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________________ ६४६) 25 मूलनाचक श्री अमीझरा पार्श्वनाथजी 180000 90200 श्री अलोकिक महावीर स्वामी मूलनायक श्री महावीर स्वामी S श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग- २ 2.6 ४०. श्री सांगली तीर्थ सांगली मूलनायक श्री अमीझरा पार्श्वनाथजी वखार भाग में यह मंदिर है। सं. २००५ वैशाख वदी ६ के गिन पू. आ. ( विजय लब्धिसूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। प्रतिमाजी संप्रति महाराज के समय की है। वि. सं. २०३८ में उपर के भाग में श्री कुंथुनाथजी की प्रतिष्ठा हुई है। प्रभुजी को अमी झरने से अमीझरा कहलाते हैं। कांच का मंदिर है। पास में गोडी पार्श्वनाथजी का मंदिर हो रहा है जो १९२० की साल का है परन्तु टूट जाने से जीर्णोद्धार करवा रहे हैं। मंदिरजी में १०८ पार्श्वनाथजी के फोटो हैं। ६९-भ महावीर नगर, वखारभाग पिन ४१६४१६ फोन - ७४११७ सांगली - शिवाजीनगर मूलनायक श्री अलौकिक महावीर स्वामी शिवाजीनगर में यह जिन मंदिर है। प्रतिष्ठा सं. २०४४ महा वदी ७ बुधवार ता. १०-२-१९८८ को पू. आ. श्री विजय भुवनभानु सू. म. के द्वारा हुई है। गोपालदास नारायण दास शाह ने जमीन दी है। चंद्रकांतभाई तथा सुभाषभाई वोरा द्वारा बनवाने का कार्य हुआ है । ५२८ दक्षिण शिवाजीनगर।
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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