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________________ तीर्थो के यात्रा प्रवास शेरीसा तीर्थ तक यहां से एक भोंयरा है। सं. १९७९ मगसिर वद ५ को पाटीदार मोहल्ले के एक कणबी के घर के पास खोदते निकले हैं। नूतन जिनालय बनवाकर सं. २००२ वै. सुद ३ को पू. शासन सम्राट के पू. आचार्यदेव श्रीमद विजयोदयसूरीश्वरजी महाराजश्री की निश्रा में प्रतिष्ठा हुई थी, धर्मशाला है, भोजनशाला नहीं है । चाणस्मा यहां भटेवा पार्श्वनाथजी का भव्य मंदिर है सं. १३५५ में प्रतिष्ठा हुई है, प्राचीन तीर्थ है वेलु के प्रतिमाजी प्रभावशाली है। यह तीर्थ मेहसाणा हारीजना रोड पर है। चाणस्मा स्टेशन से १ कि.मी. है। धर्मशाला आदि की व्यवस्था है। गांभु- इस गांव का इतिहास विक्रम की ९वीं सदी पहले का है। उसका प्राचीन नाम गांभीरा या गंभूता था । श्री • शीलकाचार्यजी ने आचारांगसूत्र की टीका इसी गांव में १९१९ में की थी। यहां भूगर्भ में से बहुत प्रतिमाजी निकले थे, जिसमें से कितने ही प्रतिमाजी मुंबई, तलाजा, पालीताणा आदि स्थानों पर ले जाये गये हैं। यहां मूलनायक रूप में गंभीरा पार्श्वनाथ अलौकिक हैं। मेहसाणा से १६ कि.मी. दूर है। धर्मशाला आदि की व्यवस्था है । वडनगर यह शहर तीर्थ जैसा प्राचीन है। मेहसाणा-तारंगा रेल्वे लाईन पर स्टेशन का गांव है जैन प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, शहर का नाम अनंदपुर या वृद्धनगर था। कल्पसूत्र की वाचना का प्रारंभ इस शहर में हुआ था। यहां कुमारपाल महाराज ने सं. १२०८ में भव्य किला बनाया था। यहां भव्य पांच जिनालय है । खेरालु से १२ कि.मी. है। धर्मशाला है। भोजनशाला की व्यवस्था नहीं है तारंगा तीर्थ जाते समय रास्ते में यह प्राचीन शहर आता है। वडगाम श्री शंखेश्वर से वीरमगाम आते समय पंचासर के बाद वडगाम तीर्थ आता है। प्रतिमाजी प्राचीन है। रुकने की व्यवस्था है। व्यवस्था दसाडा गांव आदि के श्रावक करते हैं। विजापुर - महुडी जाते समय यह शहर आता है। अभी पू. आचार्य श्रीमद् सुबोधसागरसूरीश्वरजी महाराज के सदुपदेश से हाईवे रोड पर भव्य जिनालय तैयार करवा कर श्री स्फुलिंग पार्श्वनाथ भगवान आदि प्रभु प्रतिमाजीओं की प्रतिष्ठा हुई है। विशाल जगह में गगनचुंबी जिनालय, आलीशान धर्मशाला, भोजनशाला है । आगलोड विजापुर से आगलोड जाबा जाता है। जिनमंदिर के बाद गांव के बाहर श्री माणिभद्रवीर का मंदिर, धर्मशाला आदि है। यात्री अच्छी संख्या में आते हैं। धोलका अहमदाबाद से ३०-३२ कि.मी. के अन्तर से यह तीर्थ आता है। पू. आचार्य श्री विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराजश्री के सदुपदेश से नडियाद बावला हाईवे रोड पर गगनचुंबी भव्य जिनालय, धर्मशाला, भोजनशाला आदि है । सं. २०३८ फा. सुद ३ पू. आचार्यदेवों के वरद हस्तों से प्रतिष्ठा हुई है। - सौराष्ट्र तीयों के पते पत्र व्यवहार के लिए उपयोगी १. पालीताणा - सेठ आणंदजी कल्याणजी की पेढी, तलहटी रोड, श्री जशकोर धर्मशाला, जि. भावनगर, पिन कोड नं. ३६४२७० (सी.) टे. नं. ४८ २. शेत्रुंजी डेम - सेठ जिनदास धरमदास की पेढी पु. शेत्रुंजी डेम, पोस्ट - पालीताणा, जिला भावनगर (सौ.) टे. नं. ११५ ३. श्री हस्तगिरिजी तीर्थ श्री चंद्रोदय चेरेटीज ट्रस्ट मुकाम जालीया (अमराजीना) पो. पालीताणा, जि. भावनगर (सौ.) टे. नं. ६५ ( मुक्तिनिलय धर्मशाला) पालीताणा ४. कदंबगिरिजी - सेठ जिनदास धर्मशाला धार्मिक ट्रस्ट, मुकाम कदम्बगिरि (बुदानो नेस) पोस्ट भंडारीया पिन कोड नं. ३६४०५० ता. पालीताणा, जिला भावनगर (सौराष्ट्र) हे. न. पी.सी.ओ. पालीताणा ५. तालध्वजगिरि श्री तालध्वज जैन श्वे. तीर्थ कमेटी, बाबु की जैन धर्मशाला, जि. भावनगर, मुकाम पोस्ट ऑफिस तलाजा पिन कोड नं. ३६४१४० (सौ.) टे. नं. ३० ६. महुवा - श्री वीशाश्रीमाली तपगच्छीय जैन श्वे. मू. संध मुकाम पोस्ट ऑफिस, तारघर महुवा, जि. भावनगर (सौराष्ट्र) पिन कोड नं. ३६४२९० टे. नं. १७९ ७. दाठा - श्री वीशाश्रीमाली जन महजन मुकाम दाठा, पिन कोड नं. ३६४१३० जिला भावनगर (सौराष्ट्र) तारघर दाठा, टे. नं. २३ और २५ (पी.पी.) " ८. भावनगर सेठ डोसाभाई अभेचंदकी पेटी, ठि. बड़ा मंदिर दरबारगढ़ के पास, भावनगर, पिन कोड नं. ३६४००१ (सौराष्ट्र) टे. नं. ९. घोघा - सेठ काला-मीठा की पेढ़ी, ठि. श्री नवखंडा पार्श्वनाथ जैन मंदिर, पोस्ट आफिस घोघा, पिन कोड नं. ३६४११०, जिला- भावनगर, , टे. नं. ३५ (घोघा ) १०. वल्लभीपुर सेठ जिनदास धरमदास धार्मिक ट्रस्ट, ठि जैन मंदिर पेड़ी, मु. पो. तारघर बल्लभीपुर, जिलाभावनगर, पिन कोड नं. ३६४३१०, टे. नं. ३३ - ११. ऊना (सोरठ) श्री अजाहरा पार्श्वनाथ पंचतीर्थी जैन कारखाना - पेढ़ी, मु. पो. तारघर उना, जिला- जुनागढ़ (सौराष्ट्र) पिनकोड नं. ३६२५६०, टे. नं. २३३ (ऊना) १२. अजाहरा श्री पार्श्वनाथ पंचतीर्थी जैन कारखाना, पेढ़ी मु. अजाहरा, पो. देलवाडा, पिनकोड नं. ३६२५१०, ता. ऊना, जि. जुनागढ़, तारघर देलवाडा (सौराष्ट्र), टे. नं. ३२८ (अजाहरा) (७७५
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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