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________________ ५१२) क मे २०० श्री गोडी या Hemansrats fomes श्री मल्लिनाथजी टोंक पादुका श्री सुविधिनाथजी टोंक - पादुका प्रथम भोमियाजी मंदिर में श्रीफल चढ़ाकर आगे जाते हैं। २ मील चलने पर गंधर्व नाला आता है। वहां हमेशा पानी रहता है। यहीं एक श्वेताम्बर धर्मशाला है। वहां गरम पानी की व्यवस्था रहती है। यात्री यात्रा कर वापिस यहां आते हैं तब कोठी की तरफ से भाता मिलता है। यहां से चढ़ाई कुछ कठिन है। थोड़ा जाने पर दो रास्ते आते हैं। बायें रास्ते श्री गौतम स्वामीजी की टुंक होकर श् श्री श्वेतांवर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २ LOO श्री श्रे श्री श्रेयांसनाथजी टोंक - पादुका 1 जलमंदिर जा सकते हैं और दायें हाथ पर डाक बंगला होकर श्री पार्श्वनाथजी टोंक पर पहुंच सकते हैं। परंतु चढ़ाई के समय जलमंदिर और आते समय पार्श्वनाथ टोंक होकर जाना अनुकूल पडता है। जलमंदिर के मार्ग पर आधा मील जाने पर कलकलमनोहर आवाज करता सीतानाला आता है। आगे जाते चढ़ाई आधी है परन्तु वह सरल हो सके इसलिए ५०० सीढ़ियां बनाई है। ढाई मील जितना चढ़ने पर तीर्थंकर भगवंत के निर्वाण स्थानो पर निर्मित टुंकों के दर्शन होते हैं। कितनी ही टोंके समतल में है व कितनी ही टोंके टेकरीयों के उपर है। (१) पहली टोंक लब्धि के भंडार श्री गौतम स्वामी की है । उनका निर्वाण राजगृही या गुणीयाजी है यहां चरण स्थापित किये हैं। (२) आगे जाते दूसरी टोंक सतरहवें श्री कुंथुनाथजी भगवान की है चैत्र वद पडवा के दिन एक हजार मुनियों के साथ भगवान यहां निर्वाण को प्राप्त हुए हैं। (३) आगे तीसरी टोंक श्री ऋषभानन जिन की है। (४) चौथी टोंक श्री चंद्रानन जिनकी है।
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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