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-पंजाब विभाग
मूलनायक श्री सुपार्श्वनाथजी
वि.सं. १९५२ मगशिर सुद १५ के दिन प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजयानंद सूरीश्वरजी म. ने करवाई थी। प्रतिमाएं १५वीं सदी की है। एक प्रतिमा ११८३ की है। मंदिरकी उंचाई ८१ फुट है। यह मंदिर गंगारामजी दुगड की देखरेख में बना है। ___जीर्णोद्धार ई. स. १९३४ के दिन विनोदभाई एम. दलाल (दिल्ली) और विजयकुमार जैन दुगड (अंबाला) वालों की देखरेख में हुआ था।
अंबाला में श्वे. मू. जैन की बस्ती १०० घर है। ___ इस मंदिर के पहले भी एक प्राचीन मंदिर था जो पूज उत्तमऋषि का था और उसके मूलनायक श्री विमलनाथ,
भगवान थे। पू. उत्तमऋषि विजयानंद सू. म. के सद् उपदेश से प्रभावित होकर उनके ही शिष्य बने और नाम उद्योतविजयजी हुआ। बहुत सी संस्थाओं के साथ पू. विजयानंद सू. म. का नाम जुड़ा हुआ है।
श्री सुपार्श्वनाथजी की मूर्ति विजयानंद सू. म. ने पालीताणा से भिजवाई थी। रेल्वे द्वारा भी जा सकते हैं। स्टेशन से १ कि.मी. है। आत्मानंद जैन सभा - अंबाला देरशी में शाही दवाखाने के सामने जैन उपाश्रय
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२. श्री पटीयाला तीर्थ
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॥श्री मलीनाथजी॥
श्री वासुपज्यजी॥
माश्री पार्श्वनाथजी ।।
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मूलनायक श्रीवासुपूज्य स्वामी मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
बायीं तरफ मल्लिनाथ और दायीं तरफ नेमिनाथ भगवान यहां श्वे. मू. जैन के घर २५ लगभग है। यहां आत्मानंद विराजमान है।
जैन सभा और महावीर संघ ऐसी दो-तीन धर्मशाला है। यहां की प्रतिष्ठा सन् २०६९ विक्रम सं. २००० वर्ष पूज्य ___ यह पटियाला गांव सुंदर है। अंबाला से पटियाला ६० श्रीमद् आ. श्री विजयवल्लभ सू. म. ने की थी।
कि.मी. दूर है। हाईवे रोड है तथा रेल्वे भी है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार संवत २०१३ जेठ मास के दिन श्री श्वे. मू. जैन सभा (मंदिर) आणंदजी कल्याणजी (अहमदाबाद) ने रु. २९२५ देकर अरना - वरना चौक, साइकिल मार्केट के पास, बनाया है।
पटियाला (पंजाब)