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तामिलनाडु विभाग
६. श्री त्रिचीनापल्ली तीर्थ
मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी
मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी
कावेरी नदी के किनारे यह शहर है। मंदिर की प्रतिष्ठा सन् १९६८ फाल्गुन सुदी ३ को हुई है।
त्रिचीनापल्ली जैन मंदिरजी
बड़े बाजार में श्री महावीर स्वामी गृह मंदिर किराये के मकान में था वहां शिखरबंधी मंदिर बना है। मूलनायक श्री पाश्र्वनाथजी विराजे हैं। यहां जैनों के १०० घर हैं। दादावाड़ी में जिनदत्तसूरीश्वरजी म. आदि ३ प्रतिमा है। ठे. दादावाड़ी खाजापेठ त्रिचिनापल्ली ६२०००१ सेलम से ८६ कि.मी. है । मद्रास, मदुराई, बैंगलोर रेल्वे लाइन है। यहां से ३० .कि.मी. चित्त अत्भावासल गांव है। वहां २५०० वर्ष प्राचीन.. मंदिर है जो श्वेताम्बर का था अभी दिगंबर के पास है। तीर्थधाम होगा ? खोदकार्य करते प्रतिमाएं निकलती है।
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मुनिसुव्रत नामे, जे भावि चित्त कामे; सवि संपत्ति पामे, स्वर्गनां सुख जामे; दुगर्ति दुःख पामे, नवि पडे। मोह भामे; सवि कर्म विरामे, जई वसे सिद्धि धामे ॥ १॥
गज लंछन सोहे चरणे, देह कांति कंचन वरणे; विजयानंदन धणुं जीवो, जितशत्रु कुले अजब दीवो; विनिता नगरी वर स्वामी । भवतारक तें तीर्थ स्थाप्यु, भव्य जीवोनुं दुःख काप्युं; मुज तारो जग हित कामी । अहिंसा मंत्रना दातारी, केवल लक्ष्मीना भंडारी,
आपो दान अतंरजामी। सुरेन्द्रो सेवा करे तारी, प्रातिहार्यांनी शोभा न्यारी; अजित प्रभु तारे नहिं खामी । गज-४ अमृत पदवी विभु आपो, भवोभवनां मारां दुःख कापो;
वंदे जिनेन्द्र शिवधामी । गज-५
गज-१
गज - २
गज-३
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