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________________ ५१. श्री शिरडी तीर्थ 5229 शिरडी जैन मंदिरजी AONKAN REARRRRRRRRR मूलनायक श्री आदिश्वरजी शिरडी गांव यह विश्व में प्रसिद्ध गांव है। दो मंजिल का हाईवे रोड़ पर अति भव्य मंदिर है। जहां ६ आरस की और १२ पंचधातु की मूर्ति है। उपर श्री शंखेश्वरा पार्श्वनाथजी मूलनायक है। इस गांव में एक भी मंदिर न होने से यह मंदिर श्री सिद्धाचल शणगार जैन श्वे. ट्रस्ट ने बनवाया। संवत २०४८ के वैशाख वदी ३ (मारवाडी मिति) ता. २०-४-९२ सोमावर के दिन पू. आ. भुवनभानु सूरीश्वरजी म. ने तथा पू. आ. श्री विजय जयकुंजर सूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा करवाई है। मंदिर के नीचे के भाग में शत्रंजय रचना बनने वाली है और पट्ट लगगें। पास में राता , कि.मी. है और कोपरगांव १२ कि. मूलनायक श्री आदिश्वरजी राता गांव में समतिनाथजी मंदिर है। सं. २०४७ में पू. आ. श्री विजय विचक्षण सू. म. के द्वारा प्रतिष्ठा हई है। यहां उपाधये, धर्मशाला बनाने के लिए जगह ले ली है। और मंदिरजी का कार्य चाल है।। श्री सिद्धाचन शंणगार जैन श्वे. ट्रस्ट शिरडी - ४२३ 2०९ ता. कोपरगांव । जि. अहमदनगर। RREARSMARAKHAKRAMAKARAMERA
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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