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________________ ७०८) 100 ५. श्री विजयवाडा तीर्थ मूलवाचक श्री संभवनाथजी ६. मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी यह मंदिर १७ वीं सदी का है। जीर्णोद्धार ता. ७-११९४१ में बना है। आरस के तीन प्रतिमाजी है। पास में सप्तफणा श्री पार्श्वनाथ की मंदिर है। उसमें ५ प्रतिमाजी है। जैनों के १०० घर एक हजार संख्या है । विजयवाडा मसुली पट्टनम मार्ग में यह तीर्थ आया है । भीमावरम रेल्वे स्टेशन है। जि. किष्णा ता. गुडीवाला ५२१ ३०१ श्री गुडीवाडा तीर्थ - श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग- २ 30 BRE JAIN SWETHAMBAR TEMPLE శ్రీశ్రీ ంబర్ దేవాలయం जैन जनवाडा विजयवाडा जैन मंदिरजी मूलनायक श्री संभवनाथजी सं. १८९६ में मंदिर बना वि. सं. १९५५ में विस्तार किया और पू. पं. माणिक्य विजयजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा सं. १९५५ फाल्गुन सुद ५ को हुई है। यहां ३०० घर है । कुल जैनों के १५ हजार घर है। राजस्थानी की संख्या ज्यादा है। कुलपाकजी तीर्थ से २३० कि.मी. है। मुंबई हावड़ा रेल्वे हैं केनाल रोड ५२०००१ 1 गुन्टुर जिले में स्टेशन गुन्दुर से २५ कि.मी. श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी का अमरावती तीर्थ धर्मशाला भोजनशाला के साथ है। भीमावरम् से ४ कि.मी. पेदाअमीरम गांव में श्री विमलनाथजी जैन मंदिर है। जो ६० वर्ष पहले जमीन में से निकले हैं। २०२१ में प्रतिष्ठा हुई है। प्रतिमा एक हजार वर्ष प्राचीन गिनी जाती है। चैत्र पूर्णिमा को मेला लगता है। धर्मशाला, भोजनशाला है।
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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