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________________ ५७०) 2.5 S मूलनायक श्री गोडी पार्श्वनाथजी चोक बाजार में यह मंदिर है। यह मंदिर बहुत प्राचीन है। मूलनायक के एक तरफ चंद्रप्रभुजी और दूसरी तरफ सुपार्श्वनाथजी विराजमान है । यह मंदिर लगभग २०० - २५० वर्ष पुराना है। यह मंदिर पू. आनंदऋषभजी म. का बनाया हुआ है। इस मंदिर का • जीर्णोद्धार दो बार हो चुका है। अभी आखिरी में पू. श्री समुद्र सू. म. ने जीर्णोद्धार कराया था अंजनशलाका पू. आ. श्री इन्द्रदिन्न सू. महाराज ने कराई थी। गौडी पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिष्ठा में अंजनशलाका हुई थी यहीं श्री आत्मवल्लभ जैन उपाश्रय है दूसरा उपाश्रय बिंदुमलजी ने बनाया है यहां श्वे. मू. के १७ घर हैं। यहां धर्मशाला ४ है। स्थानकवासी के ४०० घर हैं। यहां छोटा हस्तलिखित भंडार है। १. २. ३. ४. ५. यात्रा प्रवास दिल्ली से अंबाला अंबाला से पटियाला पटियाला से लुधियाना लुधियाना से जलंधर जलंधर से जडियाल गुरु ६. स्टेशन से २ कि.मी. है। लुधियाना से मालर कोटला लुधियाना से ४५-५० कि.मी. है। दिल्ली से यह तीर्थ ५० कि.मी. है। हाईवे तथा रेल्वे की व्यवस्था है। ३०० कि.मी. जितना दूर होता है। २० कि.मी. जडियालगुरु से अमृतसर अमृतसर से पट्टी ७. ४५ कि.मी. ८. जलंधर से होशियारपुर ५० कि.मी. ९. पट्टी से जीरा ५० कि.मी. १०. जीरासे लहेरा ३ कि.मी. १९. लुधियाना से मालरकोटला ५० कि.मी. १२. दिल्ली से मालरकोटला ३०० कि.मी. S ६० कि.मी. ५० कि.मी. श्री श्वेतावर जैन ती द भाग २६० कि.मी. ६० कि.मी. ७० कि.मी. 23 गुरु मंदिर जैन बाग में है। जिसकी जमीन २५ बीघा है। जैन श्वे. मू. संघ के पास है । यहां दूसरे एक मंदिर में मूलनायक श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथजी है। आस-पास दो भगवान मुनिसुव्रतनाथ स्वामी है। तथा दूसरा विमलनाथजी का मंदिर है। यह तीनों प्रतिमा श्री विजयानंद सू. म. ( आत्मारामजी) की अपार कृपा से आज से १७ वर्ष पहले सेठ नरशी केशवजी की टोंक में से सिद्धक्षेत्र पालीताणा से आई है। प्रतिमाजी अति सुंदर और चमत्कारी है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार १३ दिसम्बर १९८९ में कराकर आ. श्री इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी म. की निश्रा में प्रधान श्री नेमदास डी. अध्यक्षप में इस मंदिर की प्रतिष्ठा हुई। दिल्ली से कि.मी. अमृतसर अंबाला होशियारपुर लुधियाना पतियाला मालेर कोटला ४४८ २०२ ३८४ ३१९ २४९ २७४ S
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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