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________________ ५१०) Connect divanamalo ना श्री कुंथुनाथजी टोंक पादुका श्री सुधर्मा स्वामी पादुका झरिया गांव में रघुनाथ राजा कर लेते उसी प्रकार कतरास के राजा कृष्णसिंह भी कर लेते। रघुनाथपुर गांव से चार मील बाद में चढ़ाई शुरु होती है। पालगंज यहां से तलहटी थी। श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २ श्री चंद्रानन जिन टोंक - पादुका श्री ऋषभदेवजी टोंक पादुका वि. सं. १८०५ मुर्शिदाबाद के सेठ महताबराय ने दिल्ली के बादशाह अहमदशाह द्वारा जगतसेठ का बिरुद मिला और १८०९ में मधुवन, कोठी, जयपार नाला, जलहटी कुंड, पारसनाथ तलहटी ३०१ बीघा जमीन, पारसनाथ पहाड भेंट दिया हुआ है। जगत सेठ ने पं. श्री देवविजय गणिकी निश्रामें जीर्णोद्वार का संकल्प किया और उनके चौथे पुत्र श्री सुगालचंद तथा जेसलमेर आदि के मुनिम श्री मूलचंदजी ने जीर्णोद्धार का काम सौंपा। सं. १८२२ में बादशाह शाहआलम ने महताबरायजी के अवसान के बाद उनके ज्येष्ठ पुत्र खुशालचंद को जगतसेठ की पदवी दी। जगत सेठ स्थान निर्णय न होने पर पं. देव वि. म. की प्रेरणा से अट्टम तप किया और स्वप्न में आया कि जहांजहां केशर के स्वस्तिक हों वह मूल स्थान मानना और वहां स्थान करो। इस प्रकार बीस निर्माण स्थान हुए। चबूतरा तथा देरियां बनाई, स्तूप तथा चरण पादुकाएं सं. १८२५
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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