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आंध्र प्रदेश
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३. श्री सीकंद्राबाद तीर्थ
मूलनायक श्री आदिनाथजी
कुलपाकजी जैन मंदिरजी - व्यू
५. सिकंदराबाद
मूलनायक श्री आदिनाथजी
यह मंदिर १५० वर्ष प्राचीन है। प्रतिमाजी १६वीं सदी के हैं हैदराबाद से पास में है। विशाल सरोवर है। दूसरी तरफ यह सिकंदराबाद शहर है।
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वि. सं. १९६९ में यति श्री बुधमलजीके प्रयास से जीर्णोद्धार के समय बहुत प्रतिमाजी प्राप्त हुए हैं आरस के ९ प्रतिमाजी यहां है। कंचन बाजार (जि. हैदराबाद)
सिकंदराबाद के दूसरे दो मंदिर
(१) श्री कुंथुनाथजी मंदिर - महात्मा गांधी रोड पर है। इस मंदिर का शीलास्थापन वि. सं. २०२२ में पू. आ. श्री विजयभद्रंकर सूरीश्वरजी म. की निश्रा में हुआ था । और सं. २०२६ में अंजनशलाका प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजयभुवनतिलक सूरीश्वरजी म. पू. आ. श्री विजय जयंतसूरीश्वरजी म. आदि की निश्रा में हुई थी ।
४. श्री कुलपाकजी तीर्थ
(२) श्री नमिनाथ जिन मंदिर जैनों की संख्या बढ़ते डी.वी. कालोनी में यह नवीन जिनालय बना जिसकी प्रतिष्ठा वि. सं. २०४७ में पू. आ. श्री विजयराजयश सूरीश्वरजी म. की निश्रा में हुई है। हैदराबाद में ६ और सिकन्दराबाद में ३ मंदिर कुल ९ मंदिर है।
श्रेयांस जिनवर भावे पूजीने,
वरीये शिव वरमाल रे। जिनजी अमर तपो । सिंहपुरीनो रुडो ओ राजा, माता विणुनो बाल रे । जन्मथी जेहने चार अतिशय छे, ओ छे दीनदयाल रे । मोक्षपुरीना ओह छे स्वामी, जाणे छे भाव त्रिकाल रे। साकरथी मीठी वाणी छे जेहनी,
भवि जीवना रखवाल रे । विष्णु राजानो लाडकवायो, भांगे भव जंजाल रे । गुण अमृत धारे त्रिजग स्वामी,
वंदे जिनेन्द्र त्रिकाल रे ।
जिनजी-१ जिनजी-२
जिनजी ३
जिनजी-४ जिनजी-५
जिनजी-६
(७०५
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