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महाराष्ट्र विभाग
८. श्री अमलनेर तीर्थ
अमलनेर जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री शामलिया पार्श्वनाथजी
मूलनायक प्राचीन गिरुवा पार्श्वनाथजी का घर मंदिर था बाद में तीन मंजिल का भव्य जिनालय बना जिसमें गिरुवा पार्श्वनाथजी उपर के भाग में है। प्रतिष्ठा सं. २००७ वैशाख सुदी ७ को महाराष्ट्र केशरी पू. आ. श्री विजययशोदेवसूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। आरस के प्रतिमाजी २६ तीन गर्भगृह में ६ बाहर है। तथा धातु के ६५ प्रतिमाजी है । ४ प्रतिमा आरस के हैं।
सोसायटी में शीतलनाथजी मंदिर है। उसकी प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजयरामचंद्र सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है । उस समय २६ दीक्षाएँ हुई हैं। प्रसिद्ध नेमिचंद मिश्रीमलजी कोठारी के कुटुंबमें से १२ दीक्षाएं हुई है जिसमें महाराष्ट्र खानदेशरत्न नेमिचंदजी ने नंदीश्वरविजयजी के रुप में दीक्षा
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भी है।
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
यहां सेठ हरभम नरशी नाथा के यहां ३०० वर्ष से घर मंदिर था। प्रतिमाजी मूलनायक है। जो २३०० वर्ष पुरानी श्रीलंका से लाई सं. १९८७ में यति श्री गुणचंदजी तथा क्षमानंदजी की निश्रा में प्रतिष्ठा हुई है। आरस की प्रतिमा ६ है जैनों के १०० घर ६०० की संख्या है।
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९. श्री पारोला तीर्थ
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मूलनायक श्री श्यामलीया पार्श्वनाथजी
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भोजनशाला, अतिथिगृह, महाजनवाडी है 'धुलिया से २८ कि.मी. अमलनेर से १८ कि.मी. है। अमलनेर ताप्ती रेल्वे का स्टेशन है। कच्छी दशा ओसवाल श्वे. मू. पू. जैन संघ अचलगच्छीय श्री शांतिनाथ जैन मंदिर जि.65 जलगांव, पिन - ४२५१११ भ
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