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उत्तर प्रदेश.
मूलनायक श्री संभवनाथजी
ओ संभव जिनवर सेवं भावे, सेना माताजी तात जितारी,
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गुण गातां संतोष न थावे ।
कंचन काया हय लंछन धारी ; पूजतां प्रेमे पातिक जावे ।
अजब गजब प्रभु छोडी माया,
ध्यातां तुजने केई शिव पाया;
अगणित अवदात प्रभुजी तारा,
चौंसठ इन्द्रों सेवा करनारा;
मुजने पण तुज ध्यान ज फावे । ओ-२
भक्ति करतां निर्मल थावे ।
लीधो आसरो प्रभुजी व्हारो, स्वामी थईने दुःख निहारो;
श्री कम्पीलपुर जैन मंदिरजी
त्रिभुवन स्वामी सेवक ध्यावे ।
कहुं हुं प्रभुजी साचे साधुं
मुक्त विना कछु नवि यांच जिनेन्द्र तुजने दिलमां लावे ।
१०. श्री कम्पीलपुर (कांपिलाजी) तीर्थ
ओ.
ओ - १
ओ-३
ओ - ४
ओ - ५
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