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महाराष्ट्र विभाग HOO KO KO
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(६३१ ON:
मूलनायक श्री चंद्रप्रभस्वामी
इस मंदिर की वि. सं. १९५० फा. सुद ३ को प्रतिष्ठा हुई है। श्री हीरालाल किशनचंद्र फतेहपुरिया (दुगड) ने यह मंदिर बनवाया है। आरस के ५ प्रतिमाजी है धातु के चौमुखजी हैं। केशर अखंड ज्योति चालू है। जैनों के श्वे. ३५ घर है। हिंगणघाट से ४०कि.मी. है। दिल्ली, मद्रास रेल्वे, मुंबई हावड़ा रेल्वे मद्रास वाराणसी रेल्वे स्टेशन है। जि. वर्धा, पिन - ४०२ ००१ व्यवस्थापक - चंपालाल पन्नालाल फतेहपुरिया। एडव्होकेट- वर्धा ।
वर्धा से ६८ कि.मी. यवतमाल में २०४७ में वैशाख सुद ३ को महावीर स्वामी मंदिर हुआ है। रतिलाल भाई के वहां घर मंदिर है।
धन्य श्री वीर प्रभु प्यारा दयानो डंको देनारा
डंको देनारा स्वामी हिंसा हणनारा। धन्यक्षत्रिय कुंडमां जन्म तुमारा, सिंह लंछन जयकारा। दयानो-१ त्रिशला माताना नंदन प्यारा, जीव जीवन आधारा। दयानो-२ राय सिद्धारथ कुल शणगारा, सर्वनुं हित करनारा। दयानो-३ सकल वीरोंमें तुं महावीरा, कर्म रिपु हणनारा। दयानो-४ बुद्धिआणंदने हर्ष देनार, ज्ञानपुष्प भंडारा। दयानो-५ कर्पूर सम निर्मल गुंधारा, आपो पदामृत सारा। दयानो-६
२६. श्री दारव्हा तीर्थ
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दारव्हा जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री नेमिनाथजी जीर्णोद्धार हुआ बाद में वि.सं. १९६७ वैशाख सुदी ११ को मंदिर की प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजयगंभीर सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। बाहर देहरी में ऋषभदेवजी प्रभुकीपादुका है आरस के ७ प्रतिमाजी है। ४० जैनों के घर २२० संख्या है श्री वीर विजयजी म. का पूरे परिवार में ८ सदस्यों ने दीक्षा ली है। कुल १३ दीक्षा यहां हुई है। मूर्तिजापुर यवतमाल रेल्वे है। जि. - यवतमाल पिन - ४४५२०२।
मूलनायक श्री नेमिनाथजी