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मध्य प्रदेश
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
यह तीर्थ कुक्षी तीर्थ से ५ कि.मी. है। लक्ष्मणी तीर्थ से आते यह तीर्थ आता है।
यह स्थान पूर्व तारापुर, तारणपुर, तुंगिया पतन से जाना जाता है। अभी यहां एक प्रतिमा पर सं. ६१२ चैत्र सुदी ५ को सोमवार आ. श्री जगतचंद्र सू. म. के द्वारा धनकुंबेर शाहचन्द्र द्वारा प्रतिष्ठा करवाने का लेख है।
ऐसा कहा जाता है कि वि. सं. १८९८ में एक किसान को एक खेत में से १३ प्राचीन प्रतिमाएं प्राप्त हुई। उस समय यहां यह प्रतिमाएँ श्वेताम्बर तथा दिगम्बर मंदिरों में विराजमान की थी।
यहां मंदिर के पास एक वाव में से श्री गोडीजी पार्श्वनाथजी की प्रतिमा वि. सं. १९२८ में चमत्कारिक घटनाओं के साथ प्रकट हुई है। उसमें कुक्षी नगर के पू. आ.
श्री बप्पभट्ट सूरीश्वरजी म. वि. सं. १०२२ में स्वयं के हाथ से प्रतिष्ठित किए गोडी पार्श्वनाथजी है ऐसा लिखा हुआ है।
यहां मांडवगढ़ के मंत्री श्री पेथडशाह ने १३वीं सदी में मंदिर बंधवाने का वर्णन है। १६वीं सदी में श्री परमदेव सू. म. ने यहीं चातुर्मास करके महावीर जिनश्राद्ध कुलक लिखा । था। जब यह नगर था। यहां विशाल प्राचीन तालाब है।
यहां पुनः प्रतिष्ठा आ. श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. की निश्रा में वि. सं. १९५० में हुई है।
यहां कार्तिक सुदी १५ के मेला लगता है। धर्मशाला, भोजनशाला, रेल्वेस्टेशन महु १६० कि.मी. है। कुक्षी जो खंडवा वडोदरा रोड पर है वह ५ कि.मी. होता है। वहां से वाहन आदि मिलते हैं। पक्की सड़क है। ___ मु. तालनपुर पो. कुक्षी (जि.-धार) म.प्र. टेली. कुक्षी
ARREARS
५. श्री कुक्षी तीर्थ
KARHARMA
मूलनायक श्री शांतिनाथजी मूलनायक श्री शांतिनाथजी (काउस्सगीया)
यह तीर्थ राजगढ़ शहर से ६ कि.मी. है। मही नदी पास में है। इस तीर्थ को पूर्व काल में भोजकुट नगर कहा जाता था।
प्राचीन भव्य प्रतिमाजी है। लोक में कहा जाता है कि प्रभुजी रात्रि को बाहर निकलते फिर स्थिर कर दिए हैं। जीर्णोद्धार हुआ है। दर्शनीय पट्ट है।
धर्मशाला है । भोजनशाला है। अभी बीच का भाग गिराकर मैदान बनाकर मंदिर का भाग खुल्ला करते हैं।
ता. राजगढ़ (जि.-धार) म.प्र..
कुक्षी जैन मंदिरजी