार ता. ६-३-७८ को पू. आ. श्री विजय भुवनभानु सू. म. के द्वारा हुई है। महावीर नगर मालेगांव केम्प में श्री वासुपूज्य स्वामी तथा श्री मुनिसुव्रत स्वामी मंदिर है।
२४ मा श्री महावार स्वामी भगवान
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४८. श्री चांदवड तीर्थ
मूलनायक श्री महावीर स्वामी
लश्कर के श्री सुमतिनाथजी भगवान
चांदवड जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री महावीर स्वामी
गुजराती गली में यह मंदिर है। बोर्डिंग में श्री पार्श्वनाथजी जैन मंदिर है। उसकी प्रतिष्ठा सं. २०३३ फाल्गुन वद ११ पू. आ. श्री विजय त्रिलोतन सू. म. के द्वारा हुई है।
(६५९
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.६६०)
पतिनाथ
४९. श्री येवला तीर्थ
मूलनायक श्री अवंतिपार्श्वनाथजी
श्री मुनित स्वामी
मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी
-
५०. श्री कोपरगांव तीर्थ
मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी
प्रतिष्ठा दिन सं. २०२८ वैशाख सुद ३ ता. १५५१९७२ प्रतिष्ठा पू. सु. श्री न्यायविजयजी म. के द्वारा हुई है।
यहां से शिरडी १२ कि.मी., राता १८ कि.मी., येवला
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग २
मूलनायक श्री अवंतिपार्श्वनाथजी
पट्टणी लाईन में यह मंदिर है। प्रतिमाजी आरस के २३, पंचधातु के २४ है । प्रतिष्ठा सं. १९४० माह सुदी १३ को हुई है । तीन बार जीर्णोद्धार हुआ है। अभी ११० वर्ष पूर्ण हुए हैं।
येवला (जि.नासिक) पिन ४२३४०१
कोपरगांव जैन मंदिरजी
१६ कि.मी. है। यहां अभी ४०० जैन घर है। मंदिर की पास में उपाश्रय भी है।
अहमदनगर - मनमाड रोड, विहार में यह गांव है। ठि. जुना पोस्ट कोपरगांव, पिन - ४२३६०१ (जि. अहमदनगर)
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५१. श्री शिरडी तीर्थ
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शिरडी जैन मंदिरजी
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मूलनायक श्री आदिश्वरजी शिरडी गांव यह विश्व में प्रसिद्ध गांव है।
दो मंजिल का हाईवे रोड़ पर अति भव्य मंदिर है। जहां ६ आरस की और १२ पंचधातु की मूर्ति है। उपर श्री शंखेश्वरा पार्श्वनाथजी मूलनायक है।
इस गांव में एक भी मंदिर न होने से यह मंदिर श्री सिद्धाचल शणगार जैन श्वे. ट्रस्ट ने बनवाया। संवत २०४८ के वैशाख वदी ३ (मारवाडी मिति) ता. २०-४-९२ सोमावर के दिन पू. आ. भुवनभानु सूरीश्वरजी म. ने तथा पू. आ. श्री विजय जयकुंजर सूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा करवाई है।
मंदिर के नीचे के भाग में शत्रंजय रचना बनने वाली है और पट्ट लगगें। पास में राता , कि.मी. है और कोपरगांव १२ कि.
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
राता गांव में समतिनाथजी मंदिर है। सं. २०४७ में पू. आ. श्री विजय विचक्षण सू. म. के द्वारा प्रतिष्ठा हई है। यहां उपाधये, धर्मशाला बनाने के लिए जगह ले ली है। और मंदिरजी का कार्य चाल है।।
श्री सिद्धाचन शंणगार जैन श्वे. ट्रस्ट शिरडी - ४२३ 2०९ ता. कोपरगांव । जि. अहमदनगर।
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श्री श्वेतावर जैन तीर्थ दर्शन - भाग -
५२. श्री संगमनेर तीर्थ
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संगमनेर जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री कुंथुनाथजी
मूलनायक श्री कुंथुनाथजी अहमदनगर जिले में आया एक ऐतिहासिक शहर है।
लगभग १०० वर्ष से भी पुराना पौराणिक एक मंदिर इस गांव में है। इस गांव में पहले एक छोटी सी कोठरी में मंदिर बंधवाया था। यहां पहले श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान मूलनायक के रूप में विराजमान थे। उसके बाद यहां मंदिर बंधवाया तब मूलनायक के रूप में श्री कुंथुनाथ भगवान विराजमान किए और प्रतिष्ठा पू. आ. यशोदेव सूरीश्वरजी म. सा. ने करवाई।
श्री अमीझरा पार्श्वनाथ भगवान की मूर्ति यहां की एक नदी में से प्रकट हुई थी।
इस मंदिर का एक बार जीर्णोद्धार करवाया था। वह सं. २०३२ में पू. आ. त्रिलोचनसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से हआ। अभी यहां ५० जैनों के घर है। यहां उपाश्रय, धर्मशाला और आयंबिलशाला भी है।
संगमनेर में एक घर मंदिर मुनिसुव्रत भगवान का है और दसरा नासिक रोड पर बन रहे शिखरबंधी मंदिर श्री शांतिनाथ भगवान का है।
यहां से पास में टाकेज तीर्थ लगभग १०० कि.मी. है। उसी प्रकार भंडादरा - ६५ कि.मी. राजुर ४२ कि.मी. है।।
श्री जैन श्वे. मू. संघ, पार्श्वनाथ लाईन, संगमनेर, पिन - ४२२६०५ । जि. अहमदनगर ।
कंथुजिन उदार रे भविजन आधार रे, तारी सेवा भक्ति थी, थाये सुख संचार
कंथ-१ ओ...शूर नृपतिनो व्हालो नंदन, श्री मातानो जायो रे, छाग लंछन जस चरण छाजे, केवल गुण समुदायो रे। कुंथु
ओ... हीरा माणेकनी आंगी सोहे, चक्षु मनोहार रे. रागी तने आंगीथी माने, अणसमजुगमार रे।
कुंथु-३ ओ..गजपुर नगरनां स्वामी प्रभुजी, दान अभय देनार रे. दान दया प्रभु तारे.समये (आगममा), कुमतमां अंधकार रे। कुंथु -४ ओ... कहेता तेरोपंथ प्रभुजी, विपरीत माने अपाररे, ..
तुजने भूल्या माने जिनजी, श्रद्धानुं कयां द्वार रे। कुंथु -५ ओ..यात्रा भक्ति पूजा मांहे, लाभ नो विचार रे,
ओवी सेवा जिनेन्द्र ! करतां, शिवश्री श्रीकार रे। कुंथु -६
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महाराष्ट्र विभाग
Saator ne
ભગવાન
+ श्री दुथुनाथ॥+
५३. श्री सिन्नर तीर्थ
मूलतायक श्री कुंथुनाथजी (उपर)
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
नासिक से लगभग ४० कि. मी. दूर सिन्नर गांव के बीच मंदिरजी है।
संवत १९५२ में गांव में एक छोटी कोठरी में एक ही मूर्ति विराजमान कर मंदिर जैसा शुरु किया। परंतु धीरे-धीरे गांव में बस्ती बढ़ने से जैनों के घर भी बड़े थे। अभी गांव में मात्र १० घर जैन के हैं। बाकी अन्यत्र चले गए हैं।
संवत् २०४९ को मगसिर सुदी १० के दिन फिर से नये भगवान श्री कुंथुनाथ स्वामी विराजमान किए और दो मंजिल का मंदिर बनवाया । पू. आ. श्री विजययशोदेव सूरीश्वरजी म. ने प्रतिष्ठा करवाई थी।
नासिक से पूना, शिरडी, संगमनेर, अहमदनगर यह विहार क्रम में गांव आते हैं ।
पास में नासिक है और डुबेरा तीर्थ है। जहां लगभग १५० वर्ष पुराना एक मंदिर है।
श्री जैन श्वे. मू. संघ, सिन्नर, जि. नासिक.
पिन - ४२२१०३
MP
422222231
सिल्वर जैन मंदिरजी
42190
यही
શ્રી ચિંતામણી પાર્શ્વનાથ
मूलताचक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
कुंथु जिन नाथ, जे करे छे सनाथ; तारे भव पाथ, जे ग्रही भव्य हाथ, अहनो तजे साथ, बावले दीये बाथ; तरे सुरनर साथ, जे सुणे अक गाथ ॥ १ ॥
(६६३
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श्री श्वेतांबर
नासिक (महाराष्ट्र)
सनाना
मालगाम
निसराद
बक
नासिक
घोटीत.मगर
शिरटी
दुगनपुरी
५४. श्री नासिक तीर्थ
मलनायक श्री मुविधिनाथजी - पटवा
सुविधिनाथ जैन मंदिरी - पटवा
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महाराष्ट्र विभाग
EEG
12626268
आदिश्वर जैन मंदिरजी रायण पगला नासिक
मूलनायक श्री धर्मनाथजी नासिक-सीटी
• मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी ।
पता - जैन मंदिर, १८८०-पारसनाथ लाईन, पुरानी प्राचीन तीर्थ समान इस शहर में मुख्य रुप से ६ मंदिर है। तांबर लाईन, नासिक-सीटी (महाराष्ट्र) प्रथम - चिंतामणि पाश्वनाथ भगवान का मंदिर
दहिवुल रोड पर श्री धर्मनाथ भगवान का मंदिर द्वितीय - आदिश्वर भगवान का मंदिर
आरस का बना हुआ है, भव्य है। पास में जैन भवन और गुरु तृतीय - धर्मनाथ भगवान का मंदिर
मंदिर, उपाश्रय भी है। चतुर्थ - पटवा जैन मंदिर
0 पटवा मंदिर - मूल पेधलपुर के रहीश सेठ श्री पंचम - टीबकवाडी जैन मंदिर
दीपचंद निहालचंद पटवा ने संवत १९६० में बंधवाया था। षष्ठ - सुमति सोसायटी जैन मंदिरजी
उसमें से नवनिर्माण करके वही मूलनायकरखकर नया आरस 0 अभी इस मंदिर को ५०२ वर्ष पूर्ण हुए हैं। वह श्री का मंदिर बनवाने में आया है। चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान का अति प्राचीन और ___ मूलनायक श्री सुविधिनाथ भगवान है। संवत २०४५ में अलौकिक मंदिर है।
कार्तिक वदी ५ के दिन पू. आ. श्री विजय जयकुंजर इस मंदिर की प्रतिष्ठा जेठ सुदीप आती है। यह
सूरीश्वरजी तथा पू. आ. श्री विजय पूर्णचंद्र सू. म. की निश्रा मंदिर दो मंजिल का बंधा हुआ है। जिसमें भोयरें में श्री
में प्रतिष्ठा करवाई है। महावीर स्वामी भगवान है। बीचकी मंजिल में श्री चिंतामणि
0 शरणपुर रोड सुमति सोसायटी के कम्पाउन्ड में पार्श्वनाथ भगवान और प्रथम मंजिल में श्री मुनिसुव्रत भगवान उसी प्रकार चौथी मंजिल पर चौमुखी चंद्रप्रभु
मूलनायक श्री कुंथुनाथ स्वामी का मंदिर है। संवत २०३७
के माह सुदी १३ सोमवार १६-२-८१ के दिन पू. आ. श्री भगवान है।
0 इस मंदिर के पास में ही श्री आदिश्वर भगवान का धनपाल सूरीश्वरजी म. की निश्रा में प्रतिष्ठा कराई है। नया बना आरस का मंदिर है।
विशाल उपाश्रय है।
0 शरणपुर रोड के दूसरे किनारे की सोसायटी महावीर इस मंदिर की प्रतिष्ठा संवत २०३५ में पोष वदी ११ के
नगर में एक शत्रुजय नगर के कम्पाउन्ड में मूलनायक श्री दिन पू. आ. श्री विजय हीर सूरीश्वरजी म. तथा श्री
महावीर स्वामी का मंदिर है। संवत २०२५ में मगसिर वदीभुवनभानुसूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। पीछे के भाग में श्री
४ ता. ९-१२-१९६९ को पू. आ. श्री यशोदेव सू. महाराज रायण पगले हैं।
ने यह सोसायटी बन रही थी तब इस मंदिर के बनने की श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ महाराज जैन श्वे. म. संघ पेढ़ी ट्रस्ट व्यवस्था करता है।
प्रेरणा की ओर उन्होंने ही प्रतिष्ठा की थी।
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६६६)
श्री महावीर स्वामी
मूलनायक श्री महावीर स्वामी- टीबकवाडी
मूलनायक श्री आदिश्वरजी - नासिक सीटी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
1043
मूलनायक श्री कुंथुनाथजी सुमती सोसायटी
आदिश्वर जैन मंदिरजी
२
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महाराष्ट्र विभाग
2)
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बणी जैन मंदिरजी
५५. श्री बणी तीर्थ
मूलनायक श्री संभवनाथजी
गुजरात के सापुतारा से लगभग ३१ कि.मी. दूर महाराष्ट्र
में प्रवेश करते ही प्रथम तीर्थ वणी आता है। वणी नासिक
जवाना रोड के उपर का गांव है।
अति प्राचीन यह मंदिर है । ६ आरस की तथा १० पंच धातु की मूर्ति है। मूलनायक की ११ इंच की प्रतिमाजी है। इस मंदिर की प्रतिष्ठा संवत १९९८ में वैशाख सुदी ७ के दिन पू. आ. श्री मद् रामचंद्रसूरीश्वरजी म. के द्वारा करवाई गई थी।
यहां गांव में १५० जैनों के घर हैं। विहार का गांव है। और पू. आ. श्री विजय प्रद्योतन सू. म. पू. आ. श्री विजयकुंदकुंद सू. म. पू. आ. श्री विजय महाबल सू. म., पू. आ. श्री विजय पुण्यलाभ सू. म. की दीक्षा भूमि है।
यहां पास में पिपलगांव जैन मंदिरजी है। जो यहां से लगभग २४ कि.मी. है। उसके बाद दूसरी तरफ नासिक रोड पर जैन मंदिर है। जो यहां से ४१ कि.मी. है।
ता. दिंदोरी (जि. नासिक)
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मूलनायक श्री संभवनाथजी
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५६. श्री अहमदनगर तीर्थ
मूलनायक श्री सहस्त्रफणा पार्श्वनाथजी
भगवान
अहमदनगर जैन मंदिरजी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग-२
श्री सहस्त्रपणा पार्श्वनाथ भगवान
मूलनायक श्री संभवनाथज
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
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आदिश्वर जैन मंदिरजी
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महाराष्ट्र विभाग
NAO
मूलनायक श्री ऋषभदेवजी अहमदनगर प्राचीन शहर है। अभी चार मंदिर है।
१. श्री आदिश्वर भगवान का मंदिर - लगभग ८५ से १० वर्ष प्राचीन भव्य मंदिर है।
२. श्री संभवनाथ जैन मंदिर - इस मंदिर की प्रतिमा श्री संभवनाथ भगवान मूलनायक की है।
यह दौलताबाद में पेथडशाह द्वारा निर्माण किया हुआ देशभर का सबसे विशाल रंगमंडप वाले मंदिर में से यह प्रभुजी यहां लाने में आए हैं। यह मंदिर लगभग ९० वर्ष प्राचीन जिनालय है उपर गर्भगृह में संवत २ अर्थात् २०५० वर्ष पुरानी प्रतिमा है। यह २ भव्य जिनालय है इस जिनालय में २४
जिनालय पीछे से लगभग आठ वर्ष पहले अंजनशलाका प्रतिष्ठा हुई है। पूरे महाराष्ट्र में २४ जिनालय का यह एक ही मंदिर है। २. श्री आदिश्वर भगवान का मंदिर सोसायटी में है।
४. श्री वासुपूज्य स्वामी शिखरबंधी जिनालय लगभग ५-६ वर्ष पहले बनवाकर अंजनशलाका प्रतिष्ठा हुई है। और जनों की बहुत बस्ती वाला यह शहर है। यहां बड़े-बड़े भगवतों के चातुर्मास होने से मंदिरों में सेवा, पूजा, दर्शन का लोग अच्छा लाभ लेते हैं।
श्री कृषभ संभव जैन जिन श्वेताम्बर संघ कपड़ा बाजार - अहमदनगर ४१४ ००१ (महाराष्ट्र)
ADSENSATING
बुधाय
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3शुक्राय
नमः
चंदाय
3 गुखे
उस्याय
नामाय
रासस
केलवे
सनवराय
नमः
नमः
सूसासरुब... श्री नवगट-पटाखा
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६७०)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
५७. श्री गोलवाड तीर्थ
गोलवाड जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी
यह मंदिर गोलवाड गांव में है। दहाणु से बोरडी उमरगांव जाने पर आता है। प्रथम घर मंदिर था अब दो मंजिल का भव्य मंदिर है। भोयरे में श्री शंखेश्वरा पार्श्वनाथजी है और उपर की मंजिल में श्री आदिश्वर भगवान है । प्रतिष्ठा सं. २०३० फाल्गुन वद६ को पू. आ. श्री विजयधर्मसूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। (जि. थाणा) पिन- ४०१७०२। महाराष्ट्र की बोर्डर है। -
मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी
५८. श्री भायंदर तीर्थ
भायदर मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
राममंदिर रोड़ पर यह मंदिर गांव में है। आरस के १३ प्रतिमाजी जहां उपाश्रय आदि हैं। यह मंदिर प्रथम शिखरबंधी इस तरफ हुआ है। प्रतिष्ठा सं. १९९९ फाल्गुन सदी १ ता. २५-२-१९४२ कर्म साहित्य निष्णांत पू. आ. श्री विजयप्रेमसूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। ६ वर्ष पहले जीर्णोद्धार हुआ है।
श्री बावन जिनालय - देवचंदनगर
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महाराष्ट्र विभाग
एजाजाला
कुवयान
શ્રી ચિંતામાગી પાર્શ્વનાથ मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी (पुराना मंदिर)
भायंदर जैन मंदिरजी (पुराना मंदिर)
भायंदर देवचंदनगर मूलनायकश्री शंखेश्वरा पार्श्वनाथजी
यह बावन जिनालय है और भव्य है । देवचंदनगर में जिनालय सेठ देवचंदभाई जेठालालभाई ने मलाड देवचंदनगर में जिनालय के बाद तैयार करवाया है। १८० से ज्यादह जिन प्रतिमा है। पास में उपाश्रय धर्मशाला है।
सं. २०४३ वैशाख सुदी ११ को पू. आ. श्री विजयजयानंदसूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। बस्ती बढ़ने से पूजा करने वालों की संख्या तीर्थ में होती है। यह बावन जिनालय महाराष्ट्र में प्रथम और अद्भुत है।
रोड पर भटेवा पार्श्वनाथजी सुंदर जिनालय है।
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मूलनायकश्री शंवेश्वरा पार्श्वनाथजी-देवचंद नगर
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६७२)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
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थाणा (महाराष्ट्र)
RAMA
PRIMA
गीलवड
SALALARON
इगतपुरी
पालघर
अगासी तीर्थविदहीसर
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शाहपुर
वसह AR भायंदर विनिमीवडी ४२ ति मरबाड
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विधाणे PRIMकल्याण
५९. श्री कल्याण तीर्थ
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मूलनायक श्री नेमिनाथजी
बाजार पेठ में श्री महावीर प्रभु चोक में यह दो मंजिल का मंदिर है प्रथम मंजिल पर श्री नेमिनाथजी है और दूसरी मंजिल पर श्री पार्श्वनाथजी है। आरस के ११ प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा सं. २०११ माहसुद १० को पू. पं. श्री दक्षविजयजी म. के द्वारा हुई है। जीर्णोद्धार चालु है। उपाश्रय आयंबिल शाला है। पूना तरफ से गुजरात जाने पर मुंबई छोडकर भीवंडी वसई पालधर आदि रास्ते से जा सकते हैं। यहां से थाणा १८ कि.मी. भीवंडी ७ कि.मी. शीलफाटा ९ कि.मी. और पुना रोड ६ कि.मी. है। मुंबई से ७८ कि.मी. (C.R.) जि. थाणा।
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महाराष्ट्र विभाग
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मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथजी
मूलतायक श्री नेमिनाथजी
पंचम सुरलकोना वासीरे, नव लोकांतिक सुविलासीर; करे विनति गुणनी राशी, मल्लि जिन नाथजी व्रत लीजे रे।
भवि वने शिव सुख दीजे। मल्लि॥१ तुमे करुणा रस भंडाररे गाम्या छो भवजल पार रे;
___सेवकनो करवो उद्धार, मल्लि॥ प्रभुदान संवत्सरी आपेरे, जगनां दारिद्रदुःख कापर:
भव्यत्वपणे तस थापे । मल्लि॥३ सुरपति सघला मलि आवे रे, मणिरयण सोवन वसावर:
प्रभु चरणे शिष नमावे। मल्लि॥४ तीर्थोदक कुंभा लावेरे, प्रभुने सिंहासन ठावे रे;
सुरपत भकते नवरावे। मल्लि ॥५ वस्त्राभरणे शणगारे रे, फूलमाला हृदय पर धारे रे;
दुःखड़ां ईंद्राणी उवार, मल्लि॥६ या सुरनर कोडा काडीरे, प्रभु आगे रह्या कर जोडीरे;
करे भक्ति युक्ति मद मोडी। मल्लि॥७ मृगशिर सुदिनी अजुवालीरे, अकादशी गुणनी आलीरे;
वर्या संयम वधु लटकाली। मल्लि ॥८ दीक्षा कल्याणक अहरे, गातां दुःख न रहे रेहरे;
लहे रुपविजय जस नेह । मल्लि ॥९
कल्याण जैन मंदिरजी
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
६०. श्री अगासी तीर्थ
अगासी तीर्थ जैन मंदिरजी
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अगासी तीर्थ मूलनायक : श्री मुनिसुव्रत स्वामी
यह तीर्थ दरिया किनारे है। इस तीर्थ की प्राचीनता श्रीपाल महाराज की साधना के साथ है । सोपारक नगर जो नाला सोपारा कहा जाता है वह पास में है। सेठ मोतीशा के वाहन समुद्र में अटक गये थे और यहां निर्विध्न निकलने से उनके वाहन जहां निकले वहां यह जिनमंदिर बनवाया है।
विरार स्टेशन से ६ कि.मी. है। धर्मशाला भोजनशाला की व्यवस्था है।
अगासी तीर्थ समवशरण मंदिर मूलनायक श्री शंखेश्वरा पार्श्वनाथजी यह मंदिर चाल पेठ रोड पर पार्श्वनगर में बना है। पू. आ. श्री विजय दक्षसूरीश्वरजी म. द्वारा वि. सं. २०४६ वैशाख सुद-६ ता. ३०-४-१९९० को प्रतिष्ठा हुई है। यह समवशरण आकार मंदिर है। कार्य चालू है। (जि. थाणा) पिन - ४०१३०१ धर्मशाला, भोजनशाला की व्यवस्था है।
यहां से शिरसाल-महावीर १५ कि.मी. तथा आदिश्वर धाम १९ कि.मी. व्हाया विरार।
६१. श्री लोनावाला तीर्थ
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मूलनायक श्री शांतिनाथजी
ई बोर्ड में यह मंदिर है। वि. सं. १९५२ माह सुदी ५ की प्रतिष्ठा हुई है। जीर्णोद्धार चालु है। १०० घर है। यहां धातु के तीन प्रतिमाजी मिले हैं। ३०० वर्ष पुराने हैं। लोनावाला (पुना) ४१० ४०१
पास में वलवणमें चंद्रप्रभुजी का मंदिर है। खंडाला तथा पांच बंगले में श्री शांतिनाथजी का मंदिर है।
TITUTOD
CROMANIA TOTTONDA
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मुंबई नगरी
मुंबई नगरी
कांदिवल
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जसलोक जोरपाटन
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शहीद भगतसिंह रोड
क्रम
गांव
पेज नं. - क्रम
गांव
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२. दहीसर तीर्थ २. बोरीवली तीर्थ
मलाड तीर्थ
कांदीवली तीर्थ ५. गोरेगांव आरे रोड तीर्थ ६. शांताक्रुज वेस्ट तीर्थ ७. वालकेश्वर तीर्थ
पायधुनी तीर्थ
૬૮૨
९. प्रार्थना समाज तीर्थ १०. फोर्ट तीर्थ ११. भायखला तीर्थ १२. कमाठीपुर तीर्थ १३. घाटकोपर तीर्थ १४. चेम्बुर तीर्थ १५. भुलेश्वर लाल बाग तीर्थ
६८३
६९४
६८४ ६८५
६९८
६८८
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६७६
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग -२
(मुंबई - नगरी
मुंबई यह महाराष्ट्र का पाटनगर है। परंतु भारत का मुख्य और अंतराष्ट्रीय उद्योगनगर है । जिसके कारण मुंबई की बस्तीखूब बढ़ती रही है। बीते २० वर्षों में उसमें खुब बढोतरी
व्यापार उद्योग के कारण जैनों की संख्या जहां १० घर थे वहां १०० और १००० घर बन गये हैं। मुंबई और उसके भाग जैनों से भरपूर बन गए हैं शहर और शहर के भाग में बहुत मंदिर होने के उपरांत बस्ती बढ़ने के कारण बहुत बरती होने के उपरांत भी जगह के अभाव में वह मंदिर से वंचित हैं। बड़ी-बड़ी बस्ती में भी अच्छे मंदिर की जगह आदि भी रखाती नहीं। भक्ति करने वाले भी शक्ति छुपावे नहीं तो बहुत सारी आराधनाओं के द्वारा मोक्ष मार्ग पुष्ट बन बन सकता है. ऐसे बहुत से संयोग है मुंबई द्वारा बाहर भी बहुतबहत कार्य भव्यों के द्वारा होते रहे हैं उसके साथ आत्मिक तत्त्व और परमात्म तत्त्व स्वरूप न पाने के कारण धर्म करने वाले स्वार्थ और मोह तथा दुःख को दर करने के प्रयोजन से धर्म तत्त्व को नहीं पा सकते। उल्टे ऐसे भावों द्वारा मंदिर में मानते बाधाओं द्वारा परमात्म तत्वों की आशातना करते हैं।
और आगे बढ़कर स्वं की मान्यता के लिए माने देव-देवियां मंदिर में विराजमान कर परमात्मा के प्रकाश को पाने में विध्न खड़े करते हैं। और आत्म कल्याण के मार्ग में कि स्थान में मोह माया के भाव पैदा करते हैं। ऐसी वृत्ति का पोषण करने के लिए त्यागी महात्मा भी जैसी डिमान्ड वैसा माल जैसी स्थिति देखकर स्वयं परमात्मा के प्रतिनिधि है जिससे परमात्मा का मोक्ष मार्ग ही प्ररुपित करना चाहिए ऐसी जवाबदारी भूलकर भ्रम का मार्ग बताते हैं। और उसके द्वारा स्थान काय और महत्ता की स्थापना होता है जो परमात्मा
प्राप्त कर निस्पृही विरागी और त्यागी होने के भाव पदा होने चाहिए उसके बदले वह परमात्मा के पास मंदिर में जाते लालसा राग और सुख की भावना पैदा होती है। और ऐसे आलंबन खड़े करती है। जो आत्मा की और श्री संघ की बदनसीबी है। कर्म तत्त्व के, जैन धर्म के महा सिद्धान्त की समध का अभाव सूचित करते हैं। आत्मा परमात्मा को पहचानती है तो उसकी दरिद्री या वैभवी जीवन की मांग नहीं रहती। इसलिए श्री कुमारपाल महाराजा भावना कर गए हैं कि धर्म सहित का दरिद्रपना मुझे मंजूर है परन्तु धर्म रहित का चक्रीपना मुझे न चाहिए। ।
ऐसी उज्जवल परंपरा और भावना द्वारा आत्मा परमात्मा पद का उपासक बने उसके लिए जिन मंदिर आदि आलंबन है । उस भाव को प्राप्त करो और परमात्मा मल्याकी सार्थकता सभी साधो यही अभिलाषा।
आज मुंबई जैनियों के लिए सबसे प्रथम नंबर की नगरी है और जिससे मुबंई में जैनों की जो धर्मभावना, आराधना, भक्ति दिखती है वह विशिष्ट कोटि की हैं जिससे मध्य मुंबई में अनेक भव्य स्थान विकसित हए हैं। और मुंबई के भागों में भी भव्य मंदिरों के साथ सैंकडों धर्मस्थान शोभित हो रहे हैं। श्वेताम्बर तीर्थ दर्शन के लिए जानकारी और फोटो लेने गए प्रतिनिधि मंडल को जो मिल सके वो यहीं लिए गए हैं। किसी ने ना कहा, किसी ने फिर से भेजने का कहा, जिससे कितने ही अच्छे स्थानों के फोटो इतिहास नहीं ले सके, भविष्य में आयेंगे तो आगे की प्रति में जुड़ सकेंगे। मुंबई के मंदिरों की जो लिस्ट प्राप्त हुई है उसका इस पुस्तक में समावेश किया है। और नक्शे द्वारा मुख्य मंदिर बताने का प्रयास भी किया है।
चांदलीया! जाजो प्रभुना देशमां, व वातलडी कहेजो संदेशमां, चांदलीया, कहेजो भरतमां दुःषमकाल थे,
नथी केवली कोई आ देशमां, चांदलीया . आप बिराजो नाथ विदेह क्षेत्रमां,
आवं केम करी आ वेशमां, चांदलीया.
दर्शननी दिले आशा उभराये,
पांख विना उडु कमे प्रदेशमां। चांदलीया . दश लाख केवली प्रभुजीनी पासे,
म्हेर करी मोकलो अम देशमा । चांदलीया. कर्पूर अमृत गुरु विनति लखावे,
प्रेमने प्यारा उपदेशमां, चांदलीया.
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मुंबई नगरी
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दहींसर जैन मंदिरजी
१. श्री दहींसर तीर्थ
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मूलनायक श्री शांतिनाथजी
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
दहींसर स्टेशन के सामने लोकमान्य तिलक रोड पर यह भव्य मंदिर है। आरस के ९ प्रतिमाजी है। दहींसर में जैनों की बड़ी बस्ती है। दर्शनार्थियों से मंदिर भरा रहता है। दूसरे घर मंदिर भी है।
यह मंदिर पू. आ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. के उपदेश से बना है और प्रतिष्ठा भी उन्हीं के द्वारा २०२७ माह वद ११ को हुई है। इस मंदिर के निर्माणकार्य में शाह जवेरचंद तेजशी रासंगपर (हालार) वालों ने ट्रस्टी बनकर बहुत प्रयत्न किया है। नीचे के भाग में उपाश्रय, आयंबिल खाता है। पास के मकान में धर्मशाला आदि है। पिन- ४०० ०६८
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६७८)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
२. श्री बोरीवली तीर्थ
मूलनायक श्री शंखेश्वरा पार्श्वनाथजी
दौलतनगर जैन मंदिरजी - बोरीवली
बोरीवली ईस्ट-दौलतनगर मूलनायक श्री शंखेश्वरा पार्श्वनाथजी
श्री अमृतसूरीश्वरजी ज्ञान मंदिर के साथ यह भव्य बोरीवली का प्रथम मंदिर है। ४५ लगभग आरस के प्रतिमाजी है। प्रतिष्ठा सं. २०११ जेट सुदी ५ को पू. आ.
श्री विजय धर्म धुरंधर सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। फोन - ८०५८१४४ - पिन - ४०० ०६६
ईस्ट में कार्टर रोड पर श्री संभवनाथजी का मंदिर है। उसकी प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजय कीर्ति चंद्रसूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है।
जामलीगली जैन मंदिरजी-बोरीवली
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मुंबई नगरी
(६७९
दोरीवली वेस्ट-जामलीगली मूलनायक श्री संभवनाथजी
जामली गली में यह भव्य जिनमंदिर है जिसकी प्रतिष्ठा सं. २०११ वैशाख सुद७ को मोहनलालजी म. के शिष्य पू. श्री गुलाबमुनिजी म. तथा पू. आ. श्री विजयवल्लभ सू. म. के शिष्य पू. मु. श्री पूर्णानंद विजयजी म. के द्वारा
यह जमीन सेठ श्रेष्टिवर्य की तरफ से भेंट मिलीथी उसके उपर श्री संघ द्वारा जिनमंदिर बनवाया गया है। पास में २ मंजिल का विशाल उपाश्रय, आयंबिलशाला आदि है। पिन- ४०००९२, फोन नं.८०५३३५७
चंदावरकर लाईन, म्यु. गार्डन के पास श्री महावीर स्वामी का भव्य मंदिर है जिसकी अंजनशलाका प्रतिष्ठा सं. २०४५ मगशिर सुदी२ को पू. आ. श्री विजय रामचंद्र सूरीश्वरजी महाराज के द्वारा हुई है उपाश्रय, आयंबिलशाला है मंडपेश्वर रोड पर श्री आदिश्वर प्रभुजी का भव्य मंदिर है दूसरा घर मंदिर है।
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मूलनायक श्री संभवनाथजी - जामलीगली
३. श्री मलाड़ तीर्थ
मलाड ईस्ट - रत्नपुरी मूलनायक श्री अजितनाथजी
रत्नपरी गोशाला लाईन (डायमंड बाजार) दफ्तरी रोड़ पर यह मंदिर जवेरी केशरीचंद बालुभाई सुरत वाले ने बंधवाई है। उनका घर मंदिर श्री धर्मनाथजी का दफ्तरी रोड़ पर ६० वर्ष से था वह प्रतिमाजी यहां लाये हैं। ३९ ईंच के मूलनायक श्री अजितनाथजी तारंगाजी के पास दांता गांव के पास में निकले और दाता मंदिर में रखे वह वहां के संघ ने यहां दिए हैं।
इन प्रतिमाजी की अंजनशलाका सं. १४९६ में पू. आ. श्री सोमसुंदर सूरीश्वरजी महाराज के द्वारा हुई है। प्रतिमाजी प्रभाविक है और मंदिर भी भव्य है।
श्री रत्नपुरी जैन मंदिरजी- मलाड
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६८०)
___ श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग -२
।
प्रतिष्ठा वि. सं. २०४० फाल्गुन सुदी ७ को पू. आ. श्री विजयरविचंद्र सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। मुंबई नं. ४०००९७ ____ दफ्तरी रोड़ पर देना बैंक श्री हीरसूरीश्वरजी म. के उपाश्रय में मूलनायक श्री श्रेयांसनाथजी आदि हैं तीन मंजिल का जिन मंदिर है भव्य प्रतिमाजी हैं। जो अमलनेर से सं. २०२९ में पू. पं. श्री जिनेन्द्रविजयजी म. के उपदेश से लाई गई थी प्रथम जगवल्लभ पार्श्वनाथजी तथा कुरार विलेज में रखी थी।
देना बैंक में प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजय भुवन भानुसूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है।
कुरार विलेज में नया मंदिर शिखरबंधी तैयार होने में है। देवचंद्रनगर, जितेन्द्र रोड़, पुष्पा पार्क, धनजीवाड़ी आदि ईस्ट और विजयाभवन, मामलतदार वाडी, भादरणनगर आदि वेस्ट के मिलकर मलाड के घर मंदिर के साथ ३७ मंदिर है।
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५. मूलनायक श्री अजितनाथजी - रत्नपुरी
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देवचंदनगर जैन मंदिरजी- मलाड
मूलनायक श्री शांतिनाथजी - देवचंद्रनगर
10.
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मुंबई नगरी
मूलनायक श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथजी
आनंद रोड रेल्वे स्टेशन के सामन सेठ देवकरण मुलजी वाडी में यह मंदिर सबसे पुराना है। आरस के प्रतिमाजी है। कांच का कार्य सुंदर है। सोरट वंधली के सेठ श्री देवकरण मूलजी संघवी ने यह मंदिर बनवाया है। मंडप आदि करके जीर्णोद्धार हुआ है।
सं. १९०९ वैशाख वदी १ रविवार को पू. मुनिराज श्री मोहनलालजी महाराज के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। मोहनलालजी म. सर्वप्रथम मुंबई में पधारे थे।
श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथजी मलाड बेस्ट
पुजि शांतिनाथ जान से म माता राजीना हस्तिनापुरे जन्म तमारा शाभ प चालीश धनुष्वनी काया केजी मोड भावाने छोडीन, वरीया शिर्थ साधा आपने अपने मोक्ष सुख सारा
श्रीसंघवी हवेला भुला
Routi
कारा
मलाड वेस्ट जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
अभी बाप रोड पर यह मंदिर सेठ देवचंद जेठालाल तथा उनकी धर्मपत्नी श्री चंपावेन तथा उनके परिवार वालों द्वारा यह मंदिर बनवाया है। पू. आ. श्री विजयदक्ष सूरीश्वरजी म. के द्वारा सं. २०१३ माह वदी ३ रविवार को प्रतिष्ठा हुई है।
इस मंदिर द्वारा भायंदर में बावन जिनालय तथा अन्य स्थान पर मंदिर बनवाये हैं।
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४. श्री कांदीवली तीर्थ
कांदीवली वेस्ट जैन मंदिरजी - पारेखगली
कांदीवली वेस्ट - दहाणुकरवाडी मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
यहां महावीर नगर कमला विहार में यह भव्य मंदिर है । अभी बना है। पू. आ. श्री विजय रामचंद्रसूरीश्वरजी म. के शिष्य रत्न पू. मु. श्री नयवर्धन विजयजी म. के उपदेश से बना है। इस मंदिर की अंजनशलाका प्रतिष्ठा भव्य महोत्सव के साथ पू. आ. श्री विजय जिनेन्द्र सूरीश्वरजी म. आदि तथा पू. मु. श्री नयवर्धन विजयजी म. की निश्रा में सं. २०५२ माहसुदी १३ को हुई है। पू. आ. श्री विजयरामचंद्र सूरीश्वरजी म. की मूर्ति की गुरुमंदिर में प्रतिष्ठा हुई है । कांदीवली ईस्ट में मंदिर है और नयी बस्ती भी बहुत है ।
मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी - पारेख गली
भाग
कांदीवली वेस्ट - पारेख गली
मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी
भूलाभाई देसाई रोड पर पारेख गली में यह चौबीसी शिखरवाला विश्ला भव्य शिखरवाला जिनालय है ६२ प्रतिमाजी है कांदीवली में यह प्रथम भव्य मंदिर बना था । प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. के द्वारा सं. २०३६ वैशाख सुद १५ को हुई है। उपाश्रय, आयंबिलशाला आदि की व्यवस्था है ।
कांदीवली वेस्ट- शंकर गली
मूलनायक श्री
'वासुपूज्य 'स्वामी
महावीर नगर में यहां घर मंदिर में से भव्य जिनमंदिर बना है। इस मंदिर की प्रतिष्ठा सं. २०४७ मगशिर वदी ५ बुधवार को पू. आ. श्री पद्मसागर सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। उपाश्रय, आयंबिलशाला है।
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मुंबई नगरी
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मूलनायक श्री महावीर स्वामी- शंकरगली
महावीरनगर जैन मंदिरजी- कांदीवली
। ५. श्री गोरेगांव- आरे रोड तीर्थ
શ્રી શાંતિનાથ તન જિનાલય
श्री शांतिनाथजी गोरेगांव घर मंदिरजी
गोरेगांव जैन मंदिरजी मूलनायक : श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी त्रिपाठीभवन के सामने यह मंदिर तैयार हुआ है। गोरेगांव का यह पुराना मंदिर है।
जिसकी प्रतिष्ठा वि. सं. २०१३ माह सुदी-६ पू. आ. श्री विजय प्रताप सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। पिन - ४०० ०६२
यहां जवाहरनगर में श्री धर्मनाथ प्रभुजी का भव्य मंदिर है। उससे आगे शांतिनाथजी का घर मंदिर है। श्रीनगर में एम.जी. रोड पर भी सुंदर जिन मंदिर है।
शांति सुहंकर साहिबो संयम अवधारे, सुमित्रने घरे पारणुं भव पार उतारे; विचरता अवनीतले तप उग्र विहारे, ज्ञान ध्यान ओक तानथी तिर्यंचने तारे।
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धन्य धन्य दिवस आजना माहामणा.
पल्या अभिनंदन स्वाम:
जिन मारीवंता स्वीकारजो। दर्शनतीद खड़ा मारां सविनाठां.
प्रगट्या मी सखना आराम। जिन
नंदन श्री.सवरायनो साचो. दी छ जमणे मोहने तमाचा:
पाम्या जपावन धाम। जिन-2 सिद्धारथा जने भाग्यवंती माना
देना जीवार शिवरयाताः
मसला र मन नाम। जिन-: हरि लछन प्रचरण साह,
विनितावामीन जोतां मनमा
भलायेर खां नमाम जिन-5 पजा हजाग कर नाम नार.
आज्ञा तारी प्रभु ठोकर मारे;
कांधी त्यां धर्मर्नु कास। जिन - ४ मारे मने तुं अंक उपकारी,
कालीघेली भले वाताछे म्हारी;
सारजो जिनेन्द्र काम। जिन -'
सनियाSAnita तुस
-adીની નામી મારી ના મન ના શરીર પર વારી
मूलनायक श्री चितामणि पार्श्वनाथ
६. श्री शांताक्रुज वेस्र तीर्थ
मूलनायक श्री कुंथुनाथजी
सन्ट एन्क्रज रोड पर पोदार स्कूल के पास यह मंदिर है। जिसकी प्रतिष्ठा सिद्धांत महोदधि पू. आ. श्री विजय प्रेममगश्वरजी म. के द्वारा वि. सं. १५१८ फाल्गुन सुदी ३ को हड़ है। पिन - ४०० ०५४ फोन ६४१४२३४ इंस्ट में श्री कलिकंड पाश्वनाथजी का भव्य मंदिर है।
मूलनायक श्री कुथुताथी
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मुंबई नगरी REET-CET-CELECREEEEEEEEEER
७. श्री वालकेश्वर तीर्थ
बालकेश्वर - चंदनबाला अपार्टमेन्ट मंदिर मूलनायक श्री महावीर स्वामी
यह मंदिर वालकेश्वर ऑफ ३९ रीज रोड पर रतिलाल ठक्कर मार्ग पर आलीशान और भव्य बना हुआ है। भोयरे में मूलनायक श्री शंखेश्वरा पार्श्वनाथजी है। २० प्रतिमाजी आरस के हैं।
इस मंदिर कीअंजनशलाका और प्रतिष्ठा भव्य महोत्सव के साथ पू. आ. श्री विजय रामचंद्र सूरीश्वरजी म. के द्वारा सं. २०३३ वैशाख सुदी १३ रविवार ता. १-५-१९७७ को हुई है। सेठ श्रीभेरुमलजी कन्हैयालाल कोठारी रिलीजीयस ट्रस्ट द्वारा सेठ श्री देवीलालजी तथा श्रीमती प्रेमलताबहन देवीलालजी न स्वयं की देखरेख में नीचे भव्य आकर्षक और आल्हादक बनाया है।
पास में उपाश्रय तथा नीचे उसके बड़े हाल हैं। एक तीर्थ स्वरूप यह मंदिर बना है।
वालकेश्वर के बाबु अमीचंद जीवनलालजी तथा श्रीपालनगर और चंदनबाला यह तीन मुख्य मंदिर है। जो तीर्थ स्वरूप है जिसका बहुत लाभ लिया जाता है।
मूलनायक श्री महावीर स्वामी - चंदनबाला
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चंदनबाला जैन मंदिरजी-बालेश्वर 影剧剧剧剧剧剧影剧剧剧剧/剧剧剧剧影
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दशम : भाग - २
लगवान श्री मप)
श्री आदिश्वरजी- बाबु पन्ना मंदिर
श्री बाबु पन्ना जैन मंदिरजी - वालकेश्वर
मूलनायक श्री आदिश्वरजी ४१ रीज रोड़ पर यह मंदिर एक भव्य और मलबार हील का मुख्य प्राचीन मंदिर है। बाबुजी मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा था तब मूलनायकजी की खोज में थे। एक रात्रि को उनको स्वप्न में एक मूर्ति के दर्शन हुए। उसके बाद उस प्रतिमाजी के लिए खोज-बीन चालू की।
एक समय श्री मोहनलालजी महाराज को मिले और स्वप्न की बात की तब मोहनलालजी म. ने कहा कि यह मूर्ति खंभात में है। सेठ स्वयं खंभात गए और मूर्ति की तलाश की मूर्ति मिल गई और ले जाने की बात की तब उन्होंने देने की मनाही करदी। तब सेठ ने स्वप्न आया और स्वप्न में दिखी मूर्ति खंभात में है ऐसा मोहनलालजी म. ने बात की जिससे में ढूँढने और लेने आया हूँ।
खंभात के लोगों ने मंबई माहनलालजी म. के पास इस बाल की तलाश करवाई विश्वास होने पर वह श्री आदिश्वर जी की प्रतिमा इस बाबजी के मंदिर के लिए प्राप्त हुई।
यह मंदिर तैयार हो जाने पर वि.सं. १९६० मगशिर सुदी ६को पू. मुनिराज श्री मोहनलालजी महाराज के द्वारा प्रतिष्ठा करवाई है। प्रतिमाजी३६ है। इस मंदिर पुराना बना हुआ दो मंजिल का है। प्रतिमा भव्य है। जिसका परिसर अवश्य गिना जाता तीर्थ स्वरूप यह मंदिर है। इस मंदिर का मुंबई गजट में उल्लेख है। जिससे देश विदेश के प्रवासी यहां दर्शनार्थ आते हैं।
दो मंजिल का उपाश्रय तथा आयंबिलशाला है। ४१ रोज रोड मलबार हील वालकेश्वर मुंबई - ४०० ०००
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मंबई नगरी
(६८७
वालकेश्वर - श्रीपाल नगर मंदिर मूलनायक श्री आदिश्वरजी
यह मंदिर १२ हार्क नेश जमनादास मेहता रोड पर श्रीपालनगर सोसायटी के कम्पाउन्ड में भव्य और दर्शनीय आरस का बना हुआ है। नीचे भोयरें में श्री मुनिसुव्रतस्वामी जी है दोनों प्रतिमा प्राचीन है। उदयपुर - देलवाड़ा में प्राचीन मूलनायकजी थे संवत १५०० में पू. आ. श्री सोमसुंदर सूरीश्वरजी म. के द्वारा अर्जनशलाका हुई है और अत्यन्त अलौकिक है मंदिर और श्रीपालनगर सेठ लालचंद छगनलालजी तथा सेठ सोहनलालजी ने बनवाया है। पास में उपाश्रय संदर है । १६ प्रतिमाजी आरस के हैं इस जिनमंदिरकी अंजनशलाका प्रतिष्ठा भव्य प्रकार से पू. आ. श्री विजय रामचंद्रसूरीश्वरजी म. की निश्रामें सं. २०२९ मगशिर सुदी ५ को हुई थी।
यहां हर वर्ष वर्षीतप के पारणे का आयोजन होता है। यहां से पीछे डाभोडकर रोड तरफ के मंदिर को जाया जाता है।
श्रीपालनगर जैन मंदिरजी वालकेश्वर
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मूलनायक श्री आदिश्वरजी श्रीपालनगर
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मुलनायक श्री मुतिसव्रत स्वामी- श्रीपालनगर
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६८८)
८. श्री पायधुनी तीर्थ
1
શ્રી શાંતિનાથ ભગવાન
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
पायधुनी - श्री गोडीजी जैन मंदिर मूलनायक श्री गोडी पार्श्वनाथजी
यह मंदिर पायधुनी के मध्य भाग में है। अभी बहुत वर्षों से जीर्णोद्धार करके विशाल दो मंजिल का भव्य मंदिर बना है। मूलनायकजी को स्थिर रखकर जीर्णोद्धार है हुआ 1. जीर्णोद्धार के बाद भव्य महोत्सव और भव्य निष्ठापन के साथ पू. आ. श्री सुबोध सागर सूरीश्वरजी म. की निश्रा में प्रतिष्ठा हुई है।
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
पायधुनी शांतिनाथजी मंदिर मूलनायक श्री शांतिनाथजी
यह मंदिर भी नेमिनाथजी मंदिर के पास है । ३८७, इब्राहीम रहीमतुला रोड पर है। १६ आरस के प्रतिमाजी है। प्रतिष्ठा वि. सं. १८७१ माहवदी १३ को हुई है। मुंबई बोंबघडाका में मंदिर पूरी तरह गिर गया और उसका जीर्णोद्धार चल रहा है। जीर्णोद्धार का विवाद भी लंबा चल रहा है परन्तु देव, गुरु और शासन देव की कृपा से जीर्णोद्धार प्रवृत्ति में ट्रस्ट सफल हुआ है। पायधुनी पर श्री आदिश्वरजी मंदिर श्री महावीर स्वामी मंदिर बड़े हैं। पास में गुलाबवाडी में बड़ा मंदिर है । भींडीबाज़ार, खारक बाजार में श्री । अनंतनाथजी श्री आदिश्वरजी के मंदिर हैं। अनंतनाथजी मंदिर मूल में से नया बन रहा है।
आवो आवो हे शान्ति प्रभुजी, मुज अंतर मोझार, मुज अंतर मोझार प्रभुजी उतारो भव पार । राग द्वेष अरि दूर करीने, पाम्या केवलनाण; साचो कल्याण मार्ग बतावी, कर्यो उपकार जगभां । त्रिभुवनस्वामी त्रण भुवनमां, तुम सम नहि कोई देव; इन्द्र चंद्रमे नागेन्द्र देवा, करे अहोनिश तुम सेव । • तुम पर सेवा मेवा विना प्रभु, रझल्यो आ संसार; हर करी सामुं जुवी स्वामी, माफी मांमु अपार । भाग्यवंत नरनारी पामे, तुम पद सेव सुखदाय; त्रिकरण योगे तुज पद सेवतां, दुःख दोहग सवि जाय । अनंत काले तुंहि प्रभु मलीयो, छोडुं नहि तुम साथ; तुम भक्तिमां मुज मन मलीयुं, हवे,
शिव सुख छे हाथ । •कारी आणी मंडल प्रभुगुण गावा, खड़े पर तैयार; गुरु र सूरि अमृत भाखे,
धन धन तस अवतार ।
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मुंबई नगरी
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मूलनायक श्री गोडीजी पार्श्वनाथ भगवान
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६९०)
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શ્રીનમિનાથ ભગવાન
मूलनायक श्री नमिनाथजी
"अक्षय तृतीया "
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
पायधुनी श्री नमिनाथजी मंदिर मूलनायक श्री नमिनाथजी
यह मंदिर पायधुनी भींडीबाजार के किनारे बनाया हुआ है। दूसरी मंजिल पर आदिश्वरजी है। २० आरस के प्रतिमाजी है। प्रतिष्ठा वि. सं. १९४० में मगशिर सुदी ११ ता. ११-१२-१८९१ को हुई है। सौ वर्ष से ज्यादा इस मंदिर को हुए हैं। प्रतिमा ८०० वर्ष पुराने है। पायधुनी १ कि.मी. एरिया में ५ मंदिर है ।
मोरबी के श्रीमती दीवालीबेन को संतान न होने का आप था उनको संतान न होने पर उनको परमात्मा की भक्ति रूप प्रवृत्ति स्वयं की मानकर यह मंदिर तीन मंजिल का ९० हजार खर्च करके बनाया था और संघ को अर्पित किया था । जिससे आज भी सौराष्ट्र का हालार झालावाड के व्यवस्थापक ट्रस्टी होते हैं।
मुंबई बम कांड में बाहर के भाग को नुकसान होने से जीर्णोद्धार चालू है। पीछे के भाग में ३५०० फुट का विशाल उपाश्रय बिना पिल्लर वाला हवा प्रकाश वाला है । ३७९, इब्राहीम रहीमतुला रोड, भींडी बाजार के नाके, मुंबई-३ फोन- ३४३२७५५
सम्मेतशिखर जिन वंदीये, म्होटुं तीरथ ओह रे; पार पमाडे भव तणो, तीरथ कहिये तेह रे ।। स ।। १॥ अजितधी सुमति जिणंद लगे. सहस मुनि परिवार रे; पद्मप्रभ शिव-सुख वर्या, त्रणसे अड अणगार रे ।। स ।। २॥ पांचशे मुनि परिवारशुं, श्री सुपास जिणंद रे; चंद्रप्रभ श्रेयांस लगे, साथै सहस मुणिंद रे ।। स ।।।। छ हजार मुनिराज, विमल जिनेश्वर सिद्धा रे; सात सहसशुं चौदमा, निज कारज वर कीधा रे ॥स ॥४॥ अकसो आठ धर्मजी, नवसेशं शांति नाथ रे कुंधु अर अक महशुं साचो शिवपुर साथ रे ॥स ॥५॥ मल्लिनाथ शत पांचशुं मुनि नमि अक हजार रे; तेत्रीश मुनि बुत पाशजी वरिया शिवमुख सार रे || स ||६|| सत्तावीश सहस त्रणशें, उपर ओगणपचास रे; जिन परिकर बीजा केई, पाम्या शिवपुर वास रे ।। स ।।७।। ओ वीशे जिन अणे गिरि, सिद्धा अनस लेईरे पराविजय कहे प्रणमीओ, पास शामल चेईरे ॥ सम्मेत. ॥८॥
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मुंबई नगरी
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९. श्री प्रार्थना समाज तीर्थ
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मूलनायक श्री चंद्रप्रभस्वामी
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अष्टापद अरिहंतजी, म्हारा व्हालाजी रे; आदिश्वर अवधार, नमीये नेहशुं म्हारा ।। दस हजार मुणिंदशुं म्हारा.. बरिया शिव-वधू सार-नमीये. ॥ १ ॥ भरत भूपे भावे कर्योमहारा मुखचैन्य उदार-नमीये. जिनवर चोवीशे जिहां म्हारा थाप्या अति मनोहर नमीये. ||२|| वरण प्रमाणे विराजता म्हारा, लंछन के अलंकार-नमीये. सम नासाये आता म्हारा. चिह्न दिशे चार-प्रकार नभीये. ॥13॥ मंदोदरी रावण तिहां म्हारा, नाटक करतां विचाल -नमीये. त्रुटी तांत तब रावणे म्हारा, निज कर वीणा ततकालनमीये. ||४|| करी बजवी तिथे समे-म्हारा., पण नवि तोडयुं
શ્રી ચંદપ્રભસ્વામી જૈન દહેરાસર
मूलनायक श्री चंद्रप्रभ स्वामी
सेन्द्रहर्ष रोड पर वह मंदिर है। प्रतिष्ठा सं. १९९६ मगशिर सुद ५ को हुई है। आरस के १७ प्रतिमाजी है। ठि. १८६ प्रार्थना समाज सेन्डहर्स रोड, राममोहनराय रोड, अमर महल के सामने, मुंबई-४ फोन- ३८६५३८५
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श्री चंद्रप्रभ जैन मंदिरजी - प्रार्थनासमाज
ते तान नमीये; तीर्थंकर-पद बांधीयुंम्हारा.; अद्भुत भावशुं गान-गमये ||५|| निज लब्धे गौतम गुरु म्हारा, करवा आव्या ते जात्र नमीये.; जग-चिंतामणि तिहां कर्यं - म्हारा., तपास बोध विख्यात नमीवे ॥६॥ अ गिरि महिमा म्होटको - म्हारा ; तेणे भव पामे ज़े सिद्ध-नमीये; जे निज लब्धे जिन नमे-म्हारा ; पामे शाश्वत ऋद्धि-नमीये ॥७॥ पद्मविजय कहे अहनां म्हारा., केता करूं रे वखाण-नमीये.: वीरे स्वमुखे वरणव्यो म्हारा, नमतां कोटी कल्याणनमीये ॥८॥
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(६९१
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६९२)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-२
१०. श्री फोर्ट तीर्थ
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LETENT
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मूलनायक श्री शांतिनाथजी
फोर्ट जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
१९०/९४ बोहरा बाजार स्ट्रीट में तीन मंजिल का यह मंदिर है। मुंबई का सबसे पुराना यह मंदिर है। प्रतिष्ठा वि. सं. १८६५ माहवदी ५ को हुई है। सेठ मोतीशा द्वारा यह मंदिर बनवाया है। आरसके १५ प्रतिमाजी है। दूसरी मंजिल पर श्री महावीर स्वामी है। जीर्णोद्धार तीन बार हुआ है। मुंबई नं. ४००००१ फोन-२६१ ३१ ६३
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मूलनायक श्री महावीर स्वामी
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मुंबई नगरी
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११. श्री भायखला तीर्थ
श्री आदिनाथजी जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
१८० मोतीशा की लाइन (लवलेन) में यह मंदिर है। शेठ मोतीमा ने यह मंदिर बनवाया है। चौबीस जिनालय है। मूल लकडी का मंदिर था उसमें से यह मंदिर बना है। मुंबई में यह सबमे विशाल मंदिर गिना जाता है।
आरस के ६५ प्रतिमाजी हैं। चैत्र-कार्तिक पुनम को लोग शत्रुजय यात्रा पट देखने यहां आते हैं वरसी तप के पारणे यहां होते हैं। मुंबई - ४०००२७
फोन - ३७१०७९२-३७२०४६१
१२. श्री कमाठीपुर तीर्थ
श्री आदिनाथजी-श्री नमिनाथजी-श्री महावीर स्वामी
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
VANAV
१३. श्री घाटकोपर तीर्थ
नवगेज लाइन जैन मंदिरजी- घाटकोपर
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घाटकोपर वेस्ट मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी
नवरोज लाइन में यह विशाल और भव्य मंदिर है। चार मंजिल का और रमणीय मंदिर है। २४ जिनेश्वर की प्रतिमाएं हैं। भोयरे में भव्य आदिनाथजी की प्रतिमा है। पहली मंजिल पर श्री शंखेश्वरा पार्श्वनाथजी है। दूसरी मंजिल पर श्री मुनिसुव्रत स्वामी है भव्य मेघनाथ मंडप है ४२ आरस के प्रतिमाजी है प्रतिष्ठा सन् १९७१ वि. सं. २०२७ जेठ सुद २ को पू. आ. श्र विजयप्रतापसूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है विशाल उपाश्रय, आयंबिलशाला आदि है। रंगमंडप में कांच में भव्य तीर्थ पट और कल्याणक है। यहां सुधर्मास्वामी, भद्रबाहस्वामी और देवर्धिगणि क्षमाश्रमण की प्रतिमाएं भोयरे में हैं मुंबई नं. ४०००८६ फोन ५१२३२४६
मूलनायक श्री आदिश्वरजी- भोयरे में नवरोज लाइन
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मुंबई नगरी
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मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी
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६९६)
श्री श्यतांबर जैन तीर्थ टान भाग -
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घाटकोपर ईस्ट जेन मंदिरजी
નાજીરાવલી પાર્શ્વનાથ
घाटकोपर ईस्ट पूलनायक श्री जीरावाला पार्श्वनाथजी
मंदिर लाइन में यह मंदिर है। आरस के ८ प्रतिमा है प्रतिष्ठा सं. १९६४ फाल्गुन सुदी ३ ता. ५-३-१९०८ को हुई है। यहां लकड़ी का मंदिर था कच्छी वीशा ओसवाल समाज ने यह शिखरबंधी मंदिर बंधवाया है। जीर्णोद्धार सं. १९९६ वैशाख वद ३ ता. २७-५-१९४० को हुई है। संचालक कच्छी वीशा ओसवाल मूर्तिपूजक जैन महाजन । मुंबई ४०००७७, फोन - ५१२०८२६
श्री जीरावल्ला पार्श्वनाथजी मंदिर लेन
१४. श्री चेम्बुर तीर्थ
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मूलनायक श्री आदिश्वरजी
भायखला से चैंबुर तक निकली जिससे उनके फोटो और यह मंदिर १० वें रस्ते पर है, मंदिर भव्य और तीर्थ रुप पादुका के साथ गुरु मंदिर बनवाया है। है। प्रतिष्ठा सं. २०२० फाल्गुन वदी ३ को पू. आ. श्री विजय मंदिर के पास अग्नि संस्कार हो तो उसकी ज्वाला और धर्मसूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। मुंबई शहर का मीनी धुंआ लगता है अत: मृत देह को बाहर से अन्दर लाना और पालीताणा गिना जाता है। और हर वर्ष वर्षी तप के पारणे उसमें मंदिर के पास अग्निसंस्कार हो वह अच्छा नहीं। ऐसा यहां होते हैं। उपर चौमुख श्री धर्मनाथजी है। भोयरे में वीश जहां-जहां हुआ है वहां मंदिर आदि का नुकसान या अतिशय विहरमान जिन है। श्री गौतमस्वामी आदि की देरियां हैं। ____घटने की घटनाएं हैं। सर्वप्रथम यह रिवाज वर्तमान में उपाश्रय, आयंबिल शाला, अतिथिगृह, भोजनशाला है। भायखला मंदिर के पीछे पू. आ. श्री विजय वल्लभ सू. म. मुंबई ४०० ०७१, फोन - ५५५४८०२ ।
का अग्निसंस्कार किया गया था। दूसरा गांव जहां से आचार्य
देवकी मृतदेह लाकर मंदिर या तीर्थ में दुसरे भी अग्नि संस्कार यहां इस मंदिर के प्रांगण में पू. आ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. के अग्नि संस्कार कराये थे। वह
कराए हैं यह बात रुचिकर नहीं। स्मारक जहां कहीं जा सकता भायखला में कालधर्म को प्राप्त हुए । श्मशान यात्रा
है उचित जगह देखकर गांव के बाहर अग्नि संस्कार हो तो भी अनुचित नहीं लगता है।
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मुंबई नगरी
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मूलनायक श्री आदिश्वरजी
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
१५. श्री भुलेश्वर लाल बाग तीर्थ
लालबाग - भुलेश्वर जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री महावीर स्वामी
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मूलनायक श्री महावीर स्वामी अंदर दूसरा मंदिर मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
२१२, पांजरापोल कम्पाउन्ड में यह मंदिर है। महावीर स्वामी मंदिरजी की प्रतिष्ठा सं. १९९५ माह सुदी १३ को सिद्धांत महोदधि पू. आ. श्री विजयप्रेमसूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। यह प्रतिमाजी गांभु तीर्थ में से लाई हुई है। इस प्रतिमाजी की हथेली में से गांभुमें रोज चांदी का एक सिक्का निकलता था ऐसा कहा जाता है।
श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी की चल प्रतिष्ठा १२५ वर्ष पहले हुई है।
मंदिरजी में रोज बहुत भीड़ होती है। उतना ही लाभ लिया जाता है। मुंबई में पूजा करने की दृष्टि से इस मंदिर का रिकार्ड है। और आराधना की दृष्टि से भी पहला नंबर गिना जाता है।
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
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मुंबई नगरी
(६९९
बड़े तीर्थों पर सीधे जाने के रेल मार्ग (१) मुंबई से पालीताणा दो रस्ते से जाया जाता है -
१. मुबंई से सांताक्रुज प्लेन द्वारा भावनगर जाया जाता है। लगभग एक घंटे में भावनगर पहुंच सकते हैं। वहां से पालीताणा जाने के लिए बस मिलती है। तथा रेल्वे के रास्ते से भी जा सकते हैं।
२. मुंबई से अहमदाबाद अगर वीरमगांव उतर कर वहां स बदल कर शिहोर उतर कर वहां से गाडी बदल कर पालीताणा जाना।
(२) शखेश्वर जाने के लिए -
मुंबई से वीरमगांव उतरकर बस द्वारा शंखेश्वर राधनपुर जाया जाता है। शंखेश्वर में हर तीर्थ पर जाने के लिए एस.टी, बस की व्यवस्था है।
(३) गिरनार (जूनागढ़) जाने के लिए
मुंबई से अहमदाबाद बदल कर अहमदाबाद से बस एस.टी. रास्ता डोडीया तीर्थ होकर अथवा रेल्वे के रास्ते से राजकोट होकर गिरनार जूनागढ़ जा सकते हैं। मुंबई प्लेन द्वारा केशोद अगर पोरबंदर उतरकर वहां से बस द्वारा जूनागढ़ जा सकते हैं।
(४) आबुजी जाने के लिए - मुंबई से अहमदाबाद बदल कर के वहां से आबुरोड खरेडी स्टेशन होकर आबु जाना।
(५) राणकपुर जाने के लिए -
मुंबई से अहमदाबाद बस बदलकर वहां से आबुरोड से गणीगांव स्टेशन रेल्वे मार्ग द्वारा जाना वहां से पैदल रास्ते से पंचतीर्थ करने के लिए वरकाणा ४.५ कि.मी. नाडोल ६ कि.मी.,नाडलाई१४ कि.मी. सादडी जाते हैं वहां से जंगल
में ९ कि.मी. राणकपुरजी जाना वहाँ सभी व्यवस्था है। बस सर्विस चालु है। कुल ४६ कि.मी. यह रास्ता है और सीधा वहां से राणीगांवरे-
किमी. बस के रास्ते से पन ..आना।
(६) केशरियाजी
मंबई से राणी स्टेशन से अजमेर-चित्तौड़ और उदयपुर होकर वहां से ४८ कि.मी. केशरियाजी जा सकते हैं।
(७) मक्सीजी
मंबई से पहला रास्ता: आणंद, रतलाम, उज्जेन होकर मक्सीजी जा सकते हैं।
दूसरा रास्ता - मुंबई से भुसावल, खंडवा, फतेहाबाद, उज्जैन होकर मक्सीजी रेल्वे रास्ते से जा सकते हैं।
(८) सम्मेदशिखर मक्सीजी से सम्मेदशिखरजी जाने के दो रास्ते हैं।
(१) रेल्वे के रास्ते मुंबई से बीना, कटनी, इलाहाबाद ग्रेटी वहां से मधुवन सम्मेदशिखरजी २१ कि.मी दर बस रास्ते सुविधा मिलती है।
(२) मुंबई से बीना, कानपुर, बनारस, लखेसराई और ग्रेटी होकर सम्मेद शिखर जा सकते हैं।
(९) मुंबई से जी.आई.पी. रेल्वे के रास्ते से नाशिक, भुसावल और आकोला होकर वहां से बस के रास्ते शिरपर (अंतरिक्षजी) जा सकते हैं।
(१०) कच्छ भद्रेश्वर मुंबई से रेल्वे के रास्ते अहमदाबाद होकर मारबी जाना वहां से बस की सुविधा मिलती है। अहमदाबाद से गांधीधाम अंजार होकर भद्रेश्वर बस रास्ते से जा सकते हैं। मुंबई से प्लेन द्वारा भुज होकर वहां से बस की सविधा मिलती है।
न्यायालयाला
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________________
७००)
आन्ध्र प्रदेश, कर्णाटक, तामिलनाडु
मंगलोर
१६
कारकल
मुडीबडी ३४. २३ २७
बेन्टवेल
हुम्बज प्रतीर्थहल्ली ८३२ २४ अम्बे
सोमेश्वर
बेलगाम बीजापुर की ओर
चीत्रदुर्गा
२४
१०५
वारंग
प्रशीमोगा
बेलटांगडी ६६
चीकमंगलूर
● धर्मस्थळ १३७ हासन जलसुर
कि
ओर
नरसीपुर
हैद्राबाद बेंगलोर ५७०
6. कोचीन
हीरीपुर
९०
नागपूर की ओर
निझामाबाद प (हैद्राबाद १५०)
सीदीपेट
रामयामपेट कुलपाकजी
हैद्राबाद
टुमकुर
अपार्थ
'पटा
४१ / ११ श्रवणबेलगोडा
- किष्नराजनगर
मैसुर- श्रवणबेलगोडा ११० / १२०
NH7
1 त्रीवेन्द्रम
'कुरनुल
INH7
० महेबुबनगर
INH7
१) गुंटाकल गुट्टी
INH7
नन्दी
हील्ल चीकबोला पैर अस्सीकेरे ७२
१४
बेलर १०५ ४३ ९६ १४
भोगीर
अनन्तपुर
NH9
मदुर
मन्डया
हैद्राबादसे
हरकटपल्ली वीजयवाडा-२७१ सुर्यपेट
कोदार
NH9 अमरावती
कुंकुरपाली
६८ ४०
मैसर मद्रास बेंग्लोर ३५० मद्रास मैसुर ४८४
जनगांव
उदी
आलेर
हैद्राबादसे तीरूपतीजी
किष्नागीरी
३२
NH5
कन्याकुमारी
/३२ गुन्दुर
राजमपेट D तीरूपती
२२
Yo
६६५ १०६ मदनपैले ११ रानीगुंटा तामणी ७५ २६ तीरूमलई ५६ पीलेरू ५२ बेंगलोर कोलार मुलभागल ४१. २० चीतुर ફ पालमानेर ५० ५८ कोलार सोनेकी ० खाने होसुर
धर्मपुरी
२०० इरोड विजयमंगलम
तीरूपुर
कोइम्बतोर १३८. सीडाइकेनाल,
१०७/
१७
Yo
बापुलपद् विजयवाडा २४
२९
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन: भाग २
वयुर
मदुराई
ओंगोले
७८
अलुरू
NH5
जीनगीरी
हैद्राबाद मद्रास ७०४
कावली'
३७
थान्जावर
नाल्लाजेरला
७० P- ओरीस्सा की ओर
गुडीवाडा
१६०.
७०
५५ ३९८६ ४१ ४० वेलोर ३२ राणीपेट कांचीपुरम ५० जीनकांगी आरनी तीरूमल्लले
अंबूर
चेरपट
पेदाअरीअम
८० भीमावरम
४७
३ मसुल्लीपट्टनम
लोर
NH5
पुडल
मुनीगरी दावासी १६२
पौनुरमलै पोंडीचेरी कडलोर
३४
नेयुपेहा
१८/
● कुंभकोणम नीलमंगलम - तीवेतर १३ मन्नारगुडी
पडकोटाइ
२० मद्रास
ESARI
1
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________________
आंध्र प्रदेश
(३०१
नाशामाबाद
किलपाको
मेर
सिकंदाबाद
Vी भोगीर
Tसाममदपटा अरोअप
नालगोदा)
नाचीणापटनम
नीरूपती
अनंतपर
इनेलोर
आंध्रप्रदेश
क्रम गांव
पेज नं
क्रम
गांव
पेज नं.
७०२
७११
७१२
७०५
७१२
७०५
७१३
१. निजामाबाद तीर्थ
हैदराबाद तीर्थ सिंकदराबाद तीर्थ कुलपाकजी तीर्थ विजयवाडा तीर्थ
गुडीवाडा तीर्थ ७. पेड अमीरम् तीर्थ ८. राममहेन्द्री (राजमुंदी) तीर्थ
९. हल्कार तीर्थ १०. तेनाली तीर्थ ११. गुन्टूर तीर्थ १२. अमरावती तीर्थ १३. नेलोर (नेलुर) तीर्थ १४. अनंतपुरम् तीर्थ
१५. कर्नूल तीर्थ | १६. आदोनी तीर्थ
७०८
७१४
७०८
७०९
७१०
७१६
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________________
७०२)
न
પાપા વીશાશા રામકથાન
१. श्री निझामाबाद तीर्थ
islan
-
1940
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
Pellle
हैदराबाद सुल्तान बाजार
मूलनायक श्री अजितनाथजी पार्श्वनाथजी
यहां पहले श्री पार्श्वनाथ मंदिर अजमेर निवासी सेठ श्री पदमशी नैनसीजी ढढा ने वि. सं. १९२० में बनाया । बस्ती बढ़ने पर कमेटी ने पास में जमीन लेकर विशाल भव्य मंदिर का निर्माण किया और मूलनायक गोडीजी पार्श्वनाथजी
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
यह नवीन जिनालय बनवाया है। प्रतिष्ठा वि. सं. २०३९ माह सुदी १० को पू. आ. श्री विजयरत्नशेखर सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। आरस के ३ प्रतिमाजी है। जैन के ३५ घर १२५ की संख्या है। मनमाल आकोला रेल्वे स्टेशन है । महाराष्ट्र का नांदेड ७५ कि.मी. है।
निजामाबाद पिन- ५०३ ००१
२. श्री हैद्राबाद तीर्थ
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
निजामाबाद जैन मंदिरजी
की स्थापना उपर के भाग में करके और नीचे श्री अजितनाथजी विराजमान किए जिससे यह मंदिर अजितनाथ पार्श्वनाथ मंदिर के रूप में प्रसिद्ध किया। बाहर के भाग में गौतम स्वामी ४ दादागुरु तथा चरण की प्रतिष्ठा वि. सं. २०२६ में हुई है।
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________________
(७०३
DECECORRE-H-
06--
DISTRATANTRA
Comgarma
सुलतान बाजार जैन मंदिरजी हैदराबाद
श्रीअन्तितनाथ भगवान
मूलनायक श्री अजितनाथजी-सुलतानबाजार
आव्यो आव्यो हे प्रभुजी प्यारा तुम दर्शनने काज । फाव्यो फाव्यो हे प्रभुजी प्यारा तुम दर्शनथी आज । विजया मातानो तुं जायो, त्रण भुवन शिरताज; जिनशत्रु जितशत्रु नंदन, भव तारक तुं जहाज आव्यो । १ कल्पतरु तुहि तुहि चिंतामणि, अजितनाथ जिनराज, हाथी जेवी चाल तमारी, तुम चरणे गजराज । आव्यो...२ तुं ब्रह्मा तुहिं विष्णु बुद्ध, तुहिं शंकर महाराज, तुहिं भ्राता तुहिं माता पिता, तुंहिं शरण मुनिराज । आव्यो..३ चेलामां प्रभु आप बीराजो, तुम सेवक सुरराज; समरथ स्वामी आप मल्या तो, रहेशे अमारी लाज। आव्यो..४ श्री वीर सेवा मंडल गावे, लेवा शान्ति राज; गुरु कर्पूर सूरि अमृत मागे, शाश्वत शिवपुर राज । आव्यो...५
श्रीपाश्वनाथ भगवान
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी-सुलतानबाजार
हैदराबाद - शाहूकारी कारखान मूलनायक श्री गोडी पार्श्वनाथजी हैदराबाद सबसे प्राचीन यह मंदिर है। वि.सं. १५०० के आरस के ९ प्रतिमाजी है। यह मंदिर भी बेगम बाजार का मंदिर बनानेवाले ओसवालभाईयों ने बनाया है। यहीं थोड़ी दूर दादावाड़ी है।
कारवान जैन मंदिर जाहेदराबाद
奥喚傘傘傘傘喇喇喇喇嘛來嘛來嘛來嘛來嘛來嘛孫
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________________
७०४)
श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी बेगम बाजार
P
755
D
श्री गोडीजी पार्श्वनाथजी कारवन
1517
हैदराबाद बेगम बाजार मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
नवाब कुतुबशाह के राज्य में तिलंग देश की इस नगरी
का नाम भागनगर (भाग्यनगर ) था ।
श्री वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
शाहूकारी कारवान विस्तार के अन्य मंदिर
(१) महावीर स्वामी मंदिर तीन मंजिल का है। सं. २०४७ में हुआ है।
विशिष्ट चार प्रतिमाजी है। गुरुमंदिर नीचे के भाग में है प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजय राजवंश सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है।
1
(२) श्री पार्श्वनाथ मंदिर प्रतिष्ठा वि. सं. १९४६ वैशाख सुदी ३ को हुई है। सं. २००० में विस्तार करके तीसरी मंजिल पर विशाल मंदिर बनवाया है। उपाश्रय तथा जैन भवन पास में है।
(३) गौतम बिहार जैन तीर्थ हैदराबाद से ८ कि.मी. चैतन्यपुरी मारुति नगर में गौतम विहार जैन तीर्थ धाम बना है। उसके उपदेशक पू. आ. श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म. है । प्रतिष्ठा सं. २०४९ में फाल्गुन सुदी ५ को पू. आ. श्री कलाप्रभसागर सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है।
बेगम बाजार जैन मंदिरजी हैदराबाद हैदर अली के समय में हैदराबाद नाम हुआ। ऐसा वी. सं. १७११ में श्री शीलविजयजी तीर्थमाला में है। वहां ओसवाल तीन भाई (१) भूषण शाह (२) देवकरण शाह (३) उदयकरण शाह राजा के माने हुए थे। उसमें देवकरण शाह ने यह श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ विशाल मंदिर बनाया उस समय आदिनाथ मंदिर तथा पार्श्वनाथ मंदिर थे । मूर्ति में लेख १५८८ का है। जीर्णोद्धार सन् १९७८ में पू. आ. श्री विजय विक्रम सू. म. के उपदेश से हुआ है। यहां हस्त लिखित ग्रन्थ का विशाल संग्रह था ।
निजामाबाद से १७० कि.मी. है। मुंबई हैदराबाद तथा हैदराबाद - बैंगलोर रेल्वे लाईन है।
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________________
आंध्र प्रदेश
MAMAMMMMMMMMMMMMMMMMM
XXX
ܡ ܠܐ ܟܐ ܠܐ ܠܐ ܐ܂
XXX
ܠܡ ܠܐ ܥܡ ܟܐ ܠܡ ܠܐ ؛ ܡ ܠܐܥܡ ܕܐ ܠܡ ܥܐ ܥܡ ܐ ܥܡ ܐ ܐ
10
३. श्री सीकंद्राबाद तीर्थ
मूलनायक श्री आदिनाथजी
कुलपाकजी जैन मंदिरजी - व्यू
५. सिकंदराबाद
मूलनायक श्री आदिनाथजी
यह मंदिर १५० वर्ष प्राचीन है। प्रतिमाजी १६वीं सदी के हैं हैदराबाद से पास में है। विशाल सरोवर है। दूसरी तरफ यह सिकंदराबाद शहर है।
- A
वि. सं. १९६९ में यति श्री बुधमलजीके प्रयास से जीर्णोद्धार के समय बहुत प्रतिमाजी प्राप्त हुए हैं आरस के ९ प्रतिमाजी यहां है। कंचन बाजार (जि. हैदराबाद)
सिकंदराबाद के दूसरे दो मंदिर
(१) श्री कुंथुनाथजी मंदिर - महात्मा गांधी रोड पर है। इस मंदिर का शीलास्थापन वि. सं. २०२२ में पू. आ. श्री विजयभद्रंकर सूरीश्वरजी म. की निश्रा में हुआ था । और सं. २०२६ में अंजनशलाका प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजयभुवनतिलक सूरीश्वरजी म. पू. आ. श्री विजय जयंतसूरीश्वरजी म. आदि की निश्रा में हुई थी ।
४. श्री कुलपाकजी तीर्थ
(२) श्री नमिनाथ जिन मंदिर जैनों की संख्या बढ़ते डी.वी. कालोनी में यह नवीन जिनालय बना जिसकी प्रतिष्ठा वि. सं. २०४७ में पू. आ. श्री विजयराजयश सूरीश्वरजी म. की निश्रा में हुई है। हैदराबाद में ६ और सिकन्दराबाद में ३ मंदिर कुल ९ मंदिर है।
श्रेयांस जिनवर भावे पूजीने,
वरीये शिव वरमाल रे। जिनजी अमर तपो । सिंहपुरीनो रुडो ओ राजा, माता विणुनो बाल रे । जन्मथी जेहने चार अतिशय छे, ओ छे दीनदयाल रे । मोक्षपुरीना ओह छे स्वामी, जाणे छे भाव त्रिकाल रे। साकरथी मीठी वाणी छे जेहनी,
भवि जीवना रखवाल रे । विष्णु राजानो लाडकवायो, भांगे भव जंजाल रे । गुण अमृत धारे त्रिजग स्वामी,
वंदे जिनेन्द्र त्रिकाल रे ।
जिनजी-१ जिनजी-२
जिनजी ३
जिनजी-४ जिनजी-५
जिनजी-६
(७०५
AAAAAAAAM AAM A
MMMMMMMMM XXXAAAAAA
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________________
७०६)
328
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग- २
8888
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________________
आंध्र प्रदेश
फिरोजीनंग में बनी हुई कुंभक सिंहासन अर्द्धपद्मासन अद्वितीय प्रतिमा है। बायेंतरफकेगर्भगृह में कृष्णवर्णग्रेनाइट पत्थर की ४२४ ४२ ईंच की श्री नेमिनाथजी की प्रतिमा सर्प के आधार पर है। उसके बाद शांतिनाथजी५२ ईंच, ऋषभदेव ३९ ईंच, अभिनंदन स्वामी ४५ ईंच, ऋषभदेवजी ४९ ईंच, चंद्रप्रभस्वामी ४६ इंच यह भव्य प्रतिमा भी श्याम ग्रेनाईट पाषाण में बनाई हुई है। चौबीसीचोकलेट पत्थर में है। बाहर पद्मावती की श्याम प्रतिमा है। आरस के १२ और धातु के १२ प्रतिमाजी है। दादावाड़ी में १९७० में प्रतिष्ठा हुई।
सं.१३३३ के शिलालेख मेंमाणिक्य स्वामी की प्रतिमा लिखी है। सं.१४८१ के सेख में तपागच्छाधिराज भद्रारक श्रीरत्नसिंहसूरीजी की निश्रा में जीर्णोद्धार होने का उल्लेख है। सं. १६६५ के शिलालेख में यह विजय सेन सूरिजी म. का नाम खुदा हुआ है। सं. १७६७ में पं. केशर कुशलगणि की निश्रा में हैदराबाद श्रावकों द्वारा जीर्णोद्धार होने कालेख है । उस समय दिल्ली के बादशाह औरंगजेब के पुत्र बहादुरशाह केसुबेदार मोहम्मद युसुफखां के सहयोगसे कार्य हुआ था। बड़ा कोट भी बनवाया था।
हर वर्ष चैत्र सुदी तेरस से पुनम तक मेला लगता है।
१७८७ में बहादुर शाह के समय में जीर्णोद्धार कर किला बनवाया है। मंदिर को विशाल दक्षिण शैली का रुप देकर जीर्णोद्धार चलता है। अभी खोदकार्य करने पर प्राचीन अवशेष मिले हैं। आंध्र में मुख्य तीर्थ और भारत के भी मुख्य तीर्थों में से एकतीर्थ है। यहां विशाल हाल, धर्मशाला, भोजनशाला, अतिथिगृह, लब्धिसूरीश्वरजी आराधनाभवम है। हैदराबाद से ८५ कि.मी. आलेर स्टेशन से ५ कि.मी. है। स्टेशन के सामने धर्मशाला है। विजयवाडा हैदराबाद रेल्वे पर आलेर स्टेश' है। जैनतीर्थ कमेटी कुलपाकजी तीर्थ - कोलन पाठ-५०८१०१ ता. आलेर जि. नरगोंडा
कुलपाकजी जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री माणिक्यदेव ऋषभदेवजी
यह मंदिर बहुत प्राचीन है। दक्षिण शैली जैसा है। अष्टपदवाला विशिष्ट शिखर है जो सातवीं सदी पूर्व का है।
यह मूर्ति श्रीभरत महाराजाने स्वयं की अंगुठी के नीलम में से बनवाई और श्रीपुंडरीकस्वामी गणधर भगवंत के द्वारा प्रतिष्ठा करवाई है। ऐसा कहा जाता है। ३९ ईंच के यह प्रतिमाजी श्रेष्ठ रत्न के हैं। यह प्रतिमा अयोध्या में स्थापित की थी। वहां से विद्याधर अष्टापद पर्वत उपर ले गये। वहां से इन्द्र नारदजी के वचन से मंदोदरी को इस प्रतिमा की पूजा करने की इच्छा होने पर रावण ने इन्द्र की आराधना कर यह प्रतिमा प्राप्त की और लंका में स्थापित की। लंका का नाश जानकर देव नेवह प्रतिमासमुद्र में पधराई और बाद में कन्नड देश के कल्याण नगर के राजा शंकर ने मिथ्यात्वी देवों के उपसर्ग से बचने के लिए पद्मावती के वचन से समुद्रदेव की आराधना कर मूर्ति प्राप्त की और कुलपाक नगर में वि. सं. ६८० में प्रतिष्ठा की।
मूलनायक की दाहिनी भुजा में ४१ ईंच के कृष्णवर्णी ग्रेनाइट के श्री ऋषभदेव तथा बायीं तरफ आरस के दो काउस्सग की प्रतिष्ठा की है। चौबीसी में १४ प्रतिमाजी है भगवान की दाहिनी तरफ गर्भगृह में श्री महावीर स्वामी की
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________________
७०८)
100
५. श्री विजयवाडा तीर्थ
मूलवाचक श्री संभवनाथजी
६.
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
यह मंदिर १७ वीं सदी का है। जीर्णोद्धार ता. ७-११९४१ में बना है। आरस के तीन प्रतिमाजी है।
पास में सप्तफणा श्री पार्श्वनाथ की मंदिर है। उसमें ५ प्रतिमाजी है। जैनों के १०० घर एक हजार संख्या है । विजयवाडा मसुली पट्टनम मार्ग में यह तीर्थ आया है । भीमावरम रेल्वे स्टेशन है। जि. किष्णा ता. गुडीवाला ५२१ ३०१
श्री गुडीवाडा तीर्थ
-
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग- २
30
BRE JAIN SWETHAMBAR TEMPLE
శ్రీశ్రీ ంబర్ దేవాలయం
जैन
जनवाडा
विजयवाडा जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री संभवनाथजी
सं. १८९६ में मंदिर बना वि. सं. १९५५ में विस्तार किया और पू. पं. माणिक्य विजयजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा सं. १९५५ फाल्गुन सुद ५ को हुई है। यहां ३०० घर है । कुल जैनों के १५ हजार घर है। राजस्थानी की संख्या ज्यादा है। कुलपाकजी तीर्थ से २३० कि.मी. है। मुंबई हावड़ा रेल्वे हैं केनाल रोड ५२०००१
1
गुन्टुर जिले में स्टेशन गुन्दुर से २५ कि.मी. श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी का अमरावती तीर्थ धर्मशाला भोजनशाला के साथ है।
भीमावरम् से ४ कि.मी. पेदाअमीरम गांव में श्री विमलनाथजी जैन मंदिर है। जो ६० वर्ष पहले जमीन में से निकले हैं। २०२१ में प्रतिष्ठा हुई है। प्रतिमा एक हजार वर्ष प्राचीन गिनी जाती है। चैत्र पूर्णिमा को मेला लगता है। धर्मशाला, भोजनशाला है।
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________________
आंध्र प्रदेश
DDDDDDD
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
DDDDX
मूलनायक श्री आदिनाथजी
गुडीवाडा जैन मंदिरजी
७. श्री पेड अमीरम् तीर्थ
पेड अमीरम् जैन मंदिर
20
Se
REE ROUTER
लिए
(७०९
HISTO
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
मूलनायक श्री आदिश्वरजी शिखरबंधी मंदिर है नया तीर्थ बना है। व्यवस्था सुंदर है। प्रतिमाजी प्राचीन है। श्री भीमावरम् श्वे. मू. जैन संघ ने मंदिर बनवाया है। व्यवस्था भी वह करते हैं।
उपाश्रय, धर्मशाला, भोजनशाला की व्यवस्था है। भीमावरम् में घर मंदिर है। भीमावरम् जंक्शन से ५ कि.मी. है। भीमावरम् - विझागापट्टम लाइन तथा विजयवाडाराजमहेन्द्री लाइन है।
आदिनाथजी जैन मंदिर, पेदे पीरम् वाया भीमावरम् (जि. पश्चिम गोदावरी) पिन . ५३४ २०२ फोन - एस.टी.डी. (०८८१६) ३६३२
( ८. श्री राजमहेन्द्री (राजमुंद्री) तीर्थ
Shayrannyas
श्री वासुपूज्यजी
मूलनायक श्रीदासुपूज्य स्वामी
राजमहेन्द्री जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वापी
मंदिर प्रतिष्ठा वि. सं. १९९८ माह सुद १४ को हुई है। यति श्री राजविजयजी ने प्रतिष्ठा की है। पहले घर मंदिर था अब शिखरबंधी मंदिर है।
७५० घर है। उपाश्रय, आयंबिल खाता है। रावण की पत्नी मंदोदरी का यह पिहर कहलाता है। प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर प्रदेश है। जि. ईस्ट गोदावरी जिन-५३३१०१
मयनि
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(७११
आंध्र प्रदेश सा
參參參參參爱參參參參參參參參參參參參參參 । ९. श्री हींकार तीर्थ
JOGIC
综斷探縣缘缘聚缘聚缘聚缘
हीकार जैन मंदिरजी
擊探靡华縣除縣家擊级编织離家搬家拳擊拳擊级综舉家搬拳擊拳擊皖顺络
मूलनायक श्री कल्पतरु चिंतामणि पार्श्वनाथजी हीँकार की सुंदर रचना से शोभित विशाल सिंहासन है। तीर्थ स्थापना २०४० वैशाख सुदी ६ को हुई है। प्रभु प्रवेश सं. २०४२ माहवदी १ को हुआ है । पू. आ. श्री विजयरत्नशेखर सूरीश्वरजी म. (वागडवाले) के शिष्य पू. १. श्री भद्रानंदविजयजी म. के उपदेश से यह तीर्थ बना है।
प्रतिमाजी प्राचीन जमीन में से निकली है। तीन शिखरवाला मूलनायक श्री कल्पतरू चिंतामणि पार्श्वनाथजी मंदिर बन रहा है। १२५ फुट ऊंचा मंदिर है। फाल्गुन सुदी
१० को मेला लगता है। विजयवाडे से २० कि.मी. होता है।
हीकार तीर्थ ट्रस्ट नागार्जुननगर जि. विजयवाडा। पिन ५२२ * ५१० स्टेशन विजयवाडा।"
縣除縣餐盤參聲援缘缘聚缘聚缘需
Live
Maituलाख
मूलनायक श्री कल्पतरू चितामणि पार्श्वनाथजी ॐ व्य 參參參參參參參參參參參參參參參參參參參跳眾參參參參參參
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७१२)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
।
१०. श्री तेनाली तीर्थ
मोबागपत्य स्वामीजी
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
प्रतिष्ठा वि. सं. १९९८ माह सुदी ६ को यति श्री नेमिचंद्रजी के द्वारा हुई है। १०० घर है। उपाश्रय, आयंबिलखाता है। रेल्वे स्टेशन है।
गुन्टूर से २५ कि.मी. हींकार तीर्थ से २५ कि.मी. और विजयवाडासे ३५ कि.मी. है। साहकार बाजार (जि. गुन्टूर) पिन ५२२ २०१
तेनाली जैन मंदिरजी
- ११. श्री गुन्टूर तीर्थ
श्रीपार्थनाथ जैन मन्दिर
NEY
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
गुन्टूर जैन मंदिरजी
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आंध्र प्रदेश
(७१३
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी यह जिन मंदिर १०० वर्ष पुराना है। धातु के प्रतिमाजी आरस के त्रिशिखरी सिंहासन में है। दूसरा मंदिर बराठी पेठ में है। ३५० घर है। उपाश्रय, आयंबिलखाता आदि है। यह शहर तेनाली से २० कि.मी. है। विजयवाडा-मद्रास तथा हैदराबाद-गोलकुंडा रेल्वे लाईन में स्टेशन है। जि. ता. गुन्टूर पिन - ५२२००३
१२. श्री अमरावती तीर्थ
WHAWANA
TOIRIDIO
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
अमरावती जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
गुन्टूर से २५ कि.मी. यह स्थान है। अभी एक कमरे में प्राचीन प्रतिमाजी है। गुन्टूर के श्रावक इस प्राचीन स्थल को तीर्थ का रूप दे रहे हैं। __ “आंध्र में जैन धर्म' पुस्तक में इस गांव का इतिहास है। यहां प्राचीन नगरी थी। खोदकार्य करते ईस्वी सन् १०० की प्रतिमाएँ, शिलालेख, सिक्के मिले हैं। पास में कृष्णा नदी बहती है। स्थान मनोहर है। पार्श्वनाथजी के प्रतिमा नदी किनारे से खोदकार्य करते मिले हैं। ता. मंगलगिरि, जि. गुन्टूर। पिन - ५२००५२
Page #251
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________________
७१४)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग
(
१३. श्री नेलोर (नेलुर) तीर्थ
नेलोर जैन मंदिवजी
श्रीबालनाथजी मूलनायक श्री श्रेयांसनाथजी
मूलनायक श्री श्रेयांसनाथजी
यहां श्री सुमतिनाथजी का मंदिर वि. सं. २००८ में हुआ है। वि.सं. २०३८ माहसुदी ६ को श्री श्रेयांसनाथजी मंदिर की प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजयजयंतसेन सूरीश्वरजी म.की निश्रा में हुई है। शिखरबंधी मंदिर है।
दिल्ली, मद्रास रेल्वे लाईन पर स्टेशन है। ठे. मंडपाल स्ट्रीट, मारवाडी गुडी जि. ता. नेलोर पिन - ५२४००१
नेलोर संघ द्वारा मद्रास के रास्ते काकटूर में चौबीसी जैन तीर्थ निर्माण हो रहा है। जो १० कि.मी. है। पू. आ. श्री विजयभुवन भानु सूरीश्वरजी म. के शिष्य पू. आ. श्री विजयभद्रगुप्तसूरीश्वरजी म. का मार्गदर्शन मिलता है। गुन्टूर से ३५ कि.मी. है। संचालक मंडल श्री भगवान महावीर जैन सोसायटी, १४, १६, मंडपाल स्ट्रीट, नेलोर।
१४. श्री अनंतपुरम् तीर्थ
मूलनायक श्री वासुपूज्यस्वामी वि.सं. २०२४ चैत्र वद २ को घर मंदिर हुआ है। पू. आ. श्री विजय विक्रमसूरीश्वरजी म. के शिष्य पू. आ. श्री विजयराजयशसूरीश्वरजी म. की निश्रा में हुई है।
गुटकूल बेंग्लोर रेल्वे लाइन पर स्टेशन है। सुभाष . चोक , ता. जि. अनंतपुरम् पिन - ५१५ ००१
Page #252
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________________
आंध्र प्रदेश
(७१५
BARELVEEVAN
OSEFINERE
almma
RAJ
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
अनंतपुरम् जैन मंदिरजी
१५. श्री कर्नूल तीर्थ
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मूलनायक श्री शांतिनाथजी
कर्नूल जैन मंदिरजी
Page #253
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________________
७१६)
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
प्रतिमाजी जयपुर से लाये हैं। उपर श्री मुनिसुव्रतस्वामी है। जो मारवाड से लाये हैं। शिखरबंधी मंदिर है।
प्रतिष्ठा वि. सं. २०४४ में माह सुदी १० को पू. आ. श्री विजय अशोकरत्न सूरीश्वरजी म. तथा पू. आ. श्री विजयअभयरत्नसूरीश्वरजी म. की निश्रा में हुई है।
हैदराबाद गुडकल बैंगलोर रेल्वे लाइन तथा बैंगलोर - हैदराबाद हाइवे पर आया है। उपाश्रय धर्मशाला है। ता. जि. कर्नूल ।
१६. श्री आदोनी तीर्थ
श्री वासल्यस्वामीनी
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
आदोनी जैन मंदिरजी
JODO
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आंध्र प्रदेश
(७१७
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
भव्य शिखरबंधी मंदिर है। प्राचीन प्रतिमाजी है। भव्य रंगमंडप है। प्रतिष्ठा वि.सं. २०१० वैशाख सुदी को पू. मु.
श्री अमीविजयजी म, के शिष्य पू. आ. श्री विजयभक्तिसूरीश्वरजी म. के शिष्य पू. मु. श्री. ललितविजयजी म. के द्वारा हुई है। .
एक दूसरा श्री विमलनाथजी का मंदिर है। जो पू. आ. श्री विजयभुवनतिलक सूरीश्वरजी म. तथा पू. आ. श्री विजयभद्रंकरसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से हुआ है। प्रतिष्ठा पू. सा. श्री सुलोचनाश्रीजी म. तथा पू. सा. श्री सुलक्षणाश्रीजी म. की निश्रा में २०४७ वैशाख सुदी३ को
आंदोनी से १६ कि.मी. पेदतुम्ब्ल म् नया तीर्थ बन रहा है। जहां जमीन में से श्री पार्श्वनाथ प्रभुजी के प्राचीन प्रतिमाजी निकले हैं। ___ मुंबई-मद्रास तथा मुंबई-बैंग्लोर रेल्वे लाइन पर स्टेशन) है। शरारु बाजार ता. जि. कर्नूल पिन - ५१८३०१
श्री पार्श्वनाथ भगवान
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VARG
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કપ ત્ર ચિરાવલી कल्पसूत्र चित्रावली
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७१८)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
ATAXE
गुमीडीपुंडी पडलतीर्थ
उत्तुकोडाइ तुरूक्षनी
मदास
डीयतय
की.कांचीपुरम्/
वेल्लोर A
आराकोट
तीयाम्बाडी
यान्जावर/
मदुरान्तकम्
घरमीपरी SWIMA
तीरूवन्ना मलाइ..
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चंपुर
-
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सेलम
पोडेचेरी
M
C त्रिचिनापली
इरोड
पतीपुर
पलानी किलर
पड्कोटा
डीडीगुल
RTAN
मदुयह
|
यीवगंगा
रामनाथ
तिरुनलवेली,
कन्याकुमारी
तामिलनाडु
क्रम गांव
पेज नं.
क्रम गांव
पेज नं.
७११
७२७
७२४
७२८
१. मद्रास तीर्थ २. आरकोट तीर्थ ३. वेल्लोर तीर्थ ४. तिरुवन्ना मलाई तीर्थ ५. सेलम तीर्थ
६. त्रिचीनापल्ली
ईरोड तीर्थ ८. तिरुपुर तीर्थ
९. कोईम्बतुर तीर्थ ७२६ | १०. कुन्नुर तीर्थ
७२५
७२८
७२५
७२९
७३१
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तामिलनाडु विभाग
१. श्री मद्रास तीर्थ
मूलनायक श्री शांतिनाथजी-मालम्
मद्रास माम्लम् मूलनायक श्री शान्तिनाथजी
यहां के श्री संघ के यह मंदिर बनाया है। इसके लिए शांतिलाल पी. मेहता जामवंधली वाले जामनगर पू. आ. श्री विजयजिनेन्द्र सूरीश्वरजी म. की सलाह लेकर मिस्त्री श्री वजुभाई बी. सोमपुरा द्वारा प्लान करवाया और भव्य जिनमंदिर तैयार हुआ। श्री शांतिनाथजी प्रभुजी आदि जिनबिंबकी अंजनशलाका पूर्वक प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजयजयंतसूरीश्वरजी म. पू. आ. श्री विजय विक्रम सूरीश्वरजी म. की निश्रा में सं. २०३५ वैशाख सुदी ६ को हुई है। श्री जैन संघ माम्लम् ३३ जी. एन. चंद्रा रोड टी नगर ६०००१७ मद्रास दिल्ली और मुंबई रेल्वे लाइन है। घर २५० है। संख्या १३०० है ।
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माम्लम् जैन मंदिरजी- मद्रास
₹ केतवे नमः
ॐ बहाने नम
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पूजन यन्त्र पट्ट
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18
(७१९
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७२०)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
पिकिरी चाहतनमा
मूलनायक श्री चंद्रप्रभुजी - साहुकार पेठ
मद्रास - साहुकार पेठ मूलनायक श्री भीडभंजन पार्श्वनाथजी
यहां प्रथम गृह मंदिर था। विशाल मंदिर बनाया है। प्रतिमा प्राचीन है। सं. २०४५ माह सुदी १३ को पू. आ. श्री पद्मसागर सूरीश्वरजी म. की निश्रा में प्रतिष्ठा हई है। मद्रास में कुल ३३ मंदिर है। साहुकार पेठ पिन - ६०००१?
साहुकार पेठ जैन मंदिरजी- सदास
विमल जिन जहारो, पाप संतापवारो; श्यामांव मल्हारो, विश्व कीर्ति विफारो; पोजन विस्तारो; जास वाणी प्रसारो; गुण गुण आधारो, पन्यनाऊरकारो॥शा
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________________
तामिलनाडु विभाग NEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE
चुलई सुलेह जैन मंदिरजी-मदास चुलई सुलेह मूलनायक श्री चंद्रप्रभ स्वामी
मद्रास शहर का विकास हुआ उसके पहले यह प्रथम मंदिर था। प्राचीन घर मंदिर था उसको पुराना मद्रास कहते हैं। अभी शिखरबंधी भव्य मंदिर बना है। उसकी प्रतिष्ठा वि. सं. १९५२ जेठ सुदी १० को हुई है। मु. चुलई मद्रास ६००११२
मूलनायक श्री चंद्रप्रभुजी - चुलई सुलेह
श्री सुमतिनाथजी
दादाबाड़ी जैन मंदिरजी- मदास मदास-दादावाड़ी मूलनायक श्री सुमतिनाथजी
यहां घर मंदिर था। मूलनायक श्री सुमतिनाथजी १००० वर्ष प्राचीन कहलाते हैं नया मंदिर विशाल और भव्य है। शिखर रंगमंडप विशाल है वि. सं. २०४१ माह सुदी ३ को प्रतिष्ठा हुई है। श्रीगुरु मंदिर में श्री जिनकुशल सू. म. की मूर्ति है। कांच के कमरे में चरण हैं। १२० वर्ष पहले बना है। मद्रास से १२ कि.मी. है।
मूलनायक श्री सुमतिनाथजी- दादावाड़ी:
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७२२)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-२
SAUTHO
ROADS
मूलनायक श्री आदिनाथजी - रेडहील्स
रेडहील्स जैन मंदिरजी- मद्रास
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________________
तामिलनाडु विभाग
(७२३
पद्मावती देवी रेडहील्स
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी-रेडहील्स
मदास - मिन्ट स्ट्रीट मूलनायक श्री चंद्रप्रभ स्वामी
यहां प्राचीन घर मंदिर था। अब विशाल घर मंदिर बन रहा है। मूलनायक श्री चंद्रप्रभ स्वामी प्राचीन है उसकी प्रतिष्ठा २०५० में पू. आ. श्री विजकलापूर्ण सूरीश्वरजी म. की निश्रा में हुई है। साहकार पेठ विस्तार मिन्ट स्ट्रीट रेल्वे स्टेशन के पास, मद्रास-६०० ०७९
मदास - केशरवाडी पुडल तीर्थ मूलनायक श्री आदिनाथजी
यह तीर्थ प्राचीन है। प्रतिमाजी २००० वर्ष पुराने है उपर शिखर में श्री पार्श्वनाथजी की प्रतिमा है। प्रायः जीर्णोद्धार होता रहता है। आखिरी सं. २०१९ वैशाख सुदी १३ को जीर्णोद्धार हुआ है । आखिरी प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजयपूर्णानंदसूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। यहां धर्मशाला, भोजनशाला की निःशुल्क व्यवस्था है। मंदिर के सामने चार गुरु मंदिर है। जिसका संचालन जिनदत्तसूरि दादावाड़ी ट्रस्ट करता है। मद्रास से १८ कि.मी. है।
कार्तिक-चैत्री पुनम तथा आखातीज को मेला भरता है। इस तीर्थ में श्री रिखबदासजी महात्मा ने साधना स्थान बना कर तीर्थ का विकास किया है। लाल मिट्टी की टेकरीयां होने से पास के गांव को रेड हिल्स कहते हैं। वह २ कि.मी. है। मद्रास से ७० कि.मी. है। ____ कांचीपुरम् व जिनकांची था वहां प्राचीन दिगंबर मंदिर कहा जाता है। प्राचीन है ऐसा देखने से प्रतीत होता है। उस समय में यहां जैन धर्म की महत्ता कितनी होगी वह दक्षिण में श्री भद्रबाहुस्वामीजी, श्री स्थूलभद्रजी, श्री वज्रस्वामीजी आदि ने स्थिरता पूर्व काल में की है।
श्री आदिनाथ जैन श्वे. मंदिर पेढी केशरवाडी रेडहील्स पुडलतीर्थ पोलालगांव, मद्रास - ६०० ०६६
फोन - ६२१८२९२
जात्रा नवाणुं करीओ, विमलगिरि, जात्रा नवाणुं करीओ। पूरव नवाणुंवार शेजागिरि, ऋषभजिणंद समोसरीओ। वि-१ कोडि सहस भव पातिक तुटे, शेर्बुजा सामु डग भरीओ। वि-२ सात छठ्ठ होय अट्टम तपस्करी चढीओ गिरिवरीओ। वि-३ पुंडरीक पद जपीओ मन हरखे, अध्यवसाय शुभ धरीओ। वि-४ पापी अभवि नजरे न देखे, हिंसक पण उद्धरीओ। वि-५ भूमि संथारो ने नारी तणो संग, दूर थकी परिहरीओ। वि-६ सचित्त परिहारी ने अकल आहारी, गुरु साथे पद चरीओ। वि-७ पडिक्कमणा दोय विधि शुं करीओ, पाप पडल विखरीओ। वि-८ कलिकाले ओ तीरथ म्होटुं, प्रवहण जिम भव दरीओ।। वि-९ उत्तम ओ गिरिवर सेवंतां, पद्म कहे भव तरीओ। वि-१०
Page #261
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________________
७२४)
2.
ॐ श्रीव
THRE
22.
२. श्री आरकोट तीर्थ
आरकोट जैन मंदिरजी
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग-२
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
यह जिनालय सं. २०३८ में तैयार हुआ है। २०३८ मगशिर सुदी १९ को पू. आ. श्री विजयनवीन सूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। यहां ६ घर है। पास के राणीपेठ गांव में भी मंदिर है। स्टेशन वेल्लोर नेरोगज स्टेशन है कांचीपुरम् से बेंगलोर रोड रेल्वे है। कांचीपुरम् से ५० कि.मी. है। वेल्लोर से २३ कि.मी. है। आरकोट पिन ६३२५०३ जि.
मद्रास
11
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________________
तामिलनाडु विभाग
0
श्री संभवनाथस्वामी
0
मूलनायक श्री संभवनाथजी
३. श्री वेल्लोर तीर्थ
मूलनायक श्री संभवनाथजी
वहां पू. आ. श्री विजयपूर्णानंदसूरीश्वरजी म. के उपदेश से मंदिर बना है । ता. २-५-१९७१ प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजयभद्रंकरसूरीश्वरजी म. की निश्रा में हुई है। वेल्लोर से ८० कि.मी. तरुपटुर गांव में ५० वर्ष से घर मंदिर है अब शिखरबंधी बन रहा है।
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
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इस शिखरबंधी मंदिर की प्रतिष्ठा ता. १३-६-१९८१ को पू. आ. श्री विजयपद्मसागर सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। वहां जैनों के ५० घर हैं। ३०० की संख्या है स्टेशन भी है घाटवाडी बीलपुरम् नेरोगेज रेल्वे है। तरुपटुर से ८० कि. मी. आई. ओम. पाला अग्राकरम् स्ट्रीट पिन- ६०६६०४ ता. शंभुवराय जि. तिरुवन्ना मलाई
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वेल्लोर जैन मंदिरजी
बीलीपुरम् कारघडी नेरोगेज रेल्वे है कारघडी से ७ कि.मी. आरकोट से २३ कि.मी. है। यहां जैनों के ८० घर हैं। ४५० संख्या है। ठे. सुब्राहण्यम गली पिन- ६३२००४
४. श्री तिरुवन्ना मलाई तीर्थ
खम्मा माता नंदाना लाल, मोहनी केवी लगावी । शीतल गुण धरे शीतल प्रभुजी, शीतल जेहनी छांय । भद्दिलपुरनारुडा ओ राजा, श्रीवत्स लंछन पाथ। राग द्वेष दोय रिपु हणीने, पाम्या केवलज्ञान । गुणो अनंता धारे प्रभुजी, इन्द्र पूजे अकतान। संसार सागर मां डूबता जीवोंने, तारे जेह भगवान । बोले जिनेन्द्र त्रण जगतमां, द्रढ़रथ नंदन भाण ।
मोहनी. मोहनी.
मोहनी,
मोहनी.
मोहनी.
मोहनी.
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(७२५
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७२६)
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
श्री तिरुवन्ना मलाई जैन मंदिरजी
५. श्री सेलम तीर्थ
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'सैलम जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
यहां घर मंदिर है । आरस की घुमटी वाला सिंहासन है। सं. २०२२ मगशिर सुदी १० को पू. पं. श्री नवीनविजयजी गणिवर के द्वारा स्थापित हुई है। तिरुवन्नमलाई से १४५ कि. मी. है। सेलम जंक्शन है २०० घर है। १००० जैन है। ९७ कनोर स्ट्रीट सेवा पेठ सेलम ६३० ००२ दिल्ली, मद्रास तथा हैदराबाद पुना रेल्वे में सेलम जंक्शन है।
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________________
तामिलनाडु विभाग
६. श्री त्रिचीनापल्ली तीर्थ
मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी
मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी
कावेरी नदी के किनारे यह शहर है। मंदिर की प्रतिष्ठा सन् १९६८ फाल्गुन सुदी ३ को हुई है।
त्रिचीनापल्ली जैन मंदिरजी
बड़े बाजार में श्री महावीर स्वामी गृह मंदिर किराये के मकान में था वहां शिखरबंधी मंदिर बना है। मूलनायक श्री पाश्र्वनाथजी विराजे हैं। यहां जैनों के १०० घर हैं। दादावाड़ी में जिनदत्तसूरीश्वरजी म. आदि ३ प्रतिमा है। ठे. दादावाड़ी खाजापेठ त्रिचिनापल्ली ६२०००१ सेलम से ८६ कि.मी. है । मद्रास, मदुराई, बैंगलोर रेल्वे लाइन है। यहां से ३० .कि.मी. चित्त अत्भावासल गांव है। वहां २५०० वर्ष प्राचीन.. मंदिर है जो श्वेताम्बर का था अभी दिगंबर के पास है। तीर्थधाम होगा ? खोदकार्य करते प्रतिमाएं निकलती है।
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मुनिसुव्रत नामे, जे भावि चित्त कामे; सवि संपत्ति पामे, स्वर्गनां सुख जामे; दुगर्ति दुःख पामे, नवि पडे। मोह भामे; सवि कर्म विरामे, जई वसे सिद्धि धामे ॥ १॥
गज लंछन सोहे चरणे, देह कांति कंचन वरणे; विजयानंदन धणुं जीवो, जितशत्रु कुले अजब दीवो; विनिता नगरी वर स्वामी । भवतारक तें तीर्थ स्थाप्यु, भव्य जीवोनुं दुःख काप्युं; मुज तारो जग हित कामी । अहिंसा मंत्रना दातारी, केवल लक्ष्मीना भंडारी,
आपो दान अतंरजामी। सुरेन्द्रो सेवा करे तारी, प्रातिहार्यांनी शोभा न्यारी; अजित प्रभु तारे नहिं खामी । गज-४ अमृत पदवी विभु आपो, भवोभवनां मारां दुःख कापो;
वंदे जिनेन्द्र शिवधामी । गज-५
गज-१
गज - २
गज-३
(७२७
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
6000
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७. श्री ईरोड तीर्थ
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
ईरोड जैन मंदिरजी मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी यहां जिनालय तैयार हो जाने पर सं. २०४७ में पू. आ. श्री विजयभुवनभानुसूरीश्वरजी म. की निश्रा में प्रतिष्ठा हुई है। त्रिचि से १३८ कि.मी. है। ईरोड तालुको रेल्वे स्टेशन है। जि. पेरीआर - ६३८ ००१ । जैनों के ५० घर है। २५० जैन है।
ईरोड से ३० कि.मी. कोईम्बतुर रोड उपर विजयमंगलम् शहर है। वहां प्राचीन मंदिर पुरातत्त्व खाते द्वारा राष्ट्रीय स्मारक के रूप में है। दिगंबर तीर्थ प्राचीन मंदिर अवशेष प्रतिमाएं आदि जीर्ण हालत में है। प्राचीन धर्मशाला है। प्राचीन नगरी है।
विश्वना उपगारी, धर्मना आदिकारी; धर्मनादातारी, का क्रोधादि वारी; तार्या नर ने नारी, दुःख दोहग हारी; वासुपूज्य निवारी जाऊं हुं नित्य वारी॥शा
८. श्री तिस्पुर तीर्थ
HE SUNT LCAN BREtanceLC
मूलनायक श्री सुविधिनाथजी
यहां आरस का अति सुंदर घर मंदिर है। तथा बाहर आरस का रंगमंडप है। सं. २०४३ मगशिर सुदी ११ को प्रतिष्ठा पू. पं. श्री हाल आचार्यदेव श्री विजयभद्रगुप्त सू. म. के द्वारा हुई है। यहां ३० सौराष्ट्र और ५० राजस्थान कुल ८० घर ५०० जैनों की बस्ती है। तिरुपुर कोचीन वाराणसी रेल्वे लाईन पर स्टेशन है। ईरोड से ३० कि.मी. है। ता. पलडम, जि. कोईम्बतूर पिन-६३८६०१
तिलपुर जैन मंदिरजी
नाdu
०००
2.00
(0.0
Poo
IPO
Joo
food
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________________
तामिलनाडु विभाग
मुलताचक श्री सुविधिनाथजी
में १
में कीनो नहि तुम बीन ओर शुं राग । दिन दिन वान बधे गुण तेरो, ज्यं कंचन परभारत; ओरनमें है कषायकी कालिमा, सो क्युं सेवा लाग राजहंस तु मानसरोवर, और अशुचि रुचि काग; विषय भुजंगम गरुड तु कहीओ, और विषय विषनाग में २ और देव जल छिल्लर सरीखे तुं तो समुद्र अथाग; तु सुरतरुं मन वांछित पूरण, और तो सुके साग । तं पुरुषोत्तम तं हि निरंजन, नुं शंकर बड़भाग; तुं ब्रह्मातुं बुद्ध महाबल, तुंहि ज देव वीतराग । सुविधिनाथ तुम गुण पलन को, मेरो दिल है बाग
मे ३
जस कहे भ्रमर रसिक होई ताको, लीजे भक्ति पराग मे ५
९. श्री कोईम्बतुर तीर्थ
मूलनाचक श्री मुनिसुव्रत स्वामी आर. अस. पुरम्
मे ४
आर. अस. पुरम् जैन मंदिरजी- कोईम्बतुर
(०२९
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७३०)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
OMEDIO
मूलनायक श्री विमलनाथजी वैश्याल स्ट्रीट
मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथजी-आर. एस.
वैश्याल स्ट्रीट जैन मंदिरजी - कोईम्बतूर
कोईम्बतूर - आर. एस. पुरम् मूलनायक श्री शंखेश्वरा पार्श्वनाथजी
यह मंदिर नूतन है उपर श्री मुनिसुव्रत स्वामी विराजे हैं। उसकी प्रतिष्ठा सं. २०३७ वैशाख वदी ३ ता. २५-३-१९८१ को पू. आ. श्री विजय राजयश सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। यह शहर दक्षिण का मांचरेस्टर कहलाता है। मंदिर के बाहर श्री आदिश्वरजी दादा के चरण हैं । जैन के २५० घर हैं। १५०० की संख्या है। दूसरे दो घर मंदिर भी हैं। मद्रास कोईम्बतूर रेल्वे हैं। एरोड्रम हैं। तिरुपुर से ५० कि.मी. है। पिन - ६४१ ००२
कोईम्बतूर (वेश्याल स्ट्रीट) मूलनायक श्री विमलनाथजी इस शहर में पहले घर मंदिर था। वि. सं. २०१५ वै. सुदी ६ को पू. आ. श्री विजय पूर्णानंदसूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। इस विस्तार में २०० घर १२०० जैन हैं।
पिन - ६४१००२
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तामिलनाडु विभाग
जी
१०. श्री कुन्नुर तीर्थ
मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी
मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी
हरे-भरे वृक्षों से हरियाली तथा पहाड़ की सुंदरता के बीच अतिभव्य शिखरबंधी मंदिर है। वि. सं. २०४२ वैशाख सुदी ६ को पू. आ. श्री विजय अशोकरत्न सूरीश्वरजी म. तथा पू. आ. श्री विजयअभयरत्न सूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। पास में दादावाड़ी है। जैन भवन में १५ कमरे २ हॉल रहने के लिए है। स्टेशन जिला - नीलगिरि । कोईम्बतूर से ६५ कि.मी. और ऊंटी से १८ कि.मी. है। कोईम्बतूर ऊंटी नेरोगज रेल्वे लाईन है। जैनों के १०० घर ७०० की बस्ती है। पिन- ६४३१०२
कुन्नुर दादावाड़ी
कुन्नुर जैन मंदिरजी
(७३१
Page #269
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________________
७३२)
श्री श्वेतांवर जेन नाथ दर्शन : भाग -
- पोडीची
4 कलिकट
4 अर्नाकुलमर
A कोचीन
अल्प्पाइ
की कोल्लाम
ति त्रिवेन्द्रम्
केरला राज्य
क्रम
गांव
पेज नं.
७३३
कोचीन तीर्थ अलपई तीर्थ कालीकट (कलिकुंड) तीर्थ
७३५
७३५
Page #270
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केराला विभाग
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શ્રીધર્મનાય मूलनायक श्री धर्मनाथजी
१. श्री कोचीन तीर्थ
कोचीन - श्री धर्मनाथजी जैन मंदिर
मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी मेडा के उपर
कोचीन श्री चंद्रप्रभुजी जैन मंदिरजी
क्युं न भये हम मोर, विमलगिरि, क्युं....
वि-१
आवत संघ रचावत अंगियां, झुलत करत झंकोर । सिध्धवड रायण ऋखकी शाखा, गावत गुन घनघोर । वि-२
हम भी नृत्य कला करी नीरखत, कटने कर्म कठोर।
वि-३
मूरत देख सदा मन हरखे, जैसे चन्द्र चकोर ।
वि-४
श्री रिसहेसर दास तिहारो, अरज करत करजोर ।
वि-५
(७३३
Page #271
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________________
७३४)
DDDDDDDD
मूलनायक श्री चंद्रप्रभस्वामी
यह मंदिर सं. १९८९ में स्व. सेठ श्री हाथी भाई गोपालजीभाई के धर्मपत्नी ने बनवाया है। और श्री संघ को अर्पित किया है।
श्री धर्मनाथजी का दूसरा मंदिर भी इस कम्पाउंड में है जो सं. १९६४ में स्व. जीवराज धनजी भाई कच्छ मांडवी के श्रेयार्थ उनकी धर्मपत्नी श्रीमती हीरुबाई जीवराज ने बंधवा कर संघ को अर्पित की है। इस मंदिर का सं. २०३५ में जीर्णोद्धार कर गांव के नाम पर मुनिसुव्रत स्वामी की संवत् २०३५ आषाढ़ सुदी ३ को अंचलगच्छ के पूज्य यति श्री मोतीलालजी क्षमानंदजी के द्वारा प्रतिष्ठा की है।
(१) चमत्कारिक श्री शांतिनाथ भगवान यहां के प्राचीन घर मंदिर में थे वह प्रतिमाजी खंडित हो जाने के कारण विसर्जन कर एक पेटी में नदी में पथराई छः महीने के बाद वह पेटी मच्छीमार को मिली जो उसने सरकार को दे दी, वहां से संघ ने कार्यवाही कर पेटी खोली तो डोक बराबर जुड़ गई प्रतिमाजी अपने आप अच्छी हो गई और भगवान को यहीं विराजमान करने की स्वप्न में श्रावक को जानकारी हुई जिससे संघ ने धूमधाम से अलग वेदी बनाकर विराजमान की है। जो कम्पाउन्ड में दो मंदिर श्री चंद्रप्रभु और धर्मनाथ विराजमान है वहां श्री शांतिनाथजी भी विराजमान हैं।
मूलनायक श्री चंदप्रभुजी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग
いいいい
(२) शंखेश्वरा पार्श्वनाथ जामनगर सेठ के मंदिर से लाये हैं। जो वि. सं. २०३२ में अंजनशलाका हुई पू. आ. श्री कैलाशसागरजी की निश्रा में यह प्रतिमा हालार लाखाबावल के श्री मोतीचंद पूंजाभाई चंदरीया ने भरवाई है।
(३) नई प्रतिमाजी मुनिसुव्रतस्वामी की हालारी बंधुओं ने प्रतिष्ठा करवाई और ध्वजदंड और कलश का लाभ श्री मेघजीभाई श्रीमोतीचंद भाई ने लिया ।
(४) शंखेश्वरा पार्श्वनाथ के प्रतिमाजी के लिए ऐसी जानकारी मिलती है कि यहां के हीराभाई नामक श्रावक थे। वह दोनों व्यक्ति जल गए परंतु प्रभु का स्मरण चालू रखा २१ वें दिन श्री पार्श्वनाथ प्रभु ने स्वप्न में दर्शन दिए और प्रतिमाजी भरवाने के कहा, दोनों व्यक्तियों ने उस अनुसार निश्चय किया और और संपूर्ण रूप से अच्छे हो गए तब प्रतिमाजी भरवाई ।
उपर की विगत भाई श्री मोतीचंदभाई पुंजाभाई चंदरिया के पास से मिली है।
ठे. चंद्रप्रभ स्वामी मंदिर पेढी न्यु रोड, कोचीन ६८२००२ (केरला) जि. अनाकुलम स्टेशन कोचीन । कोईम्बतुर २९६ कि.मी. होता है। यहां २५० घर है मंदिर है तथा वहां ५० घर है।
मूलनायक श्री शांतिनाथजी फिर आए हुए
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(७३५
केराला विभाग
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२. श्री अलपई तीर्थ
अलपई जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
उपर पार्श्वनाथजी है। यह दोनों मंदिर फरवरी १९९४ में शिखरबंधी हुए हैं। एक बिना खिले के हैं। यहां १०० वर्ष पहले घर मंदिर था प्रतिमाजी पालीताणा से लाए १९८५ में घुम्मट वाला बनाकर प्रतिष्ठा कर अब शिखरबंधी मंदिर बन रहा है। यहां कच्छी जैन के ३५ घर २५० की संख्या है। ठे. बीच रोड, पिन ६८८०१२ जि. अलपई, अहमदाबाद कन्याकुमारी रेल्वे लाईन है। कोचीन से ५६ कि.मी. है।
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
(३. श्री कालीकट (कलिकुंड) तीर्थ )
मूलनायक श्री कलिकुंड पार्श्वनाथजी लगभग ७०० वर्ष पहले यहां घुम्मट वाला मंदिर था
दसरा मंदिर आदिश्वरजी का है। उपर वासुपूज्य तथा १९१७ में शिखरबंधी मंदिर हआ। कोई कोई प्रतिमा में दरार
महावीर स्वामी है। पड़ गई है। विशाल कम्पाउन्ड है । उसमें दूसरा श्री
बगडरा घर मंदिर है। २७ जनवरी १९९४ वि.सं. २०५० आदिश्वरजी का मंदिर है। उसमें उपर श्री वासुपूज्य स्वामीजी
पोषवदी १ श्री विमलनाथ जखौ तीर्थ से १८ ईंच के है। पहले केरला में यहां कालीकट वह कलिकुंड तीर्थ गिना मूलनायक लाये हैं। जाता था और भारत भर से यात्रालु आते थे। अंग्रेजों ने वह पहले चांदी के पार्श्वनाथजी छोटे प्रतिमा थे उसके कालीकट नाम रखा। वास्कोडिगामा अंग्रेज सबसे पहले पास में संभवनाथजी कोचीन (हाल बेंग्लोर) वीसनजी यहां आये और कच्छी मारवाडी गुजराती मिल कर १६० घर पदमशीधरमशीने ६-८ वर्ष पहले पधराई थी यह घर मंदिर है। १००० जैन है। सेठ आनंदजी कल्याणजी जैन मंदिर शाह स्पाईसीस श्री मूलचंद पदमशी के घर में है उसकी ब्रांच त्रिकोबील लाईन, बगबाजार - ६७३ ००१ । अलैप्पी से कालीकट में है। पता- मेहता ट्रेडिंग कम्पनी, कोपरी बाजार, २७५ कि.मी. है। मेंग्लोर मद्रास रेल्वे है।
कालीकट। 8 आज केरला खिस्त्री धर्ममय बन गया है। उसमें जैनों ने बडगरा में पी. टी. रोड पर जमीन ली हुई है। प्रकाश स्वयं धर्म टिका रखा है।
ट्रेडिंग क. बगडरा, ह. नरेन्द्रभाई ट्रास ५। 剧剧剧剧剧創創創創剧剧剧剧剧剧剧剧剧剧
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७३६)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
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श्रीमत्यालिबान
मूलनायक श्री कलिकुंड पार्श्वनाथजी
मूलनायक श्री आदिश्वर जी के पास में मंदिर में
कालीकट जैन मंदिरजी ट्यू
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कर्नाटक विभाग
(७३७
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शिमोगा
कोलार
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देवनहेली
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भेगलोर
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" -मादुर
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जमेरी
कर्नाटक राज्य
क्रम गांव
पेज नं
क्रम गांव
पेज नं.
७४६
७४७
७४०
७४८ ७४८
मेंग्लोर बंदर तीर्थ चिकमंगलुर तीर्थ हासन तीर्थ मैसुर तीर्थ मंडया तीर्थ बेंगलोर तीर्थ देवन हेली(देवनगरी तीर्थ) कोलार तीर्थ
७३८ ९. टुन्कूर तीर्थ ७३९ १०. चित्रदुर्ग तीर्थ ७३९ ११. बेल्लारी तीर्थ
१२. गुलबर्ग तीर्थ ७४१ | १३. हुबली तीर्थ
बीजापुर तीर्थ ७४४ १५. बेलगांव तीर्थ ७४५
७४९
७४१
७.
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७३८)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-२
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१. श्री मेंग्लोर बंदर तीर्थ
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
मेंग्लोर जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
यहां पहले घर मंदिर था शिखरबंधी मंदिर बन जाने पर श्रवण बेलगोला में भी पहाड़ पर किल्ले में प्राचीन दिंगबर का वि.सं. २०४० पोष वदी१को पू. आ. श्री विजय अशोकरत्न मंदिर है। यहां बाहुबली की ५७ फुट की खड़ी प्रतिमा दूर से ही सूरीश्वरजी म. पू. आ. श्री विजय अभयरत्न सूरीश्वरजी म. दिखती है। दिगंबर तीर्थ है , भोजनशाला, धर्मशाला की के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। आरस के पांच प्रतिमाजी है। तेजपाल व्यवस्था है। हर वर्ष मेला लगता है। अन्य लोग भी आते हैं। भाईचंद शाह के वहां ५० वर्ष से श्री शीतलनाथस्वामी का पास के बेलुर, हेडबीड, शीमांगा आदि गावों में दिगंबर प्राचीन घर मंदिर है।
मंदिर है। शीमांगा के पास में हुमचा गांव में पद्मावती माता का मद्रास मेंग्लोर तथा बम्बई मेंग्लोर रेल्वे लाईन है। वहां प्राचीन मंदिर है । अन्य लोग भी मानते हैं। धर्मशाला, से कच्छ अहमदाबाद राजकोट आदि के डिब्बे रेल्वे में जुडे भोजनशाला की व्यवस्था है। पास के एनारपुरा में ज्वालामाता हैं। कालिकट से १८५ कि.मी. है।
का दिगंबर जैन मंदिर तथा चंद्रप्रभु का दिगंबर जैन प्राचीन मंदिर । मेंग्लोर पास के कारकल, मुडबद्री, धर्मस्थल, वेणुर है। सारा व्यवस्था है। कारकल के पास म वारगगाव मादगबर आदि गांवों में दिगंबरों के प्राचीन तीर्थ है, मेंग्लोर भी दिगंबरों जल मंदिर है। यहां प्राचीन काल में दिगंबर धर्म प्रचलित था। का काशी कहा जाता है। यहां हीरा, पन्ना, माणिक के एकदर दक्षिण भारत में प्राचीन दिगंबर तीर्थ विशेष है। बहत प्राचीन प्रतिमाओं का संग्रहालय है। मडबद्री में ताडपत्रों प्राचीन दिगंबर मंदिर पुरातत्त्व विभाग के पास है। वह बताते है की प्राचीन प्रति का भंडार है।
कि अभी दिगंबर जैनों की संख्या घट गई है। दिंगबर जैनों की यहां प्रसिद्धि थी। कारकल गांव में ३९
सब्जी मार्केट क्रोष बंदर बाजार, पिन - ५७५००१ फट के एक ही पत्थर में से कंडारीत बाहुबली की प्रतिमा हैं।
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कर्नाटक विभाग
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२. श्री चिकमंगलुर तीर्थ
श्री नमीनाथजी चिकमंगलूर जैन मंदिरजी
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मूलनायक श्री नमिनाथजी
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मूलनायक श्री नमिनाथजी
यहां घुम्मट वाला मंदिर है। सं. २०३० जेठ सुदी १० को कर्नाटक केशरी पू. आ. श्री विजय भद्रंकर सूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। आरंस के ३ प्रतिमाजी हैं । १५० घर ९०० जैन हैं। यहां से २० कि.मी. वेलोट में प्राचीन प्रतिमा है पास के कडुटी रपटुर में घर मंदिर है । मेंगलोर से १२५ कि.मी. कडुर बेंगलोर रेल्वे लाईन पर स्टेशन है।
पिन- ५७७१०१
श्री हासन तीर्थ
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
गृह मंदिर है। प्राचीन ३ प्रतिमा धातु के हैं। जैनों के ८० घर ४०० की संख्या है। चिकमंगसुर ५६ कि.मी. है । ३३९५ दलीची कटलवेर स्ट्रीट जि. हासन पिन ५७३ २०१
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग -२
४. श्री मैसुर तीर्थ
मैसूर जैन मंदिरजी
श्री सुमतीनाथजी का
मूलनायक श्री सुमतिनाथजी
मूलनायक श्री सुमतिनाथजी यह शिखरबंधी मंदिर सन १९२८ में हुआ है। ता. २६५-१९२८ जेठ सुदी ५ को पू. पं. श्री के बाद आ. गंभीर सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। आरस के ३ प्रतिमाजी है। इस मंदिर का उद्घाटन मैसूर के महाराजा श्री कृष्ण राजेन्द्र वाडेयरे ने किया है। मू. जैनों के ४०० घर तथा स्था. के ४०० घर हैं। ४००० जैन है। हासन से १६० कि.मी. साउथ रेल्वे जंक्शन है। तीर्थंकर महावीर रोड नगर
पिन-५७०००१
नमो मरिहंता नमी सिध्दाण नमी पायरियाण नमो वज्झाया नमो लोए सनसाहूर्ण एसो पंच-नमुक्कारो सब-यावष्यगासणी मंगला च सव्वेसिं घठम हवड़ मंगलम
तुमे बहु मैत्रीरे साहिबा, मारे तो मन अक; तुम विना बीजो रे नवि • गमे, ओ मुज म्होटी रे टेक। श्री श्रेयांस कृपा करो।१ मन राखो तुमे सवि तणां, पण कीहां अक मली जाओ; ललचाओ लख लोकने, साथ सहज न थाओ। श्री. रराग भरे जन मन रहो, पण तिहुं काल विराग; चित्त तुमारारे समुद्रनो, कोई न पामेरे ताग श्री-३ अवाशुं चित्त मेलव्यु। केलव्यु पहेलां न कांई, सेवक निपट अबूझ छे, निवहंशो तुमे सांई, श्री. ४ निरागीशुं किम मिले, पण मीलवानो अकांत, वाचक यश कहे मुज मिल्यो भक्ते कामणकंत। श्री.५
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कर्नाटक विभाग
(७४१
HESH Prasta
५. श्री मंडया तीर्थ |
मूलनायक श्री सुमतिनाथजी
मंडया जैन मंदिरजी
1 मूलनायक श्री सुमतिनाथजी
४० वर्ष पहले घर मंदिर था वहां शिखर बंधी मंदिर बनवाया है। २०४६ माह सुदी ११ को पू. आ. श्री पद्मसागर सूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। आरस के ५ प्रतिमाजी है। १८० घर है। १२०० जैन है। बेंगलोर से ९० कि.मी. मैसुर से ४५ कि.मी. है मैसुर सेन्टर रेल्वे है। पुराना मार्केट पिन - ५७१४०१
६. श्री बेंगलोर तीर्थ
बेंगलोर-चीकपेठ मूलनायक श्री आदिनाथजी
यह भव्य जिनमंदिर है। आदिनाथजी के प्रतिमाजी प्राचीन है। वि. सं. १९७४ माह सुदी १३ को पू. आ. श्री विजयविज्ञान सूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। आरस के ५ प्रतिमाजी है।
शहर में ११ मंदिर है। कर्नाटक का पाटनगर तथा धीकतुं सुंदर शहर है। यहां जैनों के २५ हजार घर हैं। डेढ लाख जैन है। जैनों का बड़ा केन्द्र है। आदिनाथ जैन श्वे. मंदिर चीक पेठ, जैन मंदिर लाइन । पिन - ५६० ०५३ । मद्रास मुंबई रेल्वे तथा एरोड्रम है।
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७४२)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
भीतामा An veg ter at निसरोष
पान मनाया जिप्रकाशन ।
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मूलनायक श्री अवन्ति पाश्वर्नाथजी
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राजाजीनगर जैन मंदिरजी-बेंगलोर
मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथजी
बेंगलोर - राजाजी नगर मूलनायक : श्री अवन्ति पार्श्वनाथजी
श्री सिद्धसेन दिवाकर सूरीश्वरजी ने उज्जैन में विक्रम राजा को प्रतिबोधित करने के उद्देश्य से शिव मंदिर में कल्याण मंदिर स्तोत्र की रचना की उसके प्रभाव से शिवलिंग फटकर अवन्ति पार्श्वनाथ प्रकट हुए। विक्रम सदी के इतिहास कल्याण मंदिर तीर्थ के रूप में यलहंका से २२ कि.मी. दूर से श्री नाकोडा अवन्ति १०८ पार्श्वनाथ जैन तीर्थधाम देवनहल्ली में निर्माणाधीन है।
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कर्नाटक विभाग
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मूलनायक श्री आदिश्वरजी - चिकपेठ
बेंगलोर - गांधीनगर जैन मंदिरजी
बेंगलोर - चिकपेठ जैन मंदिरजी
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मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी - गांधीनगर,
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७४४)
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बेंगलोर गांधीनगर मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
यहां पहले घर मंदिर था भव्य शिखरबंधी मंदिर होने पर अंजनशलाका प्रतिष्ठा सं. २०१० वैशाख वदी १० को पू. आ. श्री विजय लक्ष्मण सूरीश्वरजी म. की निश्रा में हुई । आरस के ८ प्रतिमाजी है। लाखाबावल शांतिपुरी में मूलनायक शांतिनाथजी आदि ५ प्रतिमा यहां से अंजनशलाका कराकर प्राप्त हुई थी। गांधीनगर विस्तार में
है। मंदिर के सामने हीराचंदजी जैन भवन में यात्रियों • हरने की बहुत व्यवस्था है। पास में ही भोजनशाला पिन- ५६०००९
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(१) श्री आदिनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर
(२)
जैन मंदिर लेन, चीकपेठ, बेंगलोर - ५३ श्री पार्श्व वल्लभ जिन प्रासाद ४था मेन रोड, सिन्डीकेट बैंक के पास में गांधीनगर, बेंगलोर - ५०० ००९
(३) श्री महावीर स्वामी जैन श्वेताम्बर मंदिर दासप्पालेन, चीकपेठ, बेंगलोर ५३
(४) श्री अजितनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर नगर पेट ऐवेन्यु रोड, सर्कल नगरपेट कास बेंगलोर ५३
(५) श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी जैन श्वेताम्बर मंदिर २७३, जैन मंदिर रोड, केन्टोनमेन्ट, बेंगलोर - १ (६) श्री वासुपूज्य स्वामी जैन श्वेताम्बर मंदिर मस्जिद स्ट्रीट, टोलगुन्डपाल्यम्, बेंगलोर ४. - (७) श्री संभवनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर जैन टेम्पल रोड, विश्वेशपुरम्, सनराव सर्कल, बेंगलोर - ४
(८) श्री धर्मनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर ९,
मेन रोड, ४-था ब्लॉक, जयनगर बस स्टेन्ड के पास में, जयनगर बेंगलोर - ५६००११
-
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
(९) श्री सुमतिनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर ७-वां, कोस, मागडी रोड, बेंगलोर २३
(१०) श्री मुनिसुव्रत स्वामी जैन श्वेताम्बर मंदिर कल्पतरु एपार्टमेन्ट्स, माधवनगर बेंगलोर - १
(११) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर'
७. श्री देवन हेली (देवनगरी) तीर्थ
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
नाकोडा अवन्ति १०८ पार्श्वनाथ जैन तीर्थ धाम विशाल पैमाने पर आकार ले रहा है। बड़े तीर्थ की अपेक्षा सभी व्यवस्था की योजना की है।
C/o बोम्बे टूल्स प्रा. लि., इन्डस्ट्रीयल टाउन W.O.C. रोड, बेंगलोर - ४४
अभी दर्शन के लिए घर मंदिर रखा है। अंजनशलाका के लिए प्रतिमा आई है। इस तीर्थ के उपदेशक पूज्य आचार्य श्री विजयस्थूलभद्र सूरीश्वरजी म. हैं।
-
(१२) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन मंदिर राजाजी नगर, COOOOOOOOO बेंगलोर
धर्मशाला, भोजनशाला, गौशाला आदि अभी है । बेंगलोर से ३० कि.मी. इस तीर्थ के मुख्य दाता मारवाड रत्न डुंगरमलजी है। कपूरचंदजी सेठ श्री सी. एस. कपूरचंद वालम तथा बेंगलोर संघ है। सेठ श्री डुंगरमलजी नन्दी हिल्स के पास उनकी जैन सिल्क मिल्स की विशाल भूमि दान में दी है और मूर्तियां बनवाई हैं हैदराबाद हाइवे रोड, देवन ४८२२२६
हेली पिन ५६२९१० फोन
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कर्नाटक विभाग
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देवनहेली जैन मंदिरजी
श्री नाकोडा पाश्वनाथाय नमः
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मूलनायक श्री नाकोडा पार्श्वनाथजी
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मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी
国家部屬影響當母艦
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७४६)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग
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मूलनायक श्री मुनिसुव्रतस्वामी
४० वर्ष पहले धातु के प्रतिमाजी थे। पू. आ. श्री विजय 'अशोकरत्न सू. म. तथा पू. आ. श्री अभयरत्न सू. म. के उपदेश से १० वर्ष से आरस के प्राचीन प्रतिमाजी विराजमान किए हैं। आरस के एक प्रतिमाजी है। बेंगलोर से ७५ कि.मी. है। जैनों के १६ घर १०० की संख्या है। यहां पहले सोने की खानें थी अब नहीं है। स्टेशन बंगारपेट मद्रास, कोईम्बतुर त्रिवेन्द्रम् रेल्वे बैंगलोर लाईन में है। बैंगलोर से ७५ कि.मी. है। के वेजीटेबल मार्केट। पिन - ५६३१०१
नंदानंदन शीतलनाथ, ज्योति जेणे जगावी; अनंत गुणोमो ओह खजानो, सेवा करे सुरनाथ। ज्योति १ दृढ़रथ रायना सेठ पनोता, भहीलपुर नरनाथ। ज्योति २ श्रीवत्स लंछन शोभे छे जिनजी, तारो प्रभु भवपाथ ज्योति ३ सवि जन हित चिंता करनारा, तारो प्रभु तीर्थनाथ ज्योति ४ भव अटवी ने पर करावो, योगक्षेमकारी साथ। ज्योति ५ दर्शन अमृत तारुं शिवसुख आपे, आपो जिनेन्द्र
तुम हाथ। ज्योति ६
९. श्री टुन्कूर तीर्थ
टुन्कूर जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री अजितनाथजी
मूलनायक श्री अजितनाथजी
पहले घर मंदिर था। अभी घुम्मट वाला है। जैनी वि. सं. २०११ मगशिर सुदी ६ के दिन पू. आ. श्री विजय लक्ष्मण सूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। आरस के ११ प्रतिमाजी है। १ जसरासजी रुगनाथजी २ गिरिधरलाल वीशाजी तथा मोहनलाल फुलचंदजी के घर मंदिर है। पू. मु. श्री केवलविजयजी म. की प्रेरणा से आगम मंदिर शुरु हआ है। जैनों के १०० घर हैं। दिगंबर के १२० घर हैं। पास में सीमोगा, दोडुपेट एलंका गावों में भी मंदिर है। देवनहेली से ७० कि.मी. है। बेंगलोर पुना हाईवे है। बेंगलोर से मीरज रेल्वे है। जि. टुन्कूर महात्मा गांधी रोड, पिन - ५७२ १०१
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कर्नाटक विभाग
श्रीमानम
१०. श्री चित्रदुर्ग तीर्थ
चित्रदुर्ग जैन मंदिरजी
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अभिनंदनी
मूलनायक श्री गोडीजी पार्श्वनाथजी
मूलनायक श्री गोडीजी पार्श्वनाथजी
पहले घर मंदिर था उसमें प्राचीन प्रतिमा शिखरबंधी मंदिर
में विराजमान थी। बाहर के गौखले में महावीर स्वामी तथा गौतम स्वामी की प्रतिमा है। प्रतिष्ठा वि. सं. २०४६ वैशाख सुदी ६ को पू. आ. श्री विजयस्थूलभद्र सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। आरस के ९ प्रतिमाजी है। प्राचीन नगर था । घूमता किला पहाड़ पर है। अभी बड़ा शहर है। जैनों के २०० घर हैं । १२०० की संख्या है। एक घर मंदिर भी है।
पास में ईरियर गांव में नया शिखरबंधी मंदिर बन रहा है । पटलंका (एलका) गांव में श्री सुमतिनाथ जिनालय बना है । उसकी प्रतिष्ठा सं. २०४९ में पू. आ. श्री विजयस्थूलभद्र सूरीश्वरजी म. ने की है। टुकूर से २० कि.मी. है। बेंगलोर दावणगिरि रेल्वे स्टेशन है। जि. चित्रदुर्ग पिन- ५७७५०१
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७४८)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
११. श्री बेल्लारी तीर्थ
बेल्लारी जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
१२. श्री गुलबर्ग तीर्थ,
गुलबर्ग जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री शरवेश्वरा पार्श्वनाथजी
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कर्नाटक विभाग
मूलनायक श्री शंखेश्वरा पार्श्वनाथजी
मंदिर घुम्मट वाला है। शिखरबंधी सिंहासन में प्रभुजी है। पू. आ. श्री विजय रत्नशेखर सूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। सुंदर प्राचीन नगरी थी अभी विशाल शहर है। आरस के ४ प्रतिमाजी है। जैनों के ५० घर २५० की संख्या है। दे. सुराना बाजार गुलबर्ग पिन ५८५१०९ लातुर (महाराष्ट्र) से १५० कि.मी. आदोनी से १८५ कि.मी. है। मुंबई - बेंगलोर तथा मुंबई- मद्रास रेल्वे लाइन है। जि. गुलबर्ग ।
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प्रनियाजी
नेटमा
अनंत अनंत नाणी, जास महिमा गवाणी; सुर नर तिरि प्राणि, सांभले
जास वाणी; एक वचन समजाणी, जेह स्वाद्वाद जाणी, तर्या ते गुणखाणी, पामीया सिद्धि राणी ॥ १ ॥
मूलनायक श्री अजितनाथजी
शीतल जिन स्वामी, पुन्यथी सेव पामी प्रभु आतमरामी, सर्व परभान बामी जे शिव गतिगामी, शाश्वतानंद धामी भवि शिवसुख कामी, प्रणमीओ शीष नामी ॥ १ ॥
१३. श्री हुबली तीर्थ
विष्णु जस मात, जेहना विष्णु तात; प्रभुना अवदा, तीन भुवने विख्यात; सुरपति संघात, जास निकटे आयात; करी कर्मनो घात, पामीया मोक्ष शात ॥ १ ॥
श्री अजितनाथजी जैन मंदिर हुबली
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
श्रीवन्तिनाथजी
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
श्री शांतिनाथजी जैन मंदिरजी - हुबली मूलनायक श्री शांतिनाथजी
कंचगार गली में यह जिन मंदिर है। पू. आ. श्री विजय यशोदेव सू. म. के द्वारा माह सुदी १३ को प्रतिष्ठा हुई है। यहां ७०० घर है। किशापुर में नाकोडा पार्श्वनाथजी का घर मंदिर है यहां होसुर में श्री संभवनाथजी का शिखरबंध मंदिर है। भोजनशाला है। बंकापुर ५५ कि.मी. है। हुबली पिन - ५८००२८
१०९ कंचगार गली हुबली में कच्छी दशा ओसवाल का श्री अजितनाथजी का मंदिर है। १९९० जेठ सुदी ६ को श्री भद्रानंद सूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। यहां धर्मशाला है। यहां जैनों के १०० घर हैं।
अशरण शरण ए जगत तारण, भविजन परम आधार। मेरो. करुणारस सरस सुपरिमल, अमल कमल गुणाधार। मेरो, जन मन रंजन अंजन निर्मल, केवल दृष्टि दातार। मेरो. मरण निवारण अमृत रसायण, सेवा सिद्धि दातार। मेरो, सेवत जिनेन्द्र प्रभुपद लीनो, तारो आ संसार।
मेरो.
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कर्नाटक विभाग
(
१४. श्री बीजापुर तीर्थ
आदिनाथ
श्री संभवना
मूलनायक श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथजी
मूलचक श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथजी पाश्यनाथजी रोड पर या मंदिर है। सं. १९१४ में पू. आत्मारामजी म. के शिष्य पू. मु. श्री राजविजयजी म. के द्वारा माह सुदी ५ को प्रतिष्ठा हई है। महावीर सोसायटी में घरदिर है। जामखडी में घर मंदिर है।
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१५. श्री बेलगांव तीर्थ
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी वस स्टेशन के पास मेन बाजार में पांगुली गली में यह मन्दिर है। संपूर्ण च का भव्य मंदिर है।
बीजाफा जैन मंदिराजी
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७५२)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
नाईरोबी
मूलनायक श्री संभवनाथजी
मूलनायक श्री संभवनाथजी यहां यह घर मंदिर शाह मेघजी वीरजी दोढीया ने तथा शाह वेलजी वीरजी दोढीया ने पू. पं. श्री जिनेन्द्र विजयजी म. के उपदेश से बनवाया है। इस प्रतिमा का अंजनशलाका महोत्सव उनके तरफ से भीवंडी में वि.सं. २०३२ में पू. पं. श्री जिनेन्द्र विजयजी गणिवर (अभी पू. आचार्य देवश्री) के सानिध्य में हुआ था।
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अमेरीका
चिकागो
मूलनायक श्री : महावीर स्वामी
अमेरिका में चिकागो शहर में यह मंदिर हैं । पू. आत्मारामजी म. की चिकागो विश्वधर्म परिषद में जैन धर्म के नायक के रुप में आमंत्रण आया है। यह शहर इस प्रकार भी प्रसिद्ध है। भगवान के चरित्र के प्राचीन ६ चित्र है।
अमेरिका में जैनों की बस्ती बढ़ते अनेक मंदिर हए उसमें मुख्य है।
जैन सेन्टर बाहले ईलनोज (यू.एस.ए.)
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मूलनायक श्री महावीर स्वामी
33828
चीकागो जैन मंदिर
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७५४)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग -२
ON
न्यूयोर्क
मूलनायक श्री : महावीर स्वामी
अमेरिका में मुख्य शहर में न्यूयोर्क आता है। यहाँ जैनों की संख्या बढ़ने पर यह मंदिर बना है और जैन उसका लाभ उठाते हैं।
WITMEHTERVA
मूलनायक श्री महावीर स्वामी न्यूयोर्क- अमेरिका
सीन्सेनादी (ओहेवा)
मूलनायक : श्री महावीर स्वामी
अमेरिका में ओहेवो विभाग में यह सीन्सेनाद्री शहर में जिन मंदिर है। और जैन अच्छी भक्ति करते हैं।
मूलनायक श्री पेन्सैनाद्री (ओहावो) अमेरिका
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अमेरीका
(94
1.
Jain Centre of Southern California 8072 Commenelth Avenue PO Box 549 Bunea Park CA 90621 Temple (71) 670-0800 739-9161
11. Siddachalam Hindu Jain Temple
International Mahavir Jain Mission 65 MUDD Pond Road Blairstown NT 07825
2.
12. Jain Society of New Jersey
233/Runnyomcode Road Erscx Falls NJ 07021
3.
Jain Centre of Northern California 2983 Mutten Drive San Jose 6A 951-18 Jain Hindu Cantere (408) 277-7864 Temple Jain Society of Metropolitan Washington 1021 Briggs Chanay Road Silver Springs MD 20905 Temple (301) 236-4466
13. The Jain Sangh of New Jersey
3401 Cooper Avenue
Penmsauken, NJ 08109 14. Jain Centre of America
4311 Ithaka Street Elmhurst NY 11373
4.
15. Jain Sangh of Illentourn
Hindu Temple 4200 Airport Road. Illentown PA 18103
Jain Group of Atlanta 1441 West Rack Court Stane Mountain 6A 30088 Hindu Jain Temple Hindu Temple Society of Augusta Bax N +264 Augusta 6A 30907 Hindu Jain Temple Jain Society of Metropolitan Chicago PR 72752 Roscilo
16. Jain Centre of Pittsburg
615 Illimi Drive Moroc Ville PA 15164
6.
17. Jain Society of North Texas
538 Apollo Richadsron Tx 75680 18. Jain Society of Hustan
3905 Arc St. PO Box 772313 Haustan Tx. 77215-2313
Jain Centre of Greater Boston 83 fulier Brook Road.
Wellesdley NA 02181 (617) 237-5991 8. Jain Society of Greater Detrorit
1061 Winterest Lane West Bloanfield MI 48033 Hindu Jain Temple Jain Study Group of Char Lattere Vien Drive Hindu Center 7400 City
19. Jain Society of Taranto
48. Rosmeade Avenue Etohicoke Ontaria N=8Y 3A5
Canada
UK # PS TEST T एशिया में -५ अफ्रीका में - १० आस्ट्रेलिया में - १ यूरोप में -२
10. Jain Study Centre of North
Corolina 1119 Flenders St Garner NC 27529 4455
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७५६)
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २ - -
ईसनपुर (अहमदाबाद)
मूलनायक : डेमोल पार्श्वनाथजी
अहमदाबाद सम्राटनगर - दिल्ली हाईवे पर ईसनपुर - अहमदाबाद 'डेमोल पार्श्वनाथ' का मंदिर है। थोड़े समय में पू. आ. श्री प्रभाकरसूरि म. के उपदेश से शिखरबंधी मंदिर की योजना है। जिसकी कार्यवाही चल रही है। मुक्तिचन्द्र सू. की आराधना ट्रस्ट ने जवाबदारी ली है।
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डेमोल श्री पार्श्वनाथजी ડેમોલ શ્રી પાર્શ્વનાથજી
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मूलनायक श्री शंरवेश्वर पार्श्वनाथजी
मूलनायक श्री महावीर स्वामी મુળનાયક શ્રી મહાવીર સ્વામી र-र -सहरस
મૂળનષ્ઠ શ્રી શંખેશ્વર પાનાથજી
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घोलेराबंध
(७५७
घोलेरा बंध (जी. अमदावाद)
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ऋषभ जिनराज मुज आजि दिन अति भलो, गुण नीलो जेणे तुज नयण दीठो; दुःखटल्यां सुख मल्यां स्वामी तुज निरखतां, सुकृत संचय हुओ पाप नीठो। ऋषभ कल्पशाखी फल्यो कामघाट मुज मिल्यो, आंगणे अमीयना मेह वूठा; मुज महीराण महीभाण तुज दर्शने, क्षय गया कुमति अंधार जुठा।
ऋषभ. कवण नर कनक मणि छोडी तृण संग्रहे, कवण कुंजर तजी कल्पतरु बाउले, तुज तजी अवर सुर कोण सेवे, ऋषभ. ओक मुज टेक सुविवेक साहिब सदा, तुज विना देव दूजे नईहुं; तुज वचनरागसुख सागरे झीलतो, कर्मभर धर्म थकी हुं न बीहुँ।
ऋषभ. कोडी छे दास विभु ताहरे भल भला, माहरे देव तुं ओक प्यारो;
मूलनायक श्री ऋषभदेवजी
લોક શો -
तीर्थ पट
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श्री कापरडा महातीर्थ
MORO-OTOMORROPORONOMO MOTO
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७५८)
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शंखेश्वर महातीर्थ
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תחחתולה
श्री शंखेश्वर महातीर्थ
श्री भद्रेश्वर महातीर्थ
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श्री भदेश्वर महातीर्थ
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग- २
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________________
(७५९
खातारंगा HERE
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श्री तारंगा महातीर्थ
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122
श्री प्रभास पाटण महातीर्थ
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७६०)
महातीर्थ महातीर्थ
श्री गिरनारजी महातीर्थ
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200
श्री जीरावला महातीर्थ
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग २
* रागना जीरावला
श्री आबुजी महातीर्थ
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नीर्थपट
(७६१
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श्री शकल महातीर्थ
श्री नाकोडा महातीर्थ
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"अक्षय तृतीया"
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श्री समवशरण महातीर्थ
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७६२)
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चंपापुरी महाती
सरकारका
श्री चंपापुरी महातीर्थ
श्री राजगृठी महातीर्थ
श्री राजगृही महातीर्थ
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन: भाग २
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तीर्थपट
(७६३
મહાતીર્થ છે (')ના તાબવાલ
महातीर्थ श्री तलाजा
श्री तलाजा महातीर्थ
श्री पानसर महातीर्थ श्री भोयणी महातीर्थ
श्री वरकाणा महातीर्थ
श्री सम्मेदशिखरजी महातीर्थ
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७६४)
श्री श्वेताबर जैन नीध दशन भाग -
याएर मानी
राणकपुर महातीर्थ
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श्री राणकपुर महातीर्थ
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... महातीर्थ..
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श्री शबंजय महातीर्थ
श्री कदम्बगिरि महातीर्थ
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________________
रचनाओ
रचनाए
छ: मास के तप का पारणा वर्धमान स्वामी को करवाने के लिए राजकुमारी चंदनबाला
उड़द के बाखले लाई।
दीक्षा दिन से शुद्ध गोचरी न मिलने पर वर्ष के अंत में हस्तिनापुर पधारे वहां पूर्वभव के संबंधी श्रेयांसकुमार ने स्वप्न आने पर प्रात:काल आदिनाथ प्रभु के देखकर पूर्वभव का स्मरण
जाति स्मरण होने से हाथी पार्श्वनाथ प्रभु
को वंदन करता है।
भगवान के मंगल प्रसंग पर दिग्कुमारीकाएं प्रभु का गुणगान कर नृत्य करके भक्ति का
लाभ लेती है।
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७६६)
SIE SIND SIE SIND SIE SIND SIE SIC
हद्वारा
जन्म दिए पुत्र रत्न जन्म से छ मास तक रोता है जिससे दुखी होकर माता दीक्षित पिता धनगिरि की झोली में वहोरा देती है।
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग- २
पार्श्वकुमार कमठ तापस के अग्नि में से लकड़ी निकाल कर नाग को बचाया और नाग को नमोकार मंत्र सुनाया ।
श्रीपाल राजा और मयणासुंदरी श्री सिद्धचक्र महापूजन करके वंदन करते हैं।
ईलायचीकुमार नर्तकी के मोह में पड़कर नृत्य करते हैं राजा भी नर्तकी में मोहित होकर विचार करते हैं कि ईलायची बांस पर से गिरे तो मैं नर्तकी को रानी बनाऊं।
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रचनाओ
(७६७
QUOCOCCO
स्थुलिभद्र मुनि ने कोशा वेश्या के वहां चातुर्मास करके उसका उद्धार किया और उसको सम्यक्त्व के साथ १२ व्रतधारी
श्राविका बनाई।
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मेघरथ राजा (शांतिनाथ भ. के पूर्व १० वें भव का जीव) देव परीक्षा में कबूतर को
प्राण दान देते हैं।
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७६८)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
रंगोली
a[[નસુવ્રતસ્વામી થી પ્રતિબોધ પામેલ અશ્વ
સીતાની રક્ષા માટે જટાયુનું સમપર્ણ
मुनिसुव्रत स्वामी से प्रतिबोधित अश्व
सीता की रक्षा के लिए जटायु का समर्पण
મુછિંત મલયસુંદરી નવકાર ના ધ્યાનમાં
પ્રભુ દર્શનથી દૂર રહેનાર પુણતો મજ્યના ભવમાં બોધ
मूर्छित मलयसुंदरी नवकार के ध्यान में
प्रभुदर्शन से दूर रहने वाले पुत्र को मत्स्य के भव में बोध
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रंगोली
(७६९
વાસુમાર માથું ખેર અંગારા અને છેવલદાન
ધીમાણ સંધ રક્ષા માટે નમુરિચને શિક્ષા કરતા વિષાગાર મુનિ
गजसुकुमार के सिर पर अंगारे और केवलज्ञान
श्री श्रमण संघ की रक्षा के लिए नमुचिको
शिक्षा देते विष्णुकुमार मुनि
ALIGurage an aroundlog on lawan SAIGENOM
ચંડકંદિક નાગને પ્રભુમહાવીરનો ઉપદેશ
EKHOONEINDIAne
चंडकौशिक नाग को प्रभु महाबीर का उपदेश
चंदनबालाजीको तथा मगावतीजी को
क्षमा से केवलज्ञान
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७७०) ।
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग -२
પારણા માટે લઈ જતો મૃગલો
અતિમુકત ને પાણીની વિરાધનાના પ્રાધાનતાપથા છેવલજ્ઞાન
मुनि को पारणे के लिए ले जाता मृग
अतिमुक्त को पानी की विराधना से पश्चातापसे केवलज्ञान
પિવાયેલી સમળો નવકાર શ્રવણથી રાવપ્ની બને છે
વિન અંગે કમળચડાવે કલીકુંડ તીરથ તિહાં થાવે
घायल समली नवकार श्रवण से राजपुत्री बनती है
जिन अंगे कमलचढ़ावे कलीकुंड तीरथ तिहां थावे
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तीर्थो के यात्रा प्रवास
तीर्थो का यात्रा प्रवास तीर्थों का कि.मी. में अन्तर
श्री संघ तथा टूर यात्रा प्रवास एस. टी. बस या स्वयं के साधन से निकलते हैं और कहां से कहां जाना और कितना अंतर है, उसका ख्याल नहीं होने से बीच में आने वाले तीर्थ रह जाते हैं अथवा घूम कर जाना पड़ता है। अतः हमें जो यहां जानकारी प्राप्त हुई है, वह यात्रिक भाई-बहनों को उपयोगी बनेगी, इस आशय से लिखा गया है।
तीर्थ के स्थानों का कि.मी. में अंतर बताया है, फिर भी तीर्थ में जाकर वहां तलाश कर लेना जरुरी है।
जितना हो सका सावधानी रखी है फिर भी दो-पांच कि. मी. का कोई तीर्थ में अंतर कम-ज्यादा हो सकता है।
उत्तर गुजरात के तीर्थ कि.मी. में अन्तर
पाटन से कि.मी. अंतर भीलडीयाजी (व्हाया सिहोरी) ६२, भीलडीयाडी (व्हाया डीसा) ७४, चारुप १४, मेत्राणा ३२, वालम ४५, महुडी ९९, तारंगा होकर कुंभरीयाजी ७७, व्हाया हारीज समी होकर शंखेश्वर ७२, उपरीयालाजी १३६, भोयणी ८०, पानसर ११५, शेरीसा १२०, वामज १२०, रांतेज ६०, मेहसाना (व्हाया - ऊंझा ) ५८, मेहसाना (व्हाया चाणस्मा) ५६, कंबोई ( व्हाया - चाणस्मा) २९, कंबोई ( व्हावा हारीज) ४२, गांभु (व्हाया मोढेरा ४५, राधनपुर (व्हाया- हारीज) ७२, वडगांव (व्हाया शंखेश्वर ) ८९, चंदुर मोटी (व्हाया समी) ५७, पंचासर (व्हाया समी) ८०, मांडल (व्हायासमी) १०५, चाणस्मा २०, मुजपुर (व्हाया हारीज) ४६, भोरल (व्हाया सीहोरी) १३५
उत्तर गुजरात के तीर्थ कि.मी. में अन्तर
पालीताणा से श्री सिद्धक्षेत्र सामायिक मंडल बस द्वारा उत्तर गुजरात के तीर्थो का यात्रा प्रवास किया, उसमें जो स्थान आये उसके नाम तथा कि.मी. दिये हैं।
पालीताणा से धंधुका ११०, धंधुका से डोलीया ७०, डोलीया से आरधना धाम २००, धंधुका से धोलका ८७, धोलका से (गांधीनगर होकर ) विजापुर १०९, विजापुर से आगलोड १२, आगलोड से महुडी २५, महुडी से विशनगर होकर वालम ५८, वालम से वडनगर होकर तारंगा ६०, तारंगा से सिद्धपुर होकर मेत्राणा ७५, मेत्राणा से चारुप २२ कि. चारुप से पाटण १४, पाटण से हारीज ३३, समी होकर शंखेश्वर ४०, शंखेश्वर से हारीज, कंबोई, चाणस्मा होकर मेहसाणा १३५, मेहसाणा से भोयणी होकर पानसर ८०, पानसर से शेरीसा १८, शेरीसा से सरखेज बावला होकर पालीताणा २४१ ।
पालीताणा से जुनागढ़ कि.मी.
00
पालीताणा से श्री शत्रुंजय डेम ८, डेम से तलाजा ३०, तलाजा से दाटा २०, दाठा से महुवा ३२, महुवा से उना १०१, उना से अजाहरा ८, अजाहरा से देलवाडा ६, देलवाडा से प्रभासपाटण ९२, प्रभासपाटण से वेरावल ७, वेरावल से मांगरोल ६०, मांगरोल से बलेज ४५, बलेज से पोरबंदर २५, पोरबंदर से आरधनाधाम १००, आराधनाधाम से मोडपर ३०, मोडपर से जामनगर ४५, पोरबंदर से वंथली ८०, ( वेरावल से वंथली ४०) वंथली से जुनागढ़ ३२, जुनागढ़ से डोलीया १५०, जुनागढ़ से पालीताणा २१९ पालीताणा से जेसलमेर
पालीताणा से धंधुका ११०, धंधुका से शंखेश्वर १८२ शंखेश्वर से भिलडीयाजी १०५, भिलडीयाजी से कुंभारीयाजी ११०, कुंभारीयाजी से जीरावलाजी ६७, जीरावलाजी से आबु ६८, आबु से अचलगढ़ १३, अचलगढ़ से पिंडवाडा २२, पिंडवाडा से नाकोडातीर्थ २९४, नाकोडा से बाडमेर १२०, बाडमेर से जेसलमेर १६०, जेसलमेर से लोद्रावाजी १५, अमरसागर से जेसलमेर १६, जेसलमेर से रामदेवरा ११६, रामदेवरा से फलोदी होकर ओशीयां तीर्थ १२४, ओशीया से जोधपुर ७४, जोधपुर से कापरडाजी ३६, कापरडाजी से पाली १०१, पाली से वरकाणा ६१, वरकाणा से नाडोल, नाडलाई मुछाला महावीर, धाणेराव सादडी होकर राणकपुर ६८, राणकपुर से राजमगर ८१, राजनगर से उदयपुर ६५, उदयपुर से केशरीयाजी ७६, केशरीयाजी शामलाजी ६२, शामलाजी से नरोडा १२४, नरोडा से अहमदाबाद होकर धंधुका १०७, धंधुका से पालीताणा ११० कुल कि.मी. २४८६ पालीताणा से झघडीयाजी
पालीताणा से धंधुका ११०, धंधुका से खंभात १२०, खंभात से वडोदरा ७८, वडोदरा से जंबुसर ६०, जंबुसर से कावी २८, कावी से जंबुसर होकर आमोद ३९, आमोद से वागरा होकर गांधार तीर्थ ४०, गांधार से भरूच ५५, भरूच से अंकलेश्वर १२, अंकलेश्वर से झघडीया २०, झघडीया से अंकलेश्वर, भरूच होकर वडोदरा १३७, वडोदरा से मातर ८१, मातर से धंधुका १२५, धंधुका से पालीताणा ११० पालीताणा से नागेश्वर तीर्थ
पालीताणा से डाकोर होकर गोधरा ३११, गोधरा से दाहोद ९७, दाहोद से अलिराजपुर से लक्ष्मणी तीर्थ १०, लक्ष्मणी तीर्थ से कुक्षी ४०, कुक्षी से बाग १८, बाग से मोहनखेडा ४६, मोहनखेडा से राजगढ़ होकर भोपावर ३७, भोपावर से अमीझरा होकर धार ५६, धार से मांडवगढ़ ३६, मांडवगढ़ से इन्दौर ११२, इन्दौर से देवास ३९, देवास से मक्षीजी ३६, मक्षीजी से उज्जैन ४८, उज्जैन से नागेश्वर तीर्थ १२५, नागेश्वर से आलोट ताल होकर जावरा ६३, जावरा से रतलाम ३८, रतलाम से करमदी बीबडोद बाजना ६०, बाजना से कुशलगढ़ ३३, कुशलगढ़ से
-
(७७१
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________________
७७२)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
IETROOK
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लीमडी ५२, लीमडी से लीमखेडा होकर हालोल १०८, हालोल से १८०, डोलीया से आराधना धाम १५०, हारीज होकर शंखेश्वर १०५, बोडेली४३, बोडेलीसे डभोई ४३, डभोई से वडोदरा ३५, वडोदरा से मुंजपुर होकर शंखेश्वर ९०, हारीज होकर भिलडीयाजी११४, पालनपुर पालीताणा २६९, कुल : १८२५ कि.मी
होकर भिलडीयाजी ११३, शेरीसा ६०, तारंगा ६८, कंबोई ५१, अहमदाबाद से राणकपुर-ब्राह्मणवाडा
चाणस्मा ३९, वालम ३०, कलोल होकर वामज ६७, गांभु २६, मोढेरा अहमदाबाद से मेहसाणा ७२, मेहसाणा से डीसा ९२, डीसा से
२९, सिद्धपुर होकर मेत्राणा ५९, पाटण होकर चारुप ६९, नंदासण जीरावलाजी तीर्थ ९२, जीरावला से राणकपुर १३९, राणकपुर से
होकर भोयणी ४१, विजापुर होकर आगलोड ६४, अहमदाबाद ७४, ब्राह्मणवाडा १२४, ब्राह्मणवाडा से देलवाडा (आबु) ८०, देलवाडा
पाटण ५८, पानसर ४०, कलोल ४५, आबु तीर्थ १५० कि.मी. से अचलगढ़ ८, अचलगढ़ से कुंभारीयाजी तीर्थ ७०, कुंभारीयाजी
(उपर के हर एक गांव का अन्तर मेहसाणा से समझना) ईडर ६९. ईडर से अहमदाबाद ११५, ईडर से वडोदरा २२३ कि.मी. पालीताणा से सम्मेदशिखरजी बस मार्ग पालीताणा से भद्रेश्वर तीर्थ
पालीताणा से सोनगढ़ २५, सोनगढ़ से धंधुका ८२, धधुंका से राजकोट से आराधना धाम १५०, पालीताणा से राजकोट १७२,
उपरीयालाजी १३८, उपरीयालाजी से शंखेश्वर ५३, शंखेश्वर से OIL राजकोट से डोलीया ७०, डोलीया से मोरबी ६०, राजकोट से मोरबी
सरखेज १०४, सरखेज से गोधरा १४२, गोधरा से दाहोद ७३, दाहोद ५९, मोरबी से भचाऊ १२२, भचाऊ से गांधीधाम ३८, गांधीधाम से
से अलीराजपुर ६८, अलीराजपुर से लक्ष्मणीजीतीर्थ ८, लक्ष्मणीजी भद्रेश्वर तीर्थ ३७, भद्रेश्वर से मुंद्रा ३०, मुंद्रा से भुजपुर १०, भुजपुर से
से तालनपुर ३३, तालनपुर से कुक्षीजी १५, कुक्षीजी से मोहनखेडा मोटीखाखर २५, मोटीखाखर से छोटीखाखर ८, छोटीखाखर से
६७, मोहनखेडा से (व्हाया-धार) मांडवगढ़ ८३, मांडवगढ़ से इन्दौर बीदडा ७, बीदडा से मांडवी ३०, मांडवी से डुमरा ३५, डुमरा से सुथरी
५८, इन्दौर से उज्जैन ५८, उज्जैन से नागेश्वर तीर्थ ११८, नागेश्वर से ४०, सुथरी से कोठारा १५, कोठारा से जखौ ३०, जखौ से नलीया
मक्सीजी१३५, मक्सीजीसे गुना २०३, गुना से शिवपुरी ९७, शिवपुरी १६, नलीया से तेरा १५, तेरा से भुज ८०, भुज से अंजार ४५, अंजार
से ग्वालियर ११०, ग्वालियर से आगरा ११५, आगरा से दिल्ली २५३,
स से शंखेश्वर २५३, शंखेश्वर से पंचासर १२, पंचासर से वडगांव ७,
आगरा उसी प्रकार दिल्ली शहर में ६५ दिल्ली से मेरठ ६७, मेरठ से वडगांव से मांडल १२, मांडल से उपरीयाजी तीर्थ १६, उपरीयालाजी
हस्तिनापुर ४०, हस्तिनापुर से कानपुर ४५९, कानपुर से लखनौ ८५, PHOE से वीरमगाम २५, वीरमगाम से साणंद-बावला होकर
लखनौ से अयोध्या १३६, अयोध्या से बनारस २०८, बनारस से पालीताणा १९०
सिंहपुरी१२, सिंहपुरी से पटना २८२, पटना से पावापुरी ८८, पावापुरी
से नालंदा २५, नालंदा से कुंडलपुर २, कुंडलपुर से राजगृही १८, __ अहमदाबाद से शंखेश्वर १२१, शंखेश्वर से राधनपुर ५०, राधनपुर
राजगृही से गुणियाजी ४१, गुणियाजी से क्षत्रियकुंड ५९, क्षत्रियकुंड से गांधीधाम २१४, गांधीधाम से भद्रेश्वर ३६, अंजार से गांधीधाम
से सम्मेदशिखरजी १९३, सम्मेदशिखरजी से ऋजुवालिका १६, २० भुज से भद्रेश्वर ७७, भुज से अहमदाबाद ४४७, भुज से डोलीया
ऋजुवालिका से भागलपुर २३७, भागलपुर से चंपापुरी ६, चंपापुरी २५०, जखौ से जामनगर ४६७, जामनगर से आराधना धाम ४५, जखौ
से कलकत्ता ४९४, कलकत्ता से रांची (डोरन्डा) ३५०, रांची (डोरन्डा) RE से भावनगर ४५४, जखौ से वडोदरा ६४४, जखौ से मुंबई ९८०
से रायपुर ६६१, रायपुर से अंतरिक्षजी ५९२, अंतरिक्षजी से आकोला EOHE
७०, आकोलासे औरंगाबाद २४८, औरंगाबाद से पुना २३७, पुना से पालीताणा से नीचे के तीर्थों का अंतर
नासिक २१८, नासिक से सुरत होकर पालीताणा। शत्रुजय डेम ८, हस्तगिरि ३०, कदम्बगिरि २५, तलाजा ३८, महुवा
___ऊण चारुप से पालीताणा, पालीताणा से जुनागढ़, ९०, दाठा ५२, भावनगर ५५, वल्लभीपुर ९०, घोघा ४५, उना १९०, अजाहरा १६८, देलवाडा १९६, दीव १९०, प्रभासपाटण २३०,
जुनागढ़ से भद्रेश्वर-कच्छ वेरावल २३५, मांगरोल २८०, बडेज पार्श्वनाथ ३२५, पोरबंदर ३५०, नीचे के तीर्थों के कि.मी. जो दिए गए हैं वह उण से शांति-धर्म वंथली ३१५, जुनागढ़ ३४५, सावरकुंडला १४०, बोटाद १२५, यात्रा प्रवास समिति तरफ से प्रकाशित हए अहेवाल में से साभार डोलीया २००, वढवाण १६०, राजकोट १७२, जामनगर २६०, प्रकाशित किया है। आराधना धाम ३०५
उण से चारुप ७६, चारुप से मेत्राणा २२, मेत्राणा से तारंगाजी मेहसाणा से अलग-अलग तीर्थों का अंतर
६०, तारंगाजी से वडाली १४, वडाली से ईडर ३९, ईडर से पोसीना
२०, पोसीना से टीटोई५०, टर्टीटोई से विजापुर ७५, विजापुर से वालम मेहसाणा से बहुचराजी होकर शंखेश्वर ७२, शंखेश्वर से डोलीया
३०, वालम से मेहसाणा २५, मेहसाणा से गांभु २३, गांभु से
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तीर्थो के यात्रा प्रवास
(७७३
मोढेरा ६, मोढेरा से शंखलपुर १४, शंखलपुर से बहुचराजी २, बहुचराजी से भायणी ३५, भोंयणी से पानसर ३०, पानसर से वामज ३०. वामज से शेरीसा २०, शेरीसा से अहमदाबाद ४०, अहमदाबाद स धोलका ५४, धोलका से मातर २८, मातर से खंभात ५०, खंभात से भावनगर १९४, भावनगर से घोघा १९, घोघा से तलाजा ६०, नलाजा से डेम ३०, डेम से पालीताणा ९, पालीताणा से दाठा ५७, दाठा से महुवा ३०, मुवा से ऊना ७०, ऊना से वेरावल जाते रास्ता बंद होने से परत ऊना १००, ऊना से अजाहरा १०, अजाहरा से ऊना १०, ऊना से जुनागढ (तुलसी श्याम के रास्ते से) १८०, जुनागढ़ से तलहटी आदि ४०, जूनागढ़ से वंथली१९, वंथलीसे जामगर १५१, जामनगर से आराधना धाम तथा जामनगर से डोलीया १६० डोलीया से कटारिया १४५, जामनगर से कटारिया १५५, कटारिया से भद्रेश्वर ९०, भद्रेश्वर से मुद्रा ३२, मुद्रा से मांडवी ७४, मांडवी से सुथरी ८३, सुथरी से कोठारा १४, कोठारा से जखौ १४, जखौ से नलीया १४, नलीया से तेरा २०, तेरा से भुज ४२, भुज से अंजार ४२, अंजार से गांधीधाम १७, गांधीधाम से कंडला आदि होकर गांधीधाम २०, गांधीधाम से ऊण २३८ मेहसाणा ऊण से नागेश्वर, नागेश्वर से पालीताणा
पालीताणा से शंखेश्वर ऊण से मेहसाणा ११०, मेहसाणा से वीजापुर ५०, आगलोड २५. आगलोड से गोधरा १८२, गोधरा से दाहोद ६९, दाहोद से माहनखेडा ८७, मोहनखेडा से भोपावर ४३, भोपावर से नागेश्वर १३१, नागेश्वर से हासापुरा १३६, हासामपुरा से उज्जैन १०, उज्जैन से मक्सीजी ४८, मक्सीजीसे देवास ३५, देवास से इन्दौर ३५, इन्दौर से मांडवगढ़ ९०, मांडवगढ़ से अमीझरा ८७, अमीझरा से तालनपुर ७०. तालनप्रसे बावनगजा ४५, तालनपुर से लक्ष्मणा ४८, लक्ष्मणा से बोडेली ८०, बोडेली से झघडीया १३२, झघडीया गांधार ७२, गांधार से कावी ७७, कावीसे पालीताणा ३६३, पालीताणा से तलाजा ३६, तलाजा से डेम ३०, डेम से पालीताणा ८, पालीताणा से वल्लभीपुर ५३, वल्लभीपुर से धंधुका ६१, धंधुका से डोलीया ८०, धंधुका से शीयाणी १५, शीयाणी से डोलीया ६०, शीयाणी से उपरीयाला १२६, उपरीयाला से शंखेश्वर ६४, शंखेश्वर से ऊण ६८ मेहसाणा-ऊण से जेसलमेर, जेसलमेर से केशरीयाजी
ऊण से भीलडीयाजी ४३, भीलडीयाजी से जीरावाला ११२, जीरावाला से देलवाडा ६५, देलवाडा से अचलगढ़ ९, अचलगढ़ से मा. आबू १२, मा. आबू से ब्राह्मणवाडा ६७,ब्राह्मणवाडा से पीडवाडा
१०, पीडवाडा से अजारी १२. अजारी से नान्दीया १३, नान्दीया से बा.-वाडा १९, बा.-वाडा से शिरोही २१, शिरोही से कोलरगढ़ ११, कोलरगढ़ से जालोर ८४, जालोर से मोकलसर ३८, मोकलसर से गढ़शिवाणा १४, गढशिवाणा म नाकोडाजी ४३, नाकोडाजी से बाड़मेर १२७, बाडमेर से जेसलमेर १६४, जेसलमेर से लोद्रापुर १५, लोद्रापुर से अमरसागर ९, अमरसागर से ब्रह्मसर १९, ब्रह्मसर से जेसलमेर १५, जेसलमेर से पोकरण ११२, पोकरण से रणुजा १४, रणुजा से फलोधी ५०, फलोधी से ओसीयाजी ७६, ओसीयाजी से कापरडाजी १११, कापरडाजी मेडतारोड ११४, मेडतारोडसेपाली१८०, पालीसे वरकणा ८६, वरकणा से नाडोल १४, नाडोल से नाडलाई ९, नाडलाई से मुछाला महावीर १८, मु. महावीर से घाणेराव६, घाणेराव से राणकपुर १८, राणकपुर से भोपाल सागर १५५, भोपाल सागर से चित्तोडगढ़ ५१, चित्तौडगढ़ से छोटीसादड़ी ६२, छोटीसादड़ी से उदयपुर १३४, उदयपुर से केशरिया जी ६९, करियादी से ईडर ११०, ईडर से पाटण १२२, पाटण सेखामाणा ४६,खामाणा से ऊण ३५, कल-२५३३ कि.मी. जामनगर से गुजरात के नीचे के गांवो
का अंतर कि.मी. में (अकारादि अनुसार जामनगर से) अहमदाबाद ३०८ कि.मी., आराधना धाम ४५, आहवा ६५३, अंबाजी ४६४, अमरेली १९९, अंजार २२३, अंकलेश्वर ४५५, ओखा १७५, ऊकाई ५६१, ऊभराठ ५४७, उदवाडा ६०६, कोटेश्वर ३२४, कोडीनार ३१७, केशोद १६७, कंडला २३२,खंभात ३२६,खेडा २९८, खेडब्रह्मा ४४०, गढडा २१२, गांधीनगर ३२३, गोधरा ४०२, चोरवाड १९७, चांदोद ४२४, चोटीला १४१, जुनागढ़ १३१, डभोई ४००, डाकोर ३५२, डुम्मस ५४३, डोलीया १६०, तारंगा ३९६, तलाजा ३३५, तुलसीश्याम २३५, द्वारका १४५,धंधुका २३४, धोलका २७२, धुवारण ३४७, नडीयाद ३१९, नलसरोवर २७०, नारायणसरोवर ३२१, नवसारी ५५८,पावागढ़४५३,पालनपुर ४४४, पालीताणा २६०, पाटन ३५३, पोरबंदर १२५, बारडोली ५४१, बालाराम ४२१, बहुचराजी ३०४, बीलीमोरा ५९७, भुज २६१, भरूच ४४३, भावनगर २६५, भद्रेश्वर २५६, मांडवी ३१२, मीरां दातार ३५६, मोढेरा ३१८, मेहसाणा ३३६, महुवा २९२, राजकोट ९२, लोथल २६८, लालपुर भलारदादा ३६, वलसाड ६०७, वीरपुर १२१, वीरमगांव २५९, वडोदरा ३७१, शियाणी २१५, सापुतारा ६६७, सोमनाथ २१०, सिद्धपुर २७३, सुरत ५३१, सुरेन्द्रनगर २०९, सासणगीर १८५, शामलाजी ४३४, शुक्लतीर्थ ४६१, शंखेश्वर ३१३, हिम्मतनगर ३८५, जामनगर से मुंबई ८३१ कि.मी. जामनगर से दिल्ली११८६ कि.मी.
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७७४)
अजाहरा तीर्थ (ऊना) से नीचे के गांवों का अंतर किलोमीटर में)
(१) पालीताणा १६५ (२) जुनागढ़ १६० (३) प्रभासपाटण ८२ (४) ऊना ५ (५) दीव ११ (६) भावनगर १९०
वडदरा (गुजरात) से नीचे के गांवों का मार्ग किलोमीटर में अंतर
बडोदरा से डाकोर ५५ डाकोर से शामलाजी (व्हायाकपडवंज मोडासा) ११०, शामलाजी से केशरियाजी ६५, केशरियाजी से उदयपुर ६०, उदयपुर से हल्दीघाट ४२, हल्दीघाट से नाथद्वारा ( श्रीनाथजी ) २२, नाथद्वारा से चारभुजा ४२, चारभुजा से राणकपुर ५५, राणकपुर से माऊन्ट आबू (व्हायासिरोही) १६०, माउन्ट आबू से अंबाजी ३५, अंबाजी से मेहसाणा १२०, मेहसाणा से (व्हाया - मोढेरा) से बहुचराजी १६, बहुचराजी से अहमदाबाद ७०, अहमदाबाद से वडोदरा ११०
गुजरात के तीर्थों की अल्प जानकारी
भीलडीयाजी तीर्थ ( बनासकांठा ) इस तीर्थ के आसपास राघनपुर, डीसा, पालनपुर शहर आये हैं। भीलडी जंक्शन स्टेशन है। यहां से कच्छ में गांधीधाम औप राजस्थान में जाने के लिए ट्रेन मिलती है। यहां गांव में भी नेमिनाथ भगवान का मन्दिर है। और गांव के बाहर श्री पार्श्वनाथ भगवान का भव्य जिनालय, धर्मशाला, भोजनशाला और तीर्थ की पेढ़ी आती है। प्राचीन तीर्थ है। शंखेश्वर से राधनपुर होकर यहां आया जाता है। पक्का रोड़ है यहां से राधनपुर ६५ कि.मी. पलनपुर ४२ कि.मी. और डीसा १८ कि.मी. लगभग होता है।
शंखेश्वर तीर्थ यह तीर्थ बहुत प्राचीन और प्रसिद्ध है। वर्ष भर में लाखों यात्रीगण आते हैं, अषाढी श्रावक द्वारा बनवाई प्राचीन काल के श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान के चमत्कारी और रमणीय प्रतिमाजी है। इस तीर्थ का अनेक बार जीर्णोद्धार होता है। प्रथम जीर्णोद्धार ११५५ में सज्जनशाह मंत्री ने करवाया। गांव में पुराने मंदिर के अवशेष हैं। प्राचीन इतिहास बहुत लम्बा बताने जैसा है परन्तु यहां अल्प जानकारी ली है। यहां से गुजरात, कच्छ, सौराष्ट्र और राजस्थान आदि चारों तरफ जाने के लिए एस. टी. बस मिलती है। अहमदाबाद, वीरमगांव, सुरेन्द्रनगर, पालीताणा, महुडी, मेहसाणा, राधनपुर आदि अनेक गांवों से सीधी एस. टी. यस यहां आती है। धर्मशाला, भोजनशाला की सुन्दर व्यवस्था है। चारों दिशाओं में से आने के लिए पक्का रोड़ है।
उपरीयालाजी तीर्थ श्री ऋषभदेव भगवान का यह तीर्थ है। वीरमगांव और शंखेश्वर के बीच में है सं. १९१९ के लगभग आदिनाथ भगवान और दूसरी चार प्रतिमाजी जमीन में से निकले
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग २
थे। धर्मशाला-भोजनशाला की व्यवस्था है। कांच का कार्य देखने जैसा है। अहमदाबाद, वीरमगाम, शंखेश्वर से एस. टी. बस मिलती है। रेल्वे स्टेशन भी है।
महुडी - (गुजरात) पू. आ. श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. श्री की प्रेरणा से यह तीर्थ ज्यादा प्रसिद्धि में आया है। श्री पद्मप्रभस्वामी का गगनचुंबी भव्य बावन जिनालय है। धर्मशाला-भोजनशाला आदि की अच्छी व्यवस्था है। वर्ष भर में लाखों यात्रीगण आते हैं। श्री घंटाकर्ण महावीर, श्री बुद्धिसागरसूरिजी की प्रतिमा है। अहमदाबाद, मेहसाणा, शंखेश्वर, कलोल, वीरमगाम से एस. टी. बस मिलती है।
भोयणी श्री मल्लिनाथ भगवान का तीर्थ है। सं. १९३० महा सुद १३ को केवल पटेल के खेत में कुआं खोदते समय प्रगट हुए थे। कुकावाव और भोयणी ले जाने में वादविवाद होने पर बिना बैल की गाड़ी में विराजमान करने पर गाड़ी भोयणी तरफ मुडी और श्री संघ द्वारा नवीन जिनालय बनाकर सं. १९३४ महा सुद १० को प्रतिष्ठा कराई प्रतिमानी अलौकिक और प्राचीन है। धर्मशाला और भोजनशाला आदि की सुविधा है। रेल्वे स्टेशन है । अहमदाबाद कलोल से एस. टी. बस भी मिलती है।
तेज - भोयणी से कटोसण होकर बहुचराजी जाती हुई ट्रेन में रांतेज स्टेशन आता है। श्री नेमिनाथ भगवान का बावन जिनालय मंदिर है। पहले रत्नावती नगरी थी, ७०० जैनों के घर थे पाटन तक का यहां से भोंयरा है। अभी जो प्रतिमाजी है उसकी प्रतिष्ठा पू. पं. श्री रूपविजयजी महाराज ने सं. १९०५ में करवाई है। श्री हेमाभाई सेट ने यहां धर्मशाला बनवाई है। संप्रति महाराज के समय के प्रतिमाजी है। स्टेशन से गांव थोडी दूर है।
पानसर - श्री महावीर स्वामी भगवान का यह तीर्थ है। सं. १९६६ के वर्ष में रावल जला तेजा के घर की दीवाल में से यह प्रतिमाजी प्रगट हुए हैं। प्रतिष्ठा सं. १९७४ वै. सुद ६ को हुई है। देवविमान जैसा भव्य जिनालय है। गांव में भी मन्दिर है । धर्मशाला, भोजनशाला की व्यवस्था, अहमदाबाद से मेहसाणा जाती रेल्वे में कलोल के बाद पानसर स्टेशन आता है । अहमदाबाद- मेहसाणा आदि गांवों से एस. टी. बस भी मिलती है। शेरीसा (गुजरात) श्री पार्श्वनाथ भगवान का यह तीर्थ है। सं. १९५५ में जमीन खोदने पर प्रतिमाजी प्रगट हुए हैं सं. २००२ वै. सुद १० को शासन सम्राट के वरद हस्त से प्रतिष्ठा हुई थी। पं. लावण्य समय के वर्णन अनुसार सं. १५६२ में जिनमंदिर था श्री वस्तुपाल तेजपाल द्वारा वहां जिनसिंग बनवाने का उल्लेख मिलता है। धर्मशाला और भोजनशाला है। कलोल से पास में है। अहमदाबाद और कलोल से एस. टी. बस मिलती है। वामज कलोल से १६ कि.मी. और शेरीसा तीर्थ से ६ कि.मी. के अंतर में यह तीर्थ आया है। मूलनायक श्री आदिश्वर भगवान की प्रतिमा प्रभावशाली और प्राचीन है।
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तीर्थो के यात्रा प्रवास
शेरीसा तीर्थ तक यहां से एक भोंयरा है। सं. १९७९ मगसिर वद ५ को पाटीदार मोहल्ले के एक कणबी के घर के पास खोदते निकले हैं। नूतन जिनालय बनवाकर सं. २००२ वै. सुद ३ को पू. शासन सम्राट के पू. आचार्यदेव श्रीमद विजयोदयसूरीश्वरजी महाराजश्री की निश्रा में प्रतिष्ठा हुई थी, धर्मशाला है, भोजनशाला नहीं है ।
चाणस्मा यहां भटेवा पार्श्वनाथजी का भव्य मंदिर है सं. १३५५ में प्रतिष्ठा हुई है, प्राचीन तीर्थ है वेलु के प्रतिमाजी प्रभावशाली है। यह तीर्थ मेहसाणा हारीजना रोड पर है। चाणस्मा स्टेशन से १ कि.मी. है। धर्मशाला आदि की व्यवस्था है।
गांभु- इस गांव का इतिहास विक्रम की ९वीं सदी पहले का है। उसका प्राचीन नाम गांभीरा या गंभूता था । श्री • शीलकाचार्यजी ने आचारांगसूत्र की टीका इसी गांव में १९१९ में की थी। यहां भूगर्भ में से बहुत प्रतिमाजी निकले थे, जिसमें से कितने ही प्रतिमाजी मुंबई, तलाजा, पालीताणा आदि स्थानों पर ले जाये गये हैं। यहां मूलनायक रूप में गंभीरा पार्श्वनाथ अलौकिक हैं। मेहसाणा से १६ कि.मी. दूर है। धर्मशाला आदि की व्यवस्था है ।
वडनगर यह शहर तीर्थ जैसा प्राचीन है। मेहसाणा-तारंगा रेल्वे लाईन पर स्टेशन का गांव है जैन प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, शहर का नाम अनंदपुर या वृद्धनगर था। कल्पसूत्र की वाचना का प्रारंभ इस शहर में हुआ था। यहां कुमारपाल महाराज ने सं. १२०८ में भव्य किला बनाया था। यहां भव्य पांच जिनालय है । खेरालु से १२ कि.मी. है। धर्मशाला है। भोजनशाला की व्यवस्था नहीं है तारंगा तीर्थ जाते समय रास्ते में यह प्राचीन शहर आता है।
वडगाम
श्री शंखेश्वर से वीरमगाम आते समय पंचासर के बाद वडगाम तीर्थ आता है। प्रतिमाजी प्राचीन है। रुकने की व्यवस्था है। व्यवस्था दसाडा गांव आदि के श्रावक करते हैं।
विजापुर - महुडी जाते समय यह शहर आता है। अभी पू. आचार्य श्रीमद् सुबोधसागरसूरीश्वरजी महाराज के सदुपदेश से हाईवे रोड पर भव्य जिनालय तैयार करवा कर श्री स्फुलिंग पार्श्वनाथ भगवान आदि प्रभु प्रतिमाजीओं की प्रतिष्ठा हुई है। विशाल जगह में गगनचुंबी जिनालय, आलीशान धर्मशाला, भोजनशाला है ।
आगलोड विजापुर से आगलोड जाबा जाता है। जिनमंदिर के बाद गांव के बाहर श्री माणिभद्रवीर का मंदिर, धर्मशाला आदि है। यात्री अच्छी संख्या में आते हैं।
धोलका अहमदाबाद से ३०-३२ कि.मी. के अन्तर से यह तीर्थ आता है। पू. आचार्य श्री विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराजश्री के सदुपदेश से नडियाद बावला हाईवे रोड पर गगनचुंबी भव्य जिनालय, धर्मशाला, भोजनशाला आदि है । सं. २०३८ फा. सुद ३ पू. आचार्यदेवों के वरद हस्तों से प्रतिष्ठा हुई है।
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सौराष्ट्र तीयों के पते पत्र व्यवहार के लिए उपयोगी
१. पालीताणा - सेठ आणंदजी कल्याणजी की पेढी, तलहटी रोड, श्री जशकोर धर्मशाला, जि. भावनगर, पिन कोड नं. ३६४२७० (सी.) टे. नं. ४८
२. शेत्रुंजी डेम - सेठ जिनदास धरमदास की पेढी पु. शेत्रुंजी डेम, पोस्ट - पालीताणा, जिला भावनगर (सौ.) टे. नं. ११५
३. श्री हस्तगिरिजी तीर्थ श्री चंद्रोदय चेरेटीज ट्रस्ट मुकाम जालीया (अमराजीना) पो. पालीताणा, जि. भावनगर (सौ.) टे. नं. ६५ ( मुक्तिनिलय धर्मशाला) पालीताणा
४. कदंबगिरिजी - सेठ जिनदास धर्मशाला धार्मिक ट्रस्ट, मुकाम कदम्बगिरि (बुदानो नेस) पोस्ट भंडारीया पिन कोड नं. ३६४०५० ता. पालीताणा, जिला भावनगर (सौराष्ट्र) हे. न. पी.सी.ओ. पालीताणा
५. तालध्वजगिरि श्री तालध्वज जैन श्वे. तीर्थ कमेटी, बाबु की जैन धर्मशाला, जि. भावनगर, मुकाम पोस्ट ऑफिस तलाजा पिन कोड नं. ३६४१४० (सौ.) टे. नं. ३०
६. महुवा - श्री वीशाश्रीमाली तपगच्छीय जैन श्वे. मू. संध मुकाम पोस्ट ऑफिस, तारघर महुवा, जि. भावनगर (सौराष्ट्र) पिन कोड नं. ३६४२९० टे. नं. १७९
७. दाठा - श्री वीशाश्रीमाली जन महजन मुकाम दाठा, पिन कोड नं. ३६४१३० जिला भावनगर (सौराष्ट्र) तारघर दाठा, टे. नं. २३ और २५ (पी.पी.)
"
८. भावनगर सेठ डोसाभाई अभेचंदकी पेटी, ठि. बड़ा मंदिर दरबारगढ़ के पास, भावनगर, पिन कोड नं. ३६४००१ (सौराष्ट्र) टे. नं.
९. घोघा - सेठ काला-मीठा की पेढ़ी, ठि. श्री नवखंडा पार्श्वनाथ जैन मंदिर, पोस्ट आफिस घोघा, पिन कोड नं. ३६४११०, जिला- भावनगर, , टे. नं. ३५ (घोघा )
१०. वल्लभीपुर सेठ जिनदास धरमदास धार्मिक ट्रस्ट, ठि जैन मंदिर पेड़ी, मु. पो. तारघर बल्लभीपुर, जिलाभावनगर, पिन कोड नं. ३६४३१०, टे. नं. ३३
-
११. ऊना (सोरठ) श्री अजाहरा पार्श्वनाथ पंचतीर्थी जैन कारखाना - पेढ़ी, मु. पो. तारघर उना, जिला- जुनागढ़ (सौराष्ट्र) पिनकोड नं. ३६२५६०, टे. नं. २३३ (ऊना)
१२. अजाहरा श्री पार्श्वनाथ पंचतीर्थी जैन कारखाना, पेढ़ी मु. अजाहरा, पो. देलवाडा, पिनकोड नं. ३६२५१०, ता. ऊना, जि. जुनागढ़, तारघर देलवाडा (सौराष्ट्र), टे. नं. ३२८ (अजाहरा)
(७७५
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७७६)
श्री श्वेतांबर जैन तीथ दर्शन : भाग -
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१३. देलवाडा - श्री अजाहरा पार्श्वनाथ पंचतीर्थी जैन कारखाना, पेढ़ी मु. पो. देलवाडा, जि. जुनागढ़ तालुका उना, पिनकोड नं. ३६२५१०, टे. नं. पी.सी.ओ. देलवाडा
१४. दीव- श्री अजाहरा पार्श्वनाथ पंचतीर्थी जैन कारखाना पेढी, मु. पो. तारघर दीव पिनकोड नं. ३६२५२०, व्हाया-उना (सौराष्ट्र) टे. नं. पी.सी.ओ. दीव
१५. प्रभासपाटण- श्री जैन श्वे. मूर्तिपूजक संघ की पेढ़ी, ठि. मंदिर खडकी, मु. पो. तारघर प्रभासपाटण, ता. वेरावल, जिला - जुनागढ़, पिनकोड नं. ३६२२६८ (सौराष्ट्र) टे. नं.६६३९ प्रभासपाटण
१६. वेरावल - श्री जैन श्वे. मूर्तिपूजक संघ जैन मंदिर की पेढी, ठि. मायला कोट मु. पो. तारघर वेरावल, पिनकोड नं. ३६२२६५, जिला - जुनागढ़, टे. नं. पी.सी.ओ. वेरावल
१७. मांगरोल - श्री जैन श्वे. मूर्तिपूजक तपगच्छ संघ, ठि. नवपल्लव पार्श्वनाथ जैन मंदिर, ठि. कंपाणी फलिया, मु. पो. मांगरोल, पिनकोड नं. ३६२२२५, टे. नं. पी.सी.ओ. मांगरोल, जिला - जुनागढ़
१८. बडेजपार्श्वनाथ - श्री जैनतीर्थ, ठि. श्री जैन श्वे. मूर्तिपूजक जैन संघ की पेढी, श्री शांतिनाथजी जैन मंदिर पारेख चकला, मु. पो. पोरबंदर पिनकोड नं. ३६२५७५, जि. जुनागढ़, टे.पी.सी.ओ. पोरबंदर
१९. पोरबंदर - (सौराष्ट्र) पता उपर अनुसार
२०. वंथली - (सोरठ) श्री तपगच्छ संघ, ठि. जैन मंदिर मु. पो. वंथली पिनकोड नं. ३६२६१०, जि. जुनागढ़, टे. पी.सी.ओ. वंथली
२१. जुनागढ़ - (गिरनार) सेठ देवचंद लक्ष्मीचंदजी की पेढी, ठि. बाबुकीजैनधर्मशाला, उपरकोट रोड, जगमाल चोक, मु. पो. जुनागढ़ पिनकोड नं. ३६२००१, टे. नं. ११५४, जुनागड
२२. सावरकुंडला - श्री धर्मदास शांतिदास की पेढ़ी, ठि. जैन मंदिर मु. पो. सावरकुंडला पिनकोड नं. ३६४५१५, जिला - भावनगर, टे. पी.सी.ओ. सावरकुंडला
२३. बोटाद - जैन श्वे. मूर्तिपूजक तपागच्छ संघ ठि. जैन मंदिर मु. पो. बोटाद, पिनकोड नं. ३६४७१०, जि. भावनगर टे. पी.सी.ओ. (बोटाद)
२४. वढवाण - श्री जैन श्वे. मूर्तिपूजक तपगच्छ संघ, ठि. जैन मंदिर लाखुपोल मु. पो. वढवाण, पिनकोड नं. ३६३०३०, टे. पी.सी.ओ. (वढवाण)
२५. शीयाणी तीर्थ - श्री जैन संघ मुकाम पोस्ट शीयाणी, तालुका - लींबडी, जिला - सुरेन्द्रनगर (सौराष्ट्र) तारघर तथा टेलीफोन ११, लींबडी
२६. डोलीया - जैन हितवर्धक मंडल नेशनल हाईवे नं.८, ता. सयाला, जि. सुरेन्द्रनगर, फोन थान डोलीया ०२७५५/६७४/ २०६७४/२०७२८
२७. राजकोट - श्री जैन मंदिर मूर्तिपूजक तपगच्छ संघ की पेढी ठि. जैन मंदिर मांडवी चौक, देराशरी मु. पो. राजकोट, पिनकोड नं. ३६०००१, जि. राजकोट, टे. पी.सी.ओ. (राजकोट)
२८. जामनगर - श्री जैन श्वे. मूर्तिपूजक तपगच्छ संघ, ठि. जैन मंदिर मु. जामनगर, पो. ऑफिस के सामने चोकमें, पिनकोड नं. ३६१००१, जि. जामनगर, टे. नं. ७१२४२ (जामनगर)
२९, आराधनाधाम- वडालीया सिंहण हाईवे (जि. व्हाया - जामनगर)
कच्छ के तीर्थ के पते ३०. भद्रेश्वर - (कच्छ) सेठ वर्धमान कल्याणजी की पेढी, ठि. महावीरनगर, मु. वसही (भद्रेश्वर) पिनकोड नं. ३७०४१०, मु. पो. वसही तालुका मुद्रा (कच्छ) टे. ६१ (वडाला)
३१. मुंद्रा- (कच्छ) श्री जैन श्वे. मूर्तिपूजक तपगच्छ संघ मु. पो. ता. मुंद्रा पिन कोड नं. ३७०४२१ टेलीफोन पी.सी.ओ. (मुंद्रा)
३२. भुजपुर - (कच्छ) श्री जैन श्वे. मूर्तिपूजक संघ मु. पो. भुजपुर पिनकोड नं. ३७०४०५
३३. मोटीखाखर - श्री जैन श्वे. मूर्तिपूजक संघ व्हायामुंद्रा मु. पो. मोटीखाखर (कच्छ)
३४. नानीखाखर - श्री जैन श्वे. मूर्तिपूजक संघ व्हाया मुंद्रा मु. पो. नानीखाखर (कच्छ)
३५. बिदडा - श्री जैन श्वे. मूर्तिपूजक संघ मु. पो. बिदडा | पिनकोड नं. ३७०४३५ (कच्छ)
३६. मांडवी- श्री जैन श्वे. मूर्तिपूजक संघ महावीर स्वामी जैन मंदिर मु. पो. मांडवी पिनकोड नं. ३७०४६५ (कच्छ) टेलीफोन पी.सी.ओ. (मांडवी)
३७. डुमरा-श्री जैन श्वे. मूर्तिपूजक संघ व्हाया मांडवी मु. पो. डुमरा (कच्छ)
३८. सांघण- श्री जैन श्वे. मूर्तिपूजक संघ व्हाया मांडवी मु. पो. सांघण (कच्छ)
३९. सुथरी- श्री धूतकलोल पार्श्वनाथ जैन मंदिर पेढ़ी, ता. अबडासा मु. पो. सुथरी टेलीफोन नं. पी.सी.ओ. कोठारा (कच्छ)
४०. कोठारा - श्री शांतिनाथजी जैन मंदिर पेढ़ी ता. अबडासा मु. पो. कोठारा पिनकोड नं. ३७०६४५ (कच्छ) तारघर तथा टेलीफोन पी.सी.ओ. (कोठारा)
४१. जखौ - श्री रत्नटुंक जैन मंदिर पेढ़ी मु. पो. जखौ पिनकोड नं. ३७०६४० ता. अबडासा (कच्छ) तारघर तथा टेलीफोन पी.सी.ओ. (जखौ)
४२. नलीया - श्री कच्छी दशा ओसवाल जैन महाजन ठि. जैन मंदिर मु. पो. नलीया पिनकोड नं. ३७०६५५ ता. अबडासा (कच्छ) तारघर टेलीफोन नं. २७ (कवीतेज)
TEOS
FAP
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तीर्थो के यात्रा प्रवास
(७७७
४३. तेरा - श्री जीरावला पार्श्वनाथ जैन मंदिर ट्रस्ट मु. पो. तेरा पिनकोड नं. ३७०६६० ता. अबडासा तारघर (तेरा) टेलीफोन पी.सी.ओ. (नलीया)
४४. भुज- श्री वीशा ओसवाल जैन गर्जर ज्ञाति ठि. वाणियावाड सेठ डोसाभाई लालचंद रोड, मु. पो. भुज पिनकोड नं. ३७०००१ (कच्छ) तारघर टेलीफोन पी.सी.ओ. (भुज-कच्छ)
४५. अंजार - श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ ठि. श्री पार्श्वनाथ जैन मंदिर, मोची बजार मु. पो. अंजार पिनकोड नं. ३७०११० तारघर तथा टेलीफोन पी.सी.ओ. (अंजार-कच्छ)
४६. भचाऊ - श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ ठि. श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ जैन मंदिर, मु. पो. भचाऊ पिनकोडनं. ३७०१४० तारघरतथा टेलीफोन पी.सी.ओ. (भचाऊ-कच्छ)
४७. गांधीधाम - श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ ठि. जैन मंदिर, मु. पो. गांधीधाम पिनकोड नं. ३७०००१ तारघर टेलीफोन पी.सी.ओ. (गांधीधाम-कच्छ)
४८. कटारिया - श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ ठि. जैन मंदिर, व्हाया लाकडीया पिनकोड नं. ३७०१४५ टेलीफोन-८ (लाकडीया-कच्छ)
उ. गुजरात के तीर्थों के पते ४९. शंखेश्वर - श्री जीवणदास गोडीदासजी की पेढ़ी जैन मंदिर ता. समी, जि. मेहसाणा मु. पो. शंखेश्वर तारघर तथा टेलीफोन पी.सी.ओ. (हारीज) गुजरात
५०. उपरीयालाजी-सेठ आणंदजीकल्याणजी की पेढ़ीव्हायावीरमगाम जिला- सुरेन्द्रनगर मु. पो. उपरीयाला गुजरात राज्य तारघर पार्टडी फोन नं. ८६ (पाटडी)
५१. भोयणी- मल्लिनाथ महाराज कारखाना पेढ़ीता. वीरमगाम जिला अहमदाबाद, मु. पो. भोयणी पि. ३८११४५ तारघर वीरमगामकडी कलोल-कटोसण फोन नं. २४ (देवोज)
५२. पानसर - श्री महावीर स्वामी जैन मंदिर की पेढ़ी, जिलामेहसाणा, मु. पो. पानसर, पिनकोड नं. ३८२७४० तारघर फोन पी.सी.ओ. पानसर ,
५३.शेरीसा- सेठ आणंदजी कल्याणजी की पेढ़ी ता. कलोल, जि, मेहसाणा, मु, पो, शेरीसा तारघर तथा फोन नं. पी.सी.ओ. कलोल
५४. महुडी - श्री मधुपुरी जैन श्वेताम्बर कारखाना तालुकाविजापुर, जिला - मेहसाणा, मु. पो. महडी तारघर तथा फोन नं. ५६ (विजापुर)
५५. पाटण - श्री पंचासरा पार्श्वनाथ जैन मंदिर ट्रस्ट हेमचंद मार्ग जि. मेहसाणा, मु. पो. तारघर पाटण पिनकोड ३८४२६५ फोन नं. २७८ पाटण-गुजरात
५६. सिद्धपुर - जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ मुकाम
- पोस्ट तारघर सिद्धपुर, पिनकोड नं. ३८४१५१ जि. मेहसाणा (गु.) फोन नं. पी.सी.ओ. सिद्धपुर .
५७. मेहसाणा- श्रीसीमंधर स्वामी जैन मंदिर की पेढी, नेशनल हाईवे रोड मुकाम पोस्ट तारघर मेहसाणा (गुज.) पिनकोड नं. ३८४००२, मेहसाणा फो नं. २५९७ मेहसाणा
५८. तारंगा - सेठ आणंदजी कल्याणजी कीपेढ़ी मु. तथा स्टेशन तारंगा हील, पो. टीम्बा, पिनकोड नं. ३८४३५०, तालुका-खेरालु, जिला-मेहसाणा (गजुरात) तारघर तथा टेलीफोन नं. पी.सी.ओ. तारंगाहील
५९. मेत्राणा - श्री ऋषभदेव जैन मंदिर कारखाना, व्हायासिद्धपुर, मु. पो. मेत्राणा, जिला- मेहसाणा (गुजरात) तारघर तथा टेलीफोन नं.५६काकोशी
६०. चारूप- श्री जैन मंदिर की पेढ़ी, व्हाया-पाटण, जिलामेहसाणा, मु. पो. चारूप (गुजरात) तारघर तथा टेलीफोन पी.सी.ओ. पाटण
६१. कंबोई- श्री मनमोहन पार्श्वनाथ तीर्थ की पेढ़ी ठि. जैन मंदिर जिला - मेहसाणा, मु. पो, कंबोई (गुजरात) तालुका - चाणस्मा, टेलीफोन पी.सी.ओ. चाणस्मा
६२. गांभु - श्री जैन मंदिर की पेढ़ी, जिला - मेहसाणा मोढेरा, मु. पो. गांभु (गुजरात) तालुका -चाणस्मा
६३. मोढेरा- श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ जैन मंदिर की पेढ़ी, मु. पो. मोढेरा, पिनकोड नं. ३८४२१२, जिला - मेहसाणा तारघर तथा टेलीफोन पी.सी.ओ. बहुचराजी
६४. वामज - सेठ आणंदजी कल्याणजी कीपेढ़ी मु. पो. वामज, तारघर कलोल जि. मेहसाणा (गुजरात) टेलीफोन नं. पी.सी.ओ. कलोल
६५. वालम-श्री तीर्थ कमेटी ठि. जैन मंदिर पो. ऑफिस तारघर वालम, पिनकोड नं. ३८४३१० जि. मेहसाणा, तालुका - वीशनगर, टे.नं. ४३ वालम (वीशनगर) ____६६. वडनगर - श्री जैन श्वेताम्बर मू. संघ, जि. मेहसाणा, पिनकोड नं. ३८४३३५, तालुका वीशनगर (गुजरात) तार और टेलीफोन ऑफिस है।
६७. आगलोड - श्री माणिभद्रजी जैन तीर्थ की पेढ़ी, पी.ओ. आगलोड, तालुका - वीजापुर (उ. गुजरात)
भारत भर के प्रसिद्ध जैन तीर्थ
सौराष्ट्र विभाग १. श्री शत्रुजय, २. तलाजा, ३. महुवा, ४. घोघा श्री नवखंडा पार्श्वनाथ, ५. वल्लभीपुर, ६. पीपरला कीर्तिधाम, ७. ढांका, ८. जामनगर, ९. आराधनाधाम, १०. गिरनारजी (रेवताचल), ११. हस्तगिरि, १२. ऊना शहर, १३. अजारा पार्श्वनाथजी १४. देलवाडा. १५. दाठा, १६. बलेजा (बरैया) पार्श्वनाथजी, १७. वढवाण, १८. डोलीया, १९. शियाणी
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(७७८)
कच्छ विभाग
१. भद्रेश्वर, २. अंजार, ३. मुंद्रा, ४. मांडवी, ५. भुज, ६. सुथरी, ७. कोठारा, ८. जखौ, ९ नलीया, १०. तेरा, ११ कटारीया, १२. अंगीया, १३. कंथकोट, १४. खाखर, १५. गांधीधाम, १६. ७२ जिनालय
गुजरात विभाग
,
१. श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ, २. वडगांव, २. उपरवाला, ४. वीरमगाम, ५. मांडल, ६. दसाडा, ७. पाटडी, ८. पंचासर, ९. राधनपुर, १०. समी, ११. मुजपुर १२. चंदुर (बडी), १३. हारीज (नया), १४. चारूप, १५. पाटण, १६. गांभु, १७. मोढेरा, १८. कंबोई (मनमोहन पार्श्वनाथजी) १९. चास्मा २० हारीज (पुराना), २१. मेत्राणा, २२. अहमदाबाद, २३. नरोडा, २४ सेरीसा, २५. वामज, २६. भोयणीजी, २७. पानसर, २८. मेहसाना, २९. आनंदपुर ( वडनगर ), ३०. तारंगा, ३१. ईडरगढ, ३२. पोशीना पार्श्वनाथजी, ३३. मोटा पोशीनाजी, ३४. पल्लवीया पार्श्वनाथजी (पालनपुर) ३५. मगरवाडा, ३६. भीलडीयाजी, ३७. उण, ३८. थरा, ३९. रामसैन्य, ४०. मुहरी पास (टॉटोई), ४१. भोरोल (घेरोल), ४२. नागफणी पार्श्वनाथ, ४३. दर्भावती ( डभोई), ४४. वडोदरा, ४५. झगडीयाजी, ४६. भरूच, ४७. सुरत, ४८. स्थंभन पार्श्वनाथ ( खंभात), ४९. कावी- गंधार, ५० मातर, ५१. कुंभारीयाजी, ५२. कलीकुंड (धोलका), ५३. पारोलीतीर्थ, ५४. पावागढ़
मारवाड मेवाड राजपूतानां विभाग
१. भीनमाल, २. चंद्रावती, ३. आबु, ४. ओरीया, ५. अचलगढ़, ६. आरासण- कुंभारीयाजी, ७. मोटा पोशीनाजी, ८. महातीर्थ मुंडस्थल, ९. जीरावला पार्श्वनाथ, १०. ब्राह्ममण (वरमाण), ११. कासंद्रा - कासहृद, १२. सांचोर, १३. राणकपुर, १४. वरकाणा, १५. नाडोल, १६. नाडलोई, १७. सादडी, १८. घाणेराव, १९ मुछाला महावीर, २०. न्यू नाकोडा, २१. पींडवाडा, २२. ब्राह्मणवाडाजी, २३. मीरपुर, २४. नांदीया, २५. लोटाणा, २६. दीयाणाजी, २७. नीतोडा, २८. अंजारी, २९. नाणा, ३०. बेडा, ३१. सोमेश्वर, ३२. राता महावीर, ३३. सुवर्ण गिरि, ३४. कोरटा तीर्थ, ३५. नाकोडाजी, ३६. कापरडाजी, ३७. फलोदी, ३८. ओशीयाजी, ३९ जैसलमेर, ४०. अमरसागर, ४१. लोद्रावा, ४२. देवीकोट, ४३. ब्रह्मसर, ४४ . बाडमेर, ४५. पोकरण, ४६. जोधपुर, ४७. बीकानेर, ४८. उदयपुर, ४९. समौना खेडा, ५०. आघाटपुर, ५१. श्री केशरीयाजी, ५२. सांवराजी, ५३. करेडा, ५४. देलवाडा- देवकुलपाटक, ५५. दयालशाह का किला, ५६. नागदा-अदबजी, ५७ चित्तौडगढ़, ५८. सेवालीया, ५९. अजमेर, ६०. केशरगंज, ६१. जयपुर, ६२. अलवर ( रावणा पार्श्वनाथ), ६३. महावीरजी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग - २
मालवा विभाग
१. मक्सीजी, २. उज्जैन, ३. रतलाम, ४. बीबडोद, ५. करमदी, ६. मांडवगढ़, ७. तारापुर, ८. लक्ष्मणीतीर्थ, ९. सागोदीया, १०. तालनपुर ११. धार १२. मंदसौर, १२. भोपावर, १४. अमीझरा तीर्थ, १५. बुरहानपुर, १६. नागेश्वरजी
महाराष्ट्र
१. कुलपाकजी, २. मुक्तगिरि, ३. भांडुजी, ४. कुंभोज, ५. नाशिक, ६. थाणा, ७ वीजापुर, ८. जालना, ९. हेमकुटगिरि, १०. तिनाली तथा, ११. अंतरिक्षजी पार्श्वनाथ
पूर्वदेश
१. बनारस, २. भेलपुर, ३ भदेनी, ४. सिंहपुरी, ५. चंद्रपुरी, ६. पटना, ७. बिहार, ८. कुंडलपुर, ९. गुणीयाजी, १०. राजगृही ११. पावापुरी, १२. गीरडी, १३. ऋजुवालुका, १४. मधुवन, १५. श्री सम्मेदशिखरजी, १६. बरद्वान (वर्धमानपुरी), १७. कलकत्ता, १८. कासीमजार, १९. शौदाबाद, २० महिमापुर २१. गोला २२. बालुचर, २३. अजीमगंज, २४. क्षत्रियकुंड, २५. गयाजी, २६. काकंदी, २७. नाथनगर, २८. चंपापुरी, २९. मंदारहिल, ३०. सुलतानगंज, ३१. अयोध्या, ३२. रत्नपुरी, ३३. लखनौ, ३४. कानपुर, ३५. शौरीपुरी, ३६. आगरा, ३७. मथुरा, ३८. दिल्ली, ३९. हस्तिनापुर, ४०. कंपिलाजी
विच्छेद तीर्थ
१. श्रावस्ति, २. अष्टापद, ३. भद्दिलपुर, ४. मिथिला, ५. कौशांबी, ६. पुरितमाल (प्रयाग) ७. प्रयाग (अल्हाबाद), ८. ९. शिला १० वीतभयपवत्तन ११. कांगरी, १२. बी पार्श्वनाथ १३. उदयगिरि १४. जगन्नाथपुरी, १५. भोवनपुर, १६. द्वारिका
विविध कार्यक्रम : गुजरात राज्य
एक दिन
एक दिन में सुबह शुरू कर शाम तक पूरे हो सके ऐसे कार्यक्रम (१) अहमदाबाद शहर में बहुत जिनालय है।
(२) अहमदाबाद से विजापुर, आगलोड, अहमदाबाद (३) अहमदाबाद से शेरीसा, वामज, पानसर, भोंयणी, अहमदाबाद
(४) अहमदाबाद से विरमगाम होकर मांडल, उपरीयाला, शंखेश्वर, अहमदाबाद
(५) अहमदाबाद से बावला, कलीकुंड (पोलका),
अहमदाबाद
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तीर्थो के यात्रा प्रवास E-E-ELECTELEGREATERE-ENEPALEEEEETA
(२)
उता
(६) अहमदाबाद से मातर, खेडा, वडोदरा होकर अहमदाबाद (७) बावला कलिकुंड, शियाणी डोलीया अहमदाबाद
पालीताणा गांव में बहुत जिनालय है। तलहटी में आगम मंदिर. बाबुजी का मंदिर, समवशरण मंदिर, कांच का मंदिर
आदि उपरांत गांव में बहुत मंदिर है। (९) पालीताणा से कदम्बगिरि, पालीताणा (१०) पालीताणा से हस्तगिरि, डेम, घेटीपाग आदि (११) पालीताणा से
सोनगढ़, वल्लभीपुर, घोघा, पालीताणा (१२) पालीताणा से डेम, तलाजा, दांठा, महुवा, पालीताणा (१३) पालीताणा शत्रुजय-नव-टुंक (१४) मेहसाणा से विजापुर-आगलोड, महुडी, मेहसाणा (१५) मेहसाणा से विसनगर, वालम, तारंगा, मेहसाणा (१६) मेहसाणा से सिद्धपुर, पाटण, चारूप, मेत्राणा, मेहसाणा (१७) मेहसाणा से कंबोई, चाणस्मा, शंखेश्वर, मेहसाणा (१८) मेहसाणा से पानसर, भोंयणी, शेरीसा, वामज, मेहसाणा (१९) मेहसाणा से मोढेरा, गांभु, मेहसाणा (२०) मेहसाणा से ईडर, खेडब्रह्मा, वडाली, पोसीना, कुंभारिया,
मेहसाणा (२१) मेहसाणा से राधनपुर, भीलडीया, डीसा, मेहसाणा (२२) मेहसाणा से अहमदाबाद मेहसाणा (२३) मेहसाणा से सरखेज, बावला, कलिकुंड, शियाणी, डोलीया (२४) शंखेश्वर से राधनपुर होकर भोरोल, ढीमा, थराद, वाव,
शंखेश्वर (२५) शंखेश्वर से मुजपुर, कंबोई, चाणस्मा, मेहसाणा, शंखेश्वर (२६) शंखेश्वर से राधनपुर, भीलडीया, डीसा, शंखेश्वर । (२७) गिरनार से वंथली, सोमनाथ (चन्द्रप्रभास पाटण) जुनागढ़ (२८) भद्रेश्वर से मांडवी, सांघाण, सुथरी, जखौ, कोठारा, नलिया,
तेरा, भद्रेश्वर (२९) भद्रेश्वरसे वांकी, मुंद्रा, भुजपुर, मोटीखाखर, नानीखाखर,
बिदडा, बहोत्तर जिनालय, कोडाय, मांडवी आश्रम, भद्रेश्वर (३०) वडोदरा से डभोई, बोडेली, पावागढ़, पारोली, वडोदरा (३१) भरूच से कावी, गंधार, भरूच (३२) भरूच से जगडियाजी, भरूच (३३) वलसाड से नवसारी, तपोवन, तीथल, वलसाड (३४) गिरनार नेमिनाथ भगवान की ट्रॅक, गिरनार पर्वत (३५) वडोदरा से मातर, कलिकुंड, शियाणी, डोलीया, वडोदरा
दो दिन (१) अहमदाबाद से पालीताणा - दोपहर ग्यारह बजे शत्रुजय यात्रा
प्रारंभ रात्रि विश्राम पालीताणा, दूसरे दिन पालीताणा से शंखेश्वर होकर शाम को अहमदाबाद अहमदाबाद से बावला, कलिकुंड, शियाणी, डोलीया (रात्रि) शंखेश्वर अहमदाबाद भद्रेश्वर से मुंद्रा, भुजपुर, मोटीखाखर, नानीखाखर, कोडाय होकर रात्रि विश्राम बहोत्तर जिनालय अथवा मांडवी आश्रम पर। दूसरे दिन मांडवी, सांघण, सुथरी, कोठारा, नलीया, जखौ, तेरा होकर पुनः भद्रेश्वर पालीताणा से डेम तलाजा, दांठा, ऊना होकर चंद्रप्रभास पाटण रात्रि विश्राम । दूसरे दिन चंद्रप्रभास पाटण से पुनः अजाहरा उना होकर पालीताणा अहमदाबाद से डोलीया, जुनागढ़, पालीताणा अहमदाबाद। इस अनुसार आगे बताये १ दिन के कार्यक्रमों को विविध प्रकार से जोड़ने से दो दिन के, तीन दिन के, पांच दिन के
कार्यक्रम बन सकते हैं। राजस्थान एक दिन (१) आबु देलवाडा से अचलगढ़
उदयपुर से केशरियाजी, डुंगरपुर, उदयपुर पुनः उदयपुर से आयड, नागहद, जुना देलवाडा, कांकरोली, उदयपुर वापिस उदयपुर से करेडा (भूपाल सागर), चित्तौडगढ़, उदयपुर
वापिस (५) उदयपुर से राणकपुर, उदयपुर वापिस
आबु रोड से ओर, कींवरली, कासीन्द्रा, मुंड स्थल आदि आबु रोड वापिस आबु रोड से जीरावला, मंडार, रेवदर, आबु रोड वापिस आबु रोड से शिरोही, मीरपुर, आबु रोड वापिस राणकपूर से मुछाला महावीर, घाणेराव, कीर्ति स्तंभ. नाडलाई, नांडोल, वरकाणा, राणी, फालना, सादडी होकर
वापिस राणकपुर (१०) राणकपुर सेबाली, सेवाडी, राता महावीर, नाणा, पीन्डवाडा
वापिस राणकपुर (११) आबु रोड से पीन्डवाडा होकर बामनवाडा, अजारी, कोजरा,
नान्दिया होकर आबु रोड (१२) जालोर से सांडेराव, तखतगढ़, उमेदपुर, आहार आदि होकर
जालोर (१३) जालोर से नाकोडाजी होकर जालोर (१४) जैसलमेर से लोद्रवाजी, ब्रह्मसागर, अमरसागर, जैसलमेर (१५) जोधपुर से कापरडाजी, गंगाणी, ओसिया, जोधपुर।
इस प्रकार अनेक, एक दिन के तथा इन कार्यक्रमों को अनेक प्रकार से जोड़कर बहुत दिनों के कार्यक्रम हो सकते हैं।
(८)
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I
PE-POOL
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७८०)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
आठ से दस दिन के विविध कार्यक्रम 0 गुजरात - १ दिन-१: अहमदाबाद से प्रयाण कर अहमदाबाद, सरखेज,
धोलका (कलीकुंड), बगोदरा, वल्लभीपुर, शिहोर,
सोनगढ़, पालीताणा, रात्रि विश्राम पालीताणा दिन-२: श्री शत्रुजय तीर्थ यात्रा, नवटूक, सेवापूजा, रात्रि
विश्राम पालीताणा दिन-३: पालीताणा से कदम्बगिरि, हस्तगिरि, गांव की
तलहटी में अन्य जिनालय (ओपशनल) रात्रि विश्राम
पालीताणा दिन-४ : पालीताणा से प्रयाण करके पालीताणा डेमतलाजा,
दांठा-महुवा उना अजाहरा
चन्द्रप्रभासपाटण (सोमनाथ) रात्रि विश्राम सोमनाथ दिन-५: सोमनाथ-चन्द्रप्रभास पाटण से प्रयाण करके पाटण
चोरवाड, केशोद, वंथली, जुनागढ़, रात्रि विश्राम
जुनागढ़ अथवा डोलीया दिन-६: श्री गिरनार तीर्थयात्रा रात्रि विश्राम जुनागढ़ दिन-७: विश्राम जुनागढ़ में - अडीकडी वाव, प्राणीघर,
किला आदि (ओपशनल) दिन-८: जुनागढ़ से प्रयाण कर जुनागढ़, जेतपुर, गोंडल,
राजकोट, डोलीया, सुरेन्द्रनगर, विरमगाम, मांडल, उपरियालाजी होकर श्री शंखेश्वर रात्रि विश्राम श्री
शंखेश्वर दिन-९: श्री शंखेश्वर से प्रयाण करके कंबोई चाणस्मा
मेहसाणा रात्रि विश्राम मेहसाणा दिन-१० : अ. मेहसाणा से वीजापुर, महुडी, आगलोड होकर
अहमदाबाद अथवा ब. मेहसाणा से पानसर, भोंयणी, वामज, शेरीसा
होकर अहमदाबाद गुजरात-२ दिन-१: अहमदाबाद से धोलका, कलिकुंड, वल्लभीपुर,
सोनगढ़, पालीताणा रात्रि विश्राम पालीताणा दिन-२: श्री शत्रुजय तीर्थयात्रा दिन-३: पालीताणा से तलाजा, दांठा,महवा, उना, अजाहरा
होकर चन्द्रप्रभास पाटण - रात्रि विश्राम सोमनाथ दिन-४ : सोमनाथ से चोरवाड, वंथली होकर जुनागढ़ दिन-५ : जुनागढ़ से श्री गिरनार तीर्थयात्रा दिन-६: जुनागढ़ से प्रयाण कर राजकोट, डोलीया, मोरबी
मार्ग से भद्रेश्वर रात्रि विश्राम भद्रेश्वर दिन-७ : भद्रेश्वर से वांती, मुंद्रा, भुजपुर, मोटी खाखर, नानी
खाखर, बिदडा, कोडाय,
बहोत्तर जिनालय, मांडवी आश्रम रात्रि विश्राम दिन-८ : मांडवी आश्रम से लायजा होकर सांधण, सुथरी,
कोठारा, नलिया, जखौ, तेरां होकर वापिस भद्रेश्वर
अथवा भुज दिन-९: भुज अथवा भद्रेश्वर से शंखेश्वर, रात्रि विश्राम
शंखेश्वर दिन-१०: शंखेश्वर से मेहसाणा होकर शेरीसा, पानसर,
अहमदाबाद O राजस्थान - ३ दिन-१: अहमदाबाद से प्रयाण करके हिम्मतनगर,
शामलाजी, डुंगरपुर, केशरियाजी, उदयपुर, रात्रि
विश्राम उदयपुर दिन-२: उदयपुर सिटी देखने लायक स्थान अथवा उदयपुर
से करेडा, चित्तौडगढ़ वापिस उदयपुर (ओपशनल) दिन-३: उदयपुर से आयड, नागहद, एकलिंगजी, पुराना
देलवाडा, राजमगर, देसुरी, सादडी, राणकपुर दिन-४ : राणकपुर, घाणेराव, कीर्तिस्तंभ, मुछाला महावीर,
नांडलाई, नांडोल, वरकाणा, राणी, पाली, रात्रि
विश्राम जोधपुर अथवा कापरडाजी दिन-६ : जोधपुर-कापरडाजी, गंगाणी, रात्रि विश्राम ओसिया दिन-६: ओसियासे फलौदी, रामदेवरा-रेणुजा, पोकरान रात्रि
विश्राम जैसलमेर दिन-७ : जैसलमेर, लोद्रवा, अमरसागर, रात्रि विश्राम
जैसलमेर दिन-८: जैसलमेर, नाकोडाजी, रात्रि विश्राम जालौर दिन-९: जालौर, सांडेराव, फालना, सेवाडी, राता महावीर,
नाणा, रात्रि विश्राम पीन्डवाडा दिन-१०: पीन्डवाडा, बामनवाडा, नान्दिया, शिरोही, आबु रोड
होकर अहमदाबाद (३००/३५० कि.मी.) अथवा दिन-९: जालौर से शिरोही होकर (आबु रोड) होकर माउन्ट
आबु
दिन-१० : देलवाडा दर्शन करके अहमदाबाद
नमो रिहताण नमो सिद्धाणं नमो आयरियाणं नमो उवज्झायाणं नमो लोएसव्वसाहणं एसो पंच नमुक्कारो सव्व पाव पणासणो। मंगलाणं च सव्वेसिं पढमं हवइ मंगलमं।
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________________
नकशे
खंभात
ढांढरनदी
313 नक्शे
दक्षिण गुजरातके जैन तीर्थोकी रूपरेखाए
कावी
गंधार
दहेज
जंबुसर
आमोद,
आछोद
वागरा
गजेरा मासर रोड
नर्मदा नदी
दहेवान
पीडाया
कुराल
उमज
कोबला
सरभाण
दक्षिण
तरफ
वणउरा
सौराष्ट्र
तारापुर
मोला
कारेली
समनी
मुंबई
धर्मज
मालारोड
देरोल
मुवाला
गाम मीयागाम हाडोइ
पाजळापोळे
साधी
A
सुरत
pos
बीलीमोरा वलसाड
बगवाडा
नंदीगाम
बामणगाम
अंकलेश्वर
भरूच
पादरा
नबीपुर
-बोरसद
हुसेपुर
तपोवन अलीपर
टुंकवाडा
गंभी
पालेज
अगास
आंकलाव
नापाड उमेटा
करजण
पेटलाद
वडताल
पोर
सारंग
झणोर
धोळका
निकोरा
शुकल तीर्थ
मातर
राजपीपळा,
1] जगडीया
वडोदरा
वासद
तीलकवाडा
कलीकुंड
डमोइ
परोली
आनंद
नडीयाद
पावागढ
खेडा
अमदावाद
महिसागर नदी
देरोल
बोडेली
नसवाडी
गोधरा
छोटाउदैपुर
(७८१
Page #319
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________________
७८२)
★ गांधीनगर
राजकोट
भावनगर वडोदरा द्वारका
सुरत
राजस्थान
अमदावाद
मुंबई
गोवा
जम्मू-काश्मीर
श्रीनगर
जम्मु
हिमाचल प्रदेश
पंजाब शिमला चंदीगढ
★ जयपुर
हरीयाणा ★ दिल्ही
महाराष्ट्र
कर्णाटक
केराला
अम्बाला
★ भोपाल
बेंगलोर,
आग्रा
राज्य तथा पाटनगर
तामिलनाडु
उत्तर प्रदेश
★ लखनउ
मध्य प्रदेश
-हैद्राबाद
आंध्रप्रदेश
मिद्रास
ओरिसा
पटना
बिहार
राज्य
★ पाटनगर
बंगाळ
यूने वर
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग-२
★ कलकत्ता
• इटानगर
आसाम
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________________
नकशे
जेसलमेर जयपुर
जोधपुर
मुंबई
गोवा
धरमशाला
मुख्य टूरिस्ट स्थान
मनाली
कुलु
शीमला
दिल्ही
आग्रा
हेद्राबाद
बेंगलोर
खजुराओ
मद्रास
वाराणसी
गया'
खठमंडु
कलकत्ता
पुरी
(७८३
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________________
७८४)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग -३
मुख्य रेल्वे लाईन
श्रीनगर
जम्मु
चंदीगढ
जयपुर
लखनउ
पटना
उज्जन
अमदावाद राजकोट
भोपाल
कलकत्ता
मबइ
हैद्राबाद
Aपोंडीचरी
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________________
नकशे
काबुल
भुज
तौरा
जामनगर
जोधपुर.
अमदावाद
(राजकोट
भावनगर
मुंबई
गोवा
श्रीनगर
जयपुर।
उदेपुर'
बेंगलोर
कोइम्बतुर
मुख्य हवाई मार्ग
चंदीगढ
दिल्ही
लखनौ
हैद्राबाद
मद्रास
पटना
रांची
खठमंडु
कलकत्ता
(७८५
Page #323
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________________
७८६)
द्वारका
गीर
जेसलमेर
* जोधपुर जयपुर
माउन्ट आबु उदेपुर
अमदावाद
पालीताणा
हील स्टेशन और मुख्य धार्मिक स्थल
● मुख्य शहर
★ धार्मिक स्थल
4 हील स्टेशन
गोवा
गुलमर्ग पहेलगाम
अमरनाथ
चंदीगढ
पुना महाबलेश्वर
डेलहाउसी
* मांडु
* इलोरा
मुंबई अहमदनगर
★ अजन्टा
सुर
बीजापुर
• इन्दोर
बेंगलोर
कुलु L
शीमला
मनाली'
मसूरी
★ ऋषीकेश
हरीद्वार नैनीताल दिल्ही
31*/ कन्याकुमारी
★ गंगोत्री
कोचीन
1. ★ मदुराइ,
त्रीवेन्द्रम
मथुरा
★ आग्रा लखनउ
भोपाल
तीरूपती
मद्रास पोंडीचरी
4 कोडाइकेनाल
हैद्राबाद
★ अमरावती
बद्रीनाथ
له
खजुराओ
रामेश्वर
अल्हाबाद वाराणसी गया
पटना
* राजगीर
* पुरी
विशाखापटनम
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
कलकत्ता
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________________
नकशे
XDDDDDDDDDDDDDDDD अहमदाबाद माउन्ट आबु उदयपुर रास्ता
जालोर
CC
४०
२९
रामसीन
भीनमाल
पालनपुर
३२.
सीद्वपुर १३ ऊंझा ।
कडी
२४
महेसाणा
४६
१३
कलोल
३६
३४
अमदावाद
१९
गांधीनगर
तारंगदील
मा. आबु २७
२३
३५
२२
७७
विसनगर
खेराला
४६
नरोडा
आबु रोड
१९
दांता
8
सीरोही
अंबाजी
३५
२३
२१ प्रांतीज
पींडवारा
खेडब्रह्मा
२३
इडर
२८
हिमतनगर
३१
४६
३६
६७
मानपुर
सोम
गोगुध
३५
उदेपुर
३७
शामळाजी
18
१७
काकरोली.
४८
केशरीयाजी
नाथद्वारा
डुंगरपुर
अमदावाद से उदेपुर- २१६ Km अमदावाद से आबु रोड-२१२ Km आबु रोड से माउन्ट आबु-२७Km उदेपुर से नाथद्वार- ४७Km
१७
(७८७
DDDDDDDDDDDDDDDDDX
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________________
७८८)
- श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग -३ WELLERGREE-------
मुंबई पनी रास्ता
याणा
कल्याण साबन
२ मुंबई
SY पनवेल उरणERON५०
VISUAto
पिरलोनावाल
८
महाड
Jal
सहाबलेश्वर
गाजी-५९७ Km मल्हापुर-४२३Km महाबलेश्वर-२४ km ला-१७० Km
सांगली
來來來來來來來來來來奥奥來來來來來來來來來來來來來來來來來
मद्रास - बैंगलोर - मैसुर रास्ता
रेड हिल्स
२३३)
७२मदास
बैंगलोर
श्रवण दुगा
बंगारपेट
सरवन बेलगाडा
कांचीपुरम
कोवलम
श्रीरगमपटनम
पटावन गार्डन
सर
शीवासामुदम
विवेन्द्रमा
४१
/पाडीची
मद्रास से बेगलोर-३३१ km मद्रास से मैसुर-४७० km बैंगलोर से मैसुर-१३९ Km
HEREEEEEEEEEEEEEEERSION
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________________
नकशे
CCC
मुंबई - औरंगाबाद - ईलोरा-अजन्ता रास्ता
1AN
0 00000000
जलगांव
धुलीया
ओरनकोल
परोला
पड्र
मालेगाव/
२१/ __अजन्ता गुफा चालीसगांव
अजन्ता
मनर्गुल
/२६नंदगाव
१५८
मनमाड
शीलोड
नासिक
(इलोरा गुफ कुलाम्बरी
EU दौलता बाद २६औरंगाबाद
A
कोपरगाव
घोटी
५० शारडी
తాతాంత్రాంతా రాత్రంతా రాత్రంతా రాత్రంతాంతం
आकोला
(खारडी
विल्सनडेम १८
Joo
AOC JODr
शापुर
भीवंडी
AOO
थाणा २०३२
पनवेल
(अहमदनगर
लोनावाल
५४/
पूना
DO.
मुंबइ से औरंगाबाद-४१८ Km मुंबइ से अजन्टा-४८७Km औरंगाबाद से इलोरा-२८ Km औरंगाबाद से अजन्टा-१०४ Km औरंगाबाद से जलगांव-१४७ Km जलगांव से अजन्ता-६० Km
0
Poor
DNA
2007
6: 08
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________________
७९०)
गुलमर्ग
४६
अनंतनाग,
वैश्वणदेवी
श्रीनगर
जम्मु
अमृतसर
४८
१०७
पठाणकोट,
११२
८३
पहलगाम
RA
८७६ कि.मी.
४४७ कि.मी.
दिल्हीसे श्रीनगर दिल्हीसे अमृतसर दिल्हीसे चंदीगढ़ २३८ कि.मी. दिल्हीसे सीमला ३५२ कि.मी. दिल्हीसे हरद्वार १९९ कि.मी. दिल्ही से मसुरी २९१ कि.मी. दिल्हीसे केदारनाथ ४४९ कि.मी. दिल्लीसे बद्रीनाथ ५०७ कि.मी. दिल्हीसे नैनीताल ३३६ कि.मी. दिल्हीसे जयपुर २६१ कि.मी. दिल्हीसे आग्रा २०३ कि.मी.
जलचर
• डेल हाउसी
११२
५८
लुधीयाना
जयपुर
धरमशाला
११३
२६१
2
४०
अलवर
१७४
६५
दिल्हीसे अगत्यके रास्ते
सीमला
चंदीगढ
अंबाला
कुरूक्षेत्र १४१ ।
पानीपत
८५
दिल्ही
दहेरादुन
३४
११४७
गाजीयाबाद
३७
फतेहपुर सीकी
मुझफरनगर
मसूरी
मथुरा
५६
१३९
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
आग्रा
रामपुर
६५
बरेली
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________________ pomy अहमदाबाद शहर गाव साबरमती सरदारनगर कुबेरनगर) (चांदलोडीया वडाइ शाहीबाग रोड सरकीट हाउस नारणपरा / / कीनानगर डाइवइन रोड 17// असारवा "हठीसीग देरासर // 7 दरीयापुर वस्त्रपर ओढव लाल दरवाजा सेटेलाइट रोड ION आंबावाडी अस.टी. बसस्टेन्ड ओढव रोड सांवली पालडी वासणा कांकरीया तळाव वेजलपुर मणीनगर घोडासर इसानपर सरखेज रोड सरखेज रामोल नारोला गोपालपुरा विन्डोल वटवा वडोदरा रोड RE
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________________ श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - 2 තම්ම්ම්ම්ම්ම්ම් . राष्ट्रीय धोरी मार्ग श्रीनगर चंदीगढ दिल्ही लखनउ (2# गांधीनगर राजकोटाअमदावाद भोपाल कलकत्ता पुना हेद्राबाद बेंगलोर मद्रास
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________________ श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला लाखाबावळ हमारे चित्र प्रकाशन मूल्य रू. 40-00 40-00 40-00 30-00 - 000 40-00 150-00 150-00 60-00 60-00 100-00 4-00 क्रम नाम नारकी चित्रावली (गुजराती) नारकी चित्रावली (हिन्दी) नारकी चित्रावली (अंग्रेजी) सत्कर्म चित्रावली (गुजराती) सत्कर्म चित्रावली (हिन्दी) सत्कर्म चित्रावली (अंग्रेजी) कल्पसूत्र सचित्र (बालबोध) कल्पसूत्र सचित्र (गुजराती)। कल्पसूत्र मूल (बालबोध) कल्पसूत्र मूल (गुजराती) पू. आ. श्री रामचन्द्र सू. म. जीवन दर्शन (चित्रमय) सामायिक सूत्र सचित्र (गुजराती) सामायिक सूत्र सचित्र (अंग्रेजी) श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग-१ (गुजराती) - श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग-२ (गुजराती). 16 - श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग-१ (हिन्दी) 17. श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग-१ (अंग्रेजी) श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग-१-२ (हिन्दी) पहले आप लिखायेंगे तो आपको पि 0 000 रूपये मे ही मिल जायेगें श्री श्वेताम्बर जैन तीर्थ दर्शन Time Hinsaan पहले आप लिखायेंगे तो iIITHAID/-पये मे ही मिल जायेगें 104ato श्रृतज्ञानभवन 45, दिग्विजय प्लोट, जामनगर. 6-00 650-00 800-00 650-00 650-00 19 15- syanmaitrakothetirth.org