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हिमाचल प्रदेश
१. श्री कांगडा तीर्थ
ના
વ્યતા જોઇ એનો પુનરુદ્ધાર કરવાનો નિશ્ચય કર્યો. મૂળનાયકની પ્રતિમા સાચે જ ભવ્ય અને દર્શનીય છે.
(૩)શ્રી ઉમેદચંદ બેચરદાસ વકીલ સુરેન્દ્રનગરવાળા પરિવાર श्री कांगडा तीर्थ जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री आदिश्वरजी
रावी और सतलज नदी के बीच बसे हुए नयनरम्य कागंडा गांव में यह तीर्थ है। यह तीर्थ स्थान बाईसवें श्री नेमिनाथजी के समय का है। वह वैभवशाली शहर था। यह स्थान बहुत समय तक अदृश्य रहा । पाटण ज्ञान भंडार में से उपलब्ध 'विज्ञप्ति त्रिवेणी' ग्रन्थ में से इस तीर्थ को ढूंढ कर पू. मु. श्री पुण्यविजयजी म. ने पू. आ. श्री वल्लभ सू. म. के पास से अधिक जानकारी लेकर शोध की और वि. सं. १९४७ से यह तीर्थ प्रकाश में आया ।
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग २
होशियारपुर से १०२ कि.मी. है। पठाण कोट रेल्वे स्टेशन ९० कि.मी. है। सं. १९९० में राणकपुर से मूलनायक श्री आदिश्वरजी लाकर यहाँ प्रतिष्ठा की है। आत्मानंद जैन सभा व्यवस्था करती है। स्थान पंजाब का पालीताणा जैसा बन गया है।
यह कांगडा तीर्थ हिमालय प्रदेश में है और यहां प्रणा कांगडा कहलाता है।
इस कांगड़ा के अंदर बहुत ही बड़ा किला है। किला बहुत प्राचीन है परन्तु अभी तो खंडहर हो गया है। इस मंदिर को ५००० वर्ष होने आये हैं ।
यह मंदिर शुशरदिचंद्र कटोचवंश के राजा थे उन राजा ने उस मंदिर की स्थापना की थी।
जब एक मुनिवर ने उस राजा को स्वप्न में ( पालीताणा ) सिद्धाचल के दर्शन कराये जिससे प्रभावित होकर राजा ने यह मंदिर बनवाया ।
इस तीर्थ ने आज विशाल रूप ले लिया है। यहां बहुत ही बडी धर्मशाला और भोजनशाला की व्यवस्था है। कांगडा जाने के लिए रेल्वेमार्ग और बस मार्ग है। दोनो मार्ग से जा सकते हैं। कांगडा का किला सरकार अन्डर में है परन्तु पूजा सेवा की अनुमति प्राप्त है।
धर्मशाला से तलहटी के उपर एक मंदिर है।
श्री श्वे. मू. जैन कांगडा तीर्थ प्रबन्धक कमेटी प्रणा कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)
शुभेच्छक: डॉ. चोथमल वालचंदजी परिवार शिवगंज वाला, जोगेश्वरी - ईस्ट, मुंबई