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- श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २
४. श्री अजीमगंज तीर्थ
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
अजीमगंज जैन मंदिरजी मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
यह तीर्थ गांव के मध्य में महाजन पट्टी में है। यह मंदिर १२५ वर्ष पुराना बना हुआ है।
विक्रम की १८ वीं सदी में मुर्शिदाबाद से बहुत से जैन श्रेष्ठी यहाँ आए और यह स्थान आगे बढ़ा। अनेक जैन मंदिर तथा धर्मशाला भी बनवाई। वि.सं. १७५० में पं. सौभाग्य विजयजी म. द्वारा लिखित तीर्थमाला में यहां की समृद्धि और भक्ति का वर्णन है।
यहां के श्रेष्ठियों ने दूसरे स्थानों में भी जिनमंदिर, जीर्णोद्धार तथा धर्मशालाएं बनवाई है। यहां के श्रेष्ठी जागीरदार थे और बाबु के बिरुद को धारण करते थे।
यह तीर्थ बंगाल की पंचतीर्थी में है। रत्नों की प्रतिमाएँ यहाँ उत्तम है। चोरी होने से सुरक्षित स्थान पर रखी हुई है। मंदिर की द्वार शाखा कसोटी के पत्थर में से बनी हुई है। सारे मंदिर कलाकृति वाले हैं। सारे मंदिर दो कि.मी. में आ जाते हैं।
रेल्वे स्टेशन अजीमगंज सीटी है। भागीरथी नदी के किनारे जीयागंज और अजीमगंज बसे हुए हैं।
जीयागंज धर्मशाला है वहां उतरकर नदी पार करके यहाँ आया जाता है। नदी पार करना सरल है। ___ मु. अजीमगंज पिन - ७४२१२२, जि.-मुर्शिदाबाद (पं. बंगाल)
देखी मूर्ति श्री पार्श्व जिननी, नेत्र मारां ठरे छे, ने हैयु मारुं फरी फरी प्रभु ध्यान तारुंधरे छे, आत्मा मारो प्रभु तुझ कने आववा उल्लसे छे, आपो अq बल हृदयमा माहरी आशओछे,
छे प्रतिमा मनोहारिणी दुःखहरी श्री वीरजिणंदनी, • भक्तोने छे सर्वदा सुख करी जाणे खिली चांदनी,
आ प्रतिमा ना गुण भावधरीने जे माणसो गाय छे, पामी सघलां सुख ते जगतमाँ मुक्ति भणी जाय छे,