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पंजाब विभाग
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
यहां वि. सं. १९४८ में माह सुदी-५ को अंजनशलाका इस मंदिर के उपर एक मंदिर में मूलनायक श्री चौमुखी प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजयानंद सूरीश्वरजी (आत्मारामजी) शांतिनाथ भगवान है। उसके पास में छोटा मंदिर है। उस म. की निश्रा में हुई थी।
मंदिर में महावीर स्वामी की प्रतिमा बहुत ही सुंदर है। यह ___ यह मंदिर सुंदर और शिखरबंदी है। यह मंदिर शीश महल
प्रतिमा स्फटिक मणि की है। के पास आता है। यह प्रतिष्ठा गुलाबराय गुंजलमलजी जैन यहां विजयानंद सूरीश्वरजी म. की बहत संदर प्रतिमा । ने कराई थी। इस मंदिर का निर्माण भी गुलाबलाल है। यह प्रतिमा विजयानंद सूरीश्वरजी म. के जीवन काल गुंजलमलजी जैन ने किया था।
के अन्तर्गत बनी है। ___ इस मंदिर के उपर का गुम्मच सोने का है जिससे ईस होशियारपुर में श्वे. मू. के २५० घर हैं यहां स्थानकवासी मंदिर को स्वर्णमंदिर भी कहा जाता है। जीर्णोद्धार करने का के भी ३०० घर हैं। यहां स्थानकवासी के भी २ उपाश्रय हैं। ट्रस्टी विचार कर रहे हैं। मूलनायकजी के साथ ४ मूर्तियां जलंधर से यह तीर्थ ४० से ५० कि.मी. जितना होता है। है। (१) आदिनाथ (२) महावीर स्वामी (३) पार्श्वनाथजी (४) सुमतिनाथजी। रंग मंडप बहुत ही बड़ा है। इतना बड़ा रंगमंडप कहीं देखने में नहीं आता।
. ९. जीरा तीर्थ ।
ARMAHARAMMAMANAWALI
जीरा जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी