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महाराष्ट्र विभाग
मूलनायक श्री धर्मनाथजी भगवान
सांगली - माधवनगर
मूलनायक श्री अमीझरा वासुपूज्य स्वामी
मेन रोड़ पर यह मंदिरजी है। आरस के १३ प्रतिमाजी है। वि. सं. २०२९ पोष सुद ३ ता. ६-१-१९०५ को पू. आ. श्री विजयरामचंद्र सू. म. के शिष्यरत्न पू. आ. श्री विजययशोदेव सू. म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। आयंबिल खाता बराबर चलता है। ता. जि. सांगली (महाराष्ट्र)
"सांगली - रेल्वे स्टेशन जैन मंदिरजी
सांगली रेल्वे स्टेशन
मूलनायक श्री धर्मनाथजी
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रेल्वे स्टेशन के सामने जवाहर सोसायटी में यह मंदिर है। उसकी प्रतिष्ठा सं. २०४५ माह सुदी १३ ता. १८-२-१९८९ को पू. आ. श्री विजय धर्मजीत सूरीश्वरजी म. पू. आ. श्री विजय जयशेखर सू. म. के द्वारा हुई है। मंदिर शिखरबंधी भव्य है।
अकवार बोले वासुपूज्य अबोलडा शाने लीधा छे ? शाने लीधा छे स्वामी शाने लीधा छे ?
उत्तर द्योने दयाला अबोलडा । चंपानगरीमां वास तुमारो, माता जया जयकारा । वसुपूज्य कुल नंदन प्यारा, महिषनुं लंछन सारा। वासव वंदित पाय तुमारा, भवियण कुं आधारा आसन्नभवि तुज दर्शनकालरा, भवना भय हरनारा। तुम नाम अति मंगलकारा, रोग शोक दुःखहारा । बुद्धि आनंद हरख दातारा, पुष्पानुज अतिसारा। कर्पूर सम तुज मुख अति प्यारा। आपे पदामृतहारा । अ.
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