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________________ कर्नाटक विभाग श्रीमानम १०. श्री चित्रदुर्ग तीर्थ चित्रदुर्ग जैन मंदिरजी Do::e अभिनंदनी मूलनायक श्री गोडीजी पार्श्वनाथजी मूलनायक श्री गोडीजी पार्श्वनाथजी पहले घर मंदिर था उसमें प्राचीन प्रतिमा शिखरबंधी मंदिर में विराजमान थी। बाहर के गौखले में महावीर स्वामी तथा गौतम स्वामी की प्रतिमा है। प्रतिष्ठा वि. सं. २०४६ वैशाख सुदी ६ को पू. आ. श्री विजयस्थूलभद्र सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। आरस के ९ प्रतिमाजी है। प्राचीन नगर था । घूमता किला पहाड़ पर है। अभी बड़ा शहर है। जैनों के २०० घर हैं । १२०० की संख्या है। एक घर मंदिर भी है। पास में ईरियर गांव में नया शिखरबंधी मंदिर बन रहा है । पटलंका (एलका) गांव में श्री सुमतिनाथ जिनालय बना है । उसकी प्रतिष्ठा सं. २०४९ में पू. आ. श्री विजयस्थूलभद्र सूरीश्वरजी म. ने की है। टुकूर से २० कि.मी. है। बेंगलोर दावणगिरि रेल्वे स्टेशन है। जि. चित्रदुर्ग पिन- ५७७५०१ DDDDDDDDDDDDDD (७४७
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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