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बंगाल विभाग
मूलनायक श्री आदिनाथजी
यह तीर्थ जियागंज स्टेशन से ३ कि.मी. है। बरहमपुर मार्ग पर नसीपुर गांव में लगभग ३० एकड विशाल सुंदर बगीचे में यह तीर्थ है। दो मील इस विशाल बगीचे में हर वस्तु की निर्माण शैली सुंदर और दर्शनीय है।
वि. सं. १९३३ में बाबु लक्ष्मीपतसिंह ने स्वयं की मातु श्री महेताबकुंवर की प्रेरणा से विशाल उद्यान के बीच इस भव्य मंदिर का निर्माण किया है। प्रतिमा प्राचीन और सुंदर है। बंगाल की पंचतीर्थी में यह एक तीर्थ स्थान है।
जीयागंज जैन मंदिरजी
यह तीर्थ जीयागंज शहर में मुख्य • मार्ग पर ओसवाल पट्टी में है। यह मंदिर १५० वर्ष पुराना है। प्रतिमा प्राचीन है।
३. श्री जीयागंज तीर्थ
बंगाल पंचतीर्थी में यह तीर्थ स्थान है। मुर्शिदाबाद से यहां अनेक जैन श्रेष्ठी आकर बसे थे। जिससे यह स्थान जैन धर्म का तीर्थ बना था और धार्मिक परोपकार की प्रवृत्तियों का स्थान बना था ।
मूल गर्भगृह के बाहर भव्य द्वारपाल हैं। श्री आदिनाथ जैन मंदिर कठगोला पो. नसीपुर राजवारि पिन ७४२१६०. (जि. मुर्शिदाबाद ) महिमापुर
यहां दूसरे तीन मंदिर है। पास के श्री वासुपूज्यस्वामी के मंदिर में हाथ से बनाये हुए प्राचीन बहुत सुंदर चित्र है।
गोला से १ कि.मी. है वहां कुबेरपति श्री जगत सेठ बंगाल के बेताज बादशाह थे। गंगा किनारे यहां जगत सेठ का कसोटी के पत्थर में नक्काशी वाला मंदिर शोभित होता है। गंगा की प्रचंड बाढ़ ने उसको अस्त-व्यस्त कर दिया उसके अवशेष जगतसेठ की भावना और समृद्धि की याद दिलाते हैं 1
मूलनायक श्री विमलनाथजी
जीयागंज रेल्वे स्टेशन से २ कि.मी. है। रिक्शा मिलते हैं मुर्शिदाबाद ४ कि.मी. और बरहमपुर २० कि.मी. है। यहां उतर कर अजीमगंज, महिमापुर और कठगोला मंदिरों के दर्शन करने जाना सुविधाजनक है। यहां का बस स्टेशन कुल्लतुल्ला दो फलांग की दूरी पर है।
ठहरने के लिए श्री वासुपूज्य स्वामी मंदिर के पास धर्मशाला है। वहां भोजनशाला तथा आयंबिल शाला है। तथा भाता भी दिया जाता है।
मु. ओसवाल पट्टी (जि. - मुर्शिदाबाद) पश्चिम बंगाल ।
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