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महाराष्ट्र विभाग
आज भी शा. हाथीभाई मलूकचंद के वंश में उनके पौत्र नगरसेठ प्रभुलाल हीरालाल गुजराती समाज में अग्रणी है। वैशाख सुद-६ की ध्वजारोपणविधि हमेशा (वंशवार - सागत) उनके शुभ हाथों से होता है।
सेठ श्री हाथीभाई मलुकचंद द्वारा निर्मित्त श्री संभवनाथ जिनालय आज श्री संघ द्वारा जीर्णोद्धार होते पांच गर्भगृहतीन शिखर-४४ थंभे के साथ ५० फुट की लंबाई वाला तैयार होने पर उसमें सुविशाल गच्छाधिपति पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजय महोदयसूरीश्वरजी महाराज की
आज्ञा से सिंहगर्जना के स्वामी स्व. पू. आचार्यदेव श्री मद् विजय मुक्तिचन्द्रसूरीश्वरजी महाराज के पट्टालंकार पू. आचार्यदेव श्रीमद् विजयजयकुंजरसूरीश्वरजी महाराज तथा पू. आ. श्री विजय मुक्तिप्रभ सूरीश्वरजी महाराज उसी प्रकार पू. मुनिप्रवर श्री श्रेयांसप्रभविजयजी गणिवर आदि मुनिगणकी शुभनिश्रा में नूतन जिनबंबों की अर्जनशलाका कराने के लिए वि. सं. २०५१ मगशिर सुदी५ के शुभ दिन परमात्माओं की प्रतिष्ठा विधि हुई है।
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३९. श्री ईस्लामपुर तीर्थ
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ईस्लामपुर जैन मंदिरजी
श्री वासुपूज्य
भगवान
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी
यह मंदिर गांधी चौक में है। प्रतिष्ठा वि. सं. २००८ जेठ सुदी ५ को पू. आ. श्री विजय नवीनसूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। जीर्णोद्धार में शिखरबंधी हो रहा है। जैन के १३० घर हैं। उपाश्रय पाठशाला, धर्मशाला भोजनशाला है।
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी