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________________ आंध्र प्रदेश (७१७ मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी भव्य शिखरबंधी मंदिर है। प्राचीन प्रतिमाजी है। भव्य रंगमंडप है। प्रतिष्ठा वि.सं. २०१० वैशाख सुदी को पू. मु. श्री अमीविजयजी म, के शिष्य पू. आ. श्री विजयभक्तिसूरीश्वरजी म. के शिष्य पू. मु. श्री. ललितविजयजी म. के द्वारा हुई है। . एक दूसरा श्री विमलनाथजी का मंदिर है। जो पू. आ. श्री विजयभुवनतिलक सूरीश्वरजी म. तथा पू. आ. श्री विजयभद्रंकरसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से हुआ है। प्रतिष्ठा पू. सा. श्री सुलोचनाश्रीजी म. तथा पू. सा. श्री सुलक्षणाश्रीजी म. की निश्रा में २०४७ वैशाख सुदी३ को आंदोनी से १६ कि.मी. पेदतुम्ब्ल म् नया तीर्थ बन रहा है। जहां जमीन में से श्री पार्श्वनाथ प्रभुजी के प्राचीन प्रतिमाजी निकले हैं। ___ मुंबई-मद्रास तथा मुंबई-बैंग्लोर रेल्वे लाइन पर स्टेशन) है। शरारु बाजार ता. जि. कर्नूल पिन - ५१८३०१ श्री पार्श्वनाथ भगवान ETC VARG HER1 કપ ત્ર ચિરાવલી कल्पसूत्र चित्रावली
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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