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________________ बिहार विभाग श्री मधुवन मंदिरजी BACA aaaaaaa समेतशिखरनी जातरा नित्य करीये, नित्य करीये रे नित्य करीये, नित्य करीये तो दुरित नीहरीये, तरीये संसार ॥समेत ।।१।। शिववधू वरचा आवीया मन रंगे, बीश जिनवर अति उछरंगे, गिरि चढीया चढते रंगे, करवा निजकाज || समेत ॥ २॥ अजितादि वीश जिनेश्वरा वीश ट्रंके, कीधुं अणसण किरिया न चूके; ध्यान शुक्ल हृदयथी न मूके, पाया पद निरवाण । समेत ॥ ३ ॥ शिवसुख भोगी ते थचा जिनराया, भांगे सादि अनंत कहाया; पर पुद्गल संग छोडाया, धन्य धन्य जिनराय ।। समेत ।।४।। तारण तीरथ तेहथी ते कहीये, नित्य तेहनी छायामां रहीये तो सुखिया थईओ, बीजुं शरण न कोय । समेत ॥५॥ ओगणीसें बासठ माघनी वदि जाणो, चतुर्दशी श्रेष्ठ वखाणो; हमे भेट्यो तीरथनो राणो, रंगे गुरुवार ।। समेत ।। ६ ।। उत्तम तीरथ जातरा जे करशे, वली जिन आज्ञा शिर धरशे; कहे वीरजय ते वरशे, मंगल शिवमाल ।। समेत ।।७।। मधुवन से पास का रेल्वे स्टेशन गिरिडीह लगभग २५ कि.मी. है और पार्श्वनाथ ईसरी बाजार लगभग २२ कि.मी. होता है। जहां से बस टेक्सी मिलती है। मधुवन का वस स्टेन्ड धर्मशाला से नजदीक है। गिरिडीह तथा पाश्र्वनाथ ईसरी बाजार में भी स्टेशन से पास में सुविधा युक्त जिनमंदिर तथा धर्मशाला है । श्वेताम्बर धर्मशाला में भोजनशाला भी है। गिरीडिह में एक सुंदर मंदिर है तथा रामबहादुर धनपतसिंहजी द्वारा निर्मित सुंदर विशाल धर्मशाला है। जैन श्वेताम्बर कोठी मु. मधुवन, पो. शिखरजी गिरिडीह (बिहार) तार टेलीफोन ईसरी बाजार, गिरिडीह आज सकल दिन उग्यो हो, श्री सम्मेतशिखर गिरि भेटीयो रे; कांई जाग्या पुण्य अंकुर, भूल अनादिनी भांगी हो; अब जागी समकित वासना रे, कांई प्रगट्यो आनंद पूर ॥ आज ।।१।। विषम पहाडनी झाड़ी हो, नदी आडी ओलंघी घणी रे; कोई ओलंघ्या यह देश, श्री गिरिराजने निरखी हो; मन हरखी दुःखडां विसर्या रे, कांई प्रगट्यो भाव विशेष ॥ आज. ॥२॥ वीसे टुके भगते हो, वली वीसे जिनपतिरे में भेट्या धरी बहु भाव, शामला पासजी हो; तव ध्रुज्या मोहादिक रिपुरे, ओ तीरथ भव जल नाव ।। आज ।। ३ ।। तीरथ सेवा मेवा हो, मुज वो लेवाने धणुं रे, ते पूरण पाम्यो आज त्रण भुवन ठुकराई हो, मुज आई सघली हाथमां रे, कांई सिध्यां सघलां काज || आज ।।४।। आश पास मुज पूरे हो, दुःख चूरे शामलीयो सदा रे; त्रेवीशमो जिनराज, अ प्रभुना पदपदमे सुखसद्य, मुज मन मोहीयुं रे कवि रूपविजय कहे आज । आज ॥५॥
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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