________________
५८८)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
१५. श्री मक्सी तीर्थ
श्री चिंतामणी पार्श्वनाथ स्वामी
मक्सी जैन मंदिरजी मूलनायक श्री मक्सी पार्श्वनाथजी
यह तीर्थ मक्सी स्टेशन से १ कि.मी. है। यह प्राचीन मंदिर है। ई.स. पूर्व सातवीं शताब्दी का इतिहास है। भोयरे में से यह मूर्ति निकली है। पास में चिंतामणि पार्श्वनाथ तथा नेमिनाथजी है। तीनों मूर्ति श्याम सुंदर है। मूलनायक गादी में बीच के बदले थोड़े एक तरफ है। ___ ग्यारहवीं सदी में मुहम्मद गजनवी ने अनेक मंदिर मूर्तियों का नाश किया तब यहां भी आए परंतु भयंकर बीमार पड जाने से अनुभव हुआ और मंदिर की प्रतिमा को नहीं तोड़ने का आदेश दिया इतना ही नहीं परन्तु मंदिर के पांच कंगरे भी बंधवाये थे।
संग्राम सोनी वढीयार देश के लालाडा के रहने वाले थे। उन्होंने सं. १४७२ में यह मंदिर बंधवाया था। श्री सोमसुंदर सू. म. के द्वारा प्रतिष्ठा कराई है।
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
संग्राम सोनी का ग्यासुद्धीन बादशाह के साथ मिलाप था। उनके बादशाह ने जैन धर्म के और दुसरे परोपकार के कार्य में बहुत खर्च किया। संग्राम सोनी ने यहां तथा मांडवगढ़, मंदसौर, बृहमंडल सामलिया, धार नगर खेडा चंद्राउबी आदि में मिलकर १० मंदिर बंधवाये हैं।
यहां दिंगबर का विवादथा राजा द्वारा निर्णय हुआ जिससे अपने-अपने समय से पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि इस निर्णय में दिगंबर मंदिर में उस समय श्वेताम्बरों को पूजा करने का बताया है। इस तीर्थ की व्यवस्था सेठ आणंदजी कल्याणजी पेढ़ी अहमदाबाद संभालती है।