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________________ (७३५ केराला विभाग - - - - - - - -- - । - ) २. श्री अलपई तीर्थ अलपई जैन मंदिरजी मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी उपर पार्श्वनाथजी है। यह दोनों मंदिर फरवरी १९९४ में शिखरबंधी हुए हैं। एक बिना खिले के हैं। यहां १०० वर्ष पहले घर मंदिर था प्रतिमाजी पालीताणा से लाए १९८५ में घुम्मट वाला बनाकर प्रतिष्ठा कर अब शिखरबंधी मंदिर बन रहा है। यहां कच्छी जैन के ३५ घर २५० की संख्या है। ठे. बीच रोड, पिन ६८८०१२ जि. अलपई, अहमदाबाद कन्याकुमारी रेल्वे लाईन है। कोचीन से ५६ कि.मी. है। मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी (३. श्री कालीकट (कलिकुंड) तीर्थ ) मूलनायक श्री कलिकुंड पार्श्वनाथजी लगभग ७०० वर्ष पहले यहां घुम्मट वाला मंदिर था दसरा मंदिर आदिश्वरजी का है। उपर वासुपूज्य तथा १९१७ में शिखरबंधी मंदिर हआ। कोई कोई प्रतिमा में दरार महावीर स्वामी है। पड़ गई है। विशाल कम्पाउन्ड है । उसमें दूसरा श्री बगडरा घर मंदिर है। २७ जनवरी १९९४ वि.सं. २०५० आदिश्वरजी का मंदिर है। उसमें उपर श्री वासुपूज्य स्वामीजी पोषवदी १ श्री विमलनाथ जखौ तीर्थ से १८ ईंच के है। पहले केरला में यहां कालीकट वह कलिकुंड तीर्थ गिना मूलनायक लाये हैं। जाता था और भारत भर से यात्रालु आते थे। अंग्रेजों ने वह पहले चांदी के पार्श्वनाथजी छोटे प्रतिमा थे उसके कालीकट नाम रखा। वास्कोडिगामा अंग्रेज सबसे पहले पास में संभवनाथजी कोचीन (हाल बेंग्लोर) वीसनजी यहां आये और कच्छी मारवाडी गुजराती मिल कर १६० घर पदमशीधरमशीने ६-८ वर्ष पहले पधराई थी यह घर मंदिर है। १००० जैन है। सेठ आनंदजी कल्याणजी जैन मंदिर शाह स्पाईसीस श्री मूलचंद पदमशी के घर में है उसकी ब्रांच त्रिकोबील लाईन, बगबाजार - ६७३ ००१ । अलैप्पी से कालीकट में है। पता- मेहता ट्रेडिंग कम्पनी, कोपरी बाजार, २७५ कि.मी. है। मेंग्लोर मद्रास रेल्वे है। कालीकट। 8 आज केरला खिस्त्री धर्ममय बन गया है। उसमें जैनों ने बडगरा में पी. टी. रोड पर जमीन ली हुई है। प्रकाश स्वयं धर्म टिका रखा है। ट्रेडिंग क. बगडरा, ह. नरेन्द्रभाई ट्रास ५। 剧剧剧剧剧創創創創剧剧剧剧剧剧剧剧剧剧
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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