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________________ मध्य प्रदेश NE मूलनायक श्री अमीझरा पार्श्वनाथजी यह तीर्थ धार राजगढ़ रोड पर धार से २० कि.मी. रोड से अंदर ३ कि.मी. है। प्राचीन मंदिर है। गांव तक रोड़ जाता है। १०. श्री धार तीर्थ मूलनायक श्री आदिश्वरजी शहर में वाणियावास में यह मंदिर है। दूसरा सुंदर बाजार में श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी का मंदिर है। आदिश्वर आदि ३ प्रतिमा प्राचीन है। पास में दो भव्य प्राचीन विशाल श्याम प्रतिमाएँ हैं। बाजार का मंदिर कांच और पट्टों से भव्य बना हुआ है। जिससे पास में धर्मशाला है। राजगढ़ रोड पर पू. पं. श्री अभ्युदयसागरजी म. की स्वर्गवास भूमि पर ४ कि.मी. भव्य भक्तामर तीर्थ बन रहा है। इंदौर रोड पर इंदौर नाके के पास श्री राजेन्द्र भाई लोढा द्वारा भी सुंदर तीर्थ तुल्य मंदिर बन रहा है। यह नगरी प्राचीन काल की है। यह नगरी पवार वैरिसिंह ९१४ सन् के आसपास बसी हुई है। राजा मुंज और राजा भोज की राजधानी है। कवि धनपाल यहां महाजैन और विद्वान हो गए हैं। श्री सुराचार्य श्री शांति सू. म. आदि ने धाराकी राजसभा में विजय प्राप्त की है। यहां श्री मानतुंग सू. म. ने भक्तामर की रचना की है। मुसलमानों के मुहम्मद तुगलक ने १३२५ में पहाड़ी पर किला बनवाया है। अभी हिंद जिन मंदिर मस्जिद के रूप में है। धार जैन मंदिरजी
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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