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त्रिगडु - मूलनायक श्री विमलनाथजी
मूलनायक श्री विमलनाथजी
कम्पीलपुर गांव में यह मंदिर है। श्री विमलनाथ प्रभु के गर्भ, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान ऐसे चार कल्याणक यहां हुए हैं। श्री मुनिसुव्रत स्वामी के समय में ईक्ष्वाकु श्री पार्श्वनाथ दीक्षा लेकर केवलज्ञान को प्राप्त हुए हैं । १०वें चक्रवर्ती श्री हरिषेण यहां हो गए राजाद्रुपद की यह राजधानी थी। पांडुपुत्रों ने यहीं द्रौपदी से विवाह किया था वो यहीं दीक्षा लेकर शत्रुंजय पर्वत पर मोक्ष गये हैं ।
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एक अघातिया टीला है जहां श्री विमलनाथ प्रभु केवलज्ञान हुआ ऐसा माना जाता है ।
दक्षिण पांचाल देश की यह राजधानी थी। २० मील का घेराव था । अठारहवीं सदी में श्री सौभाग्यविजयजी ने पटियारी नाम बताया है। भूगर्भ में से निकले अवशेष के अनुसार कह सकते हैं कि यहां पूर्व में बहुत जैन मंदिर थे आज एक श्वेताम्बर एक दिगम्बर मंदिर है। श्वेताम्बर मंदिर की प्रतिष्ठा वि. सं. १९०४ में हुई है। यहां पोष सुदी ६ को मेला लगता है।
पास का रेल्वे स्टेशन कायमगंज १० कि.मी. है जहां बस आदि मिलती है। मंदिर तक कार, बस जाती है । धर्मशाला है। मु. कम्पिल (ता. कायमगंज) जि. फरुखाबाद (उ. प्र. )
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
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बरेली जिले में रामपुरा किले के पास अहिछत्रा तीर्थ है। यहां पार्श्वनाथ प्रभु पर कमठ ने उपसर्ग किया और धरणेन्द्र ने भक्ति की यहां सर्प द्वारा छाया करने से अहिछत्रा नाम पड़ा है।
राजा वसुपाल ने जिनमंदिर बनवाया। छट्ठी सदी में राजा हरिगुप्त ने दीक्षा ली ऐसा उद्योतन सू. म. ने कुवलय माला में बताया है । ई. स. ६३० में ह्वेनसांग चीनी यात्री ने ओहि चिताली नाम बताया है। हेमचंद्र सू. म. ने प्रत्यग्रंथ नाम बताया है। चौदहवीं सदी में जिनप्रभ सू. म. ने यहां पार्श्वनाथजी का मंदिर किले के पास अंबिका देवी की मूर्ति तथा विविध तीर्थकल्प में बताया है । कुशान और गुप्तकालीन प्राचीन स्तूप प्रतिमा स्थंभ मिले हैं। अभी बहुत टेकरी और खंडहर खड़े हैं बरेली जिले में वाया ओवला जो रामपुर किले के पास यह तीर्थ है। श्वेतांबर मंदिर अभी नहीं है।
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