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________________ ५४८) मारवाडी मंदिर तुला पहि में है मंदिर बड़ा और भव्य है। भवानीपुर में श्री मंदिर है। इस मंदिर की अंजनशलाका प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजय भुवनभानु सूरीश्वरजी म. की निश्रा में हुई है। कार्तिक पूर्णिमा को तुला पट्टी से भव्य दर्शनीय रथयात्राजुलूस निकलता है और वापिस वहीं आता है। यह वरघोडा भारत भर में निकलते वरघोड़ों से विशेष सर्वोत्तम मानने में आता है। समेत शिखरजी की सभी यात्रा दूर इस दिन यहां आते हैं और उनकी योजना में दीपावली पावापुरी की ओर पूर्णिमा कलकत्ता की होती है। यहां कुल ६ मंदिर श्वेताम्बर के हैं। कलकत्ता के हावड़ा स्टेशन से मंदिर ५ कि.मी. है। ठहरने के लिए श्री कुलचंमकीम जैन धर्मशाला ३७ कलाकार स्ट्रीट कलकत्ता ७ है। खानगी भोजनशाला बहुत है। बद्रीनाथ जैन मंदिर है । बद्रीदास टेम्पल स्ट्रीट माणकतला (शाम बाजार) कलकत्ता ७००००४ (पश्चिम बंगाल) यात्रिकों के उतरने के लिए चार स्थल है। (१) बडा बाजार सत्यनारायण पार्क के सामने कुलमदिजी मुकाम की धर्मशाला (२) ९६ केनींग स्ट्रीट गुजरात तपगच्छ जैन उपाश्रय (३) अपर सरक्यूलर रोड पर श्री धनसुखलाल जेठमल जैन धर्मशाला (४) नं. ४४ पर दादावाडी । २. श्री कठगोला तीर्थ कठगोला जैन मंदिरजी श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग २ I कलकत्ता के दूसरे मंदिरों (१) तुलापट्टी दो मंजिल का शिखरबंधी शांतिनाथजी का मंदिर है । (२) बरतला स्ट्रीट के छोर पर ४८ वाले मकान में श्री चुनीबाबुका केशरीया भगवान का घर मंदिर है। (३) ९६ केनींग स्ट्रीट में गगनचुंबी देवविमान सदृश श्री बहविक्रम प्रासाद श्री महावीर स्वामी का मंदिर है २००९ में पू. आ. श्री विजयरामचंद्र सूरीश्वरजी म. ने जेठ मास में प्रतिष्ठा की है। (४) धर्मतला में इन्डियन अपर स्ट्रीट नं, ९६ में कुमार होल में श्री आदिनाथ भगवान का घुमटीवाला सुंदर मंदिर है। यहां बाबु पुरणमदजी नहाट का विशाल पुस्तकालय है जिसमें पुराने लेख, ताडपत्र, चित्रपट्ट, सिक्के, शास्त्र आदि विपुल संख्या में है । (५) श्यामबाजार में अपर सरक्यूवर रोड पर मुकीम जैन टेम्पल गार्डन में तीन मंदिर है। एक में श्री पार्श्वनाथजी है। तालाब की पास में महावीर स्वामी पंचायती मंदिर है । (६) राय बद्रीदासजी मुकीम द्वारा बनवाया शीतलनाथ मंदिर रमणीय है। मंदिर की मीनाकारी, चोक की पुतलियां, फरसबंधी तालाब, लीलावाडी दो ऐरावत हाथी वहां अद्भुत है। (७) पास में कपूरचंदजी भोला बाबु का चंद्रप्रभ स्वामी का मनोहर मंदिर है। (८) बाबु हरखमदजी कांकरीया का सातवीं मंजिल पर भव्य मंदिर रसल स्ट्रीट में है। मूलनायक श्री आदिनाथजी
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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