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________________ ६९०) 4031 શ્રીનમિનાથ ભગવાન मूलनायक श्री नमिनाथजी "अक्षय तृतीया " श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग पायधुनी श्री नमिनाथजी मंदिर मूलनायक श्री नमिनाथजी यह मंदिर पायधुनी भींडीबाजार के किनारे बनाया हुआ है। दूसरी मंजिल पर आदिश्वरजी है। २० आरस के प्रतिमाजी है। प्रतिष्ठा वि. सं. १९४० में मगशिर सुदी ११ ता. ११-१२-१८९१ को हुई है। सौ वर्ष से ज्यादा इस मंदिर को हुए हैं। प्रतिमा ८०० वर्ष पुराने है। पायधुनी १ कि.मी. एरिया में ५ मंदिर है । मोरबी के श्रीमती दीवालीबेन को संतान न होने का आप था उनको संतान न होने पर उनको परमात्मा की भक्ति रूप प्रवृत्ति स्वयं की मानकर यह मंदिर तीन मंजिल का ९० हजार खर्च करके बनाया था और संघ को अर्पित किया था । जिससे आज भी सौराष्ट्र का हालार झालावाड के व्यवस्थापक ट्रस्टी होते हैं। मुंबई बम कांड में बाहर के भाग को नुकसान होने से जीर्णोद्धार चालू है। पीछे के भाग में ३५०० फुट का विशाल उपाश्रय बिना पिल्लर वाला हवा प्रकाश वाला है । ३७९, इब्राहीम रहीमतुला रोड, भींडी बाजार के नाके, मुंबई-३ फोन- ३४३२७५५ सम्मेतशिखर जिन वंदीये, म्होटुं तीरथ ओह रे; पार पमाडे भव तणो, तीरथ कहिये तेह रे ।। स ।। १॥ अजितधी सुमति जिणंद लगे. सहस मुनि परिवार रे; पद्मप्रभ शिव-सुख वर्या, त्रणसे अड अणगार रे ।। स ।। २॥ पांचशे मुनि परिवारशुं, श्री सुपास जिणंद रे; चंद्रप्रभ श्रेयांस लगे, साथै सहस मुणिंद रे ।। स ।।।। छ हजार मुनिराज, विमल जिनेश्वर सिद्धा रे; सात सहसशुं चौदमा, निज कारज वर कीधा रे ॥स ॥४॥ अकसो आठ धर्मजी, नवसेशं शांति नाथ रे कुंधु अर अक महशुं साचो शिवपुर साथ रे ॥स ॥५॥ मल्लिनाथ शत पांचशुं मुनि नमि अक हजार रे; तेत्रीश मुनि बुत पाशजी वरिया शिवमुख सार रे || स ||६|| सत्तावीश सहस त्रणशें, उपर ओगणपचास रे; जिन परिकर बीजा केई, पाम्या शिवपुर वास रे ।। स ।।७।। ओ वीशे जिन अणे गिरि, सिद्धा अनस लेईरे पराविजय कहे प्रणमीओ, पास शामल चेईरे ॥ सम्मेत. ॥८॥ ,
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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