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________________ बिहार विभाग १. श्री ऋजुवालुका (वरकार) तीर्थ ) सम्मेतशिखर जिन वंदीये, म्होटुं तीरथ एह रे; पार पमाडे भव तणो, तीरथ कहिये ते ह रे ।।स. ॥१॥ अजितथी सुमति जिणंद लगे, सहस मुनि परिवार रे; पद्मप्रभ शिव-सुख वर्या, त्रणसे अड अणगार रे ।।स. ।।२।। पांचशे मुनि परिवारशुं, श्री सुपास जिणंद रे; चंदप्रभ श्रेयांस लगे, साथे सहस मुणिंद रे ॥स. ॥३॥ छ हजार मुनिराजशें, विमल-जिनेश्वर सिद्धा रे सात सहसशं चौदमा, निज कारज वर कीधा रे ॥स. ॥४॥ एकसो आठशं धर्मजी, नवसेशं शांति नाथ रे; कुंथु अर एक सहसशु, साचो शिवपुर साथ रे ।।स. ।।५।। मल्लिनाथ शत पांचशें, मुनि नमि एक हजार रे, तेत्रीश मुनि युत पाशजी, वरिया शिवसुख, सार रे ।।स. ।।६।। सत्तावीश सहस त्रणसें, उपर ओगणपचास रे; जिन परिकर बीजा केई, पाम्या शिवपुर वास रे ॥स. ॥७।। ओ वीशे जिन अणे गिरि, सिद्धा अणसण लेई रे; पद्मविजय कहे प्रणमीओ, पास शामलनुं चेई रे । सम्मेत. ।।८।। 3 श्री ऋजुवालुका (वरकार) जैन मंदिरजी प्रभु महावीर केवलज्ञान प्राप्ति पादुका R नदी में से मिली महावीर स्वामी प्रतिमाजी
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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