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________________ काश्मीर विभाग 77. SHRI MAHAVIR BHAGAVAN ( मूलनायक श्री महावीर स्वामी १. श्री जम्मु तीर्थ मूलनायक श्री महावीर स्वामीजी श्रीनगर से ३०० कि.मी. है गिरनार माहत्मय और विविध तीर्थ कल्प में श्री नगर की टिप्पणी है। भगवान आदिश्वरजी के पुत्र बाहुबली तक्षशिला काश्मीर में राज्य करते थे और उस काल में वहां जैन धर्म विस्तृत रूप से फैला हुआ था। रत्न नाम के श्रावक ने श्रीनगर से संघ निकाला था। सातवीं सदी में गिरनार तीर्थ गये और गिरनार तीर्थ का उद्धार कराया था।. काश्मीर के प्रताप म्युजियम में श्री गौतम बुद्ध के रूप में मानी गई दूसरी सदी की जिन मूर्ति है। और म्यु. के क्यूरेटर के कथनानुसार बहुत मूर्तियां काश्मीर में मिल सकती है ऐसा है। आज तो यह परिस्थिति है कि श्रीनगर में जैनों का कुछ नहीं है। जम्मू और उकोटामें जैन मंदिर आदि भव्य मंदिर है। जम्मु तीर्थ जैन मंदिरजी वीरने नमावतां भवि मस्तक (२) पावन थाय रे; काल अनादि संचित पाये, पलक अकमां जाय रे वीरने नमावतां । नहि नमे माथु जास जिनने, वहन करे ते बोजो; भव मानवनो हारी जाये, जेम रमणे रोझो रे । मानवभवनो से छे ल्हावो, जिन दर्शन जिन सेवा; वीर ने. १ भक्ति करतां मुक्ति मेवा, नहि अ सम कोई देवा रे । वीर ने. २. भवसागर तरवाने प्राणी, अनुपम ओ छे नौका; 'चेतीने तुं प्रभुने भजी ले, मिल्या उत्तम मौकारे 'अ पम से जिन सुरज वाणी, तम तिमिर हरनारी; निकटभवि लेई तस आलंबन,. वीर ने. ३. खरे ते शिव गति नातीरे । गुरु कर्पूरसूरि अमृत भाखे, तुं प्रभु तारणहारो; कृपा करी प्रभु आ श्री संघने, उतारो भवपारो रे । वीरने ४ वीरने. ५
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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