SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 97
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-२ ३. श्री लुधीयाना तीर्थ लण्डपाक्वनाथजन मूलनायक श्री कलिकुंड पार्श्वनाथजी लुधियाना जैन मंदिरजी सन्मुख मूलनायक श्री कलिकुंड पार्श्वनाथजी अभी बाजार में १९५० में यह जिन मंदिर बनवाया है। प्रतिष्ठा की तैयारी हुई उसके पूर्व ही पू. आ. विजयानंद सू. आत्मारामजी म. कालधर्म को प्राप्त हुए। इस मंदिर की प्रतिष्ठा १९६८ में चंद्रविजयजी म. ने करवाई थी। पास में उपाश्रय धर्मशाला है। एक मंदिर चोवडा बाजार में है। जहां मूलनायक श्री सुपार्श्वनाथ प्रभु है। जो महेताब ऋषि ने बनवाया है। मंदिर की प्रतिष्ठा हुई उसको १३० वर्ष हुए। १२८३ के धातु के प्रतिमाजी यहां है। लुधियाना में सिविललाईन पर मंदिर आता है। यह मंदिर बना उसको २० वर्ष हुए इस मंदिर की प्रतिष्ठा २० वर्ष पूर्व आचार्य श्री जनकसूरि म. ने की थी। चौथा एक मंदिर सुंदरनगर में आता है। इस मंदिर में मूलनायक श्री शांतिनाथजी है। इस मंदिर की प्रतिष्ठा आचार्य श्री इन्द्रभिन्न सू. म. के उपदेश से सात वर्ष पहले हुई थी। पांचवां श्री पार्श्वनाथजी का मंदिर इन्द्रधन कालोनी में ओसवाल परिवार (अभयकुमार ओसवाल) ने बनवाया था प्रतिष्ठा इन्द्रविजयजी म. द्वारा हुई है। छठां एक मंदिर कियडु नगर में है। उसकी प्रतिष्ठा जनकचंद्र सू. म. और नित्यानंद सू. म. ने दो वर्ष पहले कराई थी। दो बड़े उपाश्रय, आयंबिल भवन है। आयंबिल खाता मंहिमा मंडल चलाती है। स्टेशन से १ कि.मी. है। यहां लुधियानामें जैन की बस्ती १०,००० की है। पटियाला से लुधियाना ७० कि.मी. है। हाईवे रोड है। रेल्वे मार्ग भी है।
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy