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________________ महाराष्ट्र विभाग EEG 12626268 आदिश्वर जैन मंदिरजी रायण पगला नासिक मूलनायक श्री धर्मनाथजी नासिक-सीटी • मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी । पता - जैन मंदिर, १८८०-पारसनाथ लाईन, पुरानी प्राचीन तीर्थ समान इस शहर में मुख्य रुप से ६ मंदिर है। तांबर लाईन, नासिक-सीटी (महाराष्ट्र) प्रथम - चिंतामणि पाश्वनाथ भगवान का मंदिर दहिवुल रोड पर श्री धर्मनाथ भगवान का मंदिर द्वितीय - आदिश्वर भगवान का मंदिर आरस का बना हुआ है, भव्य है। पास में जैन भवन और गुरु तृतीय - धर्मनाथ भगवान का मंदिर मंदिर, उपाश्रय भी है। चतुर्थ - पटवा जैन मंदिर 0 पटवा मंदिर - मूल पेधलपुर के रहीश सेठ श्री पंचम - टीबकवाडी जैन मंदिर दीपचंद निहालचंद पटवा ने संवत १९६० में बंधवाया था। षष्ठ - सुमति सोसायटी जैन मंदिरजी उसमें से नवनिर्माण करके वही मूलनायकरखकर नया आरस 0 अभी इस मंदिर को ५०२ वर्ष पूर्ण हुए हैं। वह श्री का मंदिर बनवाने में आया है। चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान का अति प्राचीन और ___ मूलनायक श्री सुविधिनाथ भगवान है। संवत २०४५ में अलौकिक मंदिर है। कार्तिक वदी ५ के दिन पू. आ. श्री विजय जयकुंजर इस मंदिर की प्रतिष्ठा जेठ सुदीप आती है। यह सूरीश्वरजी तथा पू. आ. श्री विजय पूर्णचंद्र सू. म. की निश्रा मंदिर दो मंजिल का बंधा हुआ है। जिसमें भोयरें में श्री में प्रतिष्ठा करवाई है। महावीर स्वामी भगवान है। बीचकी मंजिल में श्री चिंतामणि 0 शरणपुर रोड सुमति सोसायटी के कम्पाउन्ड में पार्श्वनाथ भगवान और प्रथम मंजिल में श्री मुनिसुव्रत भगवान उसी प्रकार चौथी मंजिल पर चौमुखी चंद्रप्रभु मूलनायक श्री कुंथुनाथ स्वामी का मंदिर है। संवत २०३७ के माह सुदी १३ सोमवार १६-२-८१ के दिन पू. आ. श्री भगवान है। 0 इस मंदिर के पास में ही श्री आदिश्वर भगवान का धनपाल सूरीश्वरजी म. की निश्रा में प्रतिष्ठा कराई है। नया बना आरस का मंदिर है। विशाल उपाश्रय है। 0 शरणपुर रोड के दूसरे किनारे की सोसायटी महावीर इस मंदिर की प्रतिष्ठा संवत २०३५ में पोष वदी ११ के नगर में एक शत्रुजय नगर के कम्पाउन्ड में मूलनायक श्री दिन पू. आ. श्री विजय हीर सूरीश्वरजी म. तथा श्री महावीर स्वामी का मंदिर है। संवत २०२५ में मगसिर वदीभुवनभानुसूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। पीछे के भाग में श्री ४ ता. ९-१२-१९६९ को पू. आ. श्री यशोदेव सू. महाराज रायण पगले हैं। ने यह सोसायटी बन रही थी तब इस मंदिर के बनने की श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ महाराज जैन श्वे. म. संघ पेढ़ी ट्रस्ट व्यवस्था करता है। प्रेरणा की ओर उन्होंने ही प्रतिष्ठा की थी।
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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