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________________ ७३८) श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-२ । १. श्री मेंग्लोर बंदर तीर्थ मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी मेंग्लोर जैन मंदिरजी मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी यहां पहले घर मंदिर था शिखरबंधी मंदिर बन जाने पर श्रवण बेलगोला में भी पहाड़ पर किल्ले में प्राचीन दिंगबर का वि.सं. २०४० पोष वदी१को पू. आ. श्री विजय अशोकरत्न मंदिर है। यहां बाहुबली की ५७ फुट की खड़ी प्रतिमा दूर से ही सूरीश्वरजी म. पू. आ. श्री विजय अभयरत्न सूरीश्वरजी म. दिखती है। दिगंबर तीर्थ है , भोजनशाला, धर्मशाला की के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। आरस के पांच प्रतिमाजी है। तेजपाल व्यवस्था है। हर वर्ष मेला लगता है। अन्य लोग भी आते हैं। भाईचंद शाह के वहां ५० वर्ष से श्री शीतलनाथस्वामी का पास के बेलुर, हेडबीड, शीमांगा आदि गावों में दिगंबर प्राचीन घर मंदिर है। मंदिर है। शीमांगा के पास में हुमचा गांव में पद्मावती माता का मद्रास मेंग्लोर तथा बम्बई मेंग्लोर रेल्वे लाईन है। वहां प्राचीन मंदिर है । अन्य लोग भी मानते हैं। धर्मशाला, से कच्छ अहमदाबाद राजकोट आदि के डिब्बे रेल्वे में जुडे भोजनशाला की व्यवस्था है। पास के एनारपुरा में ज्वालामाता हैं। कालिकट से १८५ कि.मी. है। का दिगंबर जैन मंदिर तथा चंद्रप्रभु का दिगंबर जैन प्राचीन मंदिर । मेंग्लोर पास के कारकल, मुडबद्री, धर्मस्थल, वेणुर है। सारा व्यवस्था है। कारकल के पास म वारगगाव मादगबर आदि गांवों में दिगंबरों के प्राचीन तीर्थ है, मेंग्लोर भी दिगंबरों जल मंदिर है। यहां प्राचीन काल में दिगंबर धर्म प्रचलित था। का काशी कहा जाता है। यहां हीरा, पन्ना, माणिक के एकदर दक्षिण भारत में प्राचीन दिगंबर तीर्थ विशेष है। बहत प्राचीन प्रतिमाओं का संग्रहालय है। मडबद्री में ताडपत्रों प्राचीन दिगंबर मंदिर पुरातत्त्व विभाग के पास है। वह बताते है की प्राचीन प्रति का भंडार है। कि अभी दिगंबर जैनों की संख्या घट गई है। दिंगबर जैनों की यहां प्रसिद्धि थी। कारकल गांव में ३९ सब्जी मार्केट क्रोष बंदर बाजार, पिन - ५७५००१ फट के एक ही पत्थर में से कंडारीत बाहुबली की प्रतिमा हैं। RE
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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