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________________ ६८८) ८. श्री पायधुनी तीर्थ 1 શ્રી શાંતિનાથ ભગવાન मूलनायक श्री शांतिनाथजी पायधुनी - श्री गोडीजी जैन मंदिर मूलनायक श्री गोडी पार्श्वनाथजी यह मंदिर पायधुनी के मध्य भाग में है। अभी बहुत वर्षों से जीर्णोद्धार करके विशाल दो मंजिल का भव्य मंदिर बना है। मूलनायकजी को स्थिर रखकर जीर्णोद्धार है हुआ 1. जीर्णोद्धार के बाद भव्य महोत्सव और भव्य निष्ठापन के साथ पू. आ. श्री सुबोध सागर सूरीश्वरजी म. की निश्रा में प्रतिष्ठा हुई है। राष्ट श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग पायधुनी शांतिनाथजी मंदिर मूलनायक श्री शांतिनाथजी यह मंदिर भी नेमिनाथजी मंदिर के पास है । ३८७, इब्राहीम रहीमतुला रोड पर है। १६ आरस के प्रतिमाजी है। प्रतिष्ठा वि. सं. १८७१ माहवदी १३ को हुई है। मुंबई बोंबघडाका में मंदिर पूरी तरह गिर गया और उसका जीर्णोद्धार चल रहा है। जीर्णोद्धार का विवाद भी लंबा चल रहा है परन्तु देव, गुरु और शासन देव की कृपा से जीर्णोद्धार प्रवृत्ति में ट्रस्ट सफल हुआ है। पायधुनी पर श्री आदिश्वरजी मंदिर श्री महावीर स्वामी मंदिर बड़े हैं। पास में गुलाबवाडी में बड़ा मंदिर है । भींडीबाज़ार, खारक बाजार में श्री । अनंतनाथजी श्री आदिश्वरजी के मंदिर हैं। अनंतनाथजी मंदिर मूल में से नया बन रहा है। आवो आवो हे शान्ति प्रभुजी, मुज अंतर मोझार, मुज अंतर मोझार प्रभुजी उतारो भव पार । राग द्वेष अरि दूर करीने, पाम्या केवलनाण; साचो कल्याण मार्ग बतावी, कर्यो उपकार जगभां । त्रिभुवनस्वामी त्रण भुवनमां, तुम सम नहि कोई देव; इन्द्र चंद्रमे नागेन्द्र देवा, करे अहोनिश तुम सेव । • तुम पर सेवा मेवा विना प्रभु, रझल्यो आ संसार; हर करी सामुं जुवी स्वामी, माफी मांमु अपार । भाग्यवंत नरनारी पामे, तुम पद सेव सुखदाय; त्रिकरण योगे तुज पद सेवतां, दुःख दोहग सवि जाय । अनंत काले तुंहि प्रभु मलीयो, छोडुं नहि तुम साथ; तुम भक्तिमां मुज मन मलीयुं, हवे, शिव सुख छे हाथ । •कारी आणी मंडल प्रभुगुण गावा, खड़े पर तैयार; गुरु र सूरि अमृत भाखे, धन धन तस अवतार । आवो. आवो. आवो. आवो. आवो. आको. आवो.
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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