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________________ बिहार विभाग (९) श्री क्षत्रियकुंड तीर्थ मूलनायक श्रीमहावीर स्वामी क्षत्रियकुंड पो. लछवाड़ (जि. मुंगेर) बिहार इस तीर्थ का इतिहास प्रभु महावीर के समय से है। प्रभु महावीर का ब्राह्मणकुंड ग्राम से गर्भहरण कर इस क्षत्रियकुंड ग्राम में श्री त्रिशलादेवी की कुक्षी में रखा गया था। क्षत्रियकुंड भगवान महावीर की जन्मभूमि है। श्री कल्पसूत्र में, उसका वर्णन है। प्राधानाचार्य गुर्वावली (१३५२), जिनोदयसूरिजी विज्ञप्ति महालेख (१५ वीं सदी), श्री जिनवर्धन सू. रचित पूर्व देश चैत्य परिपाटी (१४६७), तथा उ. जयसागरजी रचित दशवेकालिक टीका (१६ वीं सदी), तीर्थमाला (जिनप्रभसू), श्री तीर्थमाला हंश सोम वि. सं. (१५६५), श्री तीर्थवर्णन (१८ वीं सदी) शिवविजयजी, श्री तीर्थमाला (सौभाग्यविजयजी) (१९७५) आदि में वर्णन है । क्षत्रियकुंड के पास में खंडहर है वह कुमारग्राम, ब्राह्मणकुंड ग्राम, मोराक सन्निवेश आदि प्राचीन स्थलों की स्मृति कराता है। पहाड़ पर एक मंदिर है। जीर्णोद्धार चालु है। उपर स्नान पूजा की व्यवस्था है। तथा तलहटी में दो मंदिर है। गर्भ कल्याणक मंदिर तथा दीक्षा कल्याणक मंदिर के नाम से जाना जाता है। प्रभु महावीर का गर्भ, जन्म और दीक्षा यह तीन कल्याणक की पवित्र भूमि है । राजगृही पहला पहाड़ मुनिसुव्रत स्वामी मंदिर राजगृही पहला पहाड़ पास के रेल्वे स्टेशन लखीसराय, जमुई तथा कियुल है । तीनों से लछवाड ३०-३० कि.मी. जितना होता है। लछवाड से बस, टेक्सी मिलती है। सिकंदरा से लछवाड १० कि.मी. लवाड से तलहटी (कुंडघाट) ५ कि.मी. और तलहटी से क्षत्रियकुंड ५ कि.मी. है। लछवाड में धर्मशाला है। वहां से तलहटी तक कच्ची सड़क है। पेढ़ी में से ट्रेक्टर में जाने का पास लेकर तलहटीमें जा सकते हैं और डोली के लिए वजन के अनुसार भाव होने से वजन कराकर स्लिप लेकर निकलना उपर की चढ़ाई ५ कि.मी. चलकर चढ़ने का होता है। ९. श्री राजगृही ( पंचपहाड ) तीर्थ मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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