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________________ (७०३ DECECORRE-H- 06-- DISTRATANTRA Comgarma सुलतान बाजार जैन मंदिरजी हैदराबाद श्रीअन्तितनाथ भगवान मूलनायक श्री अजितनाथजी-सुलतानबाजार आव्यो आव्यो हे प्रभुजी प्यारा तुम दर्शनने काज । फाव्यो फाव्यो हे प्रभुजी प्यारा तुम दर्शनथी आज । विजया मातानो तुं जायो, त्रण भुवन शिरताज; जिनशत्रु जितशत्रु नंदन, भव तारक तुं जहाज आव्यो । १ कल्पतरु तुहि तुहि चिंतामणि, अजितनाथ जिनराज, हाथी जेवी चाल तमारी, तुम चरणे गजराज । आव्यो...२ तुं ब्रह्मा तुहिं विष्णु बुद्ध, तुहिं शंकर महाराज, तुहिं भ्राता तुहिं माता पिता, तुंहिं शरण मुनिराज । आव्यो..३ चेलामां प्रभु आप बीराजो, तुम सेवक सुरराज; समरथ स्वामी आप मल्या तो, रहेशे अमारी लाज। आव्यो..४ श्री वीर सेवा मंडल गावे, लेवा शान्ति राज; गुरु कर्पूर सूरि अमृत मागे, शाश्वत शिवपुर राज । आव्यो...५ श्रीपाश्वनाथ भगवान मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी-सुलतानबाजार हैदराबाद - शाहूकारी कारखान मूलनायक श्री गोडी पार्श्वनाथजी हैदराबाद सबसे प्राचीन यह मंदिर है। वि.सं. १५०० के आरस के ९ प्रतिमाजी है। यह मंदिर भी बेगम बाजार का मंदिर बनानेवाले ओसवालभाईयों ने बनाया है। यहीं थोड़ी दूर दादावाड़ी है। कारवान जैन मंदिर जाहेदराबाद 奥喚傘傘傘傘喇喇喇喇嘛來嘛來嘛來嘛來嘛來嘛孫
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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