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________________ ६७४) श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २ ६०. श्री अगासी तीर्थ अगासी तीर्थ जैन मंदिरजी hd अगासी तीर्थ मूलनायक : श्री मुनिसुव्रत स्वामी यह तीर्थ दरिया किनारे है। इस तीर्थ की प्राचीनता श्रीपाल महाराज की साधना के साथ है । सोपारक नगर जो नाला सोपारा कहा जाता है वह पास में है। सेठ मोतीशा के वाहन समुद्र में अटक गये थे और यहां निर्विध्न निकलने से उनके वाहन जहां निकले वहां यह जिनमंदिर बनवाया है। विरार स्टेशन से ६ कि.मी. है। धर्मशाला भोजनशाला की व्यवस्था है। अगासी तीर्थ समवशरण मंदिर मूलनायक श्री शंखेश्वरा पार्श्वनाथजी यह मंदिर चाल पेठ रोड पर पार्श्वनगर में बना है। पू. आ. श्री विजय दक्षसूरीश्वरजी म. द्वारा वि. सं. २०४६ वैशाख सुद-६ ता. ३०-४-१९९० को प्रतिष्ठा हुई है। यह समवशरण आकार मंदिर है। कार्य चालू है। (जि. थाणा) पिन - ४०१३०१ धर्मशाला, भोजनशाला की व्यवस्था है। यहां से शिरसाल-महावीर १५ कि.मी. तथा आदिश्वर धाम १९ कि.मी. व्हाया विरार। ६१. श्री लोनावाला तीर्थ L CouTIOCTOR OWO TWOOD (CONFUSION मूलनायक श्री शांतिनाथजी ई बोर्ड में यह मंदिर है। वि. सं. १९५२ माह सुदी ५ की प्रतिष्ठा हुई है। जीर्णोद्धार चालु है। १०० घर है। यहां धातु के तीन प्रतिमाजी मिले हैं। ३०० वर्ष पुराने हैं। लोनावाला (पुना) ४१० ४०१ पास में वलवणमें चंद्रप्रभुजी का मंदिर है। खंडाला तथा पांच बंगले में श्री शांतिनाथजी का मंदिर है। TITUTOD CROMANIA TOTTONDA
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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