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________________ तामिलनाडु विभाग (७२३ पद्मावती देवी रेडहील्स मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी-रेडहील्स मदास - मिन्ट स्ट्रीट मूलनायक श्री चंद्रप्रभ स्वामी यहां प्राचीन घर मंदिर था। अब विशाल घर मंदिर बन रहा है। मूलनायक श्री चंद्रप्रभ स्वामी प्राचीन है उसकी प्रतिष्ठा २०५० में पू. आ. श्री विजकलापूर्ण सूरीश्वरजी म. की निश्रा में हुई है। साहकार पेठ विस्तार मिन्ट स्ट्रीट रेल्वे स्टेशन के पास, मद्रास-६०० ०७९ मदास - केशरवाडी पुडल तीर्थ मूलनायक श्री आदिनाथजी यह तीर्थ प्राचीन है। प्रतिमाजी २००० वर्ष पुराने है उपर शिखर में श्री पार्श्वनाथजी की प्रतिमा है। प्रायः जीर्णोद्धार होता रहता है। आखिरी सं. २०१९ वैशाख सुदी १३ को जीर्णोद्धार हुआ है । आखिरी प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजयपूर्णानंदसूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। यहां धर्मशाला, भोजनशाला की निःशुल्क व्यवस्था है। मंदिर के सामने चार गुरु मंदिर है। जिसका संचालन जिनदत्तसूरि दादावाड़ी ट्रस्ट करता है। मद्रास से १८ कि.मी. है। कार्तिक-चैत्री पुनम तथा आखातीज को मेला भरता है। इस तीर्थ में श्री रिखबदासजी महात्मा ने साधना स्थान बना कर तीर्थ का विकास किया है। लाल मिट्टी की टेकरीयां होने से पास के गांव को रेड हिल्स कहते हैं। वह २ कि.मी. है। मद्रास से ७० कि.मी. है। ____ कांचीपुरम् व जिनकांची था वहां प्राचीन दिगंबर मंदिर कहा जाता है। प्राचीन है ऐसा देखने से प्रतीत होता है। उस समय में यहां जैन धर्म की महत्ता कितनी होगी वह दक्षिण में श्री भद्रबाहुस्वामीजी, श्री स्थूलभद्रजी, श्री वज्रस्वामीजी आदि ने स्थिरता पूर्व काल में की है। श्री आदिनाथ जैन श्वे. मंदिर पेढी केशरवाडी रेडहील्स पुडलतीर्थ पोलालगांव, मद्रास - ६०० ०६६ फोन - ६२१८२९२ जात्रा नवाणुं करीओ, विमलगिरि, जात्रा नवाणुं करीओ। पूरव नवाणुंवार शेजागिरि, ऋषभजिणंद समोसरीओ। वि-१ कोडि सहस भव पातिक तुटे, शेर्बुजा सामु डग भरीओ। वि-२ सात छठ्ठ होय अट्टम तपस्करी चढीओ गिरिवरीओ। वि-३ पुंडरीक पद जपीओ मन हरखे, अध्यवसाय शुभ धरीओ। वि-४ पापी अभवि नजरे न देखे, हिंसक पण उद्धरीओ। वि-५ भूमि संथारो ने नारी तणो संग, दूर थकी परिहरीओ। वि-६ सचित्त परिहारी ने अकल आहारी, गुरु साथे पद चरीओ। वि-७ पडिक्कमणा दोय विधि शुं करीओ, पाप पडल विखरीओ। वि-८ कलिकाले ओ तीरथ म्होटुं, प्रवहण जिम भव दरीओ।। वि-९ उत्तम ओ गिरिवर सेवंतां, पद्म कहे भव तरीओ। वि-१०
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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