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महाराष्ट्र विभाग
मूलनायक श्री चंद्रप्रभुजी
२३. श्री वरोरा तीर्थ
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
रेल्वे स्टेशन के सामने यह मंदिर है। सैठ बंसीलालजी धनराजजी कोचर ने स्वयं के मकान में उपधान करवाया और प्रथम घर मंदिर किया बाद में यह बड़ा मंदिर स्वयं के लिए बनवाया है।
प्रतिष्ठासं. २०१२ वैशाख वदी ७ को पू. आ. श्री चंद्रसागर सूरीश्वरजी म. ने करवाई है। दूसरा मंदिर श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी का है। जिसकी प्रतिष्ठा सं. १९६४ माह सुद ५ को हुई है। सेठ का स्वयं का स्वीमिंग पुल वहां था। पू. साध्वीजी म. वहां आए तब बंद करके वहीं यह जल मंदिर बनवाया। अभी भोयरें नें पानी भरता है । वह कहां से आता है यह नहीं जान सकते। यहां कांच का मंदिर दादावाड़ी में है, यहां ज्ञान भंडार अच्छा है । १५० घर है। नागपुर चंद्रपुर रोड पर है। वर्धा - चंद्रपुरी से १०० कि.मी. है प्रकाशचंद्र बंसीलालजी कोचर पिन ४४२३०१ फोन
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४४०२४ (जि. वर्धा)
वरोरा जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री चंद्रप्रभस्वामी
प्राचीन मंदिर जीर्ण होने पर वि. सं. १९३९ (१०० वर्ष उपर) में नया बना है। आरस के पांच प्रतिमाजी हैं। जीर्णोद्धार करके प्रतिष्ठा २००४ फाल्गुन सुदी ३ को पू. आ. श्री विजय महेन्द्र सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। जैनों के ३४० घर १६०० की संख्या है। स्टेशन जि. चंद्रपुर। नागपुर तथा चंद्रपुर से बस मिलती है । पिन - ४४२९०७
२४. श्री हिंगणघाट तीर्थ
हिंगणघाट जैन मंदिरजी
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