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महाराष्ट्र विभाग WEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEER
। ४४. श्री कोल्हापुर तीर्थ
कोल्हापुर - लक्ष्मीपुरी मूलनायक श्री मुनिसुव्रतस्वामीजी इस मंदिर की प्रतिष्ठा अर्जनशलाका ऐतिहासिक थी और पू.आ. श्री विजय रामचंद्र सूरीश्वरजी म. की निश्रा में हुई थी। प्रतिष्ठा सं. १९९७ फाल्गुन सुदी ३ को हुई थी। आरस. के १५ और धातु के १० प्रतिमाजी है। आयंबिलशाला, उपाश्रय, पाठशाला और ज्ञान भंडार है। पिन - ४१६ ००२
कोल्हापुर - गुर्जरी मूलनायक श्री संभवनाथजी
५-D गुर्जरी में यह मंदिर है। सं. २०८८ फाल्गुन सदी १० जीर्णोद्धार कराकर पू. आ. श्री विजय लक्ष्मण सूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। ६० वर्ष पुराना जैन मंदिर है। प्रतिमाजी ९ है।
कोल्हापुर-शाहुपुरी मूलनायक श्री शांतिनाथजी
यहां घर मंदिर तीन जगह बदला फिर यह भव्य मंदिर बना अभी सं. २०४१ वैशाख वदी ६ ता. ९-५-१९५८ को पू. गणिवर श्री मुक्तिविजयजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है।
६ प्रतिमाजी है। पाठशाला, उपाश्रय, आयंबिलशाला है। मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी - लक्ष्मीपुरी
पिन - ४१६ ००१
कोल्हापुर कर्नाटक की बोर्डर के पास है। निपाणी बावन जिनालय ४० कि.मी. आगे चौमुखजी २० कि.मी., सोलापुर श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथजी मंदिर १० कि.मी., मुरगुड श्री महावीर स्वामी मंदिर ३५ कि.मी. गडीगलय श्री महावीर स्वामी मंदिर ४५ कि.मी. कर्नाटक में है। पास के मंदिर कणण, खडकण, बोडीगुणा एक जैसे हैं।
यहां पू. आ. श्री विजय धर्मजीत सूरीश्वरजी म. कालधर्म को प्राप्त हुए वहां दो मंजिल का गुरु मंदिर बनवाया है।
श्री पद्मप्रभुजी और श्री सुपार्श्वनाथजी के गर्भगृह में प्राचीन प्रतिमाजी है यहां से थोडी दर खोदते जमीन में से निकले हैं। पू. मु. श्री ललित विजयजी म. की इस मंदिर के लिए प्रेरणा थी।
सांगलीरोड (शरोडी) वडगांव, कुंभोजगिरि, ईचल तथा अलग रास्ते पर जगवल्लभ पार्श्वनाथजी, जयसिंगपुर,
कुसंदवाड और मीरज जा सकते हैं। माहपुर शाहपुरी जैन मंदिरजी -RELETERIENCELETELEELA