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________________ दिल्ली दिल्ली जैन मंदिरजी मूलनायक श्री शांतिनाथजी १. श्री दिल्ली तीर्थ विका दिल्ली जैन मंदिरजी मूलनायक श्री शांतिनाथजी रुपनगर दिल्ली में यह जिन मंदिर है। पास में उपाश्रय तथा धर्मशाला है। नवधरा में श्री सुमतिनाथ मंदिर है। मूलनायकजी की मूर्ति भव्य है। इसके अलावा संभवनाथजी, चिंतामणि पार्श्वनाथजी के मंदिर है। लाला हजारीमलजी जौहरी के वहां दो सुंदर गृह मंदिर है । दो दादावाड़ी तीन जैन धर्मशाला तथा आत्मवल्लभ जैन भवन है। खरतरगच्छ गुर्वावली के अनुसार सं. १२२३ में श्री जिनचंद्रसू. म. दिल्ली के पास पधारे और मदनपाल राजा ने मंत्रियों द्वारा दिल्ली बुलाकर शाही स्वागत किया और चातुर्मास कराया परंतु आचार्यदेव भादवा वदी १४ को कालधर्म प्राप्त हुए उनका स्तूप कुतुबमिनार के पास विद्यमान है। उनके समय में श्री पार्श्वनाथ जिन मंदिर था । सं. १३०५ अषाढ वदी १० श्री जिनलाभ सू.म. ने खरतरगच्छ गुर्वावली के प्रथम अंशकी रचना की थी। बड़ी दादावाड़ी में मणिधारी श्री जिनचंद्रसूरीजी म. सा. के समाधि स्थल के पास सं. १९९० में श्री ऋषभदेव स्वामी का मंदिर बनाया हुआ है। (५७१
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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