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घोलेराबंध
(७५७
घोलेरा बंध (जी. अमदावाद)
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ऋषभ जिनराज मुज आजि दिन अति भलो, गुण नीलो जेणे तुज नयण दीठो; दुःखटल्यां सुख मल्यां स्वामी तुज निरखतां, सुकृत संचय हुओ पाप नीठो। ऋषभ कल्पशाखी फल्यो कामघाट मुज मिल्यो, आंगणे अमीयना मेह वूठा; मुज महीराण महीभाण तुज दर्शने, क्षय गया कुमति अंधार जुठा।
ऋषभ. कवण नर कनक मणि छोडी तृण संग्रहे, कवण कुंजर तजी कल्पतरु बाउले, तुज तजी अवर सुर कोण सेवे, ऋषभ. ओक मुज टेक सुविवेक साहिब सदा, तुज विना देव दूजे नईहुं; तुज वचनरागसुख सागरे झीलतो, कर्मभर धर्म थकी हुं न बीहुँ।
ऋषभ. कोडी छे दास विभु ताहरे भल भला, माहरे देव तुं ओक प्यारो;
मूलनायक श्री ऋषभदेवजी
લોક શો -
तीर्थ पट
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श्री कापरडा महातीर्थ
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